Monday, December 29, 2008

पांच बरस में ले ली 98 हजार लोगों की जान

पिछले पांच साल से इराक में चल रही अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में अब तक रासायनिक हथियार तो नहीं मिले लेकिन सद्दाम हुसैन को हटाने की इस मुहिम के लिए पहले से ही मजहबी हिंसा के शिकार रहे इस देश के वाशिंदों ने भारी कीमत अदा की है। इराक में व्यापक विनाश के हथियारों की खोज के नाम पर तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को अपदस्थ करने के लिए वर्ष 2003 में किए गए अमेरिकी हमले के बाद से अब तक 98 हजार मासूम लोगों की जान जा चुकी है।इराक युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए यहां के मानवाधिकार संगठन 'इराक बॉडी कांउट' की शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किए गए हैं।रिपोर्ट के अनुसार इराक में इस साल अब तक आठ से नौ हजार के बीच स्थानीय नागरिक मारे जा चुके हैं। हालांकि पिछले पांच साल में 2006-07 में सबसे ज्यादा 48 हजार लोगों के मारे जाने के बाद पिछले एक साल में अमेरिका और स्थानीय सरकार समर्थकों पर किए गए हमलों की संख्या में खासी गिरावट दर्ज की गई है।संगठन के सहसंस्थापक और प्रवक्ता जॉन स्लोबोदा ने बताया कि मरने वाले स्थानीय नागरिकों की संख्या में आई यह गिरावट बगदाद के आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा प्रभावी रही। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट मीडिया एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है इसलिए मृतकों की वास्तविक संख्या 98,400 से भी अधिक हो सकती है।

आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान कुछ कारवाई करे

अमेरिका और ब्रिटेन ने मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी तत्वों के शामिल होने के ठोस सबूत मुहैया कराए हैं लेकिन पाकिस्तान कुछ करने के बजाय अनिर्णय की स्थिति में दिखाई दे रहा है।अमेरिकी और ब्रिटिश अधिकारियों ने मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों और उन्हें निर्देशित कर रहे पाकिस्तान में मौजूद उनके आकाओं के बीच उपग्रह और मोबाइल के जरिए हुई बातचीत को सौंपा था। पश्चिमी राजनयिकों का मानना है कि इस्लामाबाद ने उनके द्वारा दी गई खुफिया जानकारियों पर कुछ खास नहीं किया है और वे चाहते हैं कि 26 नवंबर को हमला करने वाले लोगों के पीछे मौजूद लोगों के खिलाफ पारदर्शी तरीके से कार्रवाई की जाए।राजनयिक सूत्रों ने बताया कि मुंबई हमलों के बाद ब्रिटिश और अमेरिकी जांचकर्ताओं ने काफी मात्रा में तकनीकी और अन्य खुफिया जानकारियां जुटाई थी जिन्हें बाद में पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।

अब कूदो 30 हजार फीट ऊंचाई से

डीआरडीओ ने ऐसा पैराशूट तैयार किया है, जिसकी मदद से जवान अब 30,000 फुट की ऊंचाई से कूद सकते हैं। आम तौर पर जवान 10,000 फुट की ऊंचाई से जंप करते हैं। लेकिन अडवांस्ड कार्रवाई के दौरान रक्षा बल इस नए पैराशूट का इस्तेमाल करेंगे। फायदा यह होगा कि 30,000 फुट से जंप करने पर दुश्मन को इसकी भनक तक नहीं लग पाएगी, क्योंकि इतनी ऊंचाई से एयरक्राफ्ट की आवाज सुनाई नहीं देगी। नया पैराशूट ऑक्सिजन सिलिंडर से लैस रहेगा, ताकि घुटन को रोका जा सके क्योंकि इतनी ऊंचाई पर ऑक्सिजन की कमी हो जाती है। एयरक्राफ्ट से कूदने के बाद लगभग 45 मिनट तक जरूरत के हिसाब ऑक्सिजन मिलती रहेगी।

Sunday, December 21, 2008

महात्मा गांधी ब्रिटीश सेना की एम्बूलेंस यूनिट में करते थे काम : रक्षा मंत्रालय

रक्षा मंत्रालय से निकलने वाली पत्रिका सैनिक समाचार के आगामी 2 जनवरी 2009 को सौ साल पूरा होने के उपलक्ष्य में एक स्मारिका प्रकाशित की जा रही है, जिसमें इतिहास के अनेक दुर्लभ तथ्यों के बीच एक हैरतंगेज बात यह भी सामने आई है कि महात्मा गांधी 1889 में ब्रिटिश सेना में शामिल हुए थे और उन्होंने इसकी एम्बुलेंस यूनिट में काम किया था। अहिंसा का पुजारी फौजी वर्दी में और वह भी उस देश की फौज में जिसके साम्राज्य के पतन का बीड़ा उन्होंने खुद जीवनभर उठाए रखा। यह बात यकीन से परे लगती है, लेकिन इतिहास और महात्मा गांधी से जुड़ा यह तथ्य बेहद कम प्रकाश में आया। लेकिन इस तथ्य को रक्षा मंत्रालय ने नए सिरे से उजागर किया है। और तो और रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटिश फौज की वर्दी पहने मोहन दास करम चंद गांधी के चित्र को भी प्रकाशित किया हैं। अफ्रीका में अंग्रेज बोएर जंग की समाप्ति पर मोहनदास करमचंद गांधी को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पदक से भी सम्मानित किया गया था। सैनिक समाचार की इस स्मारिका में प्रकाशित लेख के अनुसार महात्मा गांधी का फौज में शामिल होना और अपने फौजी के तौर पर गांधी को स्वीकार कर लेना महात्मा और ब्रिटिशों दोनों के लिए कठिन फैसला था लेकिन परिस्थितियों ने ऐसा होने के लिए बाध्य कर दिया। कहते हैं कि ब्रिटिश फौज की इस एम्बुलेंस इकाई के गठन का सुझाव भी महात्मा गांधी का ही था और ब्रिटिशों ने इस पर ठहाके भी लगाए थे लेकिन नटाल के गवर्नर गांधी जी के हमदर्द थे और उनके मार्फत महात्मा गांधी डाक्टर प्रसिद्ध डाक्टर बूथ की सेवाएं लेने में कामयाब हो गए और उन्होंने इस इकाई को प्रशिक्षित किया। महात्मा गांधी ब्रिटिश फौज में क्यों शामिल हुए और इसके पीछे उनका मकसद क्या था इसकी सच्चाई के बारे में सैनिक समाचार की शताब्दी स्मारिका में कहा गया है कि बोएर के दो गणराज्यों में ब्रिटिशों से आजादी के लिए जब जंग छिड़ी तो वहां अंग्रेज कमजोर स्थिति में थे और अफ्रीकी बोएर की 48000 की फौज के सामने उनके पास महज 27 हजार फौजी ही थे। ऐसे में ब्रिटिशों को अपने सर्वश्रेष्ठ जनरलों को लड़ाई में उतारना पड़ा। इसी दौरान मोहनदास करमचंद गांधी ने एम्बूलेंस यूनिट के गठन की बात सोची थी। उस समय भारतीयों और ब्रिटिशों के कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की बात सोची भी नहीं जा सकती थी। लेकिन आखिरकार इस यूनिट का गठन हो गया। महात्मा गांधी जिस एम्बूलैंस यूनिट में थे उसमें 1100 भारतीय थे, जिनमें 800 गिरमिटिया मजदूर थे। इस यूनिट बेहद बहादुरी से काम किया था और ब्रिटेन की सेना के कमांडर इन चीफ ने उनके शौर्य की गाथाएं दर्ज की थीं।

माता हो जाती है मजबूरी में कुमाता

माता कुमाता नहीं हो सकती, इस सनातन कहावत को झुठलाते हुए एक मां अपनी 2 दिन की
नवजात बच्ची को अस्पताल के बिस्तर पर छोड़कर लापता हो गई है। ठाणे मनपा संचालित छत्रपति शिवाजी अस्पताल में हुई इस घटना के बाद खलबली का माहौल है। कलवा पुलिस ने गायब मां के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उसकी खोज कर रही है। लेकिन गायब हुई मां वर्षा कांबले द्वारा अस्पताल के रजिस्टर में अपना पूरा पता नहीं दर्ज कराने के कारण पुलिस को उसकी खोज करने में परेशानी हो रही है। नवजात बच्ची को भिवंडी स्थित चिल्ड्रेन रूम में भेजा गया है। 18 दिसंबर को वर्षा कांबले (30) प्रसूती के लिए छात्रपति शिवाजी अस्पताल में दाखिल हुई थी। उसी दिन उसने एक बालिका को जन्म दिया और रात के वक्त अचानक गायब हो गई। 19 दिसंबर की सुबह जब बालिका रोने लगी तो लोगों का ध्यान उस ओर गया। अस्पताल के रजिस्टर में वर्षा कांबले के नाम के आगे पते के रूप में 'ऐरोली, सेक्टर एक' इतना ही लिखा गया है। अधूरे पते के चलते कलवा पुलिस अभी तक वर्षा कांबले की खोज कर पाने में असमर्थ साबित हुई है।

पाकिस्तान से बढते तनाव को लेकर प्रधानमंत्री ने ली मेराथन बैठक

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर शनिवार को बैठक की। इसमें विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, रक्षा मंत्री एके एंटनी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन भी शामिल हुए। बैठक में सुरक्षा के हालात का जायजा लिया गया। साथ ही सेना की तैयारी पर भी चर्चा हुई। बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि अगर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर पाकिस्तान टालमटोल का रवैया अपनाता रहा तो फिर भारत के पास किस तरह का विकल्प हो सकता है। पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच आयोजित इस मैराथन बैठक में हालात से निपटने और देश के सामने मौजूद विकल्पों पर चर्चा की गई। इससे पहले रक्षा मंत्री ने शनिवार को तटरक्षक बल और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें भारतीय तटरेखा की सुरक्षा का जायजा लिया गया। बैठक में उन्होंने समुद्र की सुरक्षा करने वाली एजेंसी के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

मुंबई हमलों के बाद रक्षा मंत्री की अगुवाई में समुद्री सीमाओं की सुरक्षा से जुड़े आला अधिकारियों की बैठक में फैसला लिया गया कि तटीय इलाकों में और युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात किए जाएंगे।इसके अलावा पूरे तटीय इलाके में रडार लगाने का फैसला लिया गया, ताकि दुश्मन के किसी भी हरकत पर नजर रखी जा सके। रक्षा मंत्री ने कोस्टगार्ड से कहा है कि वह जल्द से जल्द इंटसैप्टर बोट खरीदे।साथ ही मीटिंग में फैसला लिया गया कि नौ और कोस्टगार्ड स्टेशन बनाए जाएंगे, ताकि मुंबई जैसे हादसे को किसी भी कीमत पर आतंकवादी दोहरा न सके। मंत्री ने कोस्टगार्ड को यह भी निर्देश दिया कि वह अपनी खुफिया सूचना नेवी और खुफिया विभाग के साथ बांटे।इस मीटिंग में रक्षा मंत्री के अलावा रक्षा सचिव विजय सिंह, कोस्टगार्ड के डीजी वाइस एडमिरल अनिल चोपड़ा समेत कई आला अधिकारी मौजूद थे। इससे पहले शुक्रवार को रक्षा मंत्री ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी।

Saturday, December 20, 2008

क्या आप भी दलालों के चक्कर में है................

व्यवस्थाओं की जटिलताओं और व्यक्ति में आती जा रही नििष्क्रयाओं के कारण प्रत्येक क्षेत्र में दलालों पर आश्रित रहने की प्रवृति जोरों से बढती जा रही है। उद्योग, व्यवसाय, रोजगार और राजनीति के क्षेत्र में व्यक्ति अपने काम के लिए आत्मनिर्भर नहीं रह गया है। िशक्षा, स्वास्थ्य और जन कल्याण के कामों में अब तो व्यक्ति समय नहीं निकाल पा रहा है। भौतिकवादी युग में प्रतिस्पद्धाZ की चकाचौंध में फंस कर व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कुछ न कुछ हासिल करना चाहता है। अपनी आवश्यकता और आंकाक्षाओं की पूर्ति के लिए अब बिचौलियों और दलालो के माध्यम पर आश्रित रहना पड रहा है।
घर पहुंच सेवा के नाम पर भी दलालों की एजेंसिया खूब सक्रिय है। व्यक्ति भी व्यवस्थाओं की जटिलताओं से दूर भागना चाहता है और वह अपने काम को पूरा करने के िलिए इन एजेंसियों का सहारा लेता है। आज व्यक्ति रेलवे टिकट के आरक्षण के लिए भी रेलवे स्टेशनों की टिकट खिडकी की लम्बी कतारों से बचना चाहता है और अपना नम्बर आने तक प्रतिक्षा नहीं करना चाहता है। ऐसे में वह दलालों के माध्यम से टिकट क्रय करने और अपना आरक्षण कराने के लिए शॉर्टकट का रास्ता अपना रहा है। कमीशन देकर निजी बुकिंग एजेंसियों से आरक्षण कराने की प्रवृति भी अब आम आदमी की बन गई है। हालांकि बुकिंग एजेंसियों की हरकते भी कई बार आम लोगों को महंगी पड जाती है फिर भी इस तरह की एजेंसियां खूब पनप रही है। ऐसी एजेंसियां स्थापित हो गई जिनमें आप मात्र एक फोन करके अपने जरूरत की उपभोक्ता वस्तुएं कमीशन देकर प्रापत कर सकते है। उपभोक्ताओं और बाजार के बीच दूरियां इस दलाली प्रथा से कम हो गई है। व्यक्ति आज इतना अधिक सुविधा भोगी, आराम तलब यां यूं कहे कि अपने स्वयं और परिवार के प्रति अपने कर्तव्य की और उतरदायित्व के निर्वहन के प्रति नििष्क्रय हो गया है। वह कमीशन बांट-बांट कर अपनी दिनचर्या की आवश्यकता और अपने प्रशासनिक, व्यावसायिक और सामाजिक कार्य को सम्पन्न करा रहा है।

केन्द्र सरकार ने हलफनामा पेश किया कि सोनिया भी बन सकती है प्रधानमंत्री

केन्द्र सरकार ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बन सकती है, इसमें किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं है। राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा की ओर से दाखिल याचिका के जवाब में केन्द्र सरकार ने यह हलफनामा पेश किया है। मोर्चा ने कहा है कि विदेशी मूल का कोई व्यक्ति क्या देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर आसीन हो सकता है। याचिका पर गत 17 दिसम्बर को सुनवाई होनी थी, लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया। संप्रग सरकार के हलफनामे के अनुसार विदेशी मूल के भारतीय होने के कारण, किसी भी भारतीय नागरिक को देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर आसीन होने से रोका नहीं किया जा सकता है।गौरतलब है कि सरकार द्वारा पेश हलफनामे के अनुसार भारतीय संविधान किसी विदेशी मूल के भारतीय नागरिक और भारतीय नागरिक के बीच कोई भेदभाव नहीं करता है। जानकारी के अनुसार सोनिया गांधी ने केन्द्र में सरकार बनाने का अपना दावा उस समय वापस ले लिया था जब विपक्ष के कई लोगों ने उनके प्रधानमंत्री बनने पर गहरी नाराजगी जाहिल कि थी जिसके बाद उन्होंने पीएम का पद त्याग दिया था।

भारत और पाक पर निगाहे है अमरिका की

अमेरिका ने मुंबई हमलों के बाद भारतीय रहनुमाओं के नपे-तुले रुख की तारीफ करते हुए कहा कि उसकी एजेंसियां भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के घटनाक्रम पर निगाह रखे हुए हैं। अमेरिका की प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल टिमोथी कीटिंग ने कहा 'हम मध्य कमान के साथ और विदेश मंत्रालय रक्षा मंत्रालय तथा खुफिया एजेंसियों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं कि जितना हो सके हम दुनिया के उस खास हिस्से (दक्षिण एशिया) के घटनाक्रम से अवगत रहें।'एडमिरल कीटिंग ने कहा, 'मैं भारत में अपने राजदूत के साथ भारतीय सैन्य अधिकारियों के साथ संपर्क में हूं और भारत ने मुंबई हमलों पर जो बेहद नपा-तुला रुख अपनाया उसका मै आभारी हूं।'शीर्ष पेंटागन अधिकारी ने अमेरिकी सेना की प्रशांत कमान की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा, 'आतंकवादी हमलों के परिप्रेक्ष्य में हमने सैन्य उपस्थिति या तेवर के संदर्भ में प्रशांत कमान ने कोई ज्यादा भिन्न काम नहीं किया।'

Thursday, December 18, 2008

एडस का वायरस एसे घुस जाता है मानव शरीर में

भारतीयों में घातक रोग एड्ज़ को रोकने वाले प्राकृतिक मानव जीन नहीं हैं। साथ ही भारतीयों में इस बीमारी को फैलाने वाले जीन ढाई गुना अधिक हैं। इससे भारतवासियों में इस बीमारी के फैलने का खतरा अधिक है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्नी पानाबाका लक्ष्मी ने लोकसभा में बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अध्ययन में पाया गया कि एड्ज़ के एचआईवी संक्रमण को रोकने वाली प्रतिरोधक जीन भारत के लोगों में आमतौर पर मौजूद नहीं हैं। इस कारण लोगों में इस रोग का ज्यादा खतरा है। वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि सेक्स संबंध के दौरान एड्ज़ वायरस किस तरह फैलता है। रिसर्चर अब तक मानते थे कि महिलाओं की योनि (वेजिना) की लाइनिंग सेक्स के दौरान एचवाईवी वायरस को शरीर के अंदर से जाने से रोक देती है। लेकिन अब पता चला है कि वायरस इस टिशु को भी भेद सकता है। वैज्ञानिक इस तरीके को समझकर अब एड्ज़ को रोकने के लिए एक वैक्सीन बना रहे हैं। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की एक टीम ने पहली बार दिखाया है कि एचआईवी वायरस महिलाओं की योनि के सामान्य ऊतकों को भेद कर अंदर जा सकता है। टीम लीडर टॉमस होप कहते हैं कि यह एक अप्रत्याशित और अहम नतीजा है। हमें पहली बार पता चला है कि एचआईवी महिलाओं की योनि में कैसे घुस जाता है। अब तक एचआईवी के सेक्सुअल ट्रांसफर की डिटेल्स पता नहीं चल पाए थे। टॉमस के मुताबिक, भविष्य के अध्ययनों में एचआईवी की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाए जा सकते हैं। टॉमस कहते हैं कि एचआईवी को फैलने से रोकने के लिए कंडोम 100 फीसदी कारगर हैं। लेकिन लोग कल्चरल या दूसरी वजहों से इसका इसका इस्तेमाल नहीं करते। अपनी स्टडी में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि योनि की इंटीरियर स्किन में वायरस का खतरा सबसे कम होता है। लेकिन चूंकि योनि की ऊपरी स्किन काफी ढीली और लचीली होती है इसलिए यहां एचआईवी वायरस का खतरा अधिक होता है।

