Monday, February 2, 2009

खुलेआम अपने प्यार का इजहार कानून की नज़र में ग़लत नहीं !

क्या शादीशुदा जोड़ा पब्लिक प्लेस पर खुलेआम अपने प्यार का इजहार कर सकता है ? यह सवाल आपके मन में कभी न कभी आया जरूर होगा। तो इस सवाल का जवाब है कि कम से कम कानून की नज़र में ऐसा करना ग़लत नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान यह कहा है कि किसी भी नौजवान शादी-शुदा जोड़े द्वारा पब्लिक प्लेस में एक दायरे के भीतर प्यार का इजहार करना कानून की नज़र में ग़लत नहीं है। द्वारका के रहने वाले (अजीत बदला हुआ नाम) और उनकी पत्नी पर आरोप है कि दोनों पब्लिक प्लेस पर एक-दूसरे का चुंबन ले रहे थे। दोनों के खिलाफ द्वारका पुलिस ने पब्लिक प्लेस पर अश्लील हरकत करने का मामला बनाते हुए एफआईआर दर्ज किया था। आर्य समाज में शादी कर चुके इस जोड़े के उस समय रजिस्टर्ड मैरिज के कागजों का इंतजार था। इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आपराधिक मुकदमे पर स्टे लगा दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज एस.मुरलीधर ने स्टे लगाते हुए अपनी व्यवस्था में कहा है कि कि मौजूदा मामला आईपीसी की धारा 34 के सेक्शन 294 (अश्लीलता) के तहत नहीं आता है। जज ने आगे कहा कि अगर एफआईआर के मुताबिक भी केस को देखें तो यह समझ से परे है कि किसी नौजवान शादीशुदा जोड़े द्वारा प्यार का इजहार करना अश्लीलता के दायरे में आएगा और कानून तोड़ेगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी , जब शादीशुदा जोड़े द्वारा पुलिस के खिलाफ प्रताड़ना के आरोप पर की गई कार्रवाई के बाबत जवाब देना होगा। शादीशुदा जोड़े ने पुलिस कमिश्नर के यहां इस मामले की लिखित शिकायत की है। गौरतलब है कि पिछले साल चार सितंबर को शादीशुदा जोड़े को द्वारका पुलिस थाने के एएसआई विद्याधर सिंह ने पकड़ लिया था। एएसआई का दावा था कि शादीशुदा जोड़ा एक मेट्रो पिलर के पास आपत्तिजनक हालत में बैठकर एक दूसरे को चूम रहा था , जिससे आसपास गुजरने वाले लोगों को बुरा लग रहा था। यहां तक की अजीत ने पुलिस वालों से कहा कि वह दोनों पति-पत्नी हैं , बावजूद इसके दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस थाने ले गई। जोड़े को थाने से ही ज़मानत दे दी गई। हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि पुलिस ने किस तरह इस तथ्य को अनदेखा करते हुए कि दोनों शादीशुदा हैं , एफआईआर दर्ज कर दी। और तो और एफआईआर या उसके बाद दाखिल की गई चार्जशीट में पुलिस ने किसी चश्मदीद की गवाही बतौर सबूत नहीं पेश की , जिससे कोर्ट के सामने साफ हो गया है कि आरोप मनगढ़ंत थे। अजीत ने यह पुलिस और बार काउंसिल के सामने यह आरोप भी लगाया है कि जिस वकील ने उन्हें मैरिज रजिस्ट्रेशन की औपचारिकताएं पूरी कराने का वादा किया था , उसने विद्याधर सिंह के साथ मिलकर वसूली करने की योजना बनाई। अजीत ने कहा है कि उन्हें कानून की बारीकियां नहीं पता थीं , इसलिए वह पुलिस-वकील के चंगुल में फंस गए। हाई कोर्ट में दायर याचिक में अजीत ने यह बताया कि किस तरह पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान उनके एटीएम कार्ड का दुरूपयोग करते हुए बीस हजार रुपये निकाल लिए गए। अजीत ने कहा कि उन दोनों की शादी सितंबर के पहले सप्ताह में एक आर्यसमाज मंदिर में हुई थी , जिसके बारे में दोनों के परिजनों को पता नहीं था। यही वजह थी कि दोनों शादी के बाद भी अलग रह रहे थे और रजिस्टर्ड मैरिज की कोशिश में थे। इसी कोशिश में उन्होंने वकील की मदद ली , जिसने बाद में जोड़े को धोखा दिया। हाई कोर्ट में दायर याचिक में अजीत ने यह भी कहा कि वह दोनों एक-दूसरे को चूम नहीं रहे थे , बल्कि मोबाइल से एक साथ दोनों की फोट खींच रहे थे। हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान अजीत का पक्ष पेश कर रहे वकील ने अश्लीलता के कानून की बारीकियों पर रोशनी डालने की कोशिश की। टाइम्स से बात करते हुए वकील ने कहा कि अश्लीलता के आरोप तब सही होते हैं जब वह वाकई इतना ज़्यादा अभद्र हो कि लोगों को शर्मिंदगी झेलनी पड़े। वकील के मुताबिक पेश मामले में इस तरह की बात नहीं है क्योंकि चार्जशीट में कहीं भी किसी चश्मदीद का बयान नहीं है।