Saturday, January 31, 2009

पुराना पहनो तो ध्यान से नहीं तो पहुंच जाओगे हवालात में

पुराने वस्त्र अगर पहन रहे हो तो उसकी जेब जरूर तलाश कर लेवे क्यों हो सकता है कि उसमें ऐसे कोई चीज निकल जाए और आपकों जेल जाने की नौबत आ जाए। यही हुआ एक शख्स के साथ सात साल पहले शादी में सिलाए कोट ने राजस्थान के स्टूडंट को जेल पहुंचा दिया। रिपब्लिक डे परेड के एनक्लोजर में तलाशी के दौरान उसके कोट की जेब से जिंदा कारतूस मिला। युवक ने इस कोट को शादी के बाद अब दूसरी बार पहना था। 26 जनवरी की परेड में एनक्लोजर नंबर 22 पर पुलिसकर्मी दर्शकों की तलाशी ले रहे थे। राजस्थान के नागौर जिले का हनुमान राम (21) भी लाइन में लगा था। उसने कोट-पैंट पहना हुआ था। पुलिसकर्मी ने उसके कोट की ऊपरी जेब में हाथ डाला तो उसमें से .303 का जिंदा कारतूस निकला। यह कारतूस राइफल और देसी पिस्तौल में इस्तेमाल होता है। हनुमान राम की तलाशी में कोई पिस्तौल नहीं मिली। परेड में कारतूस मिलने से सन्न पुलिस हनुमान राम को बड़ी खामोशी से पार्लियामंट स्ट्रीट थाने ले गई। हनुमान ने पुलिस को बताया कि साल 2002 में उसकी शादी हुई थी। शादी के मौके पर उसके पिता ने उसके लिए कोट-पैंट सिलवाया था। शादी के बाद हनुमान ने अपनी पत्नी के कहने पर इस कोट-पैंट को ससुराल से आई गोदरेज की अलमारी में संभाल कर रख दिया था। हनुमान का चचेरा भाई फौज में है। इन दिनों उसकी तैनाती दिल्ली में है। उसने अपने पिता और हनुमान को 26 जनवरी की परेड दिखाने के लिए दिल्ली बुलाया था। हनुमान अपने चाचा के साथ कोट-पैंट पहनकर दिल्ली आया था। हनुमान ने पुलिस को बताया कि उसकी शादी में यूपी से उसके दोस्त भी आए थे। उन्होंने उसके कोट के जेबों में कारतूस डाल दिए थे। बाकी जेबों से तो हनुमान ने तभी कारतूस निकाल दिए थे, लेकिन ऊपरी जेब में गोली रह गई थी। इसी गोली ने उसे अब फंसा दिया। हनुमान की शादी 14 साल की उम्र में ही हो गई थी। फिलहाल वह नागौर में एमए की पढ़ाई कर रहा है। हालांकि, पुलिस भी हनुमान से हमदर्दी जता रही थी, लेकिन 26 जनवरी का मामला होने की वजह से उसके खिलाफ आर्म्स ऐक्ट के तहत केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अब पुलिस सात साल पहले शादी में यूपी से आए हनुमान के दोस्तों का सुराग लगा रही है।

