Sunday, November 30, 2008

बडे साब और उनकी बेटी ने खुशी दी गरीब अनाथ बच्चों को

यह तो खबर थी कि जिले के बड़े साब आज उनके स्टे हॉम में आने वाले थे लेकिन यह सपने में भी नहीं सोचा था कि बड़े साब उनके साथ काफी देर तक बात करेंगे और उनके साथ आई गुड़िया उनके लिए ढेर सारे ईनाम लेकर आएंगी।सर्व शिक्षा अभियान के विकास खण्ड राजसमन्द की ओर से राजनगर में झुग्गी झोंपडी में रहने वाले व कचरा बिनने वाले बच्चांð के लिए चलाए जा रहे स्टे होम में रहने वाले अधिकांश बच्चों के होंठो पर यही बात थी। जिला कलक्टर नवीन जैन स्टे हॉम में अपनी पत्नी श्रीमती सुनीता जैन, पुत्री आकांक्षा के साथ पहुंचे। जिला कलक्टर जैन ने वहां बालकों से करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की। नवीन जैन ने बच्चांð से जीवन में व्यवहारिकता व शिक्षा का परस्पर संबंध बताते हुए बच्चांð को जीवन में ईमानदार सच्चा व मेहनती होने की बात कहीं। जैन ने बच्चांð को शिक्षा के प्रति जागरूक होने व शारीरिक साफ-सफाई के प्रति ध्यान रखने के लिए कहा। जिला कलक्टर जैन की पुत्री आकांक्षा का जन्मदिन होने से उन्होने स्टे होम के सभी बच्चों के लिए नए कपड़े, स्कूल डेसे व पानी की केम्पर वितरित की। जैन ने बच्चों को जन्मदिन का मतलब भी समझाया। इस अवसर पर जिला परियोजना समन्वयक शंकर लाल सनाढय, खण्ड संदर्भ केन्द्र प्रभारी महेन्द्र सिंह झाला, संदर्भ व्यक्ति रूपेश पालीवाल भी मौजूद थे।व्यावहारिक ज्ञान देवे : जिला कलक्टर नवीन जैन ने विद्यालय के स्टाफ से अध्यापन के दौरान बच्चांð में व्यवहारिक ज्ञान देने की बात पर जोर दिया ताकि ये बच्चे अपने साथ-साथ अपने घर वालें का भी ध्यान रख सके। उन्होने विद्यालय भवन का अवलोकन किया। बच्चांð के बैठने की जगह, खाना बनाने वाली जगह, पढाई का कमरा व स्टेशनरी का अवलोकन किया। उन्होने स्टाफ को निर्देशित किया कि हर माह के एक गुरूवार को यहां केन्द्र पर नाई बुलाकर इनके बाल कटवाए जावें व इन्हें साफ-सफाई से रहना सिखाया जाए।पुलिस बनने वाले के साथ मैं हूं : जिला कलक्टर नवीन जैन ने स्टे होम के बच्चों से बातचीत के दौरान पूछा कि कौन-कौन पुलिस बनना चाहता है तो मौजूद बच्चों में से दस ने हाथ खड़े किए। उन्होने चुटकी लेते हुए कहा कि जो बच्चे पुलिस बनना चाहते है मेरी तरफ से उन्हें पूरा सहयोग दूंगा।

लालन ने द्वारकाधीश के साथ अरोगा छप्पन भोग

राजस्थान के कांकरोली शहर में तृतीय पीठ के ठाकुरजी द्वारकाधीशजी के सन्मुख छप्पन भोग अरोगने के लिये शनिवार को नवनीत प्रियाजी (लालन) एवं द्वितीय पीठ के युगल स्वरूप विट्ठलनाथजी लाव लश्कर के साथ कांकरोली पधारे।शनिवार को प्रात: करीब सवा ग्यारह बजे नवनीत प्रियाजी व विट्ठलनाथजी के स्वरूप को सुखपाल में विराजित कर पुष्पों से सुसज्जित वाहन में पधराया गया। इस दौरान तिलकायत राकेशजी महाराज, सुपुत्र विशाल बावा, द्वितीय पीठाधीश्वर कल्याण रायजी, देवकीनन्दनजी, पंचम पीठाधीश्वर विक्की बावा (कामवन), मतमत रायजी (मुम्बई) समैत अन्य गुसाई बालक परम्परागत वेशभूषा धारण कर ठाकुरजी की शोभायात्रा में चल रहे थे।श्रीनाथ बैण्ड की मधुर धुन व गोविन्द पल्टन के सशत्र जवानों के बीच चल रही शोभायात्रा में ब्रजवासी सेवाकर्मी, वैष्णव श्रृद्धालु गिरिराजधरण की जयघोष करते हुए हर्षोल्लास के साथ चल रहे थे।शोभायात्रा में श्रीनाथजी मंदिर के मुखिया नरहरि ठाकर, लालन के मुखिया नारायण बापू सांचिहर, कृष्णभण्डार के अधिकारी सुधाकर शात्री, सत्यनारायण गुर्जर, राधे गुर्जर, फतेहलाल गुर्जर, एस.एल. नागदा, प्रबन्धक दिनेश जोशी, जगदीश मडा, राधा रमण गुर्जर, ब्रजवासी सेवक संघ के अध्यक्ष दादू पहलवान, कीर्तनीया गली के पोलिया निरन्जन गुर्जर, मांगीलाल गुर्जर, मधुकान्त सनाढ्य, ललित वैरागी सहित सैंकड़ों वैष्णव शामिल रहे।ठाकुरजी का लवाजमा लाव लश्कर के साथ कांकरोली स्थित जलचक्की चौराहा पहुंचा जहां से शोभायात्रा के रूप में विट्ठल विलास बाग पहुंचा जहां नवनीत प्रियाजी व विट्ठलनाथजी ने द्वारकाधीश प्रभु के संग छप्पन भोग आरोगा। इस बीच कृष्णभण्डार के अधिकारी सुधाकर शात्री ने बताया कि दोनों स्वरूपों को छप्पन भोग अरोगाने के पश्चात पुन: नाथद्वारा लाया गया।

Saturday, November 29, 2008

लोक लुभावन घोषणाएं क्या देगी राजस्थान को

चार दिसम्बर को राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने है। प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सहित निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को लुभाने में जुटे है। राजनीतिक पार्टियाें ने मतदाताओं को लुभाने के लिए हाल ही में अपने चुनाव घोषणा पत्र भी जारी किए है। जिनमें एक राजनीतिक पार्टी ने कर्मचारियों को सभी परिलाभ देने और प्रसूता को पांच किलो घी तक देने का आश्वासन दे डाला। वहीं दूसरी पार्टी राय और क्षेत्र के विकास के लिए हर संभल पहल करने की घोषणा कर रहे है। सवाल यह उठता है कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया उसका वास्तविक साझेदार जनता है या उसके कार्यकर्ता। क्योंकि चुनाव के बाद जब राजनीतिक पार्टी सत्ता संभालती है तो चुनाव से पहले जारी किया गया उनका घोषणा पत्र समय के साथ-साथ जनता के लिए एक नेता का कागजी वादा ही साबित होकर रह जाता है। प्राय: यह भी देखा जाता है कि राजनीतिक पार्टियां वृहद स्तर पर जनता को आकर्षित करने के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर देती है लेकिन उनमें किए गए वादे कभी पूरे नहीं हो पाते। मसलन पिछले चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने गांव-गांव में स्वास्थ्य केन्द्र और स्कूल खोलने के तो बडे वादे किए लेकिन क्या अभी तक सभी गांवों में स्कूल और स्वास्थ्य केन्द्र खुल गए? यदि खुल गए तो स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक और स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्साकर्मी है? स्वाभाविक तौर पर इन प्रश्नों पर राजनीतिक पार्टियों के बडे नेता भी जवाबदेते नहीं बनते।
पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान का नाम विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त है। भारत आने वाले दस विदेशी पर्यटकों में से आठ राजस्थान की प्राचीन संस्कृति और धरोहर को देखने जरूर आते है। विदेशी लोगों के यहां आने से सत्ता में रहने वाली सरकार को वित्तीय दृष्टि से फायदा तो बहुत हुआ लेकिन कभी सरकार ने राजस्थान की प्राचीन धरोहर को संवारने और जर्जर होती पुरा सम्पदा को संजोने में कोई रूचि नहीं दिखाई। यहां तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे घोषणा पत्र में स्थान देना भी जरूरी नहीं समझा। यही हाल राजस्थानी भाषा का है। राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति ने चुनाव की घोषणा से पूर्व राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से अपने घोषणा पत्र में राजस्थानी भाषा की मान्यता के सम्बन्ध में घोषणा करवाने का आग्रह किया, अपनी चुनाव प्रचार सामग्री भी राजस्थानी भाषा में प्रकाशित करवाने का आग्रह किया लेकिन अफसोस किसी पार्टी ने इस और ध्यान नहीं दिया।

लम्बी बीमारी से निजात मिली श्रीलाल को

राजस्थान राय के राजसमन्द जिले की आमेट तहसील के गांव लावासरदारगढ निवासी मांगीलाल खटीक एवं श्रीमती बसन्ती के परिवार में शनिवार का दिन नई रोशनी लेकर आया जब उनके तेरह वर्षीय एकलोते पुत्र श्रीलाल खटीक का ऑपरेशन राजसमन्द जिला कलक्टर नवीन जैन और भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के मानद सचिव राजकुमार दक के प्रयासों से हो गया।
आठवीं कक्षा मे अध्ययनरत श्रीलाल लम्बे समय से फेफड़े की बीमारी हाइडेटिड सिस्ट से ग्रसित था। मजदूरी से पेट भरने वाला परिवार आर्थिक बोझ तले जैसे तैसे स्थानीय चिकित्सको से इलाज करवा रहा था लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। पिछले दिनाें परिजनाें ने राजकुमार दक से सम्पर्क करने पर उन्होने कमला नेहरू चिकित्सालय के डॉ भूपेश परतानी एवं आरके चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ललित पुरोहित से चिकित्सा परामर्श लिया। सोनोग्राफी करने पर मालूम चला कि बालक के दाएं फेफडे में पानी भरा पड़ा है एवं सिकुड़ गया है जिसका इलाज ऑपरेशन से ही सम्भव है एवं वह उदयपुर(राजस्थान) हो सकता था।
ऐसी स्थिति में दक ने उन्हें महाराणा भूपाल चिकित्सालय के ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ विनय नैथानी के पास भिजवाया जिन्होनें एक घंटे के अथक परिश्रम से उसके फेफडे के पास बनी पानी की थेली को शल्य चिकित्सा कर बाहर निकाली एवं फेफडे को सामान्य तरह से कार्य करने योग्य फुलाया। दक ने बताया कि इस ऑपरेशन में डॉ नैथानी ने पूर्ण मानवीयता का परिचय दिया एवं तुरन्त ऑपरेशन कर हर सम्भव सहयोग प्रदान किया।
डॉ नैथानी के अनुसार बालक को समय पर इलाज मिल जाने से उसकी जान बच गई अन्यथा ऐसे प्रकरण में थेली फटने पर टोक्सीन शरीर में फैल जाता है जिससे रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।