आतंकवाद के खिलाफ कडे कानून हो मगर आरोपी को वकील भी मिले

देश के मुख्य न्यायाधीश ने एक टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में कहा है कि कानून चाहे जितना भी कड़ा किया जाए मगर मानवाधिकारों के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए।देश में जब आतंकवाद से निपटने के लिए कड़ा कानून बनाने की बात जोरों पर चल रही और सरकार के साथ इस बात में विपक्ष ने भी सुर में सुर मिला दिए ऐसे में मुख्य न्यायाधीश का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने साफ कहा कि मानवीय संवेदनाओं का ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात को खुलकर कहा भी कि आतंकवाद से निपटने के लिए कठोर कानून जरूरी है। कानून कैसा इस पर संसद को चर्चा करने के बाद तय करना चाहिए। देश में लोगों के भीतर सुरक्षा की भावना होनी ही चाहिए।मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कसाब को एक वकील की सहायता मुहैया कराई जानी चाहिए। अदालत की कार्रवाई में वकील के महत्व पर उन्होंने कहा कि कानूनी कार्रवाई के लिए बचाव पक्ष का वकील होना आवश्यक है। गौरतलब है कि कानून को कठोर बनाने के सूरत में मानवाधिकारों को कुछ हद तक दरकिनार करने के बात स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं।

जुआ चलाना अनुराग को पडा महंगा

इंटरनेट जुआ कंपनी के सह संस्थापक अनुराग दीक्षित को अमरीकी इंटरनेट क़ानूनों के उल्लंघन का दोषी मानते हुए उन्हें इसके लिए लगभग 1500 करोड़ रुपयों का जुर्माना अदा करने को कहा गया है। अनुराग दीक्षित की कंपनी 'पार्टी गेमिंग' ब्रिटेन में सूचीबद्ध है और उसके ख़िलाफ़ न्यूयॉर्क की संघीय अदालत में एक मुक़दमा दर्ज किया गया था। उन पर जुए के संघीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था जिसके लिए उन्हें दो साल तक की सज़ा हो सकती थी। फ़ोर्ब्स पत्रिका ने भारतीय मूल के अनुराग दीक्षित की कुल संपत्ति 1.6 अरब डॉलर ( लगभग 80 अरब रुपए) आँकी है। दुनिया के अरबपतियों में उनका स्थान 618 वाँ है, वे जिब्राल्टर और ब्रिटेन में रहते हैं। उन्होंने इस फ़ैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार कर दिया है। अमरीकी विधि विभाग ने कहा है कि 37 वर्षीय दीक्षित को एक अदालत में 'सट्टेबाज़ी के लिए संचार साधनों के उपयोग का दोषी' पाया गया। अमरीकी क़ानूनों में वर्ष 2006 में किए गए संशोधन के बाद 'पार्टी गेंमिंग' के वहाँ व्यवसाय करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अदालत में अनुराग दीक्षित ने कहा, "मुझे अक्तूबर 2006 में ही पता चला कि इंटरनेट पर सट्टेबाज़ी अमरीकी क़ानूनों का उल्लंघन है।

मौलाना मसूद नजरबंद नहीं है नजरों से भी दूर है

भारत में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर शाहिद मलिक ने बुधवार को कहा कि जैश - ए - मोहम्मद का मुखिया मौलाना मसूद अजहर नजरबंद नहीं है। और वह कहां है , उसके बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। मलिक का यह बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की ओर से एक हफ्ता पहले टेलीविजन चैनल को दिये गए इंटरव्यू के उलट है। पाक रक्षा मंत्री ने उस समय कहा था कि अजहर नजरबंद है , लेकिन उसे भारत को नहीं सौंपा जा सकता। मलिक ने इंटरव्यू में कहा , ' हम अजहर मसूद की तलाश कर रहे हैं। वह नजरबंद नहीं है। जहां तक मुझे जानकारी है अजहर के नजरबंद होने की रिपोर्ट गलत है। ' पाकिस्तानी हाई कमिश्नर उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि आखिर उनका देश अजहर को क्यों नहीं सौंप सकता जबकि वह उनके देश में हिरासत में है ?

Wednesday, December 17, 2008

नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को दस बरस की कैद

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के चारभुजा थाना क्षेत्र के पांचया का लेवा गांव में एक किशोरी के साथ शराब पिलाकर उससे बलात्कार करने के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश (फास्ट ट्रेक) ने एक व्यक्ति को दोषी मानते हुए उसे दस वषZ का कारावास और पांच हजार रुपए का अर्थदण्ड दिया।
प्रकरणानुसार गत 15 अप्रेल 08 को पांचया का लेवा निवासी चंदाराम पुत्र चंदा गमेती ने चारभुजा थाने में रिपोर्ट दी कि 14 अप्रेल को उसकी भतीजी गीता गमेती जंगल में बकरियां चराने गई। जहां से देर शाम तक वापस नहीं आने पर उसकी तलाश की। इसी बीच उसकी भतीजी घायलावस्था में घर आई। गीता से पूछने पर उसने बताया कि गांव के रता पुत्र डालू गमेती ने पानी पिलाने के बहाने शराब पिला दी और उसके बाद बलात्कार किया। पुलिस ने मामले की जांच कर रता गमेती को गिरफ्तार किया। अदालत में इस मामले के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से 14 गवाह पेश हुए। अदालत ने गवाहों के बयान एवं दोनों पक्षों की पैरवी सुनने के उपरांत रता गमेती को दोषी मानते हुए उसे दस वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया। अभियोजन की ओर से पैरवी बापूलाल ओस्तवाल ने की।

सेक्स एज्यूकेशन लागू करे या नहीं...... नहीं तो हो जाएगी ब्रिटेन जैसी हालत

भारतीय विद्यालयों में सेक्स एज्यूकेशन के लिए राजनेता और कई विद्वान लोग पैरवी करते है वहीं कई लोग इसका विरोध करते है लेकिन इसके परिणाम से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। हाल ही में ब्रिटेन में किए गए एक सर्वे में कम उम्र की बालिकाओं के गर्भवती होने का खुलासा होने के बाद हालांकि ब्रिटेन की नींद तो उड गई साथ ही यूनिसेफ भी चिंतित है। ब्रिटेन में किशोरियां गर्भवती हो रही हैं। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऑफिस फॉर नेशनल स्टेटिस्टिक्स और ओएनएस की मानें तो पिछले साल इंग्लैंड और वेल्स इलाके में 18 साल से भी कम उम्र की 53 हजार किशोरियां गर्भवती हुईं। डिपार्टमेंट ऑफ चिल्ड्रेन, फैमिली एंड स्कूल्स के मुताबिक 2007 के शुरुआती नौ माह की समीक्षा करने पर साफ है कि 2006 की तुलना में इसकी संख्या में आश्चर्यजनक इजाफा हुआ है। साल 2006 में जहां 1 हजार लड़कियों में 40.9 लड़कियों के गर्भवती होने का आंकड़ा था वहीं यह बढ़कर 42 हो गई है। 2006 में इंग्लैंड और वेल्स को मिलाकर 41,800 लड़कियां गर्भवती हुई थीं। साल 2007 में अब तक का सबसे बड़ा इजाफा माना जा रहा है। वहीं ब्रिटेन के स्कूल मंत्री जिम नाइट ने सेक्स एजुकेशन को अनिवार्य बना दिया है। ब्रिटेन का स्वास्थ्य विभाग भी इन आंकड़ों के बाद पूरी तरह चेता नजर आ रहा है। इस हफ्ते विभाग ने ट्रायल के तौर पर एक नई स्कीम लागू की है। इसके तहत बिना किसी डॉक्टरी सलाह वाले कागज के भी लड़कियां गर्भ निरोधक ले सकेंगी। सरकार इसके साथ सेक्स एजुकेशन को भी बढ़ावा दे रही है और सेफ सेक्स का भी जोरदार तरीके से प्रचार कर रही है। यूनीसेफ ने भी ब्रिटेन में गर्भवती किशोरियों की संख्या में लगातार इजाफे पर चिंता प्रकट की है। यूनीसेफ ने कहा है कि पूरे यूरोप में सबसे गंभीर हालात यहीं के हैं।

अमरिका में परचम फहराएगा गीता ज्ञान

न्यूजर्सी में स्थापित स्वायत्त कैथोलिक सेटन हॉल यूनिवर्सिटी में अनिवार्य पाठ्यक्रम के तहत गीता के अध्ययन को शामिल करने का फैसला किया गया है। इस फैसले के पीछे प्रमुख भूमिका निभाने वाले प्रो. अमर ने कहा कि विश्वविद्यालय में कोर कोर्स के तहत सभी छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम होता है, जिसका अध्ययन सभी विषयों के छात्रों को करना होता है।उन्होंने बताया कि 2001 में विश्वविद्यालय ने विश्व में अपनी अलग पहचान कायम करने के लिए कोर कोर्स की शुरुआत की थी। इसमें छात्रों को सामाजिक जीवन से जुड़े सरोकारों और दायित्वबोध से अवगत कराया जाता है, जिससे युवा वर्ग को सामाजिक व्यवस्था से सीधे तौर पर जोड़ा जा सके।प्रो अमर ने बताया कि इस मामले में गीता का ज्ञान सर्वोत्तम साधन है और इसकी महत्ता को समझते हुए विश्वविद्यालय ने सभी छात्रों के लिए इस ग्रंथ का अध्ययन अनिवार्य करने का फैसला किया।
प्रोफेसर एडी अमर ने कि यह अपनी तरह का दुनिया में पहला निर्णय है।उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के 10,800 छात्रों में से एक तिहाई से ज्यादा गैर इसाई हैं और इनमें भारतीय छात्रों की संख्या भी प्रभावी है। भारत की शिक्षा पद्धति में भले ही वैदिक पाठ्यक्रम का विरोध होता हो, लेकिन अमेरिका के सेटन हॉल विश्वविद्यालय में सभी छात्रों के लिए गीता पढ़ना अनिवार्य कर भारतीय शिक्षा के प्रति अपना समर्पण व्यक्त किया है।

Tuesday, December 16, 2008

राजस्थान में भाजपा संगठन में परिवर्तन रिपोर्ट आने के बाद : राजनाथ सिंह

राजस्थान में बदलाव की व्यापक स्तर पर चल रही चर्चाओं पर राजनाथ ने स्पष्ट किया कि पार्टी स्तर पर सारी रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय होगा लेकिन यदि कहीं कोई परिवर्तन किया जाएगा तो उसका आधार पराजय नहीं होगा। विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद संगठन में व्यापक फेरबदल की अफवाहों पर विराम लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसके लिए वसुंधरा राजे और ओमप्रकाश माथुर को जिम्‍मेदार ठहराने से इंकार कर दिया है। इस प्रकार राजस्थान की भाजपा में किसी बड़े उलटफेर की संभावनाओं पर फिलहाल विराम लग गया है। एक साक्षात्कार में राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि जहां परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे हैं वहां पर आवश्यक हुआ तो ही फेरबदल किया जाएगा अन्यथा लोकसभा चुनाव के लिए विशेष तैयारियां की जाएंगी। राजस्थान में बड़ी संख्‍या में बागी उम्‍मीदवारों के मैदान में उतरने से भाजपा को हुए नुकसान पर राजनाथ ने कहा कि यहां पर समन्वय और बेहतर बनाए जाने की आवश्यकता थी। राज्य में पार्टी स्तर पर ही कहीं न कहीं चूक हुई है। उस कमी को दूर किया जाएगा। उसी प्रकार राजस्थान में संगठन में बदलाव के प्रश्न पर उन्होंने साफ कहा कि फेरबदल स्वाभाविक प्रक्रिया है और यदि आवश्यक हुआ तो यह भी किया जा सकता है। राजस्थान और दिल्ली के परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे तो किसी एक व्यक्ति को जिम्‍मेदार नहीं माना जा सकता। इसके लिए सभी जिम्‍मेदार हैं, सबके स्तर पर कहीं न कहीं चूक हुई है। राजनाथ सिंह ने पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे की शैली को हार के लिए जिम्‍मेदार मानने से इंकार कर दिया और कहा कि उनके विकास से जनता संतुष्ट थी। राजस्थान में उन्होंने बहुत ही अज्छा काम किया लेकिन कहीं न कहीं टिकट आवंटन में कोई चूक रही होगी जिसे नकारा नहीं जा सकता।हार के लिए जवाबदेही तय करने के सवाल पर राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि किस स्तर पर क्या कमी रही उसे ठीक किया जाएगा। जहां व्यवस्था में फेरबदल की आवश्यकता होगी वहां थोड़ा बहुत फेरबदल किया जा सकता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन जवाबदेही तय करने के लिए कोई कमेटी नहीं बनाई जाएगी। दिल्ली और राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के सवाल को उन्होंने टालते हुए कहा कि यह फैसला विधायक करेंगे।

भारत ने पाक से फिर कहा 40 आतंकवादी सौंप दे

मुम्बई हमलों के बाद भारत पाक की इसमें लिप्तता के सबूत दिन ब दिन दे रहा है लेकिन पाकिस्तान ठोस सबूत की मांग पर अडा है अब भारत पाक को दबाव में लाने के लिए 40 आतंकवादियों की मांग कर दी है। भारत ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन सहित विश्व नेताओं से कहा कि वे इस्लामाबाद से कहें कि अगर वह वाकई नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध कायम रखना चाहता है तो 40 से अधिक आतंकवादियों को सौंपने की मांग पूरी करे।मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान द्वारा इस मांग से इनकार करने से स्थिति बेहतर नहीं होगी क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर सहित अनेक आतंकवादियों को पाकिस्तान में खुलेआम देखा गया है।अजहर के मामले का हवाला देते हुए भारतीय नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों से कहा कि जैश प्रमुख के खिलाफ पहले से ही मामला साबित है जिसे जम्मू-कश्मीर की एक जेल से उस समय 1999 में छोड़ना पड़ा था जब पांच आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस के एक विमान का अपहरण कर लिया था।सूत्रों ने कहा कि जहां भारत द्वारा वांछित कुछ आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान सबूतों की कमी का राग अलाप रहा है वहीं अजहर के खिलाफ विमान अपहरण मामले में सबूत पहले से ही मौजूद है।

अपहरणकर्ता को ढूढंने वाले खुद हो गए अपहरण का शिकार

मेिक्सकों के अपहरण के मामलों के विशेषज्ञ व्यक्ति का कतिपय लोगों ने अपहरण कर लिया। यह सनसनी वारदात से दुनिया स्तब्ध है।अपहरण संबंधी मामलों के एक अमेरिकी विशेषज्ञ का मैक्सिको के उत्तरी इलाके में स्थित साल्टिल्लो कस्बे में अपहरण कर लिया गया है। समाचार एजेंसी ‘डीपीए’ के अनुसार अपहरण की ये घटना संभवत: बीते बुधवार को हुई। एजेंसी के मुताबिक क्यूबाई मूल के अमेरिकी फेलिक्स बटिस्टा (55) का कुछ सशस्त्र लोगों ने उस समय अपहरण कर लिया जब वे एक रेस्तरां से निकल रहे थे। मैक्सिको के कोहुइला प्रांत के नागरिक सुरक्षा मंत्री फाउस्टो, डेस्टेनावे कुरी ने एक दैनिक समाचार-पत्र ‘वांगार्डिया’ से कहा, “पूरे मामले में किसी तरह की हिंसा नहीं हुई। आखिर वे खुद अपहरण के विशेषज्ञ हैं”। बटिस्टा गत 6 दिसम्बर को यहां आए थे और उन्होंने कंपनियों की सुरक्षा पर दो व्याख्यान दिए थे। उल्लेखनीय है कि बटिस्टा अमेरिकी सेना के पूर्व खुफिया अधिकारी हैं और वे अब तक जबरन वसूली के 300 और अपहरण के 99 मामलों की गुत्थी सुलझाने में हिस्सा ले चुके हैं।

Monday, December 15, 2008

आवास पर सरकारी बैकों ने ब्याज दरें घटाई

अब घर पर ऋण लेना आसान हो गया। लम्बे समय से प्रतिक्षित आवास ऋण की ब्याज दर सरकारी बैंकों ने घटा दी है। हालांकि यह सुविधा सार्वजनिक क्षे़त्र के सभी बैंकों में लागू होने में छह माह बाकी है।
सार्वजनिक क्षेत्र के वाणििज्यक बैंकों ने सोमवार को 20 लाख रुपए तक के आवास ऋण पर ब्याज दरें घटनें की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने प्रसंस्करण शुल्क खत्म करने और निशुल्क जीवन बीमा की पेशकश भी की।
सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बडे बैंक भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष ओपी भट्ट ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पांच लाख रुपए तक आवास ऋण पर ब्याज दर 8.5 फीसदी होगी और 20 लाख रुपए का आवास ऋण 9.25 फीसदी की ब्याज दर पर मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह सुविधा सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों में आगामी 30 जून तक मिलेगी।

कभी सोचा नहीं होगा कि इस तरह स्वागत होगा

अमरीकी राष्ट्रपति पर पत्रकार सम्मेलन के दौरान जूते फैंकना एक असामान्य घटना थी, जिसका महाशक्ति के महामानव ने कभी ऐसी कल्पना नहीं की होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को उस समय अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा जब एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक इराकी पत्रकार ने उनपर अपने जूते फेंके और उन्हें अपशब्द कहे।राष्ट्रपति के रूप में अपनी अंतिम इराक यात्रा पर आए बुश इराकी प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के साथ जब एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे तभी एक इराकी पत्रकार ने अरबी में उन्हें बुरा-भला कहा और अपने जूते उतारकर फेंके।हालांकि, जूते अपना निशाना चूक गए। एक जूता बुश से लगभग साढ़े चार मीटर दूर जाकर गिरा जबकि दूसरा जूता उनके सिर के ऊपर से गुजरते हुए दीवार पर जा टकराया। इससे अमेरिकी राष्ट्रपति असहज हो गए जबकि मलिकी के चेहरे पर तनाव साफ देखा जा सकता था।इराकी सुरक्षाकर्मियों और अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंटों ने तुरंत पत्रकार को दबोच लिया और उसे सम्मेलन स्थल से दूर ले गए।इस घटना से अप्रभावित अमेरिकी राष्ट्रपति ने वहां उपस्थित सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, 'इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।' एक टीवी पत्रकार के अनुसार इराकी पत्रकारों ने अपने सहयोगी के इस व्यवहार के लिए बुश से माफी मांगी।