लॉटरी खुलती देख लोटपोट नहीं जो जाएग सच्चाई का पता लगाए और रखे सावधानी

ईमेल पर यदि लॉटरी जीतने की सूचना आ रही है तो आप सतर्क हो जाईए क्योंकि यदि इन ईमेल की बिना सच्चाई जाने आपने रिप्लाई दिया तो निश्चित है कि आपकी जेब पर यह भारी पडेगा। इस तरह के ई - मेल अब बीते दिनों की बातें हो गई हैं। ई - मेल के जरिये फ्रॉड के अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिससे निपटने में सिक्युरिटी एक्सपर्ट भी नाकाम नजर आ रहे हैं। हाल ही में एक कॉलेज स्टूडेंट के पास उसके दोस्त का मेल आया। मेल में इस स्टूडेंट के दोस्त ने कहा था कि उसका वॉलेट गुम हो गया है और उसे 1200 पाउंड (करीब 85 हजार रुपये) की सख्त जरूरत है। इस मेल में उस स्टूडेंट के दोस्त का डिजिटल सिग्नेचर भी था। पर जब स्टूडेंट ने दोस्त को फोन लगाया तो उसे पता चला कि उसके दोस्त ने ऐसा कोई मेल ही नहीं भेजा है। ई - मेल के जरिये इस तरह फ्रॉड की घटनाएं और ऐसी कोशिशें तेजी से बढ़ रही हैं। यदि आप सोचते हैं कि आप इसका शिकार नहीं हो सकते हैं, तो आप गलत हैं। आइए हम आपको बताते हैं वे 5 टिप्स जिसकी मदद से आप ई - मेल फ्रॉड से बच सकते हैं इस तरह के फ्रॉड से बचने का सबसे पहला और जरूरी उपाय यह है कि आप अपने ईमेल आईडी रखें। एक ऑफिशल और दूसरा पर्सनल। दोनों ही आईडी का पासवर्ड लंबा या बड़ा रखने की कोशिशि करें। पर ध्यान दें यदि आप यह सोचकर आसान पासवर्ड रखते हैं कि इसे आपको याद करने में आसानी होगी, तो आपके लिए खतरा भी है। साइबर हैकरों के निशाने पर सबसे ज्यादा आसान पासवर्ड ही होते हैं। पासवर्ड चुनते वक्त वर्ड और डिजिट का मिक्स हो काफी बढ़िया रहेगा। हां, पासवर्ड में अपना नाम, अपने पति/पत्नी का नाम, बच्चों का नाम, टेलिफोन नंबर और जन्मदिन का इस्तेमाल करने से हमेशा बचना चाहिए। यदि आपको इस तरह के ई - मेल मिलते हैं कि 'आपने 50 हजार डॉलर जीत लिया है'या फिर 'आपने अमेरिकी ट्रिप जीत ली है' तो सतर्क हो जाएं। जाहिर तौर पर इसके पीछे को छिपी हुई चाल होगी। इस तरह के ई - मेल को देखकर लालच में आने की जरूरत नहीं है। ये मेल आपको खतरनाक साइट की ओर ले जाएंगे। यदि आप ऐसे मेल के बहकावे में आ गए तो इससे आप या तो अनजाने में वायरस डाउनलोड कर लेंगे या फिर अपने कंप्यूटर को हैकरों के हवाले कर बैठेंगे। इतना ही नहीं, यदि किसी अनजान पते से आपके पास कोई हॉट लिंक क्लिक करने का ऑप्शन आता है तो भी आप उसे खोलने की गलती न कर बैठें। ऐसे किसी भी मेल के जवाब में अपनी पर्सनल इन्फर्मेशन कभी भी न दें। यदि आप मेल की सचाई का पता लगाना चाहते हैं तो सेंडर की वेबसाइट का पता सीधे टाइप कर पता लगाएं, मेल का कोई जवाब न दें। वायरस स्कैनिंग और रिमूवल के लिए अपने पीसी या लैपटॉप में सिक्युरिटी सॉफ्वेयर इन्सटॉल करें। अपने कंप्यूटर के सिक्युरिटी अपडेट लगातार चेक करते रहें। आपका सिक्युरिटी अपडेट जितना बेहतर होगा, खतरा उतना ही कम होगा। कंप्यूटर में एंटी-वायरस और एंटी स्पाईवेयर प्रोग्राम इन्सटॉल करना फायदेमंद रहेगा। कुछ सॉफ्टवेयर फ्री में उपलब्ध हैं। नॉर्टन एंटी-वायरस, McAfee और ट्रेंट माइक्रो जैसे सॉफ्टवेयर के लिए पे करना पड़ता है। कई बार आपके पास किसी बैंक ने नाम से ई - मेल आते हैं, जिसमें आपसे आपकी पर्सनल इन्फर्मेशन मांगी जाती है। इस तरह के करीब 90 परसेंट ई - मेल फर्जी होते हैं। यदि आपको ऐसे ई - मल आते हैं तो आप इस पर रिस्पॉन्ड न करें। आप पहले उस URL ( वेब अड्रेस जिससे ई - मेल आया है) को सावधानी से चेक करें। कभी भी वैसे किसी व्यक्ति या वैसी किसी संस्था को ई - मेल पर अपनी पर्सनल इन्फर्मेशन न दें, जिसे आप जानते नहीं हैं। यदि आप ई - मेल पर पर्सनल इन्फर्मेशन दे रहे हैं तो हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि जिस किसी को भी आप यह डीटेल दे रहे हैं, उसे डिटेल मुहैया कराना खतरनाक नहीं है। साइबर कैफे ऑनलाइन क्रिमिनल्स के लिए हॉट स्पॉट होते हैं। लिहाजा साइबर कैफे से किसी को भी ई - मेल के जरिये पर्सनल डीटेल भेजने से परहेज करें। अपनी कोई भी फाइनैंशनल डीटेल, अकाउंट नंबर, पासवर्ड आदि भेजने से बचें। साइबर कैफे से निकलने से पहले इस बात की पूरी तरह जांच कर लें कि आपने जो भी ऐप्लिकेशंस खोले थे, उसे लॉग आउट कर दिया है। वैसे साइबर कैफे में जाने से भी परहेज करें, जहां वाई-फाई जैसे वायरलेस नेटवर्क का इस्तेमाल होता है, क्योंकि ऐसी जगहों पर प्राइवेसी और सिक्युरिटी कम होती है। NBT