Wednesday, November 26, 2008

सरहदों से पार आई संगीत की बहार

पंछी को उड़ने से, नदी को बहने तथा पवन के झोंकों को कोई सरहद नहीं रोक सकती, उसी तरह संगीत के जादू को भी कोई सरहदी दीवार नहीं रोक सकती। संगीत का जादू सात समुद्र पार से भी लोगों को अपने ओर आकर्षित कर लेता है।
संगीत का यही जादू इन दिनों नजमुल निशा को जर्मनी से उदयपुर खींच लाया। लेखिका और पेशे से पत्रकार नजमुल भारतीय क्लासिकल संगीत से बहुत प्रभावित है। उन्होंने भारतीय क्लासिकल म्युजिक के व्यापक प्रचार प्रचार के लिए बर्लिन में टैगोर इंसटिनी अकादमी भी खोल रखी है। बांगला भाषी नजमुल ने भारत में खुद को प्यारी का उपनाम दिया है। ढाका में जन्मी नजमुल निशा ने बांगलादेश की बुलबुल अकादमी से टैगोर संगीत की बारिकियां सीखी। सन 1980 में बर्लिन में बतौर रेडियो जर्नलिस्ट काम करने का सोचा और जर्मन रेडियों एण्ड टेलीविजन में एडिटर का पद संभाला। इसके बाद भी वह अपने संगीत प्रेम को नहीं छोड़ पाई। उन्होंने बांगला में कई कविताएं भी लिखी। कविताओं की क्वालिटी के दम पर पिछले वर्ष जून माह में लंदन पोयट्री फेस्टीवल तथा इससे पहले न्यूयार्क के बुक फेयर में भाग लिया। हाल ही में कोलकता में आयोजित फिल्म फेस्टीवल में बतौर विशिष्ट अतिथि शरीक हुई।
नजमूल ने उदयपुर स्थित बोस म्यूजिक एकेडमी के बारे में अपने कई जर्मन दोस्तों से सुना तो सम्पर्क किया और वह इसके संस्थापक पंडित आरके बोस से मिलने उदयपुर आई। नजमूल ने बताया कि जर्मनी में इंडियन क्लासिकल म्यूजिक तथा सितार व तबला जैसे वाद्ययंत्रों को सिखाने के लिए यादा रुचि लेते है। उनके संस्थान में भारतीयों के मुकाबले स्थानीय लोगों की संख्या यादा है। स्वतंत्र पत्रकार के रूप में न्यूयार्क और कोलकता के विभिन्न समाचार पत्रों में लिखने वाली नजमूल निशा लेखन और अनुवाद में रुचि रखती है। सन 2005 में साहित्य नोबल पुरस्कार विजेता एल्फ्रेडो जोलिनेक के उपन्यास को इन दिनों वह बांगला में अनुवादित कर रही है।

Sunday, November 23, 2008

जन्मजात नेत्रहीन अनिता को मिला नया जीवन

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिलान्तर्गत रेलमगरा तहसील के बनेडिया गांव निवासी लालू जोगी ने कभी सपने में नहीं सोचा कि उसकी दस वर्षीय नेत्रहीन पुत्री अनिता कभी इस दुनियां को देख पाएगी लेकिन उसकी खुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब उसकी जन्मजात नेत्रहीन इस बालिका का सफल ऑपरेशन सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द और भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी जिला शाखा के मानद सचिव राजकुमार दक के प्रयासा से हो गया और अब अनिता अपनी दोनो आंखो से देख पा रही है। अनिता के नाना मांगीलाल बतातें हैं कि वह जन्म से ही नहीं देख पाती थी। हमने कुछ जगह इसको बताई लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण और इलाज के लिए नहीं जा पाए न ही हमे कोई जानकारी मिली कि इस तरह का इलाज हो सकेगा। पिछले दिना जब सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द और रेडक्रॉस सोसायटी के मानद सचिव राजकुमार दक के सम्पर्क में आए तो इन्होने पूरी मदद के लिए भरोसा दिलाया।
सितम्बर माह में जिला कलक्टर नवीन जैन ने सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ऐसे बालका को चिन्हित करने के निर्देश दिए जिन्हें विशिष्ट आवश्यकता है। ऐसे में सर्व शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयक शंकर लाल सनाढय व सन्दर्भ शिक्षक प्रमेन्द्र जावडिया के मार्फत बालिका अनिता की जानकारी मिली तो उन्होने तुरन्त ही बालिका को परामर्श के लिए अलख नयन नेत्र मंदिर उदयपुर (राजस्थान) के चिकित्सक डॉ एचएस चुण्डावत के पास एम्बूलेंस से भिजवाया जहां डॉ चुण्डावत एवं डॉ एल एस झाला ने उपचार शुरू किया। फेको पध्दति से 23 अक्टूबर को एक आंख का ऑपरेशन किया गया तो परिजनो की खुशी का पारावार नहीं रहा जब पट्टी खुलने पर पहली बार उसने इस दुनियां को देखा। उसकी दूसरी आंख का ऑपरेशन 17 नवम्बर को किया गया और यह भी पूर्णत: सफल रहा। अनिता से पहले अंगुलिया की गिनती करवाई गई अब अनिता दोनो आंखो से सकुशल देख रही है। अनिता के परिजनों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए अलख नयन मंदिर के डॉ एचएस चुण्डावत ने ऑपरेशन खर्च लगभग पच्चीस हजार रुपया पूर्णत: माफ कर दिया। डॉ चुण्डावत का कहना है कि ऐसे रोगी अज्ञानतावश एवं आर्थिक तंगी से अपना समुचित इलाज नहीं करवा पाते है। यदि इसका ऑपरेशन कुछ वर्ष पूर्व हो जाता तो उसकी नजर की गुणवत्ता और अच्छी होती। अनिता को रोशनी मिलने पर पूरे परिवार व स्कूल में खुशी का माहौल है।राजकुमार दक ने बताया कि जिला कलक्टर नवीन जैन की प्रेरणा पर ऐसे और बच्चों की पहचान कर उनके समुचित इलाज की व्यवस्था की जा रही है।

Saturday, November 22, 2008

मीडिया जनमत जगा रहा है या जनमत को बरगला रहा है

विधान सभा चुनाव में एक सजग और सार्वजनिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील प्रत्याशी चयनित हो इसके लिए स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। राजस्थान के प्रमुख दैनिक राजस्थान पत्रिका ने भी जन भावना अनुरूप जागो जनमत के माध्यम से अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहा है जो वास्तव में सराहनीय कार्य है। समाचार पत्र और मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है क्योंकि वह दिन-प्रतिदिन लोकतंत्र के तीनों स्तम्भ के बारे में सही और प्रमाणिक जानकारी देकर सजग करने में भूमिका का निर्वाह करता है। यही वजह है कि समाचार पत्र में प्रतिदिन सरकार के अच्छे कार्यो को जहां तरजीह दी जाती है वही सरकार के मंत्रियों और सरकारी अधिकारी व कर्मचारी वर्ग द्वारा किए गए बुरे कार्यो की भी पोल खोल दी जाती है। विगत डेढ़ दशक में इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने भी स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से बड़े से बडे भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।
बात यहां लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ समाचार पत्र और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की ओर से निभाई जा रही प्रामाणिक भूमिका की नहीं है। यहां बात हो रही है पूर्णतया व्यावसायिक बनते जा रहे मीडिया की भूमिका के बारे में है। विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है ऐसे में मीडिया के विज्ञापन प्रतिनिधि चुनाव में खडे हुए प्रत्याशी से विज्ञापन लेते है या प्रत्याशी के विज्ञापन प्रकाशित करते है। इसमें कोई बुराई नहीं है। चूंकि यह सर्वमान्य है कि समाचार पत्र और मीडिया विज्ञापन की कमाई से अपना अधिकांश व्यय समायोजित करते है। विधानसभा चुनाव हो या नहीं हो दीपावली, होली या अन्य कोई विशेष अवसर पर समाचार पत्र विज्ञापन के परिशिष्ट निकालने की परम्परा चल पडी है जो भी बुरी बात नहीं है क्याेंकि जनता समाचारों के साथ विज्ञापन का महत्व समझने लगी है।
राजस्थान के विधानसभा चुनावों में मीडिया के कतिपय लोगों ने एक और नई परिपाटी शुरू की है। जिसका उदाहरण प्रतापगढ जिले के बड़ी सादडी विधानसभा क्षेत्र में गत दिनों एक प्रत्याशी ने पेश किया। प्रत्याशी ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया और उसमें अपने प्रचारात्मक सामग्री देते हुए प्रत्येक पत्रकार से उसे छापने का आह्वान किया। सम्मेलन में शरीक हुए पत्रकारों के मुताबिक प्रत्येक पत्रकार को उक्त प्रचार सामग्री प्रकाशन के लिए हजारों रुपए भी दिए गए। हालांकि एक बडे समाचार पत्र के प्रतिनिधि ने प्रत्याशी द्वारा दिए गए रुपए का विरोध करते हुए वापस उसी को लौटा दिए। उक्त प्रतिनिधि ने इस सम्बन्ध में अपनी समाचार डेस्क को अवगत भी कराया, जिस पर इस बडे समाचार पत्र ने पूरे राय के सभी संस्करणों के सम्पादकों को समाचार पत्र की आचार संहिता का उल्लेख करते हुए निर्देशित किया कि इस प्रकार की प्रचारात्मक सामग्री छापने से बचे। बतौर विज्ञापन भी उस प्रत्याशी को जनता का भगवान बनाने का प्रयास नहीं किया जाएं।
यहां तो बात उस समाचार पत्र की हुई जिसने मीडिया की आचार संहिता के मुताबिक ऐसे प्रचारात्मक तरीके को रोकने का प्रयास किया लेकिन बडी सादडी में घटी घटना का दूसरा दु:खद पहलु यह भी रहा कि कई समाचार पत्रों ने अपवादों को छोड़ दे तो उक्त प्रत्याशी की प्रचारात्मक सामग्री को हुबहु छाप दिया। हो सकता है कई पाठक और मीडियाकर्मी इस पर अपनी यह राय दे कि यह तो पहले भी चल रहा था इसमें नया क्या है? तो यहां मैं यह कहना चाहूंगा कि चुनाव के दौरान पहले प्रत्याशी छोटे-छोटे समाचार पत्र जिनमें से अधिकांश उनकी रहमोकरम पर चल रहे है वे ही उनकी प्रचार सामग्री को छापते थे लेकिन अब इसका रूप बदलने लगा है।
बड़ी सादडी में प्रत्याशी द्वारा की गई एक तुच्छ हरकत ने कतिपय मीडियाकर्मी को इस चुनाव में उपरी तौर पर अच्छी कमाई करने का मार्ग प्रशस्त भी कर दिया। इस घटना के बाद कतिपय मीडियाकर्मी उक्त प्रत्याशी के अलावा संभाग के विधानसभा क्षेत्रों मे खडे प्रत्याशी से मिलने-जुलने का काम शुरू कर दिया। प्रत्याशी के प्रचारात्मक एक पृष्ठ सामग्री के लिए लाखों रुपए के सौदे भी किए जा रहे है। कतिपय मीडियाकर्मी इन प्रत्याशियों से यह भी कहते नजर आते है कि विज्ञापन के तौर पर भी उनकी प्रचारात्मक सामग्री लग सकती है लेकिन इसमें जो व्यय होगा वह उसके चुनाव खर्च में जुडेग़ा और इसका नुकसान भी उसे होगा। विधानसभा चुनाव में खडे होने वाले प्रत्याशी को अधिकतम दस लाख रुपए खर्च करने की अनुमति है। स्वाभाविक तौर पर प्रत्याशी अधिकतम दस लाख रुपए से कई गुना अधिक खर्च करते है लेकिन खर्चा पेश करते वक्त दस लाख से कम के बिल और अन्य दस्तावेज पेश करते है। कतिपय मीडियाकर्मी इस कमजोरी का फायदा उठा कर अपनी स्वार्थ सिध्द कर रहे है।
मीडिया में पाठक समाचार इसलिए पढ़ते और देखते है ताकि वह अपनी राय बना सके लेकिन इस तरह किसी प्रत्याशी का डंका बजाना क्या न्यायोचित है? क्या इसके माध्यम से समाचार पत्र जनमत को जगा सकेंगे?