Saturday, December 13, 2008

मंत्री भी बन गया दहेज का लालची

दहेज लेना पाप है अपराध है यह जुमले अक्सर सुनने को मिल जाते है। सामाजिक कार्यक्रम में तो मुख्य अतिथि बनने वाले राजनेता और मंत्री दहेज को पाप बताते हुए उस पर करीब आधे घंटे तक भाषण दे देते है और लोगों से दहेज के लिए लडकियों की बली नहीं चढाने का संकल्प करवाते है। काश भाषण देने वाले राजनेता और संकल्प लेने वाले लोग दहेज से नफरत करे तो इस भारत की तकदीर ही बदल सकती है लेकिन वस्तुत: ऐसा नहीं हो रहा है। राजनेताओं की कथनी और करनी में फर्क का एक उदाहरण झारखण्ड में देखने को मिलता है जहां झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री भानुप्रताप शाही पर एक करोड़ रुपये दहेज मांगने का आरोप लगा है। यह आरोप उनकी पहली मंगेतर ने लगाई है। मंत्री ने दो साल में शादी के लिए मन बदल लिया। सगाई किसी और से की और शादी किसी और से।जिस लड़की से सगाई हुई उसका आरोप है कि मंत्री ने दहेज में मोटी रकम मांगी और मांग पूरी नहीं होने पर सगाई तोड़कर दूसरी जगह शादी कर ली। दरअसल बीते साल 2 फरवरी को रीवा के राजपरिवार की शिप्रा सिंह के साथ मंत्री जी की सगाई हुई, लेकिन इसी शुक्रवार को रांची में उन्होंने किसी और से ब्याह रचा लिया। आशीर्वाद देने वालों में मुख्यमंत्री शिबू सोरेन सहित रांची की कई जानी-मानी हस्तियां शामिल हैं।शिप्रा और उनके परिवार वालों का आरोप है कि मंत्री जी ने एक करोड़ का दहेज मांगा, नहीं मिला तो कहीं और 'सौदा' कर लिया। शिप्रा के पिता अब अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं।मंत्री की सफाई कुछ और है। मंत्री का कहना है, आप इसे लव मैरिज समझें या अरेंज, मुझे शादी की जल्दी थी, इसलिए शादी कर ली।

आठवे बरस भी नहीं मिल सका विश्व सुंदरी का खिताब

लगातार आठवें वष भी भी भारत की कोई सुंदरी विश्व सुंदरी का खिताब नहीं पा सकी। केरल की पार्वती से इस बार लोगों को अपेक्षा थी कि वह इस बार भारत को यह खिताब जरूरी दिला देगी लेकिन जैसे ही परिणाम की घोषणा हुई तो पार्वती ही नहीं भारतीयों के अरमानों पर पानी फिर गया। केरल की कोंट्टायम निवासी 21 वर्षीय पार्वती दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि रूसी सुंदरी सेन्या सुखिनोवा ने पहला स्थान हासिल कर मिस व‌र्ल्ड 2008 का खिताब अपने नाम कर लिया।
प्रतियोगिता का आयोजन करने वाली मिस व‌र्ल्ड कमेटी की प्रमुख जूलिया मोरली की इस उद्घोषणा के साथ कि, 'मिस व‌र्ल्ड-2008 रूसी सुंदरी है', सेन्या की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खुशी के मारे उनकी आंखें छलछला आई। मुंबई के मीठीबाई कालेज की छात्रा पार्वती को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। उन्होंने आगे बढ़कर रूसी सुंदरी को बधाई दी। तीसरे स्थान पर त्रिनिदाद व टोबैगो की गैब्रियल वाल्काट रहीं।
गत विजेता चीन की झांग जी लिन ने सेन्या को मिस व‌र्ल्ड ताज पहनाया। प्रतियोगिता का टाप माडल अवार्ड भी 21 वर्षीय सेन्या के खाते में गया। स्विमसूट राउंड में वह तीसरे स्थान पर रहीं। इस सवाल पर कि उन्हें मिस व‌र्ल्ड ताज क्यों मिलना चाहिए? सेन्या ने कहा, 'मेरा मानना है कि मैं लोगों की मदद कर सकती हूं और मैं लोगों की मदद करना चाहती हूं। यदि मुझे यह खिताब मिला तो मैं ऐसा जरूर करूंगी।' दक्षिण अफ्रीका में छठी बार आयोजित हुई इस प्रतियोगिता में दुनिया भर की 109 सुंदरियों ने हिस्सा लिया। दक्षिण अफ्रीकी प्रतियोगी टेनसी कोएत्जी अंतिम पांच में पहुंचने में कामयाब रहीं। प्रतियोगिता का 187 देशों में सीधा प्रसारण किया गया।
उल्लेखनीय है कि अब तक भारत की पांच सुंदरियां मिस व‌र्ल्ड बनी हैं। रीता फारिया [1966], ऐश्वर्या राय [1994], डायना हेडन [1997], युक्ता मुखी [1999] और प्रियंका चोपड़ा [2000] में यह खिताब पाने में कामयाब रही थीं।

Friday, December 12, 2008

प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट से बेकार अफसरों पर गिरेगी गाज, अवसर भी किए कम

प्रशासनिक आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट की सिफारिशों को अगर मान लिया जाता है तो जहां सिविल सेवा में सभी वर्गो के लिए अवसरों की संख्या में कमी हो जाएगी वहीं 20 बरस पूर्ण करने के बाद अयोग्य हो गए अफसरों पर भी तलवार लटक सकती है। प्रशासनिक सुधार आयोग ने ब्यूरोक्रैसी को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए सुझाव दिया है कि 20 सालों की सर्विस के बाद अगर सरकारी सेवक अयोग्‍य पाए जाते हैं, तो उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाए एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग ने सरकारी सेवकों के सेवा नियमों में कुछ अभूतपूर्व और दूरगामी असर वाले बदलावों की सिफारिश की है रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 सालों की सर्विस के बाद की जाने वाली समीक्षा मुख्यत: सेवकों को अपने मजबूत और कमजोर पक्षों से अवगत कराने के मकसद से होगी. वहीं, 20 सालों की सेवा के बाद की जाने समीक्षा का मकसद यह तय करना होगा कि सरकारी सेवक आगे सेवा में रहने योग्य है अथवा नहीं दूसरी समीक्षा में अयोग्य रहने वाले सरकारी नौकर सर्विस से हटा दिए जाएंगे दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में ये सुझाव दिए हैं. आयोग की यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई आयोग ने यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में सामान्‍य श्रेणी के उम्मीदवारों को चार के बजाय तीन बार ही परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का सुझाव रखा है आयोग ने ओबीसी तबके के प्रत्याशियों को सात के बजाय पांच बार और एससी/एसटी प्रत्याशियों को छह बार परीक्षा में बैठने देने की सिफारिश की है. एससी/एसटी प्रत्याशी अभी जितनी बार चाहें, यह परीक्षा दे सकते हैं. आयोग ने प्रत्याशियों की अधिकतम उम्र सीमा भी घटाने को कहा है. सामान्‍य श्रेणी के छात्रों के लिए अधिकतम उम्र 30 की बजाय 25 वर्ष, ओबीसी के लिए 33 से घटाकर 28 वर्ष और एससी/एसटी के लिए 35 से घटाकर 29 वर्ष करने का सुझाव है

50 किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला ने दिया आतंकवाद को मुंहतोड जवाब

अनेक जानीमानी हस्तियों समेत करीब 60 हजार लोगों ने मुंबई हमले के विरोध में 50 किलोमीटर लम्बी मानव श्रंखला बनाई। वरिष्ठ नागरिकों, कार्यालय जाने वाले लोगों तथा यूनीफार्म पहने छात्र-छात्राओं के हुजूम ने थर्रा देने वाले हमलों के बाद सामान्य होते जनजीवन को आधार दे रही मुंबई की सड़कों पर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर हमलों से सबसे ज्यादा प्रभावित ताज होटल, आ॓बेराय-ट्राइडेंट होटल तथा नरीमन हाउस के पास श्रंखला बनाई। श्रंखला का निर्माण तीन अलग-अलग मार्गों पर तीन भागों में किया गया। पहला मार्ग हमलों में निशाना बने तीनों होटलों के पास से था। दूसरा मार्ग नरीमन प्वाइंट से मीरा रोड तक था। तीसरी मानव श्रंखला करीब 30 किलोमीटर लंबी थी जो छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सहित मध्य मुंबई के अनेक स्थानों से गुजरी। मानव श्रंखला में सहभागी लोगों ने आतंकवाद के विरोध में नारेबाजी की। वे ‘हम सब एक हैं’, ‘भारत माता की जय’ तथा ‘नो मोर वायलेंस’ के नारे लिखी तख्तियां लिये थे। इस दौरान हमलों को रोकने में नाकामी के लिए राजनेता भी निशाने पर रहे। इस मौके पर जावेद अख्तर ने कहा आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, वे केवल आतंकवादी हैं। उन्होंने कहा हम देश के दुश्मनों के खिलाफ हैं, चाहे वे मुस्लिम हों या हिंदू।इस मानव श्रंखला में महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, गीतकार जावेद अख्तर, अभिनेता राहुल बोस और पूर्व मेयर शांति पटेल ने भी हिस्सा लिया। गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ता जतिन देसाई ने कहा हमने अपने शहर में बहुत नफरत और खून-खराबा देखा है। अब हम अपने शहर को आतंकवाद और जंग, हिंसा तथा नफरत की बात करने वालों के हाथों में नहीं जाने देंगे।

Thursday, December 11, 2008

राजनेताओं के वक्तव्य से समाज में पैदा होती है खाई : कलाम

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए़पी़ज़े अब्दुल कलाम ने कहा चुनाव प्रचार के दौरान राजनेताओं द्वारा ऐसे वक्तव्य दिए जाते हैं, जिनसे समाज के विभिन्न घटकों के बीच खाई पैदा होती है। यह विषय भले ही चुनाव आयोग का हो मगर ऐसे प्रकरण न्यायालय तक भी पहुंचते हैं। ऐसे में जरूरी है कि नेताओं की राजनीतिक जवाबदेही पर भी बहस हो। उन्होंने कहा है कि आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहल की जरूरत है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को आगे आना चाहिए। ‘नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी’ में बुधवार शाम आयोजित न्यायमूर्ति शचींद्र द्विवेदी मेमोरियल व्याख्यान माला में कलाम ने कहा, “दुनिया के लिए आतंकवाद एक बड़ा खतरा है। इससे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहल हो। वर्तमान दौर नवीनतम तकनीकों के विस्तार का है। यदि सतर्क नहीं रहा गया तो आने वाले समय में साइबर युद्ध तक हो सकते हैं। अत: हमें तैयार रहना होगा”। उन्होंने कहा कि रोजाना विकसित हो रही साइबर दुनिया से संबंधित ‘साइबर लॉ’ (साइबर कानून) पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इस मौके पर कलाम ने कानून की शिक्षा हासिल कर रहे विद्यार्थियों के सवालों के भी जवाब दिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि राजनीति में भी पढ़े लिखे और बुद्धिजीवी लोग आएंगे। हालांकि वे स्वयं राजनीति में आने के इच्छुक नहीं हैं।

भारत पाकिस्तान में युद्ध की कोई संभावना नहीं : अमेरिका

अमेरिका ने कहा है कि मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद हालांकि भारत या पाकिस्तान में से किसी भी पक्ष ने युद्ध की बात नहीं की है लेकिन स्थिति काफी खतरनाक हो गई है और पाकिस्तान को कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। राइस ने कहा, 'भारत को मेरा यह भी संदेश था कि ऐसी कोई भी चीज नहीं हो जो स्थिति को बदतर बनाए अथवा नहीं चाहते हुए भी ऐसी स्थिति पैदा हो जो उस क्षेत्र की स्थिरता के लिए अच्छा नहीं हो
विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने कहा, 'मैंने किसी भी (भारत या पाकिस्तान) सरकार से युद्ध की बात नहीं सुनी है। संयोग से हम 2001-02 की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं जब दोनों देश युद्ध के मुहाने तक पहुंच गए थे। दोनों देशों ने अपने रिश्ते सुधारने के लिए काफी काम किए है।'उन्होंने कहा, 'स्पष्ट रूप से अमेरिका का भारत एवं पाकिस्तान से 2001-02 की तुलना में संबंध बेहतर हुए हैं लेकिन स्थिति अभी खतरनाक है और पाकिस्तान को ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है।'अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने कहा कि आतंकी हमले के बाद भारत के उनके दौरे का मकसद भारत के लोगों, वहां की सरकार एवं खासकर मुंबई के लोगों के साथ एकजुटता एवं समर्थन के प्रति कड़ा संदेश देना था। यह एक दु:साहसिक हमला एवं एक घृणित अपराध था।पाकिस्तानी दौरे के बारे में राइस ने कहा, 'मैं फिर पाकिस्तान गई वहां की लोकतांत्रिक सरकार का ध्यान दिलाने और मैं सोचती हूं कि वह सरकार आतंकवाद को लेकर सही कदम उठाना चाहती है।' कोंडोलीजा राइस ने कहा, 'यह कार्रवाई करने का समय है। वास्तविकता यह है कि सरकार से इतर संगठनों द्वारा पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल इस तरह के हमले के लिए किया गया जिसमें अमेरिका के नागरिक भी मारे जाते हैं यह अमेरिका के लिए चिंता का विषय है।'विदेश मंत्री से पूछा गया कि उन्होंने भारत से आतंकवाद से मुकाबले के लिए समुचित कदम के बारे में क्या कहा। उन्होंने कहा, 'मैंने उसने वह कदम उठाने के बारे में कहा जिससे कुछ लक्ष्य हासिल हो सके। ये लक्ष्य हैं सूत्रधारों को न्याय के कटघरे में लाना और आइंदा हमले रोकना।'

मन में मतभेद भले ही आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होंगे सांसद

मुंबई पर आतंकवादी हमले से चिंतित लोकसभा सदस्यों ने आज दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आतंकवाद के विरुद्ध लडाई में एकजुट होने तथा इस मामले में सरकार का पूरा साथ देने का संकल्प जताया मुंबई में हुयी आतंकवादी हमले को लेकर सदन में हुयी विशेष चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के सदस्य आतंकवाद से निपटने के मामले पर एकजुट दिखे उनका कहना था कि धर्म. जाति और राजनीति से ऊपर उठकर इस समस्या से निपटने की जरुरत है सदस्यों ने सरकार से सुरक्षा व्यवस्था तथा गुप्तचर संस्थाओं को चुस्त दुरस्त करने तथा आतंकवाद से निपटने के लिये कडे कानूनी प्रतिबंध करने का सुझाव दिया सदन ने आज प्रश्नकाल स्थगित कर मुंबई हमले पर विशेष चर्चा की चर्चा से पहले गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने इस घटना तथा आतंकवाद से निपटने के बारे में सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई का ब्योरा दिया विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने चर्चा की शुरुआत करते हुये कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों में मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन युद्ध के मामले में हम सभी एकजुट हैं उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लडने में भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का पूरा साथ देगा

Wednesday, December 10, 2008

सावधान भारत में घूम रहे 20 और आतंवादी : मुम्बई पुलिस

आतंकवादियों में शामिल थे जिन्हें आत्मघाती दस्ते में भर्ती किया गया था। मुम्बई पुलिस के उपायुक्त देवेन भारती ने एक विदेशी अखबार की वेबसाइट को बताया कि इस बात की संभावना से इंकार करने का कोई कारण नहीं है कि बाकी बचे 20 आतंकवादी भारत में ही हैं। भारती ने कहा है, ये बीस मरने के लिए तैयार हैं। यह सबसे अधिक चिंता की बात है। उन्होंने बताया कि इन सभी को बहुत गहन प्रशिक्षण दिया गया है जिसमें समुद्री लड़ाई की ट्रेनिंग भी शामिल है। भारती ने बताया कि यह जानकारी हमले के दौरान जीवित पकड़े गए आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब से पूछताछ में मिली है। कसाब और उसके नौ साथियों को तीन महीने तक एक घर में रखा गया था और इसके बाद उन्हें दो-दो की टीम में बांट दिया गया था। इनमें से प्रत्येक टीम को मुम्बई में ही अलग-अलग लक्ष्य दिए गए थे। उनसे कहा गया था कि वे इस जानकारी को आपस में भी नहीं बांटेंगे। भारती ने बताया कि कसाब ने पूछताछ में बताया है कि उसने उन 20 आतंकवादियों से एक बार अलग होने के बाद उन्हें फिर से नहीं देखा और न ही उसे पता है कि वे कहां हैं। हमलों की जांच से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमलावरों को अंधाधुंध गोलीबारी कर अधिक से अधिक लोगों को मारने के आदेश दिए गए थे। कसाब ने पुलिस को यह भी बताया है कि आतंकवादियों से कहा गया था कि वे या तो लोगों को मार गिराएं या बंधक बना लें। उनसे मिशन के बाद किसी अज्ञात स्थान पर जाने के लिए कहा गया था। पुलिस को यह भी बताया गया कि ये सभी अपने आपको फिदायीन कहते थे पुलिस के अनुसार इनमें से प्रत्येक आतंकवादी के पास 10 से भी अधिक हथगोले, 2 मैग्जीन के साथ 9-एमएम की एक पिस्तौल, 7 मैग्जीन के साथ एक-एक एके-47 राइफल और 100 से 150 कारतूस थे।

कुम्भलगढ़ शास्त्रीय नृत्य महोत्सव 21 से

राजस्थान राज्य के राजसमन्द में स्थित कुम्भलगढ दुर्ग परिसर में जिला प्रशासन एवं राजस्थान पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे कुम्भलगढ शास्त्रीय नृत्य महोत्सव को आकर्षक एवं भव्य बनाने के साथ ही पर्यटको की सुविधाओं में बढ़ौतरी कर महोत्सव का सफल एवं सुव्यवस्थित संचालन किया जाएगा।जिला कलक्टर जैन ने बताया कि इस बार कुम्भलगढ शास्त्रीय नृत्य महोत्सव में जिला मुख्यालय राजसमन्द से 35 सीटर 2 बसों की व्यवस्था की जाए जो मुख्यालय से सांय 5 बजे रवाना होगी जिसमें प्रति पर्यटक 2 सौ रूपये में कुम्भलगढ समारोह के भ्रमण के साथ ही सांय के खाने की व्यवस्था होगी तथा रात्रि को 11 बजे वापस राजसमन्द लाकर पर्यटको को छोडेगी। इसके लिए पहले आओ-पहले पाओं के आधार पर बसों में सीटों का आरक्षण किया जाएगा। इस व्यवस्था को कुम्भलगढ हरिटेज सोसायटी के माध्यम से सम्पादित करने के निर्देश दिए।महोत्सव के तहत सांय 5 से 7 बजे तक पार्किग में आने वाले वाहनों से पार्किग शुल्क एवं 15 दिसम्बर से कुम्भलगढ हरिटेज सोसायटी द्वारा दुर्ग की रोशनी देखने वाले पर्यटको से पार्किग शुल्क लिए जाने के पूर्व के निर्णय की पालना न होने पर नाराजगी जताई।जिला कलक्टर ने बताया कि नृत्य महोत्सव का शुभारंभ 21 दिसम्बर को प्रातः 10 बजे कुम्भलगढ दुर्ग परिसर में किया जाएगा। जिसके तहत दुर्ग परिसर में विभिन्न स्थलों पर राजस्थान के ख्यातनाम लोक कलाकारों द्वारा आकर्षक नृत्यों एवं गीतों की प्रस्तुती दी जाएगी एवं पर्यटको की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होगी, जिसमें मेहन्दी मांडना, साफा बांधना आदि प्रतियोगिताएंं होगी तथा सांयकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में देश की प्रसिद्ध प्रीती पटेल द्वारा मणीपुरी नृत्य की प्रस्तुती दी जाएगी।जैन ने बताया कि 22 दिसम्बर को सांय पदमभूषण विजेता राजा राधा रेड्डी द्वारा कुचिपूड़ी तथा 23 दिसम्बर की सांय मोहनन् श्रीदेवी द्वारा मोहिनी अट्टम नृत्य की भव्य प्रस्तुती दी जाएगी।इस अवसर पर सहायक निदेशक पर्यटन उदयपुर सुमिता सरोच एवं पर्यटन अधिकारी विकास पण्डया ने महोत्सव के तहत की जा रही तैयारियों से जिला कलक्टर को अवगत कराया।पेम्पलेट का विमोचन ः जिला कलक्टर नवीन जैन ने 21 से 23 दिसम्बर तक आयोजित किए जा रहे कुम्भलगढ शास्त्रीय नृत्य से संबंधित प्रकाशित किए गए पम्पलेट एवं पोस्टर का विमोचन बुधवार को उनके कक्ष में आयोजित कुम्भलगढ शास्त्रीय नृत्य महोत्सव की बैठक के दौरान किया।