बेटी को आठ बच्चों की मां बनाने के बाद बन गया बौद्ध

चौबीस साल तक अपनी बेटी को तहखाने में बंद रख उसके साथ दुराचार कर उसे आठ बच्चों की मां बनाने के आरोपी आस्ट्रियाई नागरिक डंजन डैड जोसेफ फ्रिट्ज ने बौद्ध धर्म अपना लिया है और उसने अपने दिमाग का अध्ययन करने के लिए मनोवैज्ञानिकों को भी आमंत्रित किया है।अखबार सर्नं की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रिट्ज जेल में बौद्ध धर्म का अनुयाई हो गया और शेष जिन्दगी में एक बेहतर इंसान बनने की उम्मीद कर रहा है।हत्या बलात्कार दासता कैद रखने और शोषण के मुकदमे का सामना कर रहे फ्रिट्ज ने अपने दिमाग में भरी बुराई के मूल कारण को जानने के लिए मनोवैज्ञानिकों को भी आमंत्रित किया है।फारेंसिक मनोचिकित्सकों ने फ्रिट्ज की इस पेशकश का स्वागत किया है। अपराध मामलों से संबंधित अग्रणी मनोचिकित्सक रीनहार्ट हालर ने कहा है कि इस पेशकश को ठुकराना मूर्खता भरा काम होगा।फ्रिट्ज ने अपनी किशोर बेटी एलिजाबेथ को एक तहखाने में बंद कर दिया और बार-बार उसके साथ दुराचार करता रहा। उसने अपनी करतूत से अपनी बेटी को आठ बच्चों की मां बना दिया।

सुपर मेमोरी वाले चार व्यक्ति

यादें हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होती हैं। लेकिन ज्यादातर बातों को हम कुछ समय बाद भूल जाते हैं, चाहे वे अच्छी हों या बुरी। लेकिन इस दुनिया में कम से कम चार शख्स ऐसे हैं, जिनके पास सुपर मेमरी है। इन लोगों के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अपनी जिंदगी में घटीं छोटी से छोटी बातें भी याद हैं। इनमें एक व्यक्ति दक्षिणी कैलिफॉर्निया में रहता है। वह शख्स न सिर्फ अपने बारे में बल्कि दुनिया भर की तथ्य और घटनाओं के बारे में बिना रुके बता सकता है। वह दुनिया की नजरों में नहीं आना चाहता, इसलिए उसका नाम जाहिर नहीं किया गया है। सुपर मेमरी वाली एक अन्य महिला जिल प्राइस ने पिछले साल द वुमन हू कांट फॉरगेट नामक किताब में अपनी बेमिसाल याद्दाश्त के बारे में विस्तार से जिक्र किया है। एक रिसर्चर लैरी कैहिल ने जिल जैसे अन्य लोगों पर रिसर्च करके उनकी इस खासियत का राज जानने की कोशिश की है। लैरी का कहना है कि मेमरी के बारे में बहुत सी बातें ऐसी हैं, जिनका राज वैज्ञानिक अब तक नहीं खोल पाए हैं। इसी महीने वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हमारे ब्रेन की एक कोशिका किसी याद को एक से ज्यादा मिनट तक संजो कर रख सकती है। हमारे दिमाग में ऐसी असंख्य कोशिकाएं होती हैं। उन्होंने बताया कि जहां तक जिल की सुपर मेमरी का सवाल है तो इसके लिए उनके ब्रेन के दो हिस्से कॉडेट न्यूक्लि और टेंपोरल लोब मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। कॉडेट न्यूक्लि इंसान की आदतों और स्वाभाविक हरकतों को याद रखती है जबकि टेंपोरल लोब आंकड़े, तारीख और घटनाओं को स्टोर करते हैं। जिल के दिमाग में ये दोनों हिस्सा मिलकर काम करते हैं, इससे उन्हें सभी चीजें, घटनाएं हमेशा याद रहती हैं। NBT