Friday, November 21, 2008

आर्थिक स्वतंत्रता के दौर में लूट न जाए आपके उसूल

आर्थिक प्रतिस्पध्र्दा के दौर में एक व्यक्ति की कमाई से गुजारा नहीं होने आर्थिक स्वतंत्रता की परिकल्पना को देखते हुए महिलाएं घर की दहलीज से बाहर निकल कर राजकीय नौकरियों के अलावा बड़ी कम्पनियों एवं मीडिया सहित कार्यालयों में एकाधिक महिलाएं कार्यरत मिलेगी।
समाचार पत्रों में आए दिन सहकर्मी द्वारा महिला के साथ अभद्रता करने या यौन दुराचार करने की घटनाएं छपती है। वही इलेक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा अपराध पर बनाए गए विशिष्ट कार्यक्रमों में इसे प्रमुखता देते है। हालांकि समाचार पत्र अपनी आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए अभद्रता और यौन दुराचार की शिकार हुई महिलाओं का नाम प्रकाशित नहीं करते है वही इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी पीडिता का चेहरा धुंधला कर दिखाने की परम्परा है। यहां सवाल पीडिता का चेहरा दिखाने या उसका नाम प्रकाशित करने का नहीं है अपितु आर्थिक स्वतंत्रता के नाम पर दहलीज से बाहर निकली महिलाओं को अपनी आचार संहिता और उसूलों पर कायम रहने का है। चूंकि मीडिया अपने उसूलों के तहत महिला चाहे व दोषी हो या न हो उसका नाम इसलिए नहीं उजागर करता क्योंकि एक महिला बदनाम होने के बाद उसे समाज और उस परिवेश के लोग जहां वह काम कर रही है, तुच्छ नजरों से ही देखते है।
बात जब निकली है कामकाजी महिलाओं की आचार संहिता की और उसके उसूलों की तो सबसे पहले उल्लेख करना होगा भारतीय संस्कृति में लागू परदा प्रथा की। चौंकने की जरूरत नहीं है और यहां हम यह भी नहीं कह रहे कि महिलाएं लम्बा सा घूंघट डालकर अपने कार्यस्थल पर जाएं बल्कि भारतीय संस्कृति में पुरातनवादी लोगों ने परदा प्रथा इसलिए शुरू की थी कि महिलाएं घर में रहे या बाहर निकले उसे अपनी मर्यादा की जानकारी रहे लेकिन शनै-शनै इस प्रथा ने विकृत रूप ले लिया और लोग घर की महिलाओं को लम्बे-लम्बे घूंघट निकालने पर मजबूर कर दिया। वर्तमान में घूंघट निकालना एक गैर वाजिब परम्परा माना जाता है और स्वाभाविक भी है कि कामकाजी महिलाएं यदि घूंघट निकाल कर बैठेगी तो वह काम क्या करेगी?
दूसरा उसूल हो अपनी बात और कमजोरी अपने तक सीमित रखने की क्षमता। प्राय: यह देखा जाता है कि महिलाएं अपने घर-परिवार में होने वाली अच्छी-बुरी बातों को अपने सहकर्मियों को साथ शेयर करती है। बातों को कहने के दौरान कई बार वह अपनी कमजोरी भी उजागर कर देती है इससे पुरूष सहकर्मी महिला की कमजोरी का फायदा उठाने का प्रयास करता है। तीसरा उसूल हो भारतीय संस्कृति अनुरूप कपडे पहने जाए। यहां लोग प्रश्न यह भी कर सकते है कि क्या साड़ी और सलवार पहनने वाली महिलाओं के साथ अभद्रता नहीं होती? आमतौर पर इन प्रश्नों का जवाब हां में हो सकता है लेकिन यह भी देखना होगा कि साडी और सलवार पहनने वाली महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता उन युवतियों के मुकाबले कम होती है जो स्कर्ट और फैशनेबल कपडे पहनती है। हाल ही में दिल्ली की एक स्वयंसेवी संस्था ने दिल्ली और नोएडा परिक्षेत्र में किए सर्वे में इसका बात का उल्लेख किया है कि सड़कों और बाजारों में अभद्रता की शिकार अधिकांश वह युवतियां होती जिन्होंने पाश्चात्य संस्कृति के अनुरूप कम कपडे पहन रखे है। सर्वे के अनुसार कम कपड़ों की वजह से मनचले युवतियों से सटने या उन पर फिकरे कसते है।

Thursday, November 20, 2008

कही तबाह न हो जाए लाइव इन रिलेशनशिप से

भारतीय संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिए सजग भारतीयों द्वारा काफी प्रयास किए ले जा रहे है मगर कही न कही इन प्रयासों को पाश्चात्य संस्कृति का लबादा ओढे बैठे लोग आहत करने पर तुले हुए है। यही वजह है कि अब बिना शादी किए साथ रहने का नया नियम इन लोगों ने प्रचारित करना शुरू कर दिया है। वहीं लाइव इन रिलेशनशिप को मान्यता प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने भी पहल की है। बिना शादी किए साथ रहने की यह अवधारणा पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने वाले लोगों को रास आ सकता है और इसकी उनकी अपनी वजह हो सकती है। बिना विवाह किए ही पत्नी का दर्जा और महिला को पत्नी के अधिकार प्रदान करना अदालत की नजर में भी उचित नहीं है। इसकी पहली वजह जब कभी इन लिव इन रिलेशनशिप के माध्यम से साथ रहने वाले जोडों को झगड़े की वजह से अलग रहने की नौबत आई तब कानूनी तौर पर इनके विवादों का निपटारा किसी भी कानून के तहत नहीं किया जा सकता। अधिकांशत: ऐसे साथ रहने वाले शिक्षित और कार्मिक वर्ग के होते है। कार्मिक वर्ग के होने के फलस्वरूप कई बार उनका स्थानांतरण भी होता है ऐसे में यह जरूरी नहीं कि साथ रहने वालों का एक साथ स्थानांतरण हो। वैधानिक पति-पत्नी को अधिकार है कि वह अपने साथी के स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर सकते है। इसके अलावा साथ रहने वालों के बीच कभी विवाद की स्थिति होने और अलग-अलग रहने की परिस्थिति आने पर उनकी संतान की प्रमाणिकता कैसे सिध्द की जा सकती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डीएनए परीक्षण से संतान की प्रमाणिकता संभव है लेकिन इन सबके लिए वैधानिक प्रक्रिया और अदालत की शरण तो लेनी होगी।
भारतीय धर्म शास्त्रों का अवलोकन करें तो स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि विवाह भी सामाजिक परम्परा की धार्मिक अनुपालना है। बिना विवाह के संतान को धर्मशास्त्र भी पहचान नहीं देते। भारत के धर्मशास्त्रों में यहां तक उल्लेख है कि कुछ ऋषि-मुनियों को भी विवाह के लिए तपस्या करते हुए अनुपालना करनी पड़ी है। वहीं पौराणिक मान्यता यह भी है कि बिना विवाह स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त नहीं होता है। आधुनिकता के नाम पर अंधानुकरण करने से पहले इसके व्यावहारिक और भावी परिणामों पर भी दूरदर्शिता पूर्ण विचार किया जाना चाहिए। लम्बे समय तक एक ही छत के नीचे रहना और पति-पत्नी का आचरण करना कहां तक न्याय संगत है। मानवीय प्रकृति के अनुसार एक ही व्यक्ति समय-समय पर एक से अधिक महिलाओं के साथ रहता है तो किस महिला को उसकी वास्तविक संगीनी माना जाएगा। सरकार ने कानूनी रूप से विवाह का पंजीकरण आवश्यक कर दिया है तो ऐसे साथ रहने वाले जोड़ों को सरकार मान्यता देकर उनका पंजीकरण कर सकती है?
स्वतंत्र प्रकृति की महिलाओं का यह भी मानना है कि पुरूष प्रधानता और पुरूष की निरंकुशता को समाप्त करने में लाइव इन रिलेशनशिप सहायक साबित हो सकता है और महिला को शोषण से मुक्ति मिलेगी लेकिन इस बात को कौन दावे से कह सकता है कि लाइव इन रिलेशनशिप से पुरूष की मंशा में परिवर्तन हो सकता है। जरूरत है पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे इन लोगों को भारतीय पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए विचार करने की। अन्यथा लाइव इन रिलेशनशिप से परिवार ही टूटते है।

एडस और कैंसर के बाद पग पसार रहा है सीओपीडी रोग

एडस, कैंसर के बाद अब एक और सीओपीडी फेफडों से संबंधित एक महत्वपूर्ण बीमारी पग पसारते हुए लोगों को मौत की आगोश में ले रही है। हाल ही में रविंद्रनाथ टैगौर मेडिकल कॉलेज उदयपुर की ओर से आयोजित कांफ्रेस में विभागाध्यक्ष डॉ. एसके लुहाडिया ने इस बीमारी का विष्लेशण करते हुए बताया कि इस बीमारी के दौरान श्वांस नलियों में सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे बलगम बनता है। रोगी की ष्ष्वास की नलियां सिकुड जाती है। इस रोग में व्यक्ति को श्वांस में तकलीफ रहने लगती है व खांसी और बलगम की शिकायत भी हो सकती है। यह तकलीफ सर्दी के मौसम में अधिक होती हैं। इस रोग का ईलाज नहीं लेने पर ष्ष्वास की नलियों में स्थायी सिकुडन भी हो सकती है, जिससे मरीज के लक्षण गंभीर हो जाते है और अस्पताल में भर्ती करवाना पड सकता हैं।
विष्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सीओपीडी वर्तमान में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है तथा पूर्वानुमान है कि सन् 2020 तक यह मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन सकेगा। प्रति वर्ष करीब 30 लाख लोग इस बीमारी से मौत के शिकार बन जाते है, एवं 40 वर्ष से अधिक उम्र के करीब 10 प्रतिषत लोगों में इस बीमारी के होने की संभावना होती है। एक भारतीय सर्वे के अनुसार करीब 3.5 करोड लोग इस बीमारी से ग्रसित है। उन्होने बताया कि सीओपीडी रोग का प्रमुख कारण ध्रुमपान होता है, लेकिन प्रदूषण भी इसका प्रमुख जिम्मेदार घटक है। चूल्हों से निकलने वाले धुएं, फैक्ट्री व वाहनों से निकलने वाले धुएं से भी इस रोग के होने की आषंका हो सकती है। उन्होंने बताया कि सीओपीडी का प्रारंभिक अवस्था में निदान बहुत जरूरी है। प्रारंभिक निदान एवं बीमारी की गंभीरता नापने के लिए स्पाईरोमेट्री नामक टेस्ट का उपयोग किया जाता है। इससे फेफडे की क्षमता का पता लगाया जा सकता है। इस रोग में इनहेलर द्वारा दी जाने वाली दवाइयां अधिक कारगर व सुरक्षित रहती है।

Wednesday, November 19, 2008

बृजयात्रा कर वापस आए कल्याणराय जी

श्री कल्याणरायजी प्रभु का व्रजयात्रा पूर्ण कर पधारे। इस अवसर पर श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास, श्री द्वारकाधीश मंदिर, कांकरोली ने उनका बुधवार को कांकरोली के मुखर्जी चौक पर भव्य स्वागत किया।श्री कल्याणराय प्रभु के मावली स्टेशन पर आने पर उनका गाजे बाजे एवं पुष्प वर्षा के साथ मावली वासियों एवं श्रीकृष्ण भण्डार के अधिकारी ने मय स्टाफ उनका स्वागत किया। मावली से रवाना होकर वे प्रातः 10 बजे कांकरोली मुखर्जी चौराहे पधारे, वहां पर उनका एवं षष्ठ पीठाधीश्वर गोस्वामी द्वारकेश लाल एवं गोस्वामी पराग कुमार एवं उनके परिवार का स्वागत किया। वहां से शाही लवाजमे नंगारे, निशान, श्री द्वारकेश बेण्ड, सुरक्षा प्रहरी, पलटन, पालकी एवं झुनझुनिया वालों के साथ श्री कल्याण राय प्रभु को श्री द्वारकाधीश मंदिर में पधराया गया। जहां पधारने के बाद लगभग एक घंटे बाद 12.30 बजे मंगला की झांकी के दर्शन सम्पन्न हुए।