Tuesday, December 9, 2008

मुम्बई पुलिस ने जारी की आतंवादियों की फोटो

मुंबई में चार जगहों पर आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले और बाद में सुरक्षा बलों की गोलियों से ढेर हुए सभी नौ आतंकियों की पहचान का खुलासा पुलिस ने कर दिया। ये सभी पाकिस्तान के थे। मुंबई पुलिस ने आतंकवादी की तस्वीरें जारी कर दी हैं।पुलिस को इन नौ आतंकवादियों के नाम के बारे में जिंदा पकडे़ गए आतंकी अजमल से हुई पूछताछ से पता चला है। इसे 26 नवंबर को हुए आतंकी हमलों के बाद पकड़ा गया था।पुलिस ने बताया कि आतंकवादियों के पास भारतीय कॉलेजों के फर्जी पहचान पत्र थे और इन्हीं के जरिये पुलिस को उनके फोटोग्राफ हासिल हुए। हालांकि उनमें से कई के शव इतनी बुरी तरह विक्षत हो गए कि उनकी पहचान नहीं की जा सकती।पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) राकेश मारिया ने बताया कि अधिकतर फोटोग्राफ फर्जी कॉलेज पहचान पत्र से मिले हैं, जो आतंकियों के पास से बरामद किए गए। तीन आतंकियों के मामले में पुलिस ने शवों के फोटोग्राफ जारी किए हैं, क्योंकि उनके पास से जो पहचान पत्र मिले उनके फोटोग्राफ या तो खून में भीग गए या सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में क्षतिग्रस्त हो गए।एक आतंकी की फोटोग्राफ को इसलिए जारी नहीं किया जा सका, क्योंकि उसका शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया है। यह आतंकवादी ताज होटल में एनएसजी कमांडो द्वारा मारा गया। अजमल ने उसकी पहचान नजीर उर्फ अबु उमेर के रूप में की है।मारिया के अनुसार गिरफ्तार आतंकी ने बताया कि छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और कामा अस्पताल पर हमला करने वाले दो व्यक्तियों की पहचान डेरा इस्माइल खान के इस्माइल खान उर्फ अबु इस्माइल और ओकारा के अजमल अमीर इमान उर्फ अबु मुजाहिद के रूप में की गई है।उन्होंने कहा कि ताज होटल पर हमला करने वालों की पहचान मुल्तान के हफीज अरशद उर्फ बड़ा अब्दुल रहमान, ओकारा के जावेद उर्फ अबु अली, सियालकोट के शोहेब उर्फ सोहेब और फैसलाबाद के नजीर उर्फ अबु उमर के रूप में की गई है।मारिया ने कहा कि फैसलाबाद के नासिर उर्फ अबु उमर और मुल्तान के बाबर इमरान उर्फ अबु आकाश ने कोलाबा क्षेत्र स्थित यहूदी समुदाय केंद्र नरीमन हाउस पर हमला किया था।

पाकिस्तान नहीं सौपेंगा पकडे गए आतंकवादियों को

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा मुंबई में हुए हमले के बाद पाकिस्तान ने कई ठिकानों पर छापे मारकर कुछ लोगों को पकड़ा है ये गिरफ़्तारियाँ पाकिस्तान अपने स्तर पर जाँच के लिए कर रहा है पकड़े गए लोगों में लश्कर ए तैयबा से जुड़े लोग भी शामिल हैं उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरी हुआ तो वे पाकिस्तान की स्थिति के बारे में स्पष्टिकरण देने भारत जाएँगे. मुल्तान में पत्रकारों से बात करते हुए क़ुरैशी ने कहा, "मुंबई हमलों की जाँच में भारत पाकिस्तान के साथ पूरा सहयोग करेगा लेकिन इस हमले से जुडे किसी भी पाकिस्तानी नागरिक का मुकदमा पाकिस्तानी अदालत में ही चलेगा." चरमपंथी हमले के सिलसिले में उसने अपने जिन नागरिकों को गिरफ़्तार किया है, उन्हें भारत को नहीं सौंपा जाएगा पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन लश्करे तैयबा के एक कैंप पर धावा बोला था मुंबई में चरमपंथी हमलों के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में ये क़दम उठाया है वाशिंगटन पोस्ट ने ख़बर दी थी कि अमरीका और भारत ने पाकिस्तान को लश्कर पर कार्रवाई के लिए 48 घंटे की समयसीमा दी है मुंबई में कई जगह 26 नवंबर की देर शाम चरमपंथी हमले हुए थे. इन हमलों में 180 से अधिक लोग मारे गए थे और लगभग ढाई सौ लोग घायल हुए थे. चरमपंथियों के ख़िलाफ़ करीब 59 घंटों तक कमांडो कार्रवाई चली थी अमरीका ने पाकिस्तान द्वारा चरमपंथी ठिकानों पर छापे मारने के क़दम की सराहना की है

Monday, December 8, 2008

कंधार विमान अपहरण काण्ड का मुख्य आरोपी अजहर मसूद पाकिस्तान में नजरबंद

पाक सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अज़हर को बहावलपुर के उसके घर में नजरबंद कर दिया है। पाकिस्तानी अखबार 'द न्यूज़' ने यह दावा किया है, हालांकि पाक सरकार ने अभी इसकी तस्दीक नहीं की है। गौरतलब है कि अजहर कंधार विमान अपहरण कांड का मुख्य आरोपी है। उसे यात्रियों के बदले छोड़ दिया गया था।
अमेरिका पर हुए हमले के बाद भी अजहर को नजरबंद कर दिया गया था। बाद में लाहौर हाई कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया था। गौरतलब है कि मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और अमेरिका सहित दुनिया भर के देशों का पाकिस्तान पर वहां पनाह पाए आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का भारी दबाव है।
इसी के चलते पाकिस्तान आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैबा के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर हुआ। मुंबई टेरर अटैक के पीछे लश्कर का हाथ होने के ठोस सबूत मिले थे। पाकिस्तानी आर्मी ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में लश्कर और इसके फ्रंट ऑर्गनाइजेशन जमात-उद-दावा के खिलाफ गुप्त कार्रवाई करते हुए इसके कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

मुम्बई में आतंकवाद मामले में पांच आतंकवादी अब भी फरार

मुम्बई पर आतंकवादी हमलों में शामिल आतंकवादियों में से पांच अभी भी फरार हैं। सनसनी फैलाने वाली यह जानकारी दैनिक अखबार ‘द न्यूज’ ने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के हवाले से है। अखबार की खबर के अनुसार जिस ट्रालर में आतंकवादी कराची से मुम्बई आए थे, उससे मिले सबूतों के आधार पर कहा जा सकता है कि बहुत संभव है कि इस ट्रालर पर और आतंकवादी भी सवार थे।अखबार की खबर में मुम्बई पुलिस के उस दावे को गलत बताया गया है जिसमें कहा गया है कि हमले में 10 आतंकवादी शामिल थे जिनमें से नौ को मार गिराया गया है, जबकि एक पुलिस के कब्जे में है। यह भी कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी मुम्बई हमलों की साजिश रचने के लिए पिछले तीन महीने से कराची में था। लश्कर के एक करीबी पाकिस्तानी आतंकवादी के हवाले से कहा है कि आतंकवादी मुम्बई हमलों के दौरान पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के साथ मोबाइल फोन के जरिए संपर्क बनाए हुए थे। ट्रालर में मिले आतंकवादियों के सेटेलाइट फोन से काफी प्रमाण मिले हैं। फोन में मुम्बई हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर आतंकवादी यूसुफ मुजम्मिल, जकी रहमान और कई अन्य आतंकवादियों के मोबाइल नंबर भी हैं। ट्रालर में मिले फोन में मौजूद नंबरों से उन मोबाइल फोनों पर बात की गई है जो मुम्बई के ताज और ओबेरॉय होटलों में मिले हैं।

सुरक्षा के प्रति दलित है आशंकित कैसे लेंगे सरकारी योजनाओं का लाभ?

राजसमन्द जिले में अनुजा के तहत दर्ज 112 मामलों में 53 झूठे
दलित वर्ग के उत्थान के लिए सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं का संचालन और उनसे काफी लोगों के लाभान्वित होने आंकडे प्रस्तुत कर हालांकि वाहवाही काफी बटोरी है लेकिन वास्तविक तौर पर इन योजनाओं का लाभ मिल रहा है इसमें संशय है। इसकी मुख्य वजह गांवों में रहने वाले दलित वर्ग सामंतवादियों के शोषण का शिकार होना। जब तक दलित वर्ग शोषण और अत्याचार से अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के प्रति आशान्वित ही नहीं है तो कैसे माना जाए कि वह सरकार की योजनाओं का लाभ ले रहा होगा।
शोषण एवं अत्याचार के शिकार दलित वर्ग द्वारा जब कभी आवाज उठाई भी जाती है तो उसे या तो दबा दिया जाता है या पुलिस एवं प्रशासन की साठगांठ से उसे पूर्णतया झूठा साबित कर उसे सदा के लिए लालफीतों में बांध दिया जाता है जिससे शोषित पीड़ित वर्ग अपनी पीड़ा पर आंसू बहाने से यादा कुछ नहीं कर सकता है।
राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा संयोजक सोहन लाल भाटी ने हाल ही में सूचना का अधिकार के तहत राजस्थान राय के राजसमन्द जिला पुलिस से पिछले तीन वर्षो के दौरान अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत दर्ज मामले और उनकी स्थिति के बारे में जो आंकडे प्राप्त किए वह काफी चौंकाने वाले है।
विगत तीन वर्षो में राजसमन्द जिले में इस अधिनियम के तहत 112 मामले दर्ज हुए जिनमें से 39 मामलों में पुलिस ने जांच कर चालान प्रस्तुत किया जबकि 53 मामले जांच के उपरांत झूठे पाए गए। वहीं 20 मामलों में अनुसंधान जारी, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने तथा तथ्यात्मक भूल से सम्बन्धित रहे।
राजसमन्द जिले के 12 थानों के अनुसार यह आंकडे देखे जाए तो राजनगर थाने में इन तीन वर्षो में 20 मामले दर्ज हुए जिनमें से आठ में चालान और 11 झूठे, आमेट थाने में छह मामलों में से चार में चालान व एक झूठा, चारभुजा थाने में तीन में से एक में चालान, दो झूठे, केलवाड़ा थाने में दर्ज छह मामलों में सभी झूठे, कुंवारिया में चार मामलों में से दो में चालान, एक झूठा, नाथद्वारा में 15 मामलों में चार में चालान, नौ झूठे, रेलमगरा में 27 मामलों में मात्र दस में चालान, नौ झूठे, खमनोर में नौ में से एक में चालान पांच झूठे, देवगढ में आठ में से दो में चालान चार झूठे, दिवेर थाना एक मात्र ऐसा थाना रहा जहां दर्ज दो मामलों की जांच के उपरांत अदालत में चालान पेश हुआ। देलवाड़ा थाने में तीन में से एक में चालान, दो में अनुसंधान शेष, भीम थाने में आठ में से तीन में चालान, चार झूठे और केलवा थाने में दर्ज एक मामले का अनुसंधान जारी है। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय दलित मानवाधिकारी अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी का कहना है कि दलित वर्ग जब कभी शोषण और अत्याचार से पीड़ित होता है तो वह सीधे थाने में शिकायत दर्ज करवाता है लेकिन वहां पुलिस उसे झूठी सांत्वना देते हुए निर्धारित अधिनियम में मामला दर्ज करने की बजाय छोटी-छोटी धाराओं में मामला दर्ज कर देती है। भाटी के अनुसार थानों में मामले दर्ज नहीं होने के पीछे राजनीतिक और प्रशासनिक हथकण्डे भी जिम्मेदार है। भाटी के अनुसार राजनेता भी क्षेत्र में साख जमाने के लिए वहीं प्रशासनिक अधिकारी क्षेत्र में शांति व्यवस्था बिगड़ने के भय से अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने में हिचकते है। वहीं मामला दर्ज होने के बाद उसकी जांच सामान्य तौर पर की जाती है। ऐसे में पीड़ित वर्ग को न्याय नहीं मिल पाता है और सदा वह अपनी सुरक्षा के प्रति आशंकित रहता है।

Sunday, December 7, 2008

चांद पर जाना चाहते है तो योग करना सिखिए

चाँद पर जाने वाले भारत के पहले आदमी को योग की गहन शिक्षा दी जाएगी। योग क्रिया में पारंगत एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) के लिए शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति से निपटना बेहद आसान हो जाएगा।पिछले हफ्ते बेंगलुरु में एयरोमेडिसन की तीन दिवसीय बैठक में चाँद पर भेजने के लिए चुने गए पायलटों में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित करने के तरीकों पर विचार किया गया। इसमें योग की बड़ी भूमिका होने वाली है। चाँद पर पहुँचने पर आदमी के लिए पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। शून्य गुरुत्वाकर्षण की वजह से स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएँ भी पैदा होने का जोखिम रहता है। 2015 तक चाँद पर मानव सहित यान भेजने के लिए एयरफोर्स के 200 पायलटों की सूची बनाई गई है। गहन ट्रेनिंग के बाद इनमें से चाँद पर जाने के लिए अंततः चार पायलटों का चुनाव किया जाएगा।एयरोस्पेस मेडिसन के डॉक्टरों की तीन दिवसीय बैठक में इन पायलटों को पूरी तरह से स्वस्थ रखने एवं उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित करने के तरीकों पर विचार हुआ। इसके लिए होलिस्टिक विधि को अपनाने पर जोर दिया गया। इस विधि में योग और एक्यूपंक्चर का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।होलिस्टिक विधि के विशेषज्ञों ने सलाह दी कि पायलटों को एलोपैथी मेडिसन से जहाँ तक संभव हो दूर रखना चाहिए। एलोपैथी दवा के सेवन से नई परिस्थिति के अनुरूप क्रिया करने की क्षमता सुस्त पड़ जाएगी। सेना व एविएशन (उड्डयन) क्षेत्र के डॉक्टरों की संस्था इंडियन सोसायटी सम्मेलन में चंद्रायन वन प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राधाकृष्णन ने चाँद पर मानव को भेजने की योजना का विस्तृत खुलासा किया। इसमें एयरफोर्स स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक पी. मधुसूदन ने भी भाग लिया।होलिस्टिक विधि पर पेपर पेश करने के लिए एयरफोर्स स्वास्थ्य सेवा में 13 साल काम कर चुके अपोलो के एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ डॉ. रवींद्र तुली को बुलाया गया था। उन्होंने एयरफोर्स के तमाम पायलटों के इलाज में होलिस्टिक विधि के प्रयोग पर जोर दिया।

गोविंद बन गया गोविंदा

एक माह पहले तक राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के राजसमन्द से मोरचणा मार्ग पर मैले-कुचैले कपड़ों में अर्ध्द विक्षिप्त अवस्था में घूमने वाला गोविंद अब अपने आप को फिल्मी हीरो गोविंदा से कम नहीं समझ रहा है। और समझे भी क्यों नहीं। वह भी बदले हुलिए और नए परिधान में अब दो पैसे की जुगत में मजदूरी जो करने लगा है। गोविंद यह समझ गया है कि जीने की जीजिविषा में करम कर जिदंगी बनानी जरूरी है तभी पहचान साबित होगी।
गोविंद के बदले हुलिए और मजदूरी करते हुए देखने से उसकी विधवा मां मोहनी बाई और भाई मोहन की आंखे खुशी के मारे नम हो जाती है और बार-बार उनके मुंह से गोविंद को नया रूप देने वाले रेडक्रोस के मानद सचिव राजकुमार दक, सजन मार्बल के सेठजी किशोर सिंह मेड़तिया, मंत्री मार्बल के ओमप्रकाश मंत्री तथा रमेश चोरडिया और देवेन्द्र सिंघवी एवं साथी मजदूरों के लिए दुआएं ही निकलती है।
करीब एक माह पूर्व राजसमन्द-मोरचणा मार्ग पर अर्ध्द विक्षिप्त अवस्था और मैले-कुचैले कपड़ों में घूम रहे ग्राम पंचायत पसूंद निवासी गोविंद पुत्र प्रेमदास वैष्णव पर रेडक्रोस के मानद सचिव राजकुमार दक की नजर पड़ी और उन्होंने निरंतर उस निगाह रखते हुए जानकारी एकत्र कर उसे इस नारकिय जीवन की बजाय आम इंसान बनाने की जिम्मेदारी ली। राजकुमार दक को जानकारी हुई कि गोविंद की मां मोहनी बाई सजन मार्बल में मजदूरी करती है जबकि एक भाई हाथ ठेला चलाता है। राजकुमार दक ने जब इन दोनों से सम्पर्क किया तो उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर बताते हुए गोविंद का इलाज करवाने में असहाय बताया। यहां तक कि गोविंद के भाई मोहन ने तंगहाली के कारण गोविंद की सेवाश्रुषा में समय तक देने में असमर्थता जाहिर की।
राजकुमार दक ने हाथ ठेला चलाने वाले मोहन को एक माह तक ठेला चलाने से होने वाली आमदनी एक मुश्त देते हुए मोहन को गोविंद की सेवाश्रुषा के लिए राजी कर लिया। वहीं सजन मार्बल के किशोर सिंह मेड़तिया को भी गोविंद को उसकी मां मोहनी के साथ फैक्ट्री परिसर में रखने की इजाजत दे दी। गोविंद के इलाज के लिए राजकुमार दक ने डॉ. एच.सी. सोनी से गोविंद का तीन बार परामर्श किया जबकि नियमित जांच करवाया गया। राजकुमार दक के अनुसार शुरूआती दौर में गोविंद को दवा देने में काफी परेशानी हुई इस पर उसे चाय के साथ दवा दी गई लेकिन उसके बाद वह खुद ही दवा लेने लगा। इस दौरान गोविंद के बालों की कटिंग करवा, नियमित शेविंग और स्नान करवाने से उसका हुलिया बदल गया। राजकुमार दक बताते है कि गोविंद को नशे की आदत थी लेकिन फैक्ट्री परिसर में सभी की निगरानी और मानवीय व्यवहार होने से न केवल उसके नशे की आदत छूट गई बल्कि वह अपनी जिंदगी के बारे में सकारात्मक भी सोचने लगा।