Friday, January 30, 2009

कम्प्यूटर होंगे अब घर-घर

करीब पांच सौ रुपये के सस्ते कंप्यूटरों के जरिये अध्यापक और छात्र अब इंटरनेट में संग्रहीत विशाल ज्ञान भंडार का उपयोग कर सकेंगे।उच्च शिक्षा के देशभर में फैले 20 हजार संस्थानों को नि:शुल्क ब्रॉडबैंड कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि शिक्षक और छात्र इंटरनेट का उपयोग कर सकें।उच्चशिक्षा सचिव आरपी अग्रवाल ने बताया कि शिक्षण संस्थाओं को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय सूचना सम्पर्क शिक्षा मिशन शुरू किया जाएगा। केद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह आगामी तीन फरवरी को तिरुपति में मिशन का शुभारंभ करेंगे जिस पर 11वीं योजना के दौरान 46 अरब रुपये से अधिक धनराशि खर्च होगी। उन्होंने बताया कि सस्ते कंप्यूटर भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान के छात्रों द्वारा विकसित किए जा रहे हैं तथा वे शीघ्र ही बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे।

महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली 'भात पूजा' पर रोक

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली 'भात पूजा' पर रोक लगा दी गई है। ज्योतिर्लिंग के क्षरण की आशंका के चलते मंदिर के विद्वत परिषद द्वारा इस संबंध में पारित किए गए प्रस्ताव पर महाकालेश्वर मंदिर की प्रबंध समिति ने मुहर लगा दी है। इतना ही नहीं शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) पर पंचामृत भी सवा किलो से ज्यादा नहीं चढ़ाया जा सकेगा। विधानसभा चुनाव से पहले विद्वत परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया था कि ज्योतिर्लिंग की भात पूजा होती है, जिसके बाद ज्योतिर्लिंग को भस्म अथवा राखड़ से साफ किया जाता है जिससे ज्योतिर्लिंग को नुकसान होने की आशंका है। इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मंगलवार को मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक हुई जिसमें आम सहमति बनी और भात पूजा पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। मान्यता है कि उबले हुए चावल यानी भात से महाकालेश्वर के ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने पर श्रद्घालुओं की मनौती पूरी होती है, इसीलिए बड़ी तादाद में श्रद्घालु भात पूजा करते है। यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है। मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष शुभकरण शर्मा ने बताया है कि भात पूजा में घी आदि का उपयोग होता है जिससे ज्योतिर्लिंग पर चिकनाहट आ जाती है और उसे खत्म करने के लिए राखड़ आदि से ज्योतिर्लिंग की सफाई की जाती है। उन्होंने बताया कि इससे ज्योतिर्लिंग को कुछ क्षति होने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने कहा कि श्रद्घालुओं को सूखे चावल चढ़ाने की अनुमति रहेगी। शर्मा ने बताया है कि ज्योतिर्लिंग पर पंचामृत चढ़ाने की भी मात्रा तय कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अब एक दिन में सिर्फ सवा किलोग्राम पंचामृत ही ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाया जा सकेगा। अभी तक श्रद्घालु कई-कई किलोग्राम से लेकर क्विंटल तक पंचामृत ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाते रहे हैं। शर्मा कहते है कि बड़ी मात्रा में चढ़ाया जाने वाला पंचामृत बर्बाद भी हो जाता था। इसी बात को ध्यान में रखकर तय किया गया है कि चढ़ावे में आने वाले कुल पंचामृत में से सवा किलो ही ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाया जाएगा और शेष पंचामृत को प्रसाद के तौर पर वितरित कर दिया जाएगा।