Monday, November 17, 2008

कांकरोली के द्वारकाधीश मंदिर में ब्रजानंद महोत्सव

पुष्टिमार्गीय तृतीयपीठ प्रन्यास के कांकरोली (राजस्थान) स्थित द्वारकाधीश मंदिर में बडौदा से कल्याणराय प्रभु बुधवार को पधारेंगे। इस अवसर पर व्रजानंद महामहोत्सव शुरू होगा। जिसके तहत दो दिसम्बर तक विविध कार्यक्रम होंगे। द्वारकेश प्रभु मनोरथ समिति के अनुसार कल्याणराय प्रभु बुधवार दोपहर 1 बजे मावली से कांकरोली पधारेंगे ।शाम को शयन के दर्शन होंगे। गुरूवार को पलना पुनवारा, 21 को केसर का बंगला, केसरी घटा, 22 को झांकी, 23 को जरदोजी का बंगला, 24 को नौचोकी पाल पर शरद और छाक लीला, 25 को चांदी की बार द्वारी विवाह, 26 को आसोटिया गौशाला में गौचारण, 27 को कांच का बंगला, 28 को चांदी का बंगला, 29 को विटठल विलास बाग में छप्पन भोग लगाया जाएगा। इसी प्रकार 30 नवम्बर को राजभोग में चूंदडी की घटा, शयन में गणगौर छठा, 1 दिसम्बर को नन्द भवन में विराजेंगे और 2 दिसम्बर को प्रभु राजभोग के बाद बडौदा के लिए रवाना होंगे।

Sunday, November 16, 2008

दामोदर दीक्षित आचार्य निरंजन नाथ पुरस्कार से सम्मानित

संबोधन त्रैमासिक के सौजन्स से 10 वां आचार्य निरंजननाथ सम्मान अणुव्रत विश्व भारती के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में दामोदर दत्त दीक्षित को उनकी औपन्यासिक कृति धुआं और चीखें पर प्रदान किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार मधुसूदन पंड्या ने शाल एवं श्रीफल, मुख्य अतिथि वेद व्यास ने प्रशस्ति पत्र, राजेन्द्र मोहन भटनागर ने स्मृति चिन्ह, कर्नल देशबन्धु आचार्य ने सम्मान राशि 15 हजार रूपए दीक्षित को भेंट की। एमडी कनेरिया ने श्रीनाथ जी का मित्र एवं बीडा भेंट किया। इस अवसर पर आचार्य की ओर से प्रोत्साहन पुरस्कार से प्रकाशित शेख अब्दुल हमीद के गजल संग्रह लम्हा लम्हा जिंदगी का लोकार्पण सुप्रसिद्ध लेखक एवं विचारक वेद व्यास ने किया।समारोह के आरंभ में स्वागत समिति के अध्यक्ष मधुसूदन पंडय़ा एवं सम्मान समारोह के संयोजक कमर मेवाडी व राजस्थान साहित्यकार परिषद के सदस्यों ने माल्यार्पण एवं उपरणा ओढाकर स्वागत किया। सरस्वती वंदना गोपाल कृष्ण खण्डेलवाल एवं गजल पाठ शेख हमीद ने किया। संयोजक नरेन्द्र निर्मल ने किया। पुरस्कृत कृति धुआं और चीखें पर समालोचना करते हुए कथाकार माधव नागदा एवं कवि नरेन्द्र निर्मल ने पत्र वाचन किया। इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकार दामोदर दत्त दीक्षित ने उपन्यास अंश का पाठ किया एवं अपनी रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर कवि साहित्यकार वेद व्यास, समारोह अध्यक्ष राजेन्द्र माहन भटनागर, भगवतीलाल व्यास ने सम्बोधित करते हुए आज के साहित्य की दशा एवं दिशा पर प्रकाश डाला। सम्मान समारोह समिति के अध्यक्ष कर्नल देशबंधु आचार्य ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए भावी योजनाआंð पर प्रकाश डाला।

Saturday, November 15, 2008

विद्या के मंदिरों में सबक ही दलित वर्ग से घृणा का मिलता है

(मुकेश त्रिवेदी ) राजसमन्द। अस्पृश्यता पाप है अपराध है राजस्थान की पाठ्यपुस्तकों में विगत कई वषो से इन पंक्तियों का उल्लेख सरकार ने यह सोचकर किया कि इन पुस्तकों को पढने वाले विद्यार्थी सजग हो और वर्षो से चली आ रही छूआछुत की परम्परा समूल नष्ट करने में सहयोग दे सके। हालाकि शहरी क्षेत्रों में अब लोग समझने लगे है और दलित वर्ग के लोगों को अपना सहयोगी मानते है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में छूआछुत के हालात जस के तस बने है।
सर्व विदित है कि राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में दलित वर्ग को आज भी हेय दृष्टि से देखा जाता है और उनके हाथ से पानी पीना भी एक अपमान महसूस करने के बराबर माना जाता है। यही नहीं इन दलित वर्ग को मंदिर में दशन नहीं करने देने शादी के वक्त बिंदौली घोडे पर नहीं निकालने देने की गैर दलितों ने परम्परा कायम की वह बदस्तूर जारी है।
चिंताजनक स्थिति तब बन जाती है जब जिन विद्यालयों में बालक छुआछूत को पाप और अपराध है को सबक के रूप में पढता है वहां आज भी ग्रामीणों के दकियानुसी ख्यालात हावी है।
विद्यालयों में मिड डे मील योजना के तहत पकने वाले पोषाहार के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को प्राथमिकता देने के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद हालात इनसे परे है।

दलितों की व्यथा आंकड़ों की जुबानी
राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी द्वारा हाल ही में सूचना के अधिकार में राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के विद्यालयों में भोजन पकाने वाले महिला-पुरूर्षो की जातिवार जानकारी ली। इस सूचना में जो आंकडे आए है वह न केवल राजसमन्द जिले के दलित वर्ग की अपितु राजस्थान राज्य के ग्रामीण इलाकों में दलित वर्ग की व्यथा को साफ बयान करते है।
सूचना का अधिकार के तहत राजसमन्द जिले के 1749 विद्यालयों में भोजन पकाने वाले महिला-पुरूषों के आंकडे उपलब्ध हुए। उनमें से अनुसूचित जाति वर्ग के मात्र 21 महिला-पुरूष है जो कुल विद्यालयों में भोजन पकाने वालों का मात्र 1-37 प्रतिशत है। आंकडों के अनुसार अनुसूचित जनजाति वर्ग के मात्र 129 लोग भोजन पकाने में लगे है जिससे इनका प्रतिशत 7-37 बैठता है। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के भोजन पकाने वालों का राजसमन्द जिले के ब्लॉक वार आंकडे देखे तो आमेट ब्लॉक में कुल 156 विद्यालयों में पोषाहार पकाया जा रहा है जिनमें से एससी का कोई भी महिला-पुरूष नहीं है जबकि जनजाति वर्ग के दो लोग पोषाहार बनाने में लगे हुए है। भीम ब्लॉक के 337 विद्यालयों में एससी वर्ग के दो जने जबकि एसटी वर्ग का कोई नहीं है। देवगढ ब्लॉक के 194 विद्यालयों में एससी वर्ग के सात तथा एसटी वर्ग के दो लोग पोषाहार बनाने में लगे है। कुम्भलगढ ब्लॉक के 317 विद्यालयों में एससी वर्ग के मात्र तीन जने है जबकि एसटी वर्ग के 52 व्यक्ति लगे हुए है। खमनोर में एससी वर्ग का 1 तथा एसटी वर्ग के 38 लोग लगे है। राजसमन्द ब्लॉक के 285 विद्यालयों में एससी वर्ग के तीन और एसटी वर्ग के 26 लोग पोषाहार बना रहे है। चूंकि कुम्भलगढ खमनोर और राजसमन्द ब्लॉक में कई विद्यालय ऐसे है जहां पर एसटी वर्ग के बालक-बालिका ही पढ रहे है ऐसे में इन्हीं वर्ग का भोजन पका रहा है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं। इधर रेलमगरा ब्लॉक के 187 विद्यालयों में एससी वर्ग के पांच और एसटी वर्ग के नौ जने पोषाहार पका रहे है।
सरकार के निर्देशो का उल्लंघन मिड डे मील योजना के तहत राजस्थान सरकार द्वारा दिशा-निर्देश की पुस्तिका जारी की है जिसमें बिंदु संख्या 11 में उल्लेख किया है कि पोषाहार पकाने के लिए शिक्षकों को पूर्णतया मुक्त रखा जावे और उनके एवज में गांव के अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग बीपीएल स्वयं सहायता समूह से नियमित मानदेय के आधार पोषाहार पकाया जावे। राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी के अनुसार जिले के कई विद्यालयों में प्रशानिक आदेश के तहत शिक्षकों ने अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को पोषाहार पकाने के लिए रखा भी लेकिन ग्रामीणों के विरोध करने पर दलित वर्ग के लोगों को पोषाहार पकाने के कार्य हटाना पडा।

बच्चों का बचपन बचाने के लिए मनोवृति बदलनी होगी

मुकेश त्रिवेदी
दासता को अभिशाप जो सदिया से चला आ रहा है वह कमोबेश भारत में खत्म होते नहीं दिख रहा है। इसकी मूल वजह व्यक्ति की मनोवृति। सदियो पूर्व व्यक्ति अपनी मजबूरी और लाचारीवश दास बनते थे। उस वक्त खुद और परिवार का गुजारा चले या न चले लेकिन मालिक को खुश रखने और उसका घर भरने के लिए दास बना व्यक्ति सब कुछ न्यौछावर कर देता। वह तब हर पीड़ा और शोषण को सह लेता।
अब हालात बदले है लेकिन व्यक्ति की मनोवृति नहीं बदली। व्यक्ति दास तब मजबूरी में बनता और अब आर्थिक प्रतिस्पध्र्दा की दौड में लोगों से कही पीछे न रह जाए यह सोचकर वह सब कुछ करने को तैयार है। ऐसे हालातों में आम इंसान खुद को दासत्व की और धकेले तो कोई अचरज नहीं। मगर विगत कुछ वर्षो में ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखने को मिल रहा है कि गांव का खेती-बाडी से सम्पन्न व्यक्ति होने के बावजूद अपने बच्चों को बाल श्रम करवाने से नहीं कतराता।
हाल ही में राजस्थान राय के राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़ और उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र के गांवों का दौरा किया तो कमोबेश यही तथ्य सामने आए। यद्यपि खेती-बाड़ी से उनका और पूरे परिवार का गुजारा हो जाता है बावजूद इसके अपने बच्चों को सूरत की कपड़ा फैक्ट्री में पैसा कमाने के लिए भेज देते है।
यहा यह कहना गलत होगा कि बालश्रम के लिए सूरत जा रहे बच्चों को रोकने के लिए प्रशासन ने कोई प्रयास नहीं किए क्योंकि मुझे वर्ष 2005 का वह दिन याद आता है जब सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द के अधिकारी दिनेश श्रीमाल, सुश्री आशा वर्मा और श्याम सुंदर रामावत ने कुम्भलगढ क्षेत्र से सूरत गए बच्चों को तलाशा और उन्हें वहां से वापस यहां लाकर शिक्षा की मुख्य धारा से जोडा।
यहां मैं राजस्थान पत्रिका उदयपुर संस्करण की टीम को भी साधुवाद देना चाहूंगा जिन्होंने गत वर्ष गोगुंदा, खेरवाडा, झाडोल और कोटडा क्षेत्र से सूरत के ठेकेदारों द्वारा नाबालिग बच्चों को ले जाने की खबरों को प्रकाशित किया। इन्हीं खबरों के आधार पर उदयपुर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बालकों को न केवल ठेकेदारों के कब्जे से छुडवाया अपितु बालकों को शिक्षा से जोडने के लिए विशेष विद्यालय भी चलाए।
बालश्रम रोकने के लिए प्रशासन और समाचार पत्र ने तो अपनी सजगता दिखाई लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावक आज भी अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है। आज भी यह लोग चाहते है कि उनका बालक घर के लिए कुछ न कुछ कमाएं। वे अपने लालच को पूर्ण करने के लिए पहले खुले आम बच्चों को सूरत भेजते थे लेकिन अब प्रशासनिक दबाव के चलते चोरी-छिपे भेज रहे है। ऐसे में ग्रामीण बच्चों का बचपन कैसे बच पाएगा?