पहली कमाई से चमकी आंखे : पूर्णतया सामान्य हो चुके गोविंद ने गत पांच दिसम्बर को पहली बार मजदूरी के तौर पर हाथ ठेला चलाया तो उसे चालीस रुपए मिले। अपनी कमाई के रुपए देख कर गोविंद की आंखों में चमक आ गई जबकि उसकी मां मोहनी व भाई मोहन गोविंद की कमाई को देख उसके बारे में सपने संजोने लगे है।
गोविंद ने किया मतदान : विधानसभा चुनाव के तहत गत चार दिसम्बर को गोविंद का भाई मोहन जब मतदान के लिए गया तो उसे ज्ञात हुआ कि उसका नाम को मतदाता सूची में नहीं है जबकि गोविंद का नाम है। गोविंद के पास फोटो पहचान पत्र नहीं होने से मतदान करने से हिचक रहा था। इसी बीच राजकुमार दक को इसकी जानकारी होने पर वह गोविंद को लेकर निर्धारित बूथ पर पहुंचे और पीठासीन अधिकारी के समक्ष पहचान के अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर गोविंद से मतदान करवाया।

आईएसआई के पूर्व अधिकारियों ने रची साजिश

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार रह चुके मैक्कैन ने लाहौर में वरिष्ठ पत्रकारों के साथ आयोजित एक अनौपचारिक भेंट में कहा कि मुंबई हमलों की साजिश रचने और उसको अमली जामा पहनाने में आईएसआई के पूर्व अधिकारियों की भूमिका के पर्याप्त सबूत हैं और पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर अब भी चल रहे हैं। जॉन मैक्कैन ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि मुंबई हमलों की तैयारी और क्रियान्वयन में आईएसआई के पूर्व अधिकारियों की भूमिका के पर्याप्त सबूत हैं और अगर उनके खिलाफ फौरन कार्रवाई नहीं की गई तो भारत उसके कुछ चुनिंदा लक्ष्यों पर हमले कर सकता है।इस बैठक में शिरकत करने के बाद अंग्रेजी पाकिस्तानी टाइम्स वरिष्ठ संपादक हैदर के अनुसार अमेरिकी सीनेटर ने कहा कि उनके हिसाब से अगर पाकिस्तान ने मुंबई हमलों से जुड़े तत्वों के बारे में पेश किए गए साक्ष्य पर कार्रवाई नहीं की तो महज कुछ दिनों का मामला होगा जब भारत हवाई हमला करेगा।

Saturday, December 6, 2008

प्रेस की आजादी में हस्तक्षेप

लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान एग्जिट पोल के प्रकाशन-प्रसारण पर रोक के सरकारी फैसले की 'द एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया' ने आलोचना की है। संपादकों की इस संस्था ने इस संबंध में कैबिनेट के हालिया फैसले को प्रेस की आजादी में सीधा हस्तक्षेप करार दिया है।
गिल्ड का कहना है कि जनता को सूचना मुहैया कराना मीडिया का अहम फर्ज है और चुनाव पूर्व सर्वेक्षण का प्रकाशन-प्रसारण भी इसी का एक हिस्सा है। इसमें नेताओं के भाषण, पार्टियों के घोषणापत्र, नीतियां, विचार विश्लेषण, ट्रेंड आदि विस्तार से कवर किए जाते हैं। इस तरह की विविध जानकारियों के आधार पर जनता को अपना मन बनाने में काफी मदद मिलती है।
गिल्ड के मुताबिक चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण के प्रसारण-प्रकाशन पर रोक से मतदाताओं को सूचना पाने के उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। गिल्ड ने सरकार के इस मत को सिरे से खारिज कर दिया कि चुनाव के दौरान एग्जिट पोल दिखाने या छापने से चुनावी प्रक्रिया पर गलत असर पड़ेगा। गिल्ड ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह एग्जिट पोल के प्रकाशन-प्रसारण को रोकने के लिए चुनाव कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर अमल नहीं करे।

आतंकवादी से ज्यादा खतरनाक है मीडिया

मीडिया आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि आतंकवादी जहां व्यक्ति की सोच पर हमला कर उसकी हत्या कर डालते हैं वहीं मीडिया व्यक्ति की सोच पर हमला कर उसकी अंतरात्मा को ही खत्म कर देता है। यह मानना है निर्माता-निर्देशक रामगोपाल वर्मा का ।वर्मा के अनुसार अगर निहत्थे लोगों पर हमला करने वालों को आतंकवादी कहा जाता है तो विभिन्न स्तरों पर मीडिया भी तो अपने हल्के और कपटपूर्ण तरीके से यही काम करता है। वर्मा ने यह नाराजगी टीवी पर दिखाए गए उन फुटेज तथा उसके बाद शुरू हुई आलोचना के संदर्भ में जाहिर की है, जिनमें वर्मा महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख तथा उनके पुत्र एवं अभिनेता रितेश देशमुख के साथ आतंकवादी हमले का शिकार हुए ताज होटल में नजर आ रहे थे।
मीडिया हमें यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि केवल वह ही जनता के हितों का ध्यान रखता है भले ही वह यह काम खासतौर से इसी आशय से नहीं करता हो, लेकिन उसके हावभाव ऐसे ही होते हैं और इसी वजह से लोग उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं। यह अंधा अंधे को राह दिखाये का एक नायाब नमूना है। इसका परिणाम बहुत बार हास्यास्पद भी होता है।वह कहते हैं कि मुझे हैरत होती है कि जब देश आतंकवाद की ऐसी त्रासदी से जूझ रहा था तब एक फिल्म निर्माता की किसी स्थान पर उपस्थिति जैसी बेतुकी बात को प्रसारित करने में मीडिया इतना वक्त बर्बाद कर सकता है।समझ में नहीं आता कि जब इतना कुछ चल रहा है तब यह बात किसी को और कैसे प्रभावित कर सकती है। वर्मा ने लिखा है कि टीवी चैनलों को वह फुटेज मुहैया कराए गए थे, जिन्हें विलासराव की टीम ने शूट किया था। इन दृश्यों को चैनलों पर बार-बार दिखाया गया और सवाल किया गया कि मैं वहां क्यों गया। विलासराव मुझे क्यों साथ ले गए, जो कुछ हमने ताज में देखा वह सब टीवी पर पहले भी कई बार दिखाया जा चुका था।अगर मुझे उस पर फिल्म बनानी होती तो क्या मैं देखे हुए घटनाक्रम को देखने जाता। कुछ चैनलों ने यहां तक कह दिया कि हमने वहां कुछ छेड़छाड़ की। अगर सचमुच ऐसा था तो सुरक्षा अधिकारी हमें रोक सकते थे।वर्मा के अनुसार विलासराव से मेरा कोई औपचारिक परिचय भी नहीं है। रितेश को सिर्फ इतनी जानकारी थी कि ताज के जिन हिस्सों की जांच हो चुकी है उन्हें ही हम देख सकते हैं। उनके अनुसार जब हम ताज पहुंचे तो वहां पुलिस अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों और होटल के कर्मचारियों सहित 60 से 70 लोग थे। इस भीड़ में मुझे नहीं लगता कि विलासराव का ध्यान मुझ पर गया होगा। मैं उस जगह को देख रहा था जहां सर्वाधिक भयावह घटना हुई थी। ऐसा कौन होगा जिसे उस स्थान को देखने की उत्सुकता नहीं होगी। वर्मा सवाल करते हैं कि उनके ताज जाने से क्या प्रभावित हो सकता था। अगर उनके कारण सुरक्षा नियमों का उल्लंघन होता या उनकी वजह से कोई समस्या होती तो उन्हें सुरक्षा अधिकारी रोक सकते थे। अधिकारियों ने उन्हें इसलिए नहीं रोका क्योंकि उन लोगों को वह हिस्से दिखाए गए जहां जांच हो चुकी थी। इन हिस्सों के फुटेज टीवी पर कई बार दिखाई जा चुकी थी।

खुफिया तंत्र को सशक्त बनाने की आवश्यकता : चिदांबरम

देश के गृह मंत्री पी चिदांबरम ने यह स्‍वीकार किया है कि मुंबई के प्रमुख होटलों, नरीमन हाउस और सीएसटी पर हुए हमलों की जिम्‍मेदार कुछ हद तक सुरक्षा और खुफिया विभाग की खामियां भी हैं। चिदम्बरम आज मुम्बई में पत्रकारों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि इन हमलों के बाद हमारे खुफिया तंत्र और सुरक्षा व्‍यवस्‍था में व्‍यापक सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है। महाराष्‍ट्र पुलिस मुख्‍यालय में एक संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए चिदांबरम ने कहा कि हमारे सुरक्षा तंत्र की ही असफलता है। इतनी बड़ी घटना के बाद हम अपने खुफिया तंत्र को पूरी तरह पुखता नहीं कह सकते। चिदांबरम ने पूरे मुंबई से इन आतंकी हमलों के लिए माफी मांगते हुए कहा कि वो उन्‍हें पुखता सुरक्षा इंतजामों का भरोसा दिलाया। मुंबई हमले में पाकिस्‍तान का हाथ होने की बात पर चिदांबरम ने कहा कि हम हर पुखता सबूत इकठ्ठा कर रहे हैं। हालांकि उन्‍होंने भी पाकिस्‍तानी आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा का हाथ होने की बात कही है।

ट्रक नहीं आता तो बघेरा बना लेता उन्हें शिकार

राजसमन्द जिले के केलवाडा मार्ग पर सापोल के निकट गुरूवार रात एक बघेरे ने मोटरसाइकिल पर हमला कर दो जनों को घायल कर दिया। मार्ग पर पीछे ही ट्रक आने से बघेरा भाग निकला। केलवाडा निवासी वीरेन्द्रसिंह सोलंकी व प्रहलाद राजसमंद से रात सवा ग्यारह बजे केलवाडा लौट रहे थे। सापोल के समीप आते ही झाडियों में शिकार के इंतजार में बैठे बघेरे ने सामने से हमला कर दिया। हमले से दोनों सडक किनारे जा गिरे। बघेरा दूसरा वार करने ही वाला था कि पीछे से ट्रक के हैडलाइट की रोशनी गिरने से भाग खडा हुआ। वीरेन्द्रसिंह के सिर व मुंह पर घाव लगे जबकि प्रहलाद को मामूली चोटे आई। दोनों का केलवाडा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार कराया गया। वीरेन्द्र ने बताया कि मार्ग विकट होने से मोटरसाइकिल की रफ्तार धीमी थी।

Wednesday, December 3, 2008

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. जोशी के क्षेत्र में सात भाजपाइयो पर जानलेवा हमला

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के खमनोर थाना क्षेत्र के नेडच गांव में बुधवार रात को पोलिंग पर्ची बांटने के मुद्दे पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला कर दिया। हमले में करीब सात भाजपाई गंभीर रूप से घायल हुए है। हमलावरों में गुर्जर महासभा के प्रदेश स्तरीय नेता तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शामिल होना बताया गया है। उल्लेखनीय है कि नेड़च गांव नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां से कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी चुनाव लड़ रहे है। पुलिस के अनुसार बुधवार देर रात नेड़च गांव के स्कूल तिराहे पर भाजपा कार्यकर्ता दाड़मी निवासी विधानचंद पुत्र बसंतीलाल श्रीमाली अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ पोलिंग पर्ची बांट रहा था तभी वहां तीन-चार गाड़ियों में गुर्जर महासभा के प्रदेश स्तर के नेता देवकीनंदन गुर्जर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पुरूषोत्तम माली, रामचंद्र श्रीमाली, योगेश श्रीमाली, लक्ष्मण सिंह, अनिल कुमार, भंवर लाल गुर्जर, भंवर सिंह, बबलू सहित 40-50 लोग आए और वाहनों से नीचे उतर कर लटठ, स्टिक और धारियों से भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। हमले में भाजपा कार्यकर्ता गोवर्ध्दन सिंह, शंभू सिंह, भीमराज, नारायण सिंह, नरेन्द्र सिंह, लाल सिंह व एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना मिलने पर पुलिस दल मौके पर पहुंचा और गंभीर रूप से तीन घायलों को उदयपुर चिकित्सालय के लिए भर्ती करवाया गया जहां उनकी हालत में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। विधानचंद्र श्रीमाली की रिपोर्ट पर इधर सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की ओर से भी भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज करवाया जा रहा है।

कांग्रेस ने फिर साबित कर दिया लोकतंत्र पर हावी है नोट तंत्र

राजस्थान राज्य के राजसमन्द विधानसभा क्षेत्र के खाखलिया खेड़ा गांव में प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस ने मतदान दिवस की पूर्व संध्या पर ग्रामीणों को वोट के लिए नोट बांट कर यह साबित कर दिया कि वर्तमान में लोकतंत्र पर हावी है नोट तंत्र।
खाखलिया खेड़ा भील बस्ती में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा वोट के लिये नोट बांटने की जानकारी मिलने पर कुवारियां पुलिस ने र्स्कोपियो गाड़ी व उसमें काफी मात्रा में नोट जब्त किये है।कुंवारिया थानान्तर्गत खाखलिया खेड़ा भील बस्ती में भाजपा कार्यकर्ता प्रचार कर रहे थे। इस दौरान राजनगर की तरफ से एक र्स्कोपियो गाड़ी आई जिसमें 4-5 कांगेस कार्यकर्ता सवार थे। भाजपा कार्यकर्ता कुंवारिया निवासी मुकेश शर्मा को गाड़ी में सवार लोगों के पास रूपये देख संदेह हुआ। इस पर वे गाड़ी के पास गये । दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी इसकी भनक लग गई थी जिस पर वे भी सावचेत हो गये। कुछ देर बाद दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं में वोट के लिये नोट बांटने की बात को लेकर जोरदार गहमा-गहमी हो गई। इसकी सूचना पर कुवारियां थानाधिकारी गोपाल चन्देल भी घटनास्थल पहुंच गये। पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली जिसमें काफी मात्रा में रूपये पाये गये। पुलिस ने गाड़ी व नोट जब्त कर अग्रिम जांच शुरू कर दी।इस मामले में भाजपा कार्यकर्ता मुकेश शर्मा ने कांग्रेस के सलीम खान, शफी मोहम्मद सहित 4-5 जनों के खिलाफ बस्ती में वोट के लिये नोट बांटने का आरोप लगाते हुये मुकदमा दर्ज कराया।राजसमंद डिप्टी मनीष त्रिपाठी ने बताया कि गाड़ी को जब्त कर लिया गया है। इस मामले की जांच की जा रही है तथा नोट कितने है उनकी गिनती जारी है।


कई वरिष्ठ नेताओं के लबोलुआब पर यह बात निकलती है कि राजनीति गंदी है इसमें जाने वाला दल-दल में फंसता जाता है और इससे पल्ला झाड़ना ही ठीक रहता है लेकिन यह कितना सही है? राजनीति गंदी नहीं है बल्कि इसे गंदा बनाया गया है। राजनीति को लक्ष्य बनाया गया मात्र सत्ता प्राप्त करने को। कुर्सी के लिए नेता किसी का भी अहित कर सकते है या भुजबल और बाहुबल से युक्त लोगों की मक्खन पॉलीस करते नजर आएंगे। ऐसे में सबसे यादा अहित होता है उस मतदाता का जिसने कितनी उम्मीद से उस व्यक्ति को चुना जो उसे एक विकासशील अर्थव्यवस्था, शांतिपूर्ण माहौल दे सके। यहां चाणक्य की राजनीति की बात करना भी जरूरी समझता हूं जिसने चंद्रगुप्त को नंद वंश के उन्नमूलन के लिए इसलिए तैयार किया था ताकि जनता को एक अत्याचारी और दुष्ट शासक से छुटकारा मिल सके और जनता को सुरक्षा व स्वाभिमानपूर्ण जिंदगी बसर करने में कोई परेशानी नहीं हो। जनता वह घटना अब तक नहीं भूली जब संसद में उदयपुर संभाग के सांसद महावीर भगोरा सहित तीन सांसदों ने संसद में नोटों से भरे बैग रखे। बकौल महावीर भगोरा और अन्य सांसद कांग्रेस ने संसद में विश्वास मत हासिल करने के लिए उन्हें नोट दिए। यदि राजनीतिज्ञों ने अपना यही दागनुमा चेहरा बार-बार मतदाताओं के सामने किया तो क्या मतदाता उन्हें माफ करेंगे। मुम्बई में हुई आतंकवादी घटना के बाद से जनता यह समझ चुकी है कि नेता सिर्फ सत्ता के लिए लड रहे है आतंकवाद और देश के अन्य गंभीर मुद्दों से उन्हें कोई लेना देना नहीं है।

Sunday, November 30, 2008

बडे साब और उनकी बेटी ने खुशी दी गरीब अनाथ बच्चों को

यह तो खबर थी कि जिले के बड़े साब आज उनके स्टे हॉम में आने वाले थे लेकिन यह सपने में भी नहीं सोचा था कि बड़े साब उनके साथ काफी देर तक बात करेंगे और उनके साथ आई गुड़िया उनके लिए ढेर सारे ईनाम लेकर आएंगी।सर्व शिक्षा अभियान के विकास खण्ड राजसमन्द की ओर से राजनगर में झुग्गी झोंपडी में रहने वाले व कचरा बिनने वाले बच्चांð के लिए चलाए जा रहे स्टे होम में रहने वाले अधिकांश बच्चों के होंठो पर यही बात थी। जिला कलक्टर नवीन जैन स्टे हॉम में अपनी पत्नी श्रीमती सुनीता जैन, पुत्री आकांक्षा के साथ पहुंचे। जिला कलक्टर जैन ने वहां बालकों से करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की। नवीन जैन ने बच्चांð से जीवन में व्यवहारिकता व शिक्षा का परस्पर संबंध बताते हुए बच्चांð को जीवन में ईमानदार सच्चा व मेहनती होने की बात कहीं। जैन ने बच्चांð को शिक्षा के प्रति जागरूक होने व शारीरिक साफ-सफाई के प्रति ध्यान रखने के लिए कहा। जिला कलक्टर जैन की पुत्री आकांक्षा का जन्मदिन होने से उन्होने स्टे होम के सभी बच्चों के लिए नए कपड़े, स्कूल डेसे व पानी की केम्पर वितरित की। जैन ने बच्चों को जन्मदिन का मतलब भी समझाया। इस अवसर पर जिला परियोजना समन्वयक शंकर लाल सनाढय, खण्ड संदर्भ केन्द्र प्रभारी महेन्द्र सिंह झाला, संदर्भ व्यक्ति रूपेश पालीवाल भी मौजूद थे।व्यावहारिक ज्ञान देवे : जिला कलक्टर नवीन जैन ने विद्यालय के स्टाफ से अध्यापन के दौरान बच्चांð में व्यवहारिक ज्ञान देने की बात पर जोर दिया ताकि ये बच्चे अपने साथ-साथ अपने घर वालें का भी ध्यान रख सके। उन्होने विद्यालय भवन का अवलोकन किया। बच्चांð के बैठने की जगह, खाना बनाने वाली जगह, पढाई का कमरा व स्टेशनरी का अवलोकन किया। उन्होने स्टाफ को निर्देशित किया कि हर माह के एक गुरूवार को यहां केन्द्र पर नाई बुलाकर इनके बाल कटवाए जावें व इन्हें साफ-सफाई से रहना सिखाया जाए।पुलिस बनने वाले के साथ मैं हूं : जिला कलक्टर नवीन जैन ने स्टे होम के बच्चों से बातचीत के दौरान पूछा कि कौन-कौन पुलिस बनना चाहता है तो मौजूद बच्चों में से दस ने हाथ खड़े किए। उन्होने चुटकी लेते हुए कहा कि जो बच्चे पुलिस बनना चाहते है मेरी तरफ से उन्हें पूरा सहयोग दूंगा।