पाकिस्तान मुंबई हमलों पर भारत के भेजे दस्तावेज़ों का जवाब देगा

मुंबई हमलों के सिलसिले में भारत ने पाकिस्तानी ज़मीन के इस्तेमाल के जो आरोप लगाए हैं, उसके जवाब में पाकिस्तान ने कहा है कि इन हमलों को अंजाम देने के लिए उसकी भूमि का इस्तेमाल नहीं हुआ है। एक भारतीय टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त वाजिद शम्सुल हसन ने लंदन में ये विचार व्यक्त करते हुए बताया कि पाकिस्तान जल्द ही मुंबई हमलों पर भारत के भेजे दस्तावेज़ों का जवाब देगा। ग़ौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में हुए मुंबई हमलों में 170 से ज़्यादा लोग मारे गए थे जबकि लगभग 300 लोग घायल हुए थे। भारत ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान में मौजूद तत्व इसके लिए ज़िम्मेदार हैं और उन्हें पाकिस्तान भारत को सौंपे। हसन ने कहा, "जहाँ तक जाँचकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष निकाले हैं, पाकिस्तान की भूमि का इस्तेमाल नहीं हुआ है। हो सकता है किसी अन्य जगह का इस्तेमाल हुआ हो। मुझे स्पष्ट जानकारी दी गई है कि ब्रिटेन की भूमि और पाकिस्तान की ज़मीन का इस हमले की योजना बनाने में इस्तेमाल नहीं हुआ है।" उनका कहना था कि पाकिस्तान में इस संबंध में जाँच अंतिम चरण में हैं और पाकिस्तान भारत को जल्द ही इस बारे में पूरी जानकारी सौंपेगा। हसन का कहना था, "हम किसी तरह की लिपापोती नहीं कर रहे हैं। हम तथ्यों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। हमारी जाँच के बाद जो सामने आएगा, वह पूरी दुनिया को स्वीकार्य होगा। हमारी जाँच से भारत भी संतुष्ट होगा। हमें पूरी दुनिया की तसल्ली करनी है, केवल भारत की ही नहीं।" जब उनसे पूछा गया कि भारत के दस्तावेज़ों में कथित षड्यंत्रकारियों की बातचीत का स्पष्ट विवरण है, तो उनका कहना था, "ये बनाई भी जा सकती है। आपने किसी भी तरह के सबूत देने में 45 दिन लगाए लेकिन पाकिस्तान पर तो आपने हमलों के पहले दिन से ही आरोप लगाने शुरु कर दिए थे।" (BBC)

Thursday, January 29, 2009

लाचार है घासीराम अपनी बीमारी से अब जिला कलक्टर से उम्मीद

राजसमन्द । मैं इस जीवन से हार गया हूं बाउजी। यह भी कोई जीना है। बीमारी नहीं लगती तो मजदूरी कर दो पैसे जोड़ कर मैं और मेरी पत्नी कम से कम ठीक गुजर बसर तो कर सकते थे। लेकिन मेरी व्यथा को कौन सुने। ऐसी जिदंगी से मौत भली।
राजसमन्द जिला कलक्ट्रेट कार्यालय के समीप बुधवार दिन में अपनी पीडा को बयां कर रहे कुम्भलगढ उपखण्ड के कालिंजर गावं का घासीराम पुत्र उदा गुर्जर की आंखो से आंसू झर-झर बहने लगते है। समाजसेवी कालू सिंह बडगुल्ला के साथ जिला मुख्यालय पर आए पचास वर्षीय घासीराम गुर्जर बताया है कि छह वर्ष पूर्व उसे अज्ञात बीमारी ने आगोश में ले लिया। इसके बाद उसके पैर और हाथों की अंगुलिया एक-एक कर सडती हुई आधी हो गई और अब हालात यह हो गई कि पैर व हाथों में अंगुलिया है ही नहीं। बिना अंगुलियों के हाथ पैरो में अब भी जख्म है, जिनसे रिसाव हो रहा है। मक्खी-मच्छरों से बचाने के लिए घाव को कपड़े से ढक कर रखना पड़ता है।
बीमारी ने जैसे-जैसे पग पसारने शुरू किए मजदूरी को भी छोड़ इलाज की चिंता पहले सताने लगी। घासीराम के अनुसार गांव से लेकर शहर के डॉक्टरों तक बीमारी को बता चुका है लेकिन कोई चिकित्सक उसे बीमारी का समुचित इलाज नहीं दे पायाँ घासीराम के अनुसार उसे पास डेढ़ बीघा जमीन थी वह भी इस उम्मीद से बेची की बीमारी का इलाज करवा कर फिर मजदूरी कर जमीन वापस खरीद लेगा लेकिन बीमारी से राहत नहीं मिली। घासीराम बताता है कि अब गुजर-बसर पत्नी के जिम्मे है वह भी कई बार बीमार हो जाती है जिससे घर खर्च बमुश्किल चलता है। जर्जर होती झौंपड़ी को भी ठीक करवाना दूर की बात है।
व्यथा सुनी मगर राहत नहीं मिली : घासीराम गुर्जर बताता है कि ग्राम पंचायत मुख्यालय पर आयोजित शिविर में आए अधिकारियों को कई बार व्यथा सुनाई और उनसे बीमारी के इलाज के लिए आर्थिक सहायता दिलवाने की गुजारिश की लेकिन किसी ने राहत के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
अब जिला कलक्टर से उम्मीद : घासीराम गुर्जर ने बताया कि अब राहत की उम्मीद सिर्फ जिला कलक्टर से है। इसलिए कालिंजर से यहां प्रार्थना पत्र देने आया हूं। अब भी कोई राहत नहीं मिलती है तो फिर जिदंगी ईश्वर भरोसे ही छोडऩी होगी।