क्यों नहीं निकाल सकता दलित वर्ग घोडे पर बिंदौली

लो फिर आ गया सावों और शादियों का मौसम, फिर बजने लगी शहनाई और ढोल-धमाकों के साथ गूंजने लगे गली मोहल्ले। दूल्हे राजा घोडे पर सवार होकर निकले है लेकिन दलित मोहल्ले में शादी की खुशी के बीच मायूसी है। ढोल यहां भी बज रहे है पकवान बनने का दौर यहां भी जारी है। मेहंदी की रस्म और सभी परम्परा यहां भी चल रही है लेकिन सभी में कसक एक ही है की औरों की तरह हम क्यों घोडे पर सवार होकर बिंदौली नहीं निकाल सकते। अनुसूचित जाति वर्ग का होना क्या गुनाह है? क्या हमारे बैठने से घोडा बिदक जाएगा? या भगवान को हमारा घोडी पर बैठना पसंद नहीं? प्रश्नों की चर्चा चलेगी तो जवाब भी भांति-भांति के आएंगे लेकिन अंतिम जवाब यही रहेगा कि दलित घोडी पर बैठ कर बिंदौली नहीं निकालेगा और निकालेगा तो परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहे।
पुरानी परम्परा धीरे-धीरे खण्डित होने के बावजूद राजस्थान में दलित वर्ग की घोडे पर बैठा कर बिंदौली नहीं निकलने देने की रस्म अब गैर दलित वर्ग ने अपनी शान बना लिया है और जैसे ही किसी दलित के घर में शादी का आगाज होता है गैर दलित वर्ग पैगाम पहुंचा देते है कि बाकि सब ठीक है लेकिन बिंदौली घोडे पर नहीं निकलनी चाहिए। इन हालातों से अछूता राजसमन्द जिला भी नहीं है। इस जिले के केलवा थाना क्षेत्र के वागुंदडा गांव निवासी नेनूराम रेगर के घर में भी आगामी 30 नवम्बर को शादी है और वह धूमधाम से तैयारी में जुटा हुआ है। इसकी जानकारी मिलने पर नेनूराम को भी पैगाम आ गया कि बिंदौली घोडी पर नहीं निकलेगी। घर में खुशी का पहला अवसर हो और ऐसा पैगाम आए तो ऐसे में उसकी नींद उडनी स्वाभाविक थी लेकिन समाजसेवी और दलित वर्ग के प्रबोधक के रूप में जाने जाने वाले राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस आशय का पत्र सौंपते हुए सुरक्षा की गुहार की। पुलिस प्रशासन ने पीडित दलित वर्ग को हालांकि सुरक्षा उपलब्ध करवा दी लेकिन यक्ष प्रश्न यही कायम है कि क्यों गैर दलित वर्ग दलित वर्ग की बिंदौली नहीं निकालने देने को अपनी शान समझते है।

Thursday, November 13, 2008

नाथद्वारा मंदिर मंडल के पूर्व सीईओ को एक माह कारावास की सजा

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के नाथद्वारा मंदिर मंडल संपत्ति विवाद को लेकर चल रहे एक मामले में सिविल न्यायालय (वरिष्ठ खण्ड) ने नाथद्वारा मंदिर मंडल के पूर्व सीईओ आर. सी. गुप्ता को एक माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई है ।प्रकरण के अनुसार, मुंबई निवासी मनोहरलाल पिता द्वाराकादास सोनपार ने 2002 में मुकदमा दायर किया जिसमें विपक्षी द्वारा मंदिर के भीतर स्थित संपति में किए जा रहे परिवर्तन को रोकने तथा अस्थाई निषेधाज्ञा की प्रार्थना की गई । न्यायालय ने 203 में उक्त संपत्ति से छेड़छाड़ नहीं करने को लेकर अस्थाई निषेधाज्ञा के आदेश जारी किए थे । आदेश के बावजूद विपक्षी ने उक्त संपत्ति में परिवर्तन कर नाल निर्माण करा दिया तथा संपत्ति (हाल) में स्थित स्नानागार की दीवार तुड़वा दी ।इस प्रकरण में सिविल न्यायाधीश अनिल कौशिक ने विपक्षी (गुप्ता) को दोषी पाए जाने तथा न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर एक माह के सिविल कारावास तथा निर्वाह भत्ता व तलबाना पेश होने पर सिविल जेल की सजा सुनाई

न्याय की गुहार कर रहे परिवार को पुलिस की मिली दुत्कार

राजसमन्द अमूमन पुलिस एवं प्रशासन संवेदनशीलता से पीडितों की समस्याओं के निराकरण करने के लिए की आदेश प्रचारित करते है लेकिन उनकी कथनी का धरातल स्तर पर किस तरह का क्रियान्वयन हो रहा है उसका एक उदाहरण राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के आमेट थाना क्षेत्र के सरदारगढ कस्बे में देखने को मिलता है जहां पुश्तैनी मकान पाने के लिए थानाधिकारी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक तक गुहार लगा चुके एक परिवार को न केवल दर-दर भटकना पड रहा है अपितु विपक्षी द्वारा लगाए झूठे मुकदमे की वजह से पुलिसकर्मियों की अभद्रता का भी शिकार होना पड रहा है।सरदारगढ निवासी तथा हाल कुंवारिया में रह रहे मोइनुद्दीन ने बताया कि उसके पिता तुफैल मोहम्मद ने पहले बिसमिल्लाह से निकाह किया और उसकी मृत्यु होने के बाद श्रीमती जेबूना बानू से निकाह किया। पिता तुफैल मोहम्मद की वर्ष 2003 में मृत्यु हो गई। जिसके बाद जेबूना बानू ने पूर्व में कृषि भूमि बेच दी। इसके बाद पुश्तैनी मकान सरदारगढ निवासी रोशन लाल पुत्र गोपी लाल खटीक, भैरू सिंह पुत्र मोहन सिंह व श्याम लाल पुत्र गोपी लाल खटीक, गोटू सेन, कैलाश मेवाडा के सहयोग से सरदारगढ निवासी सोनी देवी, मोहन को पांच लाख रुपए में बेच दी। मोइनुद्दीन ने बताया कि मकान के बेचने के बाद भी जेबूना बानू उसी मकान में रही ताकि उसकी धोखाधडी की किसी को खबर नहीं हो। इसके अलावा उसने धोखाधडी का किसी को पता नहीं लगे इसके लिए उसने पट्टे का पंजीयन सरदारगढ के उप पंजीयक के यहां से करवाया लेकिन विक्रय पत्र का निष्पादन पंजीयन आमेट के यहां करवाया। मोइनुद्दीन के अनुसार इस विक्रय में क्रेता और विक्रेता, दस्तावेज के गवाह एवं पहचानकर्ता सभी सरदारगढ के होने के बावजूद सभी व्यक्ति आमेट उप पंजीयक के यहां पेश हुए और निष्पादन करवाया। मोइनुद्दीन के अनुसार जेबूना बानू की धोखाधडी के बारे में जानकारी होने पर 27 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक को परिवाद भी प्रस्तुत किया। इसके अलावा उसी दिन पुलिस अधीक्षक के समक्ष धारा 145 व 146 जाप्ता फौजदारी में परिवाद भी प्रस्तुत कर सिविल न्यायालय से मृतक के वारिसानों का विभाजन नहीं होने और उन्हें उनका निश्चित हिस्सा नहीं मिलने तक उक्त मकान कुर्क करने की गुहार की। पुलिस अधीक्षक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर महा निरीक्षक उदयपुर रेंज के समक्ष भी परिवाद पेश किया गया।मोइनुद्दीन ने बताया कि उनके परिवाद पर कार्रवाई करने की बजाय जेबूना बानू की रिपोर्ट पर एएसआई भंवर सिंह ने उसके सहित 13 जनों के खिलाफ मकान में अनाधिकृत प्रवेश करने का मामला दर्ज करवाया। इस मामले की जांच आमेट थाना के एएसआई बाघ सिंह के जिम्मे की गई।मोइनुद्दीन ने बताया कि बाघ सिंह मामले की जांच करने की बजाय आए दिन पांच-छह पुलिसकर्मियों को लेकर आता है और मकान खरीदार को सौंपने की धमकी देता रहता है। एतराज करने पर घर की महिलाओं से अभद्रता करने लग गया। मोइनुद्दीन ने बताया कि आमेट थाना पुलिसकर्मियों द्वारा पूर्व में दिए गए परिवाद के सम्बन्ध में मामला दर्ज नहीं करने तथा आए दिन बाघ सिंह व पुलिसकर्मियों द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार से परेशान होकर सोमवार को एक बार फिर पुलिस अधीक्षक को परिवाद प्रस्तुत किया। मोइनुद्दीन के अनुसार पुलिस उसकी पीडा को दूर करने की बजाय बढाती जा रही है।

भूत भगाने बरसाये डण्डे

भीलवाड़ा के न्यू बापूनगर में एक युवती को भूत उतारने के नाम पर डंडों से इतना पीटा कि भूत तो भाग गया और युवती घायल हो गई जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।जानकारी के अनुसार न्यू हाउसिंग बोर्ड में रहने वाली बबली नामक युवती ऊपरी हवा के चलते काफी परेशान है। वक्त बेवक्त उसे दौरे पड़ते है और परिवार वाले भी इन्हीं दौरों के चलते काफी परेशान है। उन्होंने बापूनगर क्षेत्र में ही एक मंदिर के पुजारी से बबली को दिखाया और समस्या बताई। पुजारी ने बबली के शरीर से भूत भगाने के नाम पर पहले तो कड़ा बनाया और बाद में जब असर नहीं हुआ और बबली को फिर दौरा पड़ा तो वह घर पहुंचा और देखते ही देखते भूत भगाने के चक्कर में बबली को डंड़ों से पीट दिया। डंडों के डर से भूत तो भाग गया लेकिन बबली पिट गई और उसके एक हाथ में फैक्चर हो गया और शरीर में कई जगह चोटें आई। पंड़ित जी के डंडों का असर इतना गहरा हुआ कि उसे उपचार के लिए महात्मा गांधी चिकित्सालय में भर्ती होना पड़ा। बबली के परिजनों ने पंडितजी को निर्दोष बताया है और कहा कि उन्होंने तो भूत भगाने के लिए डंड़े मारे थे। बबली को जब दौरे पड़ते हैं तो वह बेकाबू हो जाती है और उलूल-जूलूल बातें करने लगती है। इसी क्षेत्र में पिछले दिनों जहर के प्रभाव से मरी एक युवती को लेकर भी उसने कई ऐसी बातें बताई जो परेशानियां खड़ी कर सकती है। किस मकान में भूत है और कौन उसे परेशान कर रहा है, यह भी वह बताती है । और तो और जब उसे दौरा पड़ता है तो वह पूरी शराब की बोतल तक गटक जाती है।