लालन ने द्वारकाधीश के साथ अरोगा छप्पन भोग

राजस्थान के कांकरोली शहर में तृतीय पीठ के ठाकुरजी द्वारकाधीशजी के सन्मुख छप्पन भोग अरोगने के लिये शनिवार को नवनीत प्रियाजी (लालन) एवं द्वितीय पीठ के युगल स्वरूप विट्ठलनाथजी लाव लश्कर के साथ कांकरोली पधारे।शनिवार को प्रात: करीब सवा ग्यारह बजे नवनीत प्रियाजी व विट्ठलनाथजी के स्वरूप को सुखपाल में विराजित कर पुष्पों से सुसज्जित वाहन में पधराया गया। इस दौरान तिलकायत राकेशजी महाराज, सुपुत्र विशाल बावा, द्वितीय पीठाधीश्वर कल्याण रायजी, देवकीनन्दनजी, पंचम पीठाधीश्वर विक्की बावा (कामवन), मतमत रायजी (मुम्बई) समैत अन्य गुसाई बालक परम्परागत वेशभूषा धारण कर ठाकुरजी की शोभायात्रा में चल रहे थे।श्रीनाथ बैण्ड की मधुर धुन व गोविन्द पल्टन के सशत्र जवानों के बीच चल रही शोभायात्रा में ब्रजवासी सेवाकर्मी, वैष्णव श्रृद्धालु गिरिराजधरण की जयघोष करते हुए हर्षोल्लास के साथ चल रहे थे।शोभायात्रा में श्रीनाथजी मंदिर के मुखिया नरहरि ठाकर, लालन के मुखिया नारायण बापू सांचिहर, कृष्णभण्डार के अधिकारी सुधाकर शात्री, सत्यनारायण गुर्जर, राधे गुर्जर, फतेहलाल गुर्जर, एस.एल. नागदा, प्रबन्धक दिनेश जोशी, जगदीश मडा, राधा रमण गुर्जर, ब्रजवासी सेवक संघ के अध्यक्ष दादू पहलवान, कीर्तनीया गली के पोलिया निरन्जन गुर्जर, मांगीलाल गुर्जर, मधुकान्त सनाढ्य, ललित वैरागी सहित सैंकड़ों वैष्णव शामिल रहे।ठाकुरजी का लवाजमा लाव लश्कर के साथ कांकरोली स्थित जलचक्की चौराहा पहुंचा जहां से शोभायात्रा के रूप में विट्ठल विलास बाग पहुंचा जहां नवनीत प्रियाजी व विट्ठलनाथजी ने द्वारकाधीश प्रभु के संग छप्पन भोग आरोगा। इस बीच कृष्णभण्डार के अधिकारी सुधाकर शात्री ने बताया कि दोनों स्वरूपों को छप्पन भोग अरोगाने के पश्चात पुन: नाथद्वारा लाया गया।

Saturday, November 29, 2008

लोक लुभावन घोषणाएं क्या देगी राजस्थान को

चार दिसम्बर को राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने है। प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सहित निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को लुभाने में जुटे है। राजनीतिक पार्टियाें ने मतदाताओं को लुभाने के लिए हाल ही में अपने चुनाव घोषणा पत्र भी जारी किए है। जिनमें एक राजनीतिक पार्टी ने कर्मचारियों को सभी परिलाभ देने और प्रसूता को पांच किलो घी तक देने का आश्वासन दे डाला। वहीं दूसरी पार्टी राय और क्षेत्र के विकास के लिए हर संभल पहल करने की घोषणा कर रहे है। सवाल यह उठता है कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया उसका वास्तविक साझेदार जनता है या उसके कार्यकर्ता। क्योंकि चुनाव के बाद जब राजनीतिक पार्टी सत्ता संभालती है तो चुनाव से पहले जारी किया गया उनका घोषणा पत्र समय के साथ-साथ जनता के लिए एक नेता का कागजी वादा ही साबित होकर रह जाता है। प्राय: यह भी देखा जाता है कि राजनीतिक पार्टियां वृहद स्तर पर जनता को आकर्षित करने के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर देती है लेकिन उनमें किए गए वादे कभी पूरे नहीं हो पाते। मसलन पिछले चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने गांव-गांव में स्वास्थ्य केन्द्र और स्कूल खोलने के तो बडे वादे किए लेकिन क्या अभी तक सभी गांवों में स्कूल और स्वास्थ्य केन्द्र खुल गए? यदि खुल गए तो स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक और स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्साकर्मी है? स्वाभाविक तौर पर इन प्रश्नों पर राजनीतिक पार्टियों के बडे नेता भी जवाबदेते नहीं बनते।
पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान का नाम विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त है। भारत आने वाले दस विदेशी पर्यटकों में से आठ राजस्थान की प्राचीन संस्कृति और धरोहर को देखने जरूर आते है। विदेशी लोगों के यहां आने से सत्ता में रहने वाली सरकार को वित्तीय दृष्टि से फायदा तो बहुत हुआ लेकिन कभी सरकार ने राजस्थान की प्राचीन धरोहर को संवारने और जर्जर होती पुरा सम्पदा को संजोने में कोई रूचि नहीं दिखाई। यहां तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे घोषणा पत्र में स्थान देना भी जरूरी नहीं समझा। यही हाल राजस्थानी भाषा का है। राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति ने चुनाव की घोषणा से पूर्व राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से अपने घोषणा पत्र में राजस्थानी भाषा की मान्यता के सम्बन्ध में घोषणा करवाने का आग्रह किया, अपनी चुनाव प्रचार सामग्री भी राजस्थानी भाषा में प्रकाशित करवाने का आग्रह किया लेकिन अफसोस किसी पार्टी ने इस और ध्यान नहीं दिया।

लम्बी बीमारी से निजात मिली श्रीलाल को

राजस्थान राय के राजसमन्द जिले की आमेट तहसील के गांव लावासरदारगढ निवासी मांगीलाल खटीक एवं श्रीमती बसन्ती के परिवार में शनिवार का दिन नई रोशनी लेकर आया जब उनके तेरह वर्षीय एकलोते पुत्र श्रीलाल खटीक का ऑपरेशन राजसमन्द जिला कलक्टर नवीन जैन और भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के मानद सचिव राजकुमार दक के प्रयासों से हो गया।
आठवीं कक्षा मे अध्ययनरत श्रीलाल लम्बे समय से फेफड़े की बीमारी हाइडेटिड सिस्ट से ग्रसित था। मजदूरी से पेट भरने वाला परिवार आर्थिक बोझ तले जैसे तैसे स्थानीय चिकित्सको से इलाज करवा रहा था लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। पिछले दिनाें परिजनाें ने राजकुमार दक से सम्पर्क करने पर उन्होने कमला नेहरू चिकित्सालय के डॉ भूपेश परतानी एवं आरके चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ललित पुरोहित से चिकित्सा परामर्श लिया। सोनोग्राफी करने पर मालूम चला कि बालक के दाएं फेफडे में पानी भरा पड़ा है एवं सिकुड़ गया है जिसका इलाज ऑपरेशन से ही सम्भव है एवं वह उदयपुर(राजस्थान) हो सकता था।
ऐसी स्थिति में दक ने उन्हें महाराणा भूपाल चिकित्सालय के ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ विनय नैथानी के पास भिजवाया जिन्होनें एक घंटे के अथक परिश्रम से उसके फेफडे के पास बनी पानी की थेली को शल्य चिकित्सा कर बाहर निकाली एवं फेफडे को सामान्य तरह से कार्य करने योग्य फुलाया। दक ने बताया कि इस ऑपरेशन में डॉ नैथानी ने पूर्ण मानवीयता का परिचय दिया एवं तुरन्त ऑपरेशन कर हर सम्भव सहयोग प्रदान किया।
डॉ नैथानी के अनुसार बालक को समय पर इलाज मिल जाने से उसकी जान बच गई अन्यथा ऐसे प्रकरण में थेली फटने पर टोक्सीन शरीर में फैल जाता है जिससे रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।

Wednesday, November 26, 2008

सरहदों से पार आई संगीत की बहार

पंछी को उड़ने से, नदी को बहने तथा पवन के झोंकों को कोई सरहद नहीं रोक सकती, उसी तरह संगीत के जादू को भी कोई सरहदी दीवार नहीं रोक सकती। संगीत का जादू सात समुद्र पार से भी लोगों को अपने ओर आकर्षित कर लेता है।
संगीत का यही जादू इन दिनों नजमुल निशा को जर्मनी से उदयपुर खींच लाया। लेखिका और पेशे से पत्रकार नजमुल भारतीय क्लासिकल संगीत से बहुत प्रभावित है। उन्होंने भारतीय क्लासिकल म्युजिक के व्यापक प्रचार प्रचार के लिए बर्लिन में टैगोर इंसटिनी अकादमी भी खोल रखी है। बांगला भाषी नजमुल ने भारत में खुद को प्यारी का उपनाम दिया है। ढाका में जन्मी नजमुल निशा ने बांगलादेश की बुलबुल अकादमी से टैगोर संगीत की बारिकियां सीखी। सन 1980 में बर्लिन में बतौर रेडियो जर्नलिस्ट काम करने का सोचा और जर्मन रेडियों एण्ड टेलीविजन में एडिटर का पद संभाला। इसके बाद भी वह अपने संगीत प्रेम को नहीं छोड़ पाई। उन्होंने बांगला में कई कविताएं भी लिखी। कविताओं की क्वालिटी के दम पर पिछले वर्ष जून माह में लंदन पोयट्री फेस्टीवल तथा इससे पहले न्यूयार्क के बुक फेयर में भाग लिया। हाल ही में कोलकता में आयोजित फिल्म फेस्टीवल में बतौर विशिष्ट अतिथि शरीक हुई।
नजमूल ने उदयपुर स्थित बोस म्यूजिक एकेडमी के बारे में अपने कई जर्मन दोस्तों से सुना तो सम्पर्क किया और वह इसके संस्थापक पंडित आरके बोस से मिलने उदयपुर आई। नजमूल ने बताया कि जर्मनी में इंडियन क्लासिकल म्यूजिक तथा सितार व तबला जैसे वाद्ययंत्रों को सिखाने के लिए यादा रुचि लेते है। उनके संस्थान में भारतीयों के मुकाबले स्थानीय लोगों की संख्या यादा है। स्वतंत्र पत्रकार के रूप में न्यूयार्क और कोलकता के विभिन्न समाचार पत्रों में लिखने वाली नजमूल निशा लेखन और अनुवाद में रुचि रखती है। सन 2005 में साहित्य नोबल पुरस्कार विजेता एल्फ्रेडो जोलिनेक के उपन्यास को इन दिनों वह बांगला में अनुवादित कर रही है।

Sunday, November 23, 2008

जन्मजात नेत्रहीन अनिता को मिला नया जीवन

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिलान्तर्गत रेलमगरा तहसील के बनेडिया गांव निवासी लालू जोगी ने कभी सपने में नहीं सोचा कि उसकी दस वर्षीय नेत्रहीन पुत्री अनिता कभी इस दुनियां को देख पाएगी लेकिन उसकी खुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब उसकी जन्मजात नेत्रहीन इस बालिका का सफल ऑपरेशन सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द और भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी जिला शाखा के मानद सचिव राजकुमार दक के प्रयासा से हो गया और अब अनिता अपनी दोनो आंखो से देख पा रही है। अनिता के नाना मांगीलाल बतातें हैं कि वह जन्म से ही नहीं देख पाती थी। हमने कुछ जगह इसको बताई लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण और इलाज के लिए नहीं जा पाए न ही हमे कोई जानकारी मिली कि इस तरह का इलाज हो सकेगा। पिछले दिना जब सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द और रेडक्रॉस सोसायटी के मानद सचिव राजकुमार दक के सम्पर्क में आए तो इन्होने पूरी मदद के लिए भरोसा दिलाया।
सितम्बर माह में जिला कलक्टर नवीन जैन ने सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ऐसे बालका को चिन्हित करने के निर्देश दिए जिन्हें विशिष्ट आवश्यकता है। ऐसे में सर्व शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयक शंकर लाल सनाढय व सन्दर्भ शिक्षक प्रमेन्द्र जावडिया के मार्फत बालिका अनिता की जानकारी मिली तो उन्होने तुरन्त ही बालिका को परामर्श के लिए अलख नयन नेत्र मंदिर उदयपुर (राजस्थान) के चिकित्सक डॉ एचएस चुण्डावत के पास एम्बूलेंस से भिजवाया जहां डॉ चुण्डावत एवं डॉ एल एस झाला ने उपचार शुरू किया। फेको पध्दति से 23 अक्टूबर को एक आंख का ऑपरेशन किया गया तो परिजनो की खुशी का पारावार नहीं रहा जब पट्टी खुलने पर पहली बार उसने इस दुनियां को देखा। उसकी दूसरी आंख का ऑपरेशन 17 नवम्बर को किया गया और यह भी पूर्णत: सफल रहा। अनिता से पहले अंगुलिया की गिनती करवाई गई अब अनिता दोनो आंखो से सकुशल देख रही है। अनिता के परिजनों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए अलख नयन मंदिर के डॉ एचएस चुण्डावत ने ऑपरेशन खर्च लगभग पच्चीस हजार रुपया पूर्णत: माफ कर दिया। डॉ चुण्डावत का कहना है कि ऐसे रोगी अज्ञानतावश एवं आर्थिक तंगी से अपना समुचित इलाज नहीं करवा पाते है। यदि इसका ऑपरेशन कुछ वर्ष पूर्व हो जाता तो उसकी नजर की गुणवत्ता और अच्छी होती। अनिता को रोशनी मिलने पर पूरे परिवार व स्कूल में खुशी का माहौल है।राजकुमार दक ने बताया कि जिला कलक्टर नवीन जैन की प्रेरणा पर ऐसे और बच्चों की पहचान कर उनके समुचित इलाज की व्यवस्था की जा रही है।

Saturday, November 22, 2008

मीडिया जनमत जगा रहा है या जनमत को बरगला रहा है

विधान सभा चुनाव में एक सजग और सार्वजनिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील प्रत्याशी चयनित हो इसके लिए स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। राजस्थान के प्रमुख दैनिक राजस्थान पत्रिका ने भी जन भावना अनुरूप जागो जनमत के माध्यम से अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहा है जो वास्तव में सराहनीय कार्य है। समाचार पत्र और मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है क्योंकि वह दिन-प्रतिदिन लोकतंत्र के तीनों स्तम्भ के बारे में सही और प्रमाणिक जानकारी देकर सजग करने में भूमिका का निर्वाह करता है। यही वजह है कि समाचार पत्र में प्रतिदिन सरकार के अच्छे कार्यो को जहां तरजीह दी जाती है वही सरकार के मंत्रियों और सरकारी अधिकारी व कर्मचारी वर्ग द्वारा किए गए बुरे कार्यो की भी पोल खोल दी जाती है। विगत डेढ़ दशक में इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने भी स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से बड़े से बडे भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।
बात यहां लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ समाचार पत्र और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की ओर से निभाई जा रही प्रामाणिक भूमिका की नहीं है। यहां बात हो रही है पूर्णतया व्यावसायिक बनते जा रहे मीडिया की भूमिका के बारे में है। विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है ऐसे में मीडिया के विज्ञापन प्रतिनिधि चुनाव में खडे हुए प्रत्याशी से विज्ञापन लेते है या प्रत्याशी के विज्ञापन प्रकाशित करते है। इसमें कोई बुराई नहीं है। चूंकि यह सर्वमान्य है कि समाचार पत्र और मीडिया विज्ञापन की कमाई से अपना अधिकांश व्यय समायोजित करते है। विधानसभा चुनाव हो या नहीं हो दीपावली, होली या अन्य कोई विशेष अवसर पर समाचार पत्र विज्ञापन के परिशिष्ट निकालने की परम्परा चल पडी है जो भी बुरी बात नहीं है क्याेंकि जनता समाचारों के साथ विज्ञापन का महत्व समझने लगी है।
राजस्थान के विधानसभा चुनावों में मीडिया के कतिपय लोगों ने एक और नई परिपाटी शुरू की है। जिसका उदाहरण प्रतापगढ जिले के बड़ी सादडी विधानसभा क्षेत्र में गत दिनों एक प्रत्याशी ने पेश किया। प्रत्याशी ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया और उसमें अपने प्रचारात्मक सामग्री देते हुए प्रत्येक पत्रकार से उसे छापने का आह्वान किया। सम्मेलन में शरीक हुए पत्रकारों के मुताबिक प्रत्येक पत्रकार को उक्त प्रचार सामग्री प्रकाशन के लिए हजारों रुपए भी दिए गए। हालांकि एक बडे समाचार पत्र के प्रतिनिधि ने प्रत्याशी द्वारा दिए गए रुपए का विरोध करते हुए वापस उसी को लौटा दिए। उक्त प्रतिनिधि ने इस सम्बन्ध में अपनी समाचार डेस्क को अवगत भी कराया, जिस पर इस बडे समाचार पत्र ने पूरे राय के सभी संस्करणों के सम्पादकों को समाचार पत्र की आचार संहिता का उल्लेख करते हुए निर्देशित किया कि इस प्रकार की प्रचारात्मक सामग्री छापने से बचे। बतौर विज्ञापन भी उस प्रत्याशी को जनता का भगवान बनाने का प्रयास नहीं किया जाएं।
यहां तो बात उस समाचार पत्र की हुई जिसने मीडिया की आचार संहिता के मुताबिक ऐसे प्रचारात्मक तरीके को रोकने का प्रयास किया लेकिन बडी सादडी में घटी घटना का दूसरा दु:खद पहलु यह भी रहा कि कई समाचार पत्रों ने अपवादों को छोड़ दे तो उक्त प्रत्याशी की प्रचारात्मक सामग्री को हुबहु छाप दिया। हो सकता है कई पाठक और मीडियाकर्मी इस पर अपनी यह राय दे कि यह तो पहले भी चल रहा था इसमें नया क्या है? तो यहां मैं यह कहना चाहूंगा कि चुनाव के दौरान पहले प्रत्याशी छोटे-छोटे समाचार पत्र जिनमें से अधिकांश उनकी रहमोकरम पर चल रहे है वे ही उनकी प्रचार सामग्री को छापते थे लेकिन अब इसका रूप बदलने लगा है।
बड़ी सादडी में प्रत्याशी द्वारा की गई एक तुच्छ हरकत ने कतिपय मीडियाकर्मी को इस चुनाव में उपरी तौर पर अच्छी कमाई करने का मार्ग प्रशस्त भी कर दिया। इस घटना के बाद कतिपय मीडियाकर्मी उक्त प्रत्याशी के अलावा संभाग के विधानसभा क्षेत्रों मे खडे प्रत्याशी से मिलने-जुलने का काम शुरू कर दिया। प्रत्याशी के प्रचारात्मक एक पृष्ठ सामग्री के लिए लाखों रुपए के सौदे भी किए जा रहे है। कतिपय मीडियाकर्मी इन प्रत्याशियों से यह भी कहते नजर आते है कि विज्ञापन के तौर पर भी उनकी प्रचारात्मक सामग्री लग सकती है लेकिन इसमें जो व्यय होगा वह उसके चुनाव खर्च में जुडेग़ा और इसका नुकसान भी उसे होगा। विधानसभा चुनाव में खडे होने वाले प्रत्याशी को अधिकतम दस लाख रुपए खर्च करने की अनुमति है। स्वाभाविक तौर पर प्रत्याशी अधिकतम दस लाख रुपए से कई गुना अधिक खर्च करते है लेकिन खर्चा पेश करते वक्त दस लाख से कम के बिल और अन्य दस्तावेज पेश करते है। कतिपय मीडियाकर्मी इस कमजोरी का फायदा उठा कर अपनी स्वार्थ सिध्द कर रहे है।
मीडिया में पाठक समाचार इसलिए पढ़ते और देखते है ताकि वह अपनी राय बना सके लेकिन इस तरह किसी प्रत्याशी का डंका बजाना क्या न्यायोचित है? क्या इसके माध्यम से समाचार पत्र जनमत को जगा सकेंगे?