Wednesday, January 28, 2009

नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को 10 वर्ष की कैद

राजसमन्द। जिले के रेलमगरा थानान्तर्गत बनेडिया गांव में करीब चार माह पूर्व एक किशोरी से बलात्कार करने के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश (फास्ट ट्रेक) ने एक व्यक्ति को दोषी मानते हुए उसे दस वर्ष की कैद और पांच हजार रुपए का अर्थदण्ड दिया। प्रकरणानुसार बनेडिया निवासी एक किशोेरी ने रेलमगरा थाने में गत 21 सितम्बर 08 को रिपोर्ट दी कि उस दिन करीब साढे तीन बजे वह खेत पर घास का भारा ले जा रही थी। रास्ते में गांव का लक्ष्मण लाल पुत्र छग्गु गुर्जर सामने से घास का भारा लेकर आ रहा था। उसे देखते ही घास का भारा नीचे पटक कर उसके पीछे दौडा और उसे नीचे गिरा कर उससे बलात्कार किया। इस दौरान उसकी चीख सुनकर खेत पर काम कर रही उसकी काकी, नानी और अन्य लोग आ गए। पुलिस ने मामले का अनुसंधान कर लक्ष्मण गुर्जर के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया। अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 14 गवाह पेश हुए। न्यायाधीश ने दोनों पक्ष सुनने के उपरांत लक्ष्मण गुर्जर को बलात्कार का दोषी मानते हुए उसे दस वर्ष का कठोर कारावास एवं पांच हजार रुपए का अर्थदण्ड दिया। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक बापूलाल ओस्तवाल ने पैरवी की।

काल्पनिक करिश्मे जो अब बदलेंगे हकीकत में

काल्पनिक करिश्मे जो अब बदलेंगे हकीकत में
एक्सरे विजन से दीवार के आरपार देखना या खास लबादा ओढ़कर गायब हो जाना, या फिर स्पाइडरमैन की तरह बड़े आराम से दीवारों पर चढ़ना... इस तरह के सीन हॉलिवुड फिल्मों में अक्सर देखे होंगे। लेकिन बहुत जल्द यह सब हकीकत में बदलने जा रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी करिश्मा लगने वाले ये कारनामे आने वाले 30 सालों में हकीकत में अंजाम दिए जा सकेंगे। जेम्स बॉन्ड स्टाइल के जेट पैक, जिन्हें पहनकर उड़ा जा सकता है या चोट लगाने पर तुरंत मेडिकल उपकरणों के इस्तेमाल से इलाज करना भी सच हो जाएगा। यानी आने वाले सालों में सुपर हीरो बनना ज्यादा मुश्किल नहीं रह जाएगा। यह सपना हकीकत में कैसे बदलेगा? इस सवाल के जवाब में वैज्ञानिक आई-पॉड, मोबाइल फोन और इंटरनेट की ओर इशारा करते हैं। 1979 में जब एक जापानी फर्म ने पहली बार मोबाइल फोन लॉन्च किया था तो अंदाजा नहीं था कि मोबाइल इतनी जल्दी इतना आम हो जाएगा। हाल ही में ऐसे 10 गैजिट्स की लिस्ट जारी की गई है जो 2039 तक हकीकत बन सकते हैं।
इनविजिबिलिटी क्लोक इस तरह का लबादा आपने हैरी पॉटर को पहने देखा होगा। इसे पहनकर सुपर हीरो गायब हो जाते हैं और किसी को दिखाई नहीं देते। एक्सर्पट्स का मानना है कि यह कारनामा सिर्फ जादू तक नहीं रह जाएगा। अमेरिकी और चीन में ऐसे मटीरियल की तलाश जारी है, जो रोशनी की किरण को डायवर्ट कर सके यानी हमारी आंखें उसे न देख पाएं। एक्सरे विजन इसके जरिए दीवार के पार रखी चीजों को भी देखा जा सकता है। ब्रिटेन में अल्ट्रासाउंड और रेडियो तरंगों पर हो रही रिसर्चों में इसका आविष्कार अगला कदम हो सकता है। जेट पैक हॉलिवुड फिल्म 'थंडरबॉल' में शॉन कॉनरी को जेट पैक पहने दिखाया गया था। इसे पहनकर हीरो उड़ान भरता था और मिनटों में अपनी मंजिल तक पहुंच जाता था। वैज्ञानिकों की मानें तो वह दिन दूर नहीं, जब जेट पैक हकीकत बन जाएगा। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इस जेट पैक को हर शख्स के इस्तेमाल के लिए होना चाहिए ताकि एनर्जी बचाई जा सके। स्पाइडरमैन अब तक दीवारों पर चढ़ना जानवरों या स्पाइडरमैन के बस की बात ही कही जाती है। लेकिन बहुत जल्द ऐसी डिवाइस बनाई जा रही है, जिससे कोई भी व्यक्ति दीवार से चिपका रह सकेगा और चढ़ सकेगा। इसके लिए खास मटीरियल से दस्ताने और बूट बनाए जा रहे हैं। हैंड-हेल्ड हीलर अमेरिकी रिसर्चर ऐसी अल्ट्रासाउंड टेक्नॉलजी पर काम कर रहे हैं, जो हैंड-हेल्ड हीलर के तौर पर डिवेलप हो सकती है। हॉलिवुड फिल्म स्टारट्रैक में इसका इस्तेमाल किया गया था। यह डिवाइस अंदरूनी चोटों को पहचानकर उनका इलाज कर देती है। (NBT)