Tuesday, November 11, 2008

जंजीरों में झकडा निजी विद्यालय का शिक्षक

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के देवगढ क्षेत्र में लोहे की जंजीर मे जकडा राजूसिंह पिछले छह वर्ष से जिन्दगी को बोझ की तरह ढो रहा है। ग्यारहवीं तक शिक्षित कामली बस्ती का राजूसिंह [29] कामलीघाट चौराहा के एक निजी स्कूल में अध्यापक था, जहां से छह वर्ष पूर्व एक दिन घर लौटते वह अचानक विक्षिप्तावस्था में पहंुच गया। लोगों पर पत्थर फैंकने व उनसे हाथापाई करने लगा। उसकी इस हालत से माता-पिता चिन्तित और परेशान हो गए। रस्सी से बांध कर कमरे में बंद रखना उनकी मजबूरी बन गया। लेकिन मौका देख वह मुक्त होकर बस्ती में लोगों से अभद्रता करने लगा। तब उसे लोहे की भारी जंजीर से बांध उसमें ताला ठोका गया। पिता मोहन सिंह ने बताया कि बेटे की इस हालत से उन्हे अपनी नौकरी छोडनी पडी। जमा पूंजी इलाज में खर्च कर दी। कोई इलाज कारगर नहीं हुआ। प्रशासन से सहायता मांगी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। राजू के बडे एवं छोटे भाई परिवार की हालत देखकर घर छोडकर चले गए। राजू की मां भी दिमागी संतुलन खो बैठी है। छह वर्ष से जंजीर में जकडे बेटे की देखभाल ही उनके जीवन की नियति है।

खाकी वदी की निगाहे होगी कम्प्यूटर पर

कल तक इनकी पहचान खाकी और हाथ में लट्ठ से होती थी पर, सूचना प्रोद्योगिकी का दौर पुलिस का स्वरूप भी बदल रहा है। प्रदेश के समस्त पुलिस थानों को हाइटेक बनाने का अभियान गति पकडता जा रहा है। इसी के तहत इन दिनों जिले के सभी थानों में भी पुलिसकर्मियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। फिलहाल चुनावी कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते प्रशिक्षण स्थगित कर दिया गया है, जो चुनाव समाप्ति के बाद पुन: गति पकडेगा। अब तक 184 पुलिसकर्मियों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। शेष को भी चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण दिया जाएगा। सीपा सॉफ्टवेयर के तहत होगा कार्यकेन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गठित पुलिस अघिकारियों के दल व नेशनल इन्फोरमेटिक्स सेन्टर ने कॉमन इन्टीग्रेटेड पुलिस एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर "सीपा" बनाया है। इसके तहत थाना स्तर पर हस्तलिखित रजिस्टरों के कार्य में कमी आएगी। साथ ही नकल एवं असंगत रिकार्ड से भी छुटकारा मिलेगा। इससे शेष अनुसंधान व न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों का लेखाजोखा व ताजा स्थिति की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। अपराध एवं अपराघियों की गतिविघियों से सम्बंघित विवरण भी संधारित किया जाएगा।

दहेज की लम्बी मांगों के आगे बेबस नरगिस

ससुराल के लोगों ने जो मांग रखी वह पूरी करती रही लेकिन उनकी मांगे दिन ब दिन लम्बी होती जा रही थी उन्हें पूरी कर पाना न तो मेरे और न मेरे पीहर पक्ष के बस की बात रही। अब तक दो लाख दे चुकी हूं, लेकिन अब पांच लाख की मांग कहां से पूरी करूं। यह कहानी है राजस्थान राज्य के उदयपुर जिला मुख्यालय पर ब्याही नरगिस की I राजनगर थाने में रिपोर्ट देते वक्त हालाकि पीड़िता नरगिस की आंखों से आंसू झलक रहे थे लेकिन उसे उम्मीद है कि इससे उसे न्याय जरूर मिल जाएगा। रजा कॉलोनी राजनगर निवासी नरगिस ने बताया कि उसका निकाह छह वर्ष पूर्व सिलावटवाडी उदयपुर निवासी मोहम्मद अनिस से हुआ। निकाह के वक्त उसके पिता ने 61 हजार के वेश, 20 तोला सोने और चांदी के आभूषण तथा घरेलू सामान दिया। इसके बावजूद पति मोहम्मद अनिस, ससुर सईद अहमद, देवर टिंकू, ननद शगुफ्ता, उदयपुर में शहनाज हुसैन ब्यूटी पार्लर की संचालिका शहनाज व ननदोई लियाकत हुसैन ने कम दहेज का ताना दिया। इस पर उसके पिता व भाई ने समझाइश की लेकिन उनके नहीं मानने पर दो लाख रूपए का चैक और विदाई के वक्त छह सोने की चैन दी। निकाह के बाद तीन माह तक ठीक रखा और उसके बाद से दहेज के लिए पुनः ताना देना शुरू कर दिया। वहीं पूर्व में दिए गए चैक को जब ससुराल पक्ष ने पेश किया तो रूपए नहीं होने से भुगतान नहीं हुआ। इस पर उक्त लोगों ने ताना देना शुरू किया । इससे परेशान होकर मेरे भाई सिराज ने 50 हजार का भुगतान किया और शेष एक लाख रूपए एक माह बाद उदयपुर जाकर भुगतान किया। दो लाख रूपए लेने के बावजूद ससुराल पक्ष के लोग संतुष्ठ नहीं हुए और राजसमंद क्षेत्र में एक खान आवंटित करवाने की मांग करने लगे। नरगिस ने बताया कि खान की बात को लेकर पति, ससुर, ननद व ननदोई परेशान करते रहते थे। इसी बीच उसके एक बेटी भी हुई जो आनुवांशिक रोग से ग्रस्त होने की वजह से उसका दोष भी उस पर मढते रहे। नरगिस ने बताया कि ससुराल पक्ष ने उसे जलाने का षड़यंत्र भी रचा लेकिन उसकी सजगता से वह कामयाब नहीं हो सके। नरगिस ने बताया कि करीब ढाई वर्ष पूर्व ससुराल पक्ष ने उसके जेवर उतरवा लिए और उसे व उसकी बेटी को राजनगर छोड कर चले गए। उक्त लोगों से काफी समझाइश करने का प्रयास किया लेकिन वह पांच लाख रूपए या खान आवंटित करने की मांग पर अडे हुए है।

Monday, November 10, 2008

अहमदाबाद से चुराए गए लाखो रुपए बरामद

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के पीपली डोडियान गांव में रेलमगरा थाना पुलिस ने रविवार रात को एक मकान से 11.97 लाख रूपए जब्त किए हैं। ये रूपए गुजरात के अहमदाबाद शहर में सर्राफा व्यवसायी के यहां काम करने वाले नौकरों ने गत सात नवम्बर को चुराए थे। अहमदाबाद से आए लोगों के दल ने पुलिस को बताया कि माणक चौक बाजार में सर्राफा दुकान लबदी गुलियन पर आमेट क्षेत्र के आईडाणा निवासी गणेशदास के पुत्र अर्जुनदास व प्रभुदास काम करते थे। गत छह नवम्बर को सर्राफा व्यवसायी चांदमल जैन बाहर गया था। इसी दौरान दोनों भाइयों ने काउण्टर तोड कर उसमें रखी चाबी निकाल ली और तिजोरी से 16 लाख 25 हजार रूपए चुराकर भाग गए। सर्राफा व्यवसायी चांदमल जैन ने इसकी सूचना पुलिस को न देकर अपने स्तर पर ही जांच शुरू की। वह अपने साथियों को लेकर आईडाणा पहुंचा, जहां पता चला कि अर्जुन व प्रभु पीपली डोडियान गांव में अपने मौसा के यहां है। व्यवसायी के पीपली डोडियान पहुंचने की भनक लगते ही अर्जुन व प्रभु वहां से भाग गए। पुलिस दल ने प्रथम जांच में पाया कि दोनों भाई अहमदाबाद से पीपली डोडियान गांव में अपने मौसा मांगीदास वैष्णव के घर आए थे। मांगीदास वैष्णव के मकान की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान एक कमरे में रखे कपास के ढेर में से नगदी से भरा बैग मिला जिसमें 11 लाख 97 हजार 300 रूपए पाए गए।

Sunday, November 9, 2008

इंदौर की जमीन बेचने के लिए धमकी देने वाले आरोपी ने किया विषाक्त सेवन

इंदौर स्थित करोडों की जमीन दस लाख रुपए बेचने के लिए राजसमन्द राजस्थान अधिवक्ता नीलेश पालीवाल को धमकी देने के मामले में गिरफ्तार आरोपी कपिल पालीवाल ने विषाक्त वस्तु का सेवन कर आत्महत्या करने का प्रयास किया।
सूत्रों ने बताया कि अधिवक्ता नीलेश पालीवाल को धमकी देने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किए नाथद्वारा निवासी कपिल पुत्र रमेश पालीवाल को राजनगर थाना पुलिस ने रविवार दिन में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां से उसे 13 नवम्बर तक रिमाण्ड पर रखने के आदेश हुए। शाम को पुलिस का एक दल कपिल पालीवाल के घर से मोबाइल और सिम बरामद करने के लिए उसे लेकर नाथद्वारा पहुंची जहां पुलिस को चकमा देकर घर के अंदर पडा विषाक्त वस्तु का सेवन कर लिया। हालात बिगडने पर उसे चिकित्सालय पहुंचाया जहां से उसे उदयपुर के लिए रेफर कर दिया गया है।

