Friday, October 31, 2008

यह लडाई चुनावी ​टिकट के ​लिए नहीं है...........


चुनाव के दौर में नेता लोग ​सीट पाने के ​लिए ऐसी जोर आजमाइश करते नजर आ जाते है ले​किन यह यह जोर आजमाइश है नेतृत्‍व परम्‍परा को ​निभाने के ​लिए।
राजस्‍थान राज्‍य के राजसमन्‍द ​जिले के रीछेड गांव में यह बरसो से यह परम्‍परा चली आ रही है। लोगों की मान्‍यता है ​कि रीछेड गांव के वरकणमाता मं​दिर में करीब चार हजार वर्ष पूर्व कौरव और पाण्‍डवों के बीच दीपावली के अगले ​दिन नेतृत्‍व कायम करने को लेकर भंयकर युद्ध हुआ। इसमें कई लोगों के ​सिर कट कर एक स्‍थान पर एकत्र हो गए। युद्ध समा​प्ति के उपरांत जब हताहतो के प​रिजन कटे हुए ​सिर लेने आए तो यहा प्रकटी माताजी ने उन्‍हें ​सिर ले जाने नहीं ​दिया। ​किसी तरह यह प​रिजन धर्मराज यु​धिष्‍ठर के पास पहुंचे और उनसे ​दिवंगत सै​निक के ​सिर ​निकालने में मदद करने के ​लिए कहा। ​जिस पर वह उक्‍त स्‍थान पर पहुंचे और माताजी से अनुनय ​विनय की। माताजी ने धर्मराज की परीक्षा लेने के ​लिए एक शर्त रख दी ​कि जोर आजमाइश कर व्‍य​क्ति अपने ​दिवंगत प​रिजन का ​सिर ले जाना होगा तथा भ​विष्‍य में लोगों से प्रेमभाव से रहने का संकल्‍प करना होगा तभी मृत आत्‍माओं की शां​ति ​मिल सकेगी। कहा जाता है ​कि तब से चली इस प्रथा ने परम्‍परा का रूप ले ​लिया और हर वर्ष उसी स्‍थान पर ना​रियल रख ​दिया जाते है और लोग जोर आजमाइश करते हुए ना​रियल प्राप्‍त करते है।