Friday, November 21, 2008

आर्थिक स्वतंत्रता के दौर में लूट न जाए आपके उसूल

आर्थिक प्रतिस्पध्र्दा के दौर में एक व्यक्ति की कमाई से गुजारा नहीं होने आर्थिक स्वतंत्रता की परिकल्पना को देखते हुए महिलाएं घर की दहलीज से बाहर निकल कर राजकीय नौकरियों के अलावा बड़ी कम्पनियों एवं मीडिया सहित कार्यालयों में एकाधिक महिलाएं कार्यरत मिलेगी।
समाचार पत्रों में आए दिन सहकर्मी द्वारा महिला के साथ अभद्रता करने या यौन दुराचार करने की घटनाएं छपती है। वही इलेक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा अपराध पर बनाए गए विशिष्ट कार्यक्रमों में इसे प्रमुखता देते है। हालांकि समाचार पत्र अपनी आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए अभद्रता और यौन दुराचार की शिकार हुई महिलाओं का नाम प्रकाशित नहीं करते है वही इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी पीडिता का चेहरा धुंधला कर दिखाने की परम्परा है। यहां सवाल पीडिता का चेहरा दिखाने या उसका नाम प्रकाशित करने का नहीं है अपितु आर्थिक स्वतंत्रता के नाम पर दहलीज से बाहर निकली महिलाओं को अपनी आचार संहिता और उसूलों पर कायम रहने का है। चूंकि मीडिया अपने उसूलों के तहत महिला चाहे व दोषी हो या न हो उसका नाम इसलिए नहीं उजागर करता क्योंकि एक महिला बदनाम होने के बाद उसे समाज और उस परिवेश के लोग जहां वह काम कर रही है, तुच्छ नजरों से ही देखते है।
बात जब निकली है कामकाजी महिलाओं की आचार संहिता की और उसके उसूलों की तो सबसे पहले उल्लेख करना होगा भारतीय संस्कृति में लागू परदा प्रथा की। चौंकने की जरूरत नहीं है और यहां हम यह भी नहीं कह रहे कि महिलाएं लम्बा सा घूंघट डालकर अपने कार्यस्थल पर जाएं बल्कि भारतीय संस्कृति में पुरातनवादी लोगों ने परदा प्रथा इसलिए शुरू की थी कि महिलाएं घर में रहे या बाहर निकले उसे अपनी मर्यादा की जानकारी रहे लेकिन शनै-शनै इस प्रथा ने विकृत रूप ले लिया और लोग घर की महिलाओं को लम्बे-लम्बे घूंघट निकालने पर मजबूर कर दिया। वर्तमान में घूंघट निकालना एक गैर वाजिब परम्परा माना जाता है और स्वाभाविक भी है कि कामकाजी महिलाएं यदि घूंघट निकाल कर बैठेगी तो वह काम क्या करेगी?
दूसरा उसूल हो अपनी बात और कमजोरी अपने तक सीमित रखने की क्षमता। प्राय: यह देखा जाता है कि महिलाएं अपने घर-परिवार में होने वाली अच्छी-बुरी बातों को अपने सहकर्मियों को साथ शेयर करती है। बातों को कहने के दौरान कई बार वह अपनी कमजोरी भी उजागर कर देती है इससे पुरूष सहकर्मी महिला की कमजोरी का फायदा उठाने का प्रयास करता है। तीसरा उसूल हो भारतीय संस्कृति अनुरूप कपडे पहने जाए। यहां लोग प्रश्न यह भी कर सकते है कि क्या साड़ी और सलवार पहनने वाली महिलाओं के साथ अभद्रता नहीं होती? आमतौर पर इन प्रश्नों का जवाब हां में हो सकता है लेकिन यह भी देखना होगा कि साडी और सलवार पहनने वाली महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता उन युवतियों के मुकाबले कम होती है जो स्कर्ट और फैशनेबल कपडे पहनती है। हाल ही में दिल्ली की एक स्वयंसेवी संस्था ने दिल्ली और नोएडा परिक्षेत्र में किए सर्वे में इसका बात का उल्लेख किया है कि सड़कों और बाजारों में अभद्रता की शिकार अधिकांश वह युवतियां होती जिन्होंने पाश्चात्य संस्कृति के अनुरूप कम कपडे पहन रखे है। सर्वे के अनुसार कम कपड़ों की वजह से मनचले युवतियों से सटने या उन पर फिकरे कसते है।

Thursday, November 20, 2008

कही तबाह न हो जाए लाइव इन रिलेशनशिप से

भारतीय संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिए सजग भारतीयों द्वारा काफी प्रयास किए ले जा रहे है मगर कही न कही इन प्रयासों को पाश्चात्य संस्कृति का लबादा ओढे बैठे लोग आहत करने पर तुले हुए है। यही वजह है कि अब बिना शादी किए साथ रहने का नया नियम इन लोगों ने प्रचारित करना शुरू कर दिया है। वहीं लाइव इन रिलेशनशिप को मान्यता प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने भी पहल की है। बिना शादी किए साथ रहने की यह अवधारणा पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने वाले लोगों को रास आ सकता है और इसकी उनकी अपनी वजह हो सकती है। बिना विवाह किए ही पत्नी का दर्जा और महिला को पत्नी के अधिकार प्रदान करना अदालत की नजर में भी उचित नहीं है। इसकी पहली वजह जब कभी इन लिव इन रिलेशनशिप के माध्यम से साथ रहने वाले जोडों को झगड़े की वजह से अलग रहने की नौबत आई तब कानूनी तौर पर इनके विवादों का निपटारा किसी भी कानून के तहत नहीं किया जा सकता। अधिकांशत: ऐसे साथ रहने वाले शिक्षित और कार्मिक वर्ग के होते है। कार्मिक वर्ग के होने के फलस्वरूप कई बार उनका स्थानांतरण भी होता है ऐसे में यह जरूरी नहीं कि साथ रहने वालों का एक साथ स्थानांतरण हो। वैधानिक पति-पत्नी को अधिकार है कि वह अपने साथी के स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर सकते है। इसके अलावा साथ रहने वालों के बीच कभी विवाद की स्थिति होने और अलग-अलग रहने की परिस्थिति आने पर उनकी संतान की प्रमाणिकता कैसे सिध्द की जा सकती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डीएनए परीक्षण से संतान की प्रमाणिकता संभव है लेकिन इन सबके लिए वैधानिक प्रक्रिया और अदालत की शरण तो लेनी होगी।
भारतीय धर्म शास्त्रों का अवलोकन करें तो स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि विवाह भी सामाजिक परम्परा की धार्मिक अनुपालना है। बिना विवाह के संतान को धर्मशास्त्र भी पहचान नहीं देते। भारत के धर्मशास्त्रों में यहां तक उल्लेख है कि कुछ ऋषि-मुनियों को भी विवाह के लिए तपस्या करते हुए अनुपालना करनी पड़ी है। वहीं पौराणिक मान्यता यह भी है कि बिना विवाह स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त नहीं होता है। आधुनिकता के नाम पर अंधानुकरण करने से पहले इसके व्यावहारिक और भावी परिणामों पर भी दूरदर्शिता पूर्ण विचार किया जाना चाहिए। लम्बे समय तक एक ही छत के नीचे रहना और पति-पत्नी का आचरण करना कहां तक न्याय संगत है। मानवीय प्रकृति के अनुसार एक ही व्यक्ति समय-समय पर एक से अधिक महिलाओं के साथ रहता है तो किस महिला को उसकी वास्तविक संगीनी माना जाएगा। सरकार ने कानूनी रूप से विवाह का पंजीकरण आवश्यक कर दिया है तो ऐसे साथ रहने वाले जोड़ों को सरकार मान्यता देकर उनका पंजीकरण कर सकती है?
स्वतंत्र प्रकृति की महिलाओं का यह भी मानना है कि पुरूष प्रधानता और पुरूष की निरंकुशता को समाप्त करने में लाइव इन रिलेशनशिप सहायक साबित हो सकता है और महिला को शोषण से मुक्ति मिलेगी लेकिन इस बात को कौन दावे से कह सकता है कि लाइव इन रिलेशनशिप से पुरूष की मंशा में परिवर्तन हो सकता है। जरूरत है पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे इन लोगों को भारतीय पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए विचार करने की। अन्यथा लाइव इन रिलेशनशिप से परिवार ही टूटते है।

एडस और कैंसर के बाद पग पसार रहा है सीओपीडी रोग

एडस, कैंसर के बाद अब एक और सीओपीडी फेफडों से संबंधित एक महत्वपूर्ण बीमारी पग पसारते हुए लोगों को मौत की आगोश में ले रही है। हाल ही में रविंद्रनाथ टैगौर मेडिकल कॉलेज उदयपुर की ओर से आयोजित कांफ्रेस में विभागाध्यक्ष डॉ. एसके लुहाडिया ने इस बीमारी का विष्लेशण करते हुए बताया कि इस बीमारी के दौरान श्वांस नलियों में सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे बलगम बनता है। रोगी की ष्ष्वास की नलियां सिकुड जाती है। इस रोग में व्यक्ति को श्वांस में तकलीफ रहने लगती है व खांसी और बलगम की शिकायत भी हो सकती है। यह तकलीफ सर्दी के मौसम में अधिक होती हैं। इस रोग का ईलाज नहीं लेने पर ष्ष्वास की नलियों में स्थायी सिकुडन भी हो सकती है, जिससे मरीज के लक्षण गंभीर हो जाते है और अस्पताल में भर्ती करवाना पड सकता हैं।
विष्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सीओपीडी वर्तमान में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है तथा पूर्वानुमान है कि सन् 2020 तक यह मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन सकेगा। प्रति वर्ष करीब 30 लाख लोग इस बीमारी से मौत के शिकार बन जाते है, एवं 40 वर्ष से अधिक उम्र के करीब 10 प्रतिषत लोगों में इस बीमारी के होने की संभावना होती है। एक भारतीय सर्वे के अनुसार करीब 3.5 करोड लोग इस बीमारी से ग्रसित है। उन्होने बताया कि सीओपीडी रोग का प्रमुख कारण ध्रुमपान होता है, लेकिन प्रदूषण भी इसका प्रमुख जिम्मेदार घटक है। चूल्हों से निकलने वाले धुएं, फैक्ट्री व वाहनों से निकलने वाले धुएं से भी इस रोग के होने की आषंका हो सकती है। उन्होंने बताया कि सीओपीडी का प्रारंभिक अवस्था में निदान बहुत जरूरी है। प्रारंभिक निदान एवं बीमारी की गंभीरता नापने के लिए स्पाईरोमेट्री नामक टेस्ट का उपयोग किया जाता है। इससे फेफडे की क्षमता का पता लगाया जा सकता है। इस रोग में इनहेलर द्वारा दी जाने वाली दवाइयां अधिक कारगर व सुरक्षित रहती है।

Wednesday, November 19, 2008

बृजयात्रा कर वापस आए कल्याणराय जी

श्री कल्याणरायजी प्रभु का व्रजयात्रा पूर्ण कर पधारे। इस अवसर पर श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास, श्री द्वारकाधीश मंदिर, कांकरोली ने उनका बुधवार को कांकरोली के मुखर्जी चौक पर भव्य स्वागत किया।श्री कल्याणराय प्रभु के मावली स्टेशन पर आने पर उनका गाजे बाजे एवं पुष्प वर्षा के साथ मावली वासियों एवं श्रीकृष्ण भण्डार के अधिकारी ने मय स्टाफ उनका स्वागत किया। मावली से रवाना होकर वे प्रातः 10 बजे कांकरोली मुखर्जी चौराहे पधारे, वहां पर उनका एवं षष्ठ पीठाधीश्वर गोस्वामी द्वारकेश लाल एवं गोस्वामी पराग कुमार एवं उनके परिवार का स्वागत किया। वहां से शाही लवाजमे नंगारे, निशान, श्री द्वारकेश बेण्ड, सुरक्षा प्रहरी, पलटन, पालकी एवं झुनझुनिया वालों के साथ श्री कल्याण राय प्रभु को श्री द्वारकाधीश मंदिर में पधराया गया। जहां पधारने के बाद लगभग एक घंटे बाद 12.30 बजे मंगला की झांकी के दर्शन सम्पन्न हुए।

Monday, November 17, 2008

कांकरोली के द्वारकाधीश मंदिर में ब्रजानंद महोत्सव

पुष्टिमार्गीय तृतीयपीठ प्रन्यास के कांकरोली (राजस्थान) स्थित द्वारकाधीश मंदिर में बडौदा से कल्याणराय प्रभु बुधवार को पधारेंगे। इस अवसर पर व्रजानंद महामहोत्सव शुरू होगा। जिसके तहत दो दिसम्बर तक विविध कार्यक्रम होंगे। द्वारकेश प्रभु मनोरथ समिति के अनुसार कल्याणराय प्रभु बुधवार दोपहर 1 बजे मावली से कांकरोली पधारेंगे ।शाम को शयन के दर्शन होंगे। गुरूवार को पलना पुनवारा, 21 को केसर का बंगला, केसरी घटा, 22 को झांकी, 23 को जरदोजी का बंगला, 24 को नौचोकी पाल पर शरद और छाक लीला, 25 को चांदी की बार द्वारी विवाह, 26 को आसोटिया गौशाला में गौचारण, 27 को कांच का बंगला, 28 को चांदी का बंगला, 29 को विटठल विलास बाग में छप्पन भोग लगाया जाएगा। इसी प्रकार 30 नवम्बर को राजभोग में चूंदडी की घटा, शयन में गणगौर छठा, 1 दिसम्बर को नन्द भवन में विराजेंगे और 2 दिसम्बर को प्रभु राजभोग के बाद बडौदा के लिए रवाना होंगे।

Sunday, November 16, 2008

दामोदर दीक्षित आचार्य निरंजन नाथ पुरस्कार से सम्मानित

संबोधन त्रैमासिक के सौजन्स से 10 वां आचार्य निरंजननाथ सम्मान अणुव्रत विश्व भारती के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में दामोदर दत्त दीक्षित को उनकी औपन्यासिक कृति धुआं और चीखें पर प्रदान किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार मधुसूदन पंड्या ने शाल एवं श्रीफल, मुख्य अतिथि वेद व्यास ने प्रशस्ति पत्र, राजेन्द्र मोहन भटनागर ने स्मृति चिन्ह, कर्नल देशबन्धु आचार्य ने सम्मान राशि 15 हजार रूपए दीक्षित को भेंट की। एमडी कनेरिया ने श्रीनाथ जी का मित्र एवं बीडा भेंट किया। इस अवसर पर आचार्य की ओर से प्रोत्साहन पुरस्कार से प्रकाशित शेख अब्दुल हमीद के गजल संग्रह लम्हा लम्हा जिंदगी का लोकार्पण सुप्रसिद्ध लेखक एवं विचारक वेद व्यास ने किया।समारोह के आरंभ में स्वागत समिति के अध्यक्ष मधुसूदन पंडय़ा एवं सम्मान समारोह के संयोजक कमर मेवाडी व राजस्थान साहित्यकार परिषद के सदस्यों ने माल्यार्पण एवं उपरणा ओढाकर स्वागत किया। सरस्वती वंदना गोपाल कृष्ण खण्डेलवाल एवं गजल पाठ शेख हमीद ने किया। संयोजक नरेन्द्र निर्मल ने किया। पुरस्कृत कृति धुआं और चीखें पर समालोचना करते हुए कथाकार माधव नागदा एवं कवि नरेन्द्र निर्मल ने पत्र वाचन किया। इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकार दामोदर दत्त दीक्षित ने उपन्यास अंश का पाठ किया एवं अपनी रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर कवि साहित्यकार वेद व्यास, समारोह अध्यक्ष राजेन्द्र माहन भटनागर, भगवतीलाल व्यास ने सम्बोधित करते हुए आज के साहित्य की दशा एवं दिशा पर प्रकाश डाला। सम्मान समारोह समिति के अध्यक्ष कर्नल देशबंधु आचार्य ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए भावी योजनाआंð पर प्रकाश डाला।

Saturday, November 15, 2008

विद्या के मंदिरों में सबक ही दलित वर्ग से घृणा का मिलता है

(मुकेश त्रिवेदी ) राजसमन्द। अस्पृश्यता पाप है अपराध है राजस्थान की पाठ्यपुस्तकों में विगत कई वषो से इन पंक्तियों का उल्लेख सरकार ने यह सोचकर किया कि इन पुस्तकों को पढने वाले विद्यार्थी सजग हो और वर्षो से चली आ रही छूआछुत की परम्परा समूल नष्ट करने में सहयोग दे सके। हालाकि शहरी क्षेत्रों में अब लोग समझने लगे है और दलित वर्ग के लोगों को अपना सहयोगी मानते है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में छूआछुत के हालात जस के तस बने है।
सर्व विदित है कि राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में दलित वर्ग को आज भी हेय दृष्टि से देखा जाता है और उनके हाथ से पानी पीना भी एक अपमान महसूस करने के बराबर माना जाता है। यही नहीं इन दलित वर्ग को मंदिर में दशन नहीं करने देने शादी के वक्त बिंदौली घोडे पर नहीं निकालने देने की गैर दलितों ने परम्परा कायम की वह बदस्तूर जारी है।
चिंताजनक स्थिति तब बन जाती है जब जिन विद्यालयों में बालक छुआछूत को पाप और अपराध है को सबक के रूप में पढता है वहां आज भी ग्रामीणों के दकियानुसी ख्यालात हावी है।
विद्यालयों में मिड डे मील योजना के तहत पकने वाले पोषाहार के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को प्राथमिकता देने के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद हालात इनसे परे है।