श्रीनाथ जी के दर्शन कर अमिताभ बच्चन हुए भाव विभोर

सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने प्रभु श्रीनाथजी की राजभोग झांकी के दर्शन कर अपने स्वास्थ्य लाभ व सुखी जीवन की कामना की।सदी के महानायक अमिताभ बच्चन डबोक हवाई अड्डा से अपनी पत्नी जया बच्चन, मित्र व समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह, रिलायंस उद्योग के प्रमुख अनिल अंबानी के साथ नाथद्वारा पहुंचे तथा चौपाटी बाजार से मोती महल चौक में उतरे जहां मंदिर मंडल के मुख्य निष्पादन अधिकारी एस.एल.नागदा एवं मंदिर मंडल के प्रबंधक दिनेश जोशी ने उनकी की अगवानी की।बाद में रतन चौक होते हुए सभी डोल तिबारी में पहुंचे तथा गोल डेहली के समक्ष खड़े होकर प्रभु श्रीनाथजी की राजभोग झांकी के तल्लिनता के साथ दर्शन किये। इस बीच मुखियाजी नरहरि ठाकर ने ठाकुरजी की आरती उतारी। इस दौरान ब्रजवासी युवकों ने गिरिराज धरण की जय के साथ पूछड़ी के लोठे की हूक- हूक प्यारे की जयघोष के बीच डोल तिबारी स्थल को गूंजा दिया।श्रीनाथजी के दर्शन का लाभ लेने के बाद बिग बी ने नवनीत प्रियाजी (लालन) के दर्शन की झांकी का आनंद उठाया। इस अवसर पर महाप्रभुजी की बैठक स्थल पर मंदिर के समाधानी दिनेश मेहता ने अमिताभ के माथे चीरा फेंटा बांधकर उपरना ओढ़ा प्रसाद भेंट कर समाधान किया साथ ही जया बच्चन, अमर सिंह, अनिल अंबानी व बिग बी की दौहित्री का भी समाधान किया।समाधान की रस्म के दौरान अमर सिंह की पत्नी, मंदिर मंडल के जनसम्पर्क अधिकारी अंबालाल लोढ़ा, मिराज प्रोडक्ट्स के प्रबंधक प्रकाश पालीवाल, सी.ए. दीपक परिहार, सीआई चमनसिंह राव, ब्रजवासी सेवक संघ के अध्यक्ष दादू पहलवान आदि उपस्थित रहे। समाधान की रस्म के पश्चात अमिताभ कार में सवार होकर डबोक हवाई अड्डा की ओर प्रस्थान कर गये।
स्वास्थ्य लाभ लेने उदयपुर आए सदी के महानायक अमिताभ बच्चन प्रभु श्रीनाथजी एवं मेवाड़ के आराध्य देव एकलिंगनाथजी के दर्शनोपरांत रविवार शाम डबोक एयरपोर्ट से मुम्बई प्रस्थान कर गए।यहां होटल उदयविलास में स्वास्थ्य लाभ ले रहे अमिताभ बच्चन रविवार सुबह प्रभु दर्शन करने अपनी पत्नी जया बच्चन को साथ लेकर होटल से रवाना होकर डबोक एयरपोर्ट पहुंचे।बच्चन दम्पत्ति डबोक एयरपोर्ट से अपने मित्र अमरसिंह व उनके परिवार तथा रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी को साथ लेकर सड़क मार्ग से वाया मावली मार्ग होते हुए नाथद्वारा पहुंचे । यहां प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन करने के पश्चात बच्चन दम्पत्ति, अमर सिंह का परिवार व अनिल अंबानी उदयपुर के लिए रवाना हुए । इस दरमियान इन्होंने रास्ते में कैलाशपुरी स्थित मेवाड़ के आराध्य देव भगवान एकलिंगनाथ के दर्शन किये। दर्शनोपरांत यहां से रवाना होकर ये लोग होटल उदय विलास पहुंचे और यहां से डबोक एयरपोर्ट। डबोक एयरपोर्ट से शाम 4 बजकर 15 मिनिट पर अमिताभ बच्चन, जया बच्चन व उनके सहयोगी मुम्बई प्रस्थान कर गए। अब तक अपनी सबसे लम्बी उदयपुर यात्रा के बाद बिग बी अमिताभ बच्चन रविवार शाम यहां से प्रस्थान कर गए मगर इस यात्रा के साथ वे वापस आने की संभावना भी छोड़ गए।अमिताभ बच्चन की दिली तमन्ना थी कि अपने पूरे परिवार के साथ वे प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन करने नाथद्वारा जाए। मगर अभिषेक बच्चन के अचानक बीमार होने से ऐश्वर्या के साथ वे उदयपुर नहीं आ पाए। इस कारण पूरे परिवार के साथ श्रीनाथजी के दर्शन करने की अमिताभ की तमन्ना अधूरी ही रह गई। ऐसे में ये संभावना जताई जा रही है कि वे आने वाले दिनों में कभी भी पूरे परिवार के साथ श्रीनाथजी के दर्शन करने पुनः उदयपुर की यात्रा पर आ सकते है। पांच दिवसीय उदयपुर प्रवास के दौरान बिग बी होटल उदयविलास में अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले, इस कारण उनके प्रशंसक उनकी झलक पाने में सफल नहीं हो पाए। कई प्रशंसक तो सुबह-शाम पिछोला के आस-पास चक्कर काट यह टकटकी लगाए रहे कि हो सकता है बिग बी पिछोला में बोटिंग करने आएं और उनकी एक झलक दिख जाए। मगर ऐसे प्रशंसकों को भी कोई सफलता नहीं मिल पाई।

Saturday, November 8, 2008

परिवार प्रबंधन का सीरियल है जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली

एनडीटीवी इमेंजिंग पर सोमवार से गुरुवार को रात दस बजे दिखाए जाने वाला जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली धारावाहिक सही मायनों में परिवार प्रबंधन का सीरियल है। वर्तमान दौर में टेलीविजन पर आने वाले दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों में परिवार के सदस्यों के बीच साजिष और षडयंत्र का खेल खेला जाता है और ऐसे धारावाहिक को देखने के बाद मध्यमवर्गीय परिवारों में साजिष भी होने की खबरे आम हो जाती है। इन धारावाहिकों से संयुक्त परिवार टूटते जाते है। वहीं इन धारावाहिकों में समाज में घट रही घटनाओं से इतर जो सामग्री परोसी जा रही है वह भी आम लोगों को हजम करना काफी मुिष्कल है।
ऐसे में जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली धारावाहिक न केवल भारतीय सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है अपितु एक संयुक्त परिवार का प्रबंधन कैसे होता है इसका बखूबी से चित्रण किया है। हालांकि यह धारावाहिक मातृ सत्तात्मक है और मुख्य किरदार जस्सूबेन किस तरह अपने संयुक्त परिवार को बांधे रखा है इसका अच्छा सा उदाहरण प्रस्तुत किया है। धारावाहिक में कानपोर बा नामक महिला विलेन के रूप में है जिसे जस्सूबेन की परिवार के प्रति की गई व्यवस्थाओं पर नाराजगी रहती है और वह परिवार का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती है। हालांकि एक बार जस्सूबेन और अन्य परिजनों की सहमति से कानपोर बा के हाथ में परिवार प्रबंधन चला भी गया लेकिन कानपोर बा के प्रबंधन से न केवल परिवार टूटता रहा अपितु कानपोर बा भी एक भारी मुसीबत में फंसते-फंसते रह गई। धारावाहिक के अन्य किरदार शैलेष, प्रोफेसर चंद्रकांत गीता राजु भाई पिनाकीन नंदिनी पुष्पा और बालक वर्ग में केदार ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। संयुक्त परिवार में आने वाली समस्याओं के समाधान के प्रति प्रत्येक सदस्य का क्या दायित्व होता है प्रत्येक सदस्य अपना क्या योगदान दे सकता है। इसका भी अनुपम चित्रण से यह धारावाहिक अब लोगों का चहेता बनता जा रहा है।

इन्दोर में करोडो रुपये की भूमि बेचने के लिए वकील को दी धमकी

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले में अधिवक्ता नीलेश पालीवाल को सेल फोन से धमकी देकर इंदौर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित उसकी करोड़ों रूपए की पैतृक जमीन को मात्र दस लाख रूपए में बेचने के लिए बाध्य करने के मामले में राजनगर थाना पुलिस ने मामले की सघन जांच कर अधिवक्ता के फूफेरे भाई को गिरफ्तार किया।पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि अधिवक्ता नीलेश पालीवाल ने रिपोर्ट दी कि गत 20 अक्टूबर को उनके सेल फोन नम्बर 9414171719 पर किसी गुरू नामक व्यक्ति ने अपने सेल फोन नम्बर 9610615813 से सम्पर्क किया। गुरू ने सेल फोन पर धमकी दी कि नीलेश पालीवाल की दादीजी पार्वती बाई के नाम पर इंदौर (मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित करोड़ों रूपए की जमीन को दस लाख रूपए में बेचें अन्यथा नीलेश को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। गुरू इसके बाद क ई बार पालीवाल को सेल फोन पर धमकी देता रहा। पुलिस उपाधीक्षक मनीष पुलिस निरीक्षक गोवर्द्धन लाल ने इस मामले की जांच करते हुए गुरू नामक सेल फोन नम्बर ट्रेस किया तो यह नम्बर नाथद्वारा निवासी रमाकांत पुत्र आनंदी लाल शास्त्री के नाम पर होना पाया गया। पुलिस ने पूछताछ की तो सामने आया कि रमाकांत ने उक्त नम्बर की सिम खरीदी ही नहीं हैं। इस पर पुलिस ने जलचक्की कांकरोली स्थित वोडाफोन के कार्यालय से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि सेल्समेन पंकज सेन द्वारा नाथद्वारा स्थित रॉयल्स ऐजंसी के कपिल पालीवाल को उक्त नम्बर की सिम देने की बात सामने आई। नाथद्वारा निवासी कपिल पालीवाल पुत्र रमेश जो कि अधिवक्ता नीलेश पालीवाल का फूफेरा भाई भी है से पूछताछ की तो उसने धमकी देने का जुर्म कबूल किया। पुलिस ने कपिल पालीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। उसे रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा। पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में कपिल पालीवाल ने यह भी बताया कि उसने इंदौर वाली जमीन को बेचने के लिए पार्वती देवी की ओर से फर्जी पॉवर ऑफ एटोर्नी भी तैयार की।गुमराह करता रहा पुलिस को ः पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में कपिल पालीवाल पुलिस को गुमराह करते हुए सिम के बारे में अनजान बनता रहा लेकिन पुलिस ने उसे मनोवैज्ञानिक तौर पर पूछताछ करने पर उसने सारे घटनाक्रम का खुलासा कर दिया। फर्जीवाडे का मामला भी ः कपिल पालीवाल के खिलाफ शुक्रवार को पार्वती सनाढ्य ने भी मामला दर्ज करवाया। पार्वती के अनुसार कपिल ने अपने सहयोगी दीपेश जैन के सहयोग से फर्जी पॉवर ऑफ एटोर्नी बनाई और इंदौर स्थित जमीन को इंदौर निवासी प्रमोद शुक्ला को बेच दी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। धमकी देने का तीसरा मामला ः जिले में पिछले एक सप्ताह में करोडों रूपए के लिए धमकी देने का यह तीसरा मामला है। इससे पहले नाथद्वारा में मिराज प्रोडक्ट के निदेशक मदन लाल पालीवाल को 15 करोड की फिरौती के लिए ईमेल पर धमकी दी। इसके बाद कांकरोली बस स्टेण्ड क्षेत्र निवासी अम्बालाल पालीवाल को धमकी देकर दो करोड की मांगे गए। तीनों मामलों का पुलिस ने राजफाश करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

Friday, November 7, 2008

धमकी देकर दो करोड की फिरौती मांगने के मामले में तीन गिरफ्तार

(मुकेश त्रिवेदी)
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के कांकरोली शहर के एक व्यवसायी को सेल फोन पर धमकी देकर उससे फिरौती में दो करोड रुपए मांगने के मामले का राजनगर थाना पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने दावा किया है कि तीनों युवकों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक संतोष चालके के अनुसार कांकरोली बस स्टेण्ड क्षेत्र निवासी अम्बालाल पुत्र परसराम पालीवाल को उनके सेल फोन पर गत 30 अक्टूबर से अज्ञात युवक सेल फोन नम्बर 9610822673 और 9610822674 से लगातार धमकियां देते हुए उनसे दो करोड रुपए की मांग की। अम्बालाल पालीवाल ने इस सम्बन्ध में गुरुवार को राजनगर थाने में रिपोर्ट दी। इस पर मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक मनीष त्रिपाठी, थानाधिकारी गोवर्द्धन लाल की टीम ने शुरू करते हुए सर्राफा बाजार कांकरोली निवासी पप्पू उर्फ नितेश पगारिया पुत्र सोहन लाल पगारिया, कमल तलाई निवासी सुनील पुत्र जगदीश पूिर्बया और कांकरोली निवासी पवन छीपा पुत्र राधेश्याम छीपा को गिरफ्तार किया। थानाधिकारी गोवर्द्धन लाल ने बताया कि तीनों आरोपियों को शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
यू आएं पुलिस गिरफ्त में : अम्बालाल पालीवाल की ओर से राजनगर थाने में मामला दर्ज होने के बाद जांच दल ने पालीवाल के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई। इस दौरान सेल फोन नम्बर 9610822673 और 9610822674 से धमकी भरे फोन आने ज्ञात हुए। इन सेल फोन नम्बरों के धारकों के बारे में जानकारी जुटाने पर ज्ञात हुआ कि दोनों सेल नम्बर नाथद्वारा निवासी दिनेश हरिजन के नाम पर लिए गए। जांच में जुटी पुलिस ने नाथद्वारा में दिनेश हरिजन की तलाश की लेकिन वहां से कोई सफलता हाथ नहीं लगी जिस पर जांच दल ने वोडाफोन कम्पनी से सम्पर्क कर सेल नम्बरों की सिम के बारे में जानकारी ली तो ज्ञात हुआ कि यह सिम जलचक्की स्थित सलीम खां के नाम से विक्रय की गई। पुलिस ने सलीम से पूछताछ की उसने उक्त सेल नम्बर गोपाल साहू को देना बताया। गोपाल साहू ने उक्त सेल नम्बर सुनील पूिर्बया को बेचना बताया जिस पर पुलिस ने सुनील और उसके साथियों को गिरफ्तार किया।
योजना सफल होती तो 50 लाख सांवलिया मंदिर में भेंट करते : पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बताया कि अम्बालाल पालीवाल से दो करोड रुपए लेने की योजना उन्होंने कांकरोली में बनाई और उसके बाद इस योजना की सफलता के लिए वह सांवलिया मंदिर चित्तौडगढ भी गए और मंदिर में भगवान के सामने मन्नत मांगी कि पालीवाल से रुपए मिलने के बाद वह 50 लाख मंदिर में भेंट करेंगे और शेष रुपए गरीबों में बांट देंगे।
पगारिया का पिता कर्जदार भी रहा : धमकी देकर दो करोड रुपए मांगने के मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए नितेश पगारिया का पिता सोहन लाल पगारिया ने अम्बालाल पालीवाल से दस लाख रुपए कर्ज लिए थे और इनका मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