स्लमडॉग मिलियनेयर’ में बच्चों के शोषण

‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ विश्वभर में तारीफ बटोर रही है, लेकिन मुंबई में गरीब से अमीर बनने की कहानी में शामिल दो बच्चों के माता पिता ने निर्माताओं पर अपने बच्चों के शोषण का आरोप लगाया है। इन बच्चों के माता पिता द्वारा शोषण के आरोप लगाए जाने की खबर अखबार ‘टेलीग्राफ’ ने दी है। ‘स्लमडॉग’ के निर्देशक डैनी बायले ने दावा किया है कि उन्होंने फिल्म में भूमिका निभाने वाले अजहरूद्दीन और रूबीना अली की शिक्षा के लिए एक ट्रस्ट कोष बना दिया है।दूसरी आ॓र, इन बच्चों के माता पिता ने आरोप लगाया है कि उन्हें भारत में घरेलू नौकरों को मिलने वाले धन से भी कम पैसा मिला है। आठ साल के बच्चों के माता पिता ने कहा कि दोनों बच्चों को अब मुंबई की मलिन बस्तियों में एक अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है, जबकि फिल्म चार गोल्डन ग्लोब्स पुरस्कार जीत चुकी है और आस्कर की 10 श्रेणियों के लिए नामांकित हुई है।अमेरिका में फिल्म के वितरक फाक्स सर्चलाइट ने अखबार से कहा, अजहर और रूबीना का कल्याण फिल्म में शामिल हर व्यक्ति की प्राथमिकता में हमेशा रहा है। 30 दिन के काम के लिए बच्चों को तीन बार किसी वयस्क की स्थानीय वार्षिक औसत आय के बराबर तनख्वाह दी गई। सर्चलाइट के प्रवक्ता ने कहा, पिछले साल फिल्म क; पूरा होने के बाद बच्चों को पहली बार स्कूल में प्रवेश दिलाया गया और स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की स्थिति में उन्हें यह राशि 18 साल के होने पर मिलेगी, लेकिन उन्होंने कुल राशि के बारे में बताने से इंकार कर दिया।रूबिना को लगभग 700 अमेरिकी डॉलर, जबकि अजहरूद्दीन को लगभग 16 हजार अमेरिकी डॉलर मिले। दोनों बच्चे एक स्थानीय स्कूल में पढ़ते हैं और उन्हें हर महीने किताबों तथा भोजन के लिए 28 अमेरिकी डॉलर मिलते हैं। बच्चों के परिवारों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि उनका जीवन बेहतर हो जाएगा, लेकिन फिल्म की सफलता के बाद अहसास हुआ है कि बच्चों को कितना कम पैसा दिया गया। अजहरूद्दीन टीबी से पीड़ित अपने पिता के साथ एक प्लास्टिक की तिरपाल के नीचे सोता है, क्योंकि उनकी झुग्गी अवैध होने की वजह से स्थानीय प्रशासन ने ढहा दी है। अजहरूद्दीन के पिता मोहम्मद इस्माइल ने कहा, उनके पास एक भी पैसा नहीं बचा है, क्योंकि सारा पैसा दवाओं में खर्च हो गया।रूबीना के पिता रफीक अली कुरैशी एक बढ़ई हंै, लेकिन फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी टांग टूट गई और तब से लेकर वह बिना काम के बैठे हैं। फिल्म बहुत नाम और दाम कमा रही है। इस लिहाज से हमें कुछ भी पैसा नहीं मिला।