दलितों की व्यथा आंकड़ों की जुबानी
राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी द्वारा हाल ही में सूचना के अधिकार में राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के विद्यालयों में भोजन पकाने वाले महिला-पुरूर्षो की जातिवार जानकारी ली। इस सूचना में जो आंकडे आए है वह न केवल राजसमन्द जिले के दलित वर्ग की अपितु राजस्थान राज्य के ग्रामीण इलाकों में दलित वर्ग की व्यथा को साफ बयान करते है।
सूचना का अधिकार के तहत राजसमन्द जिले के 1749 विद्यालयों में भोजन पकाने वाले महिला-पुरूषों के आंकडे उपलब्ध हुए। उनमें से अनुसूचित जाति वर्ग के मात्र 21 महिला-पुरूष है जो कुल विद्यालयों में भोजन पकाने वालों का मात्र 1-37 प्रतिशत है। आंकडों के अनुसार अनुसूचित जनजाति वर्ग के मात्र 129 लोग भोजन पकाने में लगे है जिससे इनका प्रतिशत 7-37 बैठता है। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के भोजन पकाने वालों का राजसमन्द जिले के ब्लॉक वार आंकडे देखे तो आमेट ब्लॉक में कुल 156 विद्यालयों में पोषाहार पकाया जा रहा है जिनमें से एससी का कोई भी महिला-पुरूष नहीं है जबकि जनजाति वर्ग के दो लोग पोषाहार बनाने में लगे हुए है। भीम ब्लॉक के 337 विद्यालयों में एससी वर्ग के दो जने जबकि एसटी वर्ग का कोई नहीं है। देवगढ ब्लॉक के 194 विद्यालयों में एससी वर्ग के सात तथा एसटी वर्ग के दो लोग पोषाहार बनाने में लगे है। कुम्भलगढ ब्लॉक के 317 विद्यालयों में एससी वर्ग के मात्र तीन जने है जबकि एसटी वर्ग के 52 व्यक्ति लगे हुए है। खमनोर में एससी वर्ग का 1 तथा एसटी वर्ग के 38 लोग लगे है। राजसमन्द ब्लॉक के 285 विद्यालयों में एससी वर्ग के तीन और एसटी वर्ग के 26 लोग पोषाहार बना रहे है। चूंकि कुम्भलगढ खमनोर और राजसमन्द ब्लॉक में कई विद्यालय ऐसे है जहां पर एसटी वर्ग के बालक-बालिका ही पढ रहे है ऐसे में इन्हीं वर्ग का भोजन पका रहा है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं। इधर रेलमगरा ब्लॉक के 187 विद्यालयों में एससी वर्ग के पांच और एसटी वर्ग के नौ जने पोषाहार पका रहे है।
सरकार के निर्देशो का उल्लंघन मिड डे मील योजना के तहत राजस्थान सरकार द्वारा दिशा-निर्देश की पुस्तिका जारी की है जिसमें बिंदु संख्या 11 में उल्लेख किया है कि पोषाहार पकाने के लिए शिक्षकों को पूर्णतया मुक्त रखा जावे और उनके एवज में गांव के अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग बीपीएल स्वयं सहायता समूह से नियमित मानदेय के आधार पोषाहार पकाया जावे। राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी के अनुसार जिले के कई विद्यालयों में प्रशानिक आदेश के तहत शिक्षकों ने अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को पोषाहार पकाने के लिए रखा भी लेकिन ग्रामीणों के विरोध करने पर दलित वर्ग के लोगों को पोषाहार पकाने के कार्य हटाना पडा।

बच्चों का बचपन बचाने के लिए मनोवृति बदलनी होगी

मुकेश त्रिवेदी
दासता को अभिशाप जो सदिया से चला आ रहा है वह कमोबेश भारत में खत्म होते नहीं दिख रहा है। इसकी मूल वजह व्यक्ति की मनोवृति। सदियो पूर्व व्यक्ति अपनी मजबूरी और लाचारीवश दास बनते थे। उस वक्त खुद और परिवार का गुजारा चले या न चले लेकिन मालिक को खुश रखने और उसका घर भरने के लिए दास बना व्यक्ति सब कुछ न्यौछावर कर देता। वह तब हर पीड़ा और शोषण को सह लेता।
अब हालात बदले है लेकिन व्यक्ति की मनोवृति नहीं बदली। व्यक्ति दास तब मजबूरी में बनता और अब आर्थिक प्रतिस्पध्र्दा की दौड में लोगों से कही पीछे न रह जाए यह सोचकर वह सब कुछ करने को तैयार है। ऐसे हालातों में आम इंसान खुद को दासत्व की और धकेले तो कोई अचरज नहीं। मगर विगत कुछ वर्षो में ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखने को मिल रहा है कि गांव का खेती-बाडी से सम्पन्न व्यक्ति होने के बावजूद अपने बच्चों को बाल श्रम करवाने से नहीं कतराता।
हाल ही में राजस्थान राय के राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़ और उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र के गांवों का दौरा किया तो कमोबेश यही तथ्य सामने आए। यद्यपि खेती-बाड़ी से उनका और पूरे परिवार का गुजारा हो जाता है बावजूद इसके अपने बच्चों को सूरत की कपड़ा फैक्ट्री में पैसा कमाने के लिए भेज देते है।
यहा यह कहना गलत होगा कि बालश्रम के लिए सूरत जा रहे बच्चों को रोकने के लिए प्रशासन ने कोई प्रयास नहीं किए क्योंकि मुझे वर्ष 2005 का वह दिन याद आता है जब सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द के अधिकारी दिनेश श्रीमाल, सुश्री आशा वर्मा और श्याम सुंदर रामावत ने कुम्भलगढ क्षेत्र से सूरत गए बच्चों को तलाशा और उन्हें वहां से वापस यहां लाकर शिक्षा की मुख्य धारा से जोडा।
यहां मैं राजस्थान पत्रिका उदयपुर संस्करण की टीम को भी साधुवाद देना चाहूंगा जिन्होंने गत वर्ष गोगुंदा, खेरवाडा, झाडोल और कोटडा क्षेत्र से सूरत के ठेकेदारों द्वारा नाबालिग बच्चों को ले जाने की खबरों को प्रकाशित किया। इन्हीं खबरों के आधार पर उदयपुर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बालकों को न केवल ठेकेदारों के कब्जे से छुडवाया अपितु बालकों को शिक्षा से जोडने के लिए विशेष विद्यालय भी चलाए।
बालश्रम रोकने के लिए प्रशासन और समाचार पत्र ने तो अपनी सजगता दिखाई लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावक आज भी अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है। आज भी यह लोग चाहते है कि उनका बालक घर के लिए कुछ न कुछ कमाएं। वे अपने लालच को पूर्ण करने के लिए पहले खुले आम बच्चों को सूरत भेजते थे लेकिन अब प्रशासनिक दबाव के चलते चोरी-छिपे भेज रहे है। ऐसे में ग्रामीण बच्चों का बचपन कैसे बच पाएगा?

क्यों नहीं निकाल सकता दलित वर्ग घोडे पर बिंदौली

लो फिर आ गया सावों और शादियों का मौसम, फिर बजने लगी शहनाई और ढोल-धमाकों के साथ गूंजने लगे गली मोहल्ले। दूल्हे राजा घोडे पर सवार होकर निकले है लेकिन दलित मोहल्ले में शादी की खुशी के बीच मायूसी है। ढोल यहां भी बज रहे है पकवान बनने का दौर यहां भी जारी है। मेहंदी की रस्म और सभी परम्परा यहां भी चल रही है लेकिन सभी में कसक एक ही है की औरों की तरह हम क्यों घोडे पर सवार होकर बिंदौली नहीं निकाल सकते। अनुसूचित जाति वर्ग का होना क्या गुनाह है? क्या हमारे बैठने से घोडा बिदक जाएगा? या भगवान को हमारा घोडी पर बैठना पसंद नहीं? प्रश्नों की चर्चा चलेगी तो जवाब भी भांति-भांति के आएंगे लेकिन अंतिम जवाब यही रहेगा कि दलित घोडी पर बैठ कर बिंदौली नहीं निकालेगा और निकालेगा तो परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहे।
पुरानी परम्परा धीरे-धीरे खण्डित होने के बावजूद राजस्थान में दलित वर्ग की घोडे पर बैठा कर बिंदौली नहीं निकलने देने की रस्म अब गैर दलित वर्ग ने अपनी शान बना लिया है और जैसे ही किसी दलित के घर में शादी का आगाज होता है गैर दलित वर्ग पैगाम पहुंचा देते है कि बाकि सब ठीक है लेकिन बिंदौली घोडे पर नहीं निकलनी चाहिए। इन हालातों से अछूता राजसमन्द जिला भी नहीं है। इस जिले के केलवा थाना क्षेत्र के वागुंदडा गांव निवासी नेनूराम रेगर के घर में भी आगामी 30 नवम्बर को शादी है और वह धूमधाम से तैयारी में जुटा हुआ है। इसकी जानकारी मिलने पर नेनूराम को भी पैगाम आ गया कि बिंदौली घोडी पर नहीं निकलेगी। घर में खुशी का पहला अवसर हो और ऐसा पैगाम आए तो ऐसे में उसकी नींद उडनी स्वाभाविक थी लेकिन समाजसेवी और दलित वर्ग के प्रबोधक के रूप में जाने जाने वाले राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस आशय का पत्र सौंपते हुए सुरक्षा की गुहार की। पुलिस प्रशासन ने पीडित दलित वर्ग को हालांकि सुरक्षा उपलब्ध करवा दी लेकिन यक्ष प्रश्न यही कायम है कि क्यों गैर दलित वर्ग दलित वर्ग की बिंदौली नहीं निकालने देने को अपनी शान समझते है।

Thursday, November 13, 2008

नाथद्वारा मंदिर मंडल के पूर्व सीईओ को एक माह कारावास की सजा

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के नाथद्वारा मंदिर मंडल संपत्ति विवाद को लेकर चल रहे एक मामले में सिविल न्यायालय (वरिष्ठ खण्ड) ने नाथद्वारा मंदिर मंडल के पूर्व सीईओ आर. सी. गुप्ता को एक माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई है ।प्रकरण के अनुसार, मुंबई निवासी मनोहरलाल पिता द्वाराकादास सोनपार ने 2002 में मुकदमा दायर किया जिसमें विपक्षी द्वारा मंदिर के भीतर स्थित संपति में किए जा रहे परिवर्तन को रोकने तथा अस्थाई निषेधाज्ञा की प्रार्थना की गई । न्यायालय ने 203 में उक्त संपत्ति से छेड़छाड़ नहीं करने को लेकर अस्थाई निषेधाज्ञा के आदेश जारी किए थे । आदेश के बावजूद विपक्षी ने उक्त संपत्ति में परिवर्तन कर नाल निर्माण करा दिया तथा संपत्ति (हाल) में स्थित स्नानागार की दीवार तुड़वा दी ।इस प्रकरण में सिविल न्यायाधीश अनिल कौशिक ने विपक्षी (गुप्ता) को दोषी पाए जाने तथा न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर एक माह के सिविल कारावास तथा निर्वाह भत्ता व तलबाना पेश होने पर सिविल जेल की सजा सुनाई

न्याय की गुहार कर रहे परिवार को पुलिस की मिली दुत्कार

राजसमन्द अमूमन पुलिस एवं प्रशासन संवेदनशीलता से पीडितों की समस्याओं के निराकरण करने के लिए की आदेश प्रचारित करते है लेकिन उनकी कथनी का धरातल स्तर पर किस तरह का क्रियान्वयन हो रहा है उसका एक उदाहरण राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के आमेट थाना क्षेत्र के सरदारगढ कस्बे में देखने को मिलता है जहां पुश्तैनी मकान पाने के लिए थानाधिकारी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक तक गुहार लगा चुके एक परिवार को न केवल दर-दर भटकना पड रहा है अपितु विपक्षी द्वारा लगाए झूठे मुकदमे की वजह से पुलिसकर्मियों की अभद्रता का भी शिकार होना पड रहा है।सरदारगढ निवासी तथा हाल कुंवारिया में रह रहे मोइनुद्दीन ने बताया कि उसके पिता तुफैल मोहम्मद ने पहले बिसमिल्लाह से निकाह किया और उसकी मृत्यु होने के बाद श्रीमती जेबूना बानू से निकाह किया। पिता तुफैल मोहम्मद की वर्ष 2003 में मृत्यु हो गई। जिसके बाद जेबूना बानू ने पूर्व में कृषि भूमि बेच दी। इसके बाद पुश्तैनी मकान सरदारगढ निवासी रोशन लाल पुत्र गोपी लाल खटीक, भैरू सिंह पुत्र मोहन सिंह व श्याम लाल पुत्र गोपी लाल खटीक, गोटू सेन, कैलाश मेवाडा के सहयोग से सरदारगढ निवासी सोनी देवी, मोहन को पांच लाख रुपए में बेच दी। मोइनुद्दीन ने बताया कि मकान के बेचने के बाद भी जेबूना बानू उसी मकान में रही ताकि उसकी धोखाधडी की किसी को खबर नहीं हो। इसके अलावा उसने धोखाधडी का किसी को पता नहीं लगे इसके लिए उसने पट्टे का पंजीयन सरदारगढ के उप पंजीयक के यहां से करवाया लेकिन विक्रय पत्र का निष्पादन पंजीयन आमेट के यहां करवाया। मोइनुद्दीन के अनुसार इस विक्रय में क्रेता और विक्रेता, दस्तावेज के गवाह एवं पहचानकर्ता सभी सरदारगढ के होने के बावजूद सभी व्यक्ति आमेट उप पंजीयक के यहां पेश हुए और निष्पादन करवाया। मोइनुद्दीन के अनुसार जेबूना बानू की धोखाधडी के बारे में जानकारी होने पर 27 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक को परिवाद भी प्रस्तुत किया। इसके अलावा उसी दिन पुलिस अधीक्षक के समक्ष धारा 145 व 146 जाप्ता फौजदारी में परिवाद भी प्रस्तुत कर सिविल न्यायालय से मृतक के वारिसानों का विभाजन नहीं होने और उन्हें उनका निश्चित हिस्सा नहीं मिलने तक उक्त मकान कुर्क करने की गुहार की। पुलिस अधीक्षक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर महा निरीक्षक उदयपुर रेंज के समक्ष भी परिवाद पेश किया गया।मोइनुद्दीन ने बताया कि उनके परिवाद पर कार्रवाई करने की बजाय जेबूना बानू की रिपोर्ट पर एएसआई भंवर सिंह ने उसके सहित 13 जनों के खिलाफ मकान में अनाधिकृत प्रवेश करने का मामला दर्ज करवाया। इस मामले की जांच आमेट थाना के एएसआई बाघ सिंह के जिम्मे की गई।मोइनुद्दीन ने बताया कि बाघ सिंह मामले की जांच करने की बजाय आए दिन पांच-छह पुलिसकर्मियों को लेकर आता है और मकान खरीदार को सौंपने की धमकी देता रहता है। एतराज करने पर घर की महिलाओं से अभद्रता करने लग गया। मोइनुद्दीन ने बताया कि आमेट थाना पुलिसकर्मियों द्वारा पूर्व में दिए गए परिवाद के सम्बन्ध में मामला दर्ज नहीं करने तथा आए दिन बाघ सिंह व पुलिसकर्मियों द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार से परेशान होकर सोमवार को एक बार फिर पुलिस अधीक्षक को परिवाद प्रस्तुत किया। मोइनुद्दीन के अनुसार पुलिस उसकी पीडा को दूर करने की बजाय बढाती जा रही है।

भूत भगाने बरसाये डण्डे

भीलवाड़ा के न्यू बापूनगर में एक युवती को भूत उतारने के नाम पर डंडों से इतना पीटा कि भूत तो भाग गया और युवती घायल हो गई जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।जानकारी के अनुसार न्यू हाउसिंग बोर्ड में रहने वाली बबली नामक युवती ऊपरी हवा के चलते काफी परेशान है। वक्त बेवक्त उसे दौरे पड़ते है और परिवार वाले भी इन्हीं दौरों के चलते काफी परेशान है। उन्होंने बापूनगर क्षेत्र में ही एक मंदिर के पुजारी से बबली को दिखाया और समस्या बताई। पुजारी ने बबली के शरीर से भूत भगाने के नाम पर पहले तो कड़ा बनाया और बाद में जब असर नहीं हुआ और बबली को फिर दौरा पड़ा तो वह घर पहुंचा और देखते ही देखते भूत भगाने के चक्कर में बबली को डंड़ों से पीट दिया। डंडों के डर से भूत तो भाग गया लेकिन बबली पिट गई और उसके एक हाथ में फैक्चर हो गया और शरीर में कई जगह चोटें आई। पंड़ित जी के डंडों का असर इतना गहरा हुआ कि उसे उपचार के लिए महात्मा गांधी चिकित्सालय में भर्ती होना पड़ा। बबली के परिजनों ने पंडितजी को निर्दोष बताया है और कहा कि उन्होंने तो भूत भगाने के लिए डंड़े मारे थे। बबली को जब दौरे पड़ते हैं तो वह बेकाबू हो जाती है और उलूल-जूलूल बातें करने लगती है। इसी क्षेत्र में पिछले दिनों जहर के प्रभाव से मरी एक युवती को लेकर भी उसने कई ऐसी बातें बताई जो परेशानियां खड़ी कर सकती है। किस मकान में भूत है और कौन उसे परेशान कर रहा है, यह भी वह बताती है । और तो और जब उसे दौरा पड़ता है तो वह पूरी शराब की बोतल तक गटक जाती है।

Tuesday, November 11, 2008

जंजीरों में झकडा निजी विद्यालय का शिक्षक

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के देवगढ क्षेत्र में लोहे की जंजीर मे जकडा राजूसिंह पिछले छह वर्ष से जिन्दगी को बोझ की तरह ढो रहा है। ग्यारहवीं तक शिक्षित कामली बस्ती का राजूसिंह [29] कामलीघाट चौराहा के एक निजी स्कूल में अध्यापक था, जहां से छह वर्ष पूर्व एक दिन घर लौटते वह अचानक विक्षिप्तावस्था में पहंुच गया। लोगों पर पत्थर फैंकने व उनसे हाथापाई करने लगा। उसकी इस हालत से माता-पिता चिन्तित और परेशान हो गए। रस्सी से बांध कर कमरे में बंद रखना उनकी मजबूरी बन गया। लेकिन मौका देख वह मुक्त होकर बस्ती में लोगों से अभद्रता करने लगा। तब उसे लोहे की भारी जंजीर से बांध उसमें ताला ठोका गया। पिता मोहन सिंह ने बताया कि बेटे की इस हालत से उन्हे अपनी नौकरी छोडनी पडी। जमा पूंजी इलाज में खर्च कर दी। कोई इलाज कारगर नहीं हुआ। प्रशासन से सहायता मांगी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। राजू के बडे एवं छोटे भाई परिवार की हालत देखकर घर छोडकर चले गए। राजू की मां भी दिमागी संतुलन खो बैठी है। छह वर्ष से जंजीर में जकडे बेटे की देखभाल ही उनके जीवन की नियति है।