गोपाष्टमी पर नाथद्वारा में बाल स्वरूपों का भव्य श्रृंगार

राजस्थान राज्य के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में गोपाष्टमी पर्व परम्परानुसार मनाया गया। वैष्णवज नगरी में स्थित मंदिरों में बाल स्वरूपों का भव्य श्रृंगार किया गया। श्रीनाथजी के नाथूवास स्थित गौशाला में पूरे दिन भर नानाविध अनुष्ठान आयोजित किए गए। नाथूवास स्थित गौशाला के बडे ग्वाल नारायण गुर्जर के सािन्नध्य में ग्वाल-बालों की मण्डली ने गोमाताओं को मोरपंख से बने टिपारेके साज मेहंदी रंग बिरंगे विविध रंगों फोंदो आदि से सजाया गया। पाडो व बिजारों को सिंदूर व तेल की मालिश कर उनके शरीर को चमकाया। गौशाला के बाहर हनुमान व शिव मंदिर में भी पूजा की गई। पूरे परिसर में गौमाताएं व ग्वाल-बाल के चित्र दीवारों पर उकेरे गए। नगर की महिलाओं ने परम्परानुसार गौशाला में मेहंदी कुंकुम अक्षत आदि से गौपूजन किया। शाम को यहां पाडों व बिजारों की भिडंत देखने के लिए भीड उमड पडी।

द्वारकाधीश मंदिर गौशालामें हुई सांड व पाडों की भिड़ंत

(दिलीप पालीवाल)
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले में स्थित पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्रीद्वारकाधीश मंदिर कांकरोली की आसोटिया स्थित गौशाला में गोपाष्टमी पर्व पर सांड एवं पाडों की भिडंत देख कर दर्शक रोमांचित हो गए। गौशाला में श्रद्धालुओं का हुजुम उमड पडा। प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी पर्व पर आयोजित होने वाले गोपाष्टमी पर्व पर द्वारकाधीश मंदिर गौशाला में सांडों एवं पाडों को शक्ति प्रदर्शन के लिए सजाया गया। इस विशेष आयोजन की मान्यता यह है कि श्री द्वारकाधीश प्रभु इस दिन परोक्ष रूप से गौशाला में पधार कर गौवंशों की सुध लेते है और उन्हें अपने हाथ गौवंश को गुड-थुली के साथ प्रसाद खिलाते है। इस पर्व को लेकर प्रभु की गौशाला को दुल्हन की भांति सजाया गया। शाम करीब साढे चार बजे से वैष्णवजनों एवं दर्शनार्थियों की भीड गौशाला में एकत्रित होना शुरू हो गया।
परम्परानुसार ग्वाल-बालों ने गौवंशों को खेलाया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने गौमाताओं को थुली व प्रसाद खिलाया। शाम करीब पांच बजे बाद अलग-अलग दलों में सांड व पाडों की भिडं़त शुरू हुई। दशकों के हुल्लड के बीच सांड अपने प्रतिस्पद्धी सांड को तो पछाडता तो दशक करतल ध्वनि और हुल्लड के साथ उसे सराहते।

Thursday, November 6, 2008

ब्लेक क्रांति की नीतियों के प्रति भी सजग रहना होगा

(मुकेश त्रिवेदी)
व्हाईट हाउस में ब्लेक क्रांति का जो शुभारंभ हुआ है वह निसंदेह प्रशंसनीय है। बुधवार दिन भर इसी खबर को लेकर मीडिया जगत भी निरंतर खबरे देता रहा। स्वाभाविक भी है। दुनिया के शक्तिशाली देश का प्रमुख बनना और वह भी एक अश्वेत पुरूष कामयाबी की काफी बडी मंजिल पाने के बराबर है।
बराक ओबामा की जीत पर भारत के समाचार पत्रों सहित कई संगठनों ने बराक ओबामा को आम भारतीय की पसंद करार दिया है लेकिन यह नहीं भुलना चाहिए कि बराक ने अपने प्रचार अभियान के दौरान कश्मीर मामले मध्यस्था के पक्ष को उजागर किया था। कश्मीर का मसला भारत-पाक के मध्य का है और उसमें मध्यस्थता किसी भी कीमत पर आम भारतीय को मंजूर नहीं होगी।
बराक ओबामा की जीत पर भारत के राजनीतिक संगठनों ने हालांकि खुशी जाहिर की लेकिन ओबामा के प्रशासन को लेकर उनके मन में चिंताएं भी दिखी। मुख्यत: कांग्रेस और भाजपा दल के नेताओं की परमाणु अप्रसार संधि, आउटसोर्सिंग और भारत का मुख्य मुद्दा कश्मीर पर एक राय नजर आए। वहीं अमेरिका के विरोधी रहे वामपंथी दल के नेताओं का भी यही कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति बदलते है नीतियां वहीं रहती है।
चिंता का विषय यह भी है कि ओबामा प्रशासन कर ढांचे को और ज्यादा कठोर बना कर भारतीयों की नौकरियों पर तलवार लटका सकता है। इसके अलावा सीटीबीटी के लिए दबाव भी ओबामा प्रशासन बना सकता है।
पदासीन बराक के हालांकि शुरूआती दिन है लेकिन भारत को इन मुद्दों पर सजग रहना होगा। अन्यथा महाशक्ति का महानायक की नीतियां कही हाल की खुिशयों को काफूर न कर देवे और कही व्हाइट हाउस की ब्लेक क्रांति आम भारतीयों के लिए ब्लेक आउट साबित न हो।

Sunday, November 2, 2008

अक्षय नवमी पर घसियार मंदिर में अन्‍नकूटोत्‍सव

राजस्‍थान राज्‍य के नाथद्वारा मं​दिर से जुडे घ​सियार मं​दिर में सात नवम्‍बर शुक्रवार को अन्‍नकूट महोत्‍सव का आयोजन होगा। महोत्‍सव को लेकर मं​दिर में तैया​रियां जारी है। मेवाड के मु​खिया श्‍यामसुंदर गुर्जर के अनुसार अक्षय नवमीं के अवसर पर आयो​जित होने वाले अन्‍नकूटोत्‍सव पर ​तिलकायत राकेश महाराज, श्रीकृष्‍ण भण्‍डार के अ​धिकारी सुधाकर शास्‍त्री आ​दि उप​स्‍थित रहेंगें। अन्‍नकूट के ​दिन दोपहर में गोमाताओं को सजाया संवारा जाएगा। तत्‍पश्‍चात गोक्रीडा का आयोजन होगा। शाम को अन्‍नकूट के भाव से महाभोग अरोगाया जाएगा।
नाथद्वारा ​स्‍थित प्रभु श्रीनाथजी का मं​दिर तथा घ​सियार उदयपुर ​स्‍थित मं​दिर ​बिल्‍कुल एक समान है। ​सिं​धिया सेना के आक्रमण से असु​र​क्षित प​रिस्‍थितियों को देखते हुए तात्‍कालीक ​तिलकायत ​गिरधर ने उदयपुर के समीप घ​सियार नामक सुरम्‍य स्‍थान पर नाथद्वारा के समान ही मं​दिर का ​निर्माण कराया। इस मं​दिर में प्रभु श्रीनाथजी ​निरंतर चार वर्ष तक ​विराजने के बाद ​विक्रम संवत १८६४ में नाथद्वारा पधार गए। घ​सियार मं​दिर में आज भी प्रभु श्रीनाथजी की ​​​​ चित्र सेवा होती है।

गोपाष्‍टमी पर नाथद्वारा मंदिर की गौशाला में होगी बिजारों की भिडंत

देश के ख्‍यातनाम श्रीनाथजी मं​दिर की गौशाला में छह नवम्‍बर को ​बिजारों एवं भैंसों की रोमांचक ​भिडंत होगी। गोपाष्‍टमी के ​दिन ही भगवान श्रीकृष्‍ण ग्‍वाल बालों के संग वन में गाय चराने गए थे। इसी भाव से वैष्‍णव नगरी नाथद्वारा में गोपाष्‍टमी का पर्व परम्‍परा से सराबोर होकर धूमधाम से मनाया जाता है। गोपाष्‍टमी के ​दिन श्रीजी प्रभु की हवेली एवं नाथूवास ​स्‍थित गोशाला में ​विविध आयोजन होंगे। गोपाष्‍टमी की तैया​रियां को लेकर हेड ग्‍वाल नारायण गुर्जर के सा​न्‍ध्यि में ग्‍वाल बाल पूरे उत्‍साह से जुटे है। गोपाष्‍टमी के ​दिन गोशाला में भैंसों व ​बिजारों की रोमांचक ​भिडंत होगी। ग्‍वाल बाल भैंसों व ​बिजारों को ​सिंदूर, रजत व स्‍वर्ण रंग का लेप कर चमक–दमक श्रृंगार धराएंगें। साथ ही गौमाताओं को मयूरपंखी ​टिपारे का साज धराकर श्रृंगा​रित करेंगे। शाम पांच बजे हजारों वैष्‍णवों की मौजूदगी में रोमांचक ​भिडंत होंगी।
बाल स्‍वरूपों का अनूठा श्रृंगार : गोपाष्‍टमी पर श्रीजी प्‍यारे के संग श्रीलालन प्‍यारे को जरी वस्‍त्र, मुकुट, काछनी का अनूठा श्रृंगार अंगीकार कराया जाएगा। कंदराखण्‍ड में गोमाताओं वाली ​चितराम की कलात्‍मक ​पिछवई सुशो​भित की जाएगी।

Saturday, November 1, 2008

दामोदर दी​क्षित को आचार्य ​निरंजननाथ सम्‍मान



आचार्य ​निरंजननाथ सम्‍मान का दसवां पुरस्‍कार ​हिन्‍दी के प्र​तिष्‍ठत उपन्‍यासकार दामोदर दत्‍त दी​क्षित मेरठ को उनके ज्ञानपीठ से प्रका​शित उपन्‍यास धुंआ और चीखें पर प्रदान ​किया जाएगा। सम्‍मान स​मिति के संयोजक कमर मेवाडी के अनुसार कर्नल देशबंधु की अध्‍यक्षता में आयो​जित बैठक में यह ​निर्णय ​लिया गया। यह सम्‍मान राजस्‍थान सा​हित्‍य अकादमी के पूर्व अध्‍यक्ष ​निरंजननाथ आचार्य की स्‍मृ​ति में आचार्य ​निरंजननाथ स्‍मृ​ति सेवा संस्‍थान द्वारा सा​हित्यिक प​त्रिका सम्‍बोधन के माध्‍यम से ​दिया जाता है। सम्‍मान के अंतर्गत प्रश​स्ति पत्र के अ​तिरिक्‍त १५ हजार रुपए की नकद रा​शि, शॉल, श्रीफल एवं स्‍मृ​ति ​चिह्न भेंट ​किया जाता है। दी​क्षित को यह सम्‍मान आगामी १६ नवम्‍बर को अणुव्रत ​विश्‍व भारती राजसमन्‍द के सभागार में प्रदान ​किया जाएगा।