भारतीय सेना के सामने हुई आतंक की हार

जम्मू-कश्मीर के सोपोर में सेना और आतंकवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर अबू हमजा मारा गया। 18 घंटे तक चली मुठभेड़ में सेना के तीन जवान भी घायल हुए हैं। न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक सोपोर के अमरगढ़ इलाके के एक घर ये आतंकवादी छिपे हुए थे। सेना के जवानों ने इस इलाके की घेराबंदी की और दोनों तरफ से जमकर गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में लश्कर का टॉप कमांडर अबू हमजा मारा गया है।

Tuesday, January 27, 2009

धुलाई मशीन ठीक नहीं करने वाले मेकेनिक का किया अपहरण

एक महिला को वाॅशिंग मशीन बंद रहना इतना नागवार गुजरा की उसने मेकेनिक का ही अपहरण कर लिया। स्पेन में वाशिंग मशीन खराब हो गई। वह तीन हफ्ते तक यूं ही पड़ी रही। इससे इतनी परेशान हुई कि मशी न ठीक कराने के लिए कानून हाथ में ले लिया। उसे कपड़े साफ करवाने के लिए दोस्तों पर निर्भर रहना पड़ता था। सो उसने एक एंजीनियर को किडनैप कर लिया। उसे कमरे में बंद कर कहा कि जब तक मशीन ठीक नहीं होती वह यहीं पड़ा रहेगा। अगर निकलना चाहता है तो पुलिस को 999 पर कॉल कर बुलाना होगा। दरअसल फॉक्स का दुखड़ा कोई नहीं सुन रहा था। उस एंजीनियर ने पुलिस को तो कॉल नहीं किया, पर बाद में अपने मैनिजर को फोन किया। मैनिजर ने पुलिस से संपर्क किया। बाद में फॉक्स को नई मशीन दिलवाई गई। पुलिस ने इस मामले पर कॉमेंट करने से मना कर दिया। फॉक्स ने हालांकि इस हरकत पर शर्मिंदगी जताई। साथ ही कहा कहा कि उसके पास इसके सिवा और कोई चारा नहीं था। वाशिंग मशीन में अक्टूबर से प्रॉब्लम शुरू हुई थी। उन्होंने सर्विस एंजीनियर को बुलवाया था। उसने कहा कि मशीन के अंदरूनी भाग में कुछ प्रॉब्लम थी जिसे उसने ठीक कर दिया है। पर क्रिसमस आते आते उसमें फिर से खराबी आ गई। इसके बाद फिर कंपनी वालों ने उनसे संपर्क साधने की जहमत भी नहीं उठाई। 2 जनवरी को एक मैकेनिक आया और फिर से वही रटा रटाया जवाब कि मशीन के कंप्यूटर में कोई खराबी है। इसके मोटर को बदलने की दरकार है। मैकेनिक ने वादा किया कि वह 9 जनवरी तक वापस आएगा, लेकिन आया 13 जनवरी को आए। लेकिन मशीन ठीक नहीं हुई। फिर से बुलवाने पर अतिरिक्त पैसे की मांग होने लगी। बकौल फॉक्स: बार बार की इन गतिविधियों से थक चुकी थी। अंत में मुझे उसका अपहरण करना पड़ा। NBT

भारत में 10 लाख लोगों की नौकरी चली जाएगी आगामी महिनों में

भारत में भी नौकरियां जा रही हैं। इसमें सबसे आगे है टेक्सटाइल सेक्टर। सिर्फ डेढ़ महीने पहले टेक्सटाइल सेक्टर में पांच लाख लोगों की नौकरियां जा चुकी थीं। भारत के वित्त सचिव ने भी इसकी पुष्टि की थी। इस सेक्टर में अगले दो महीने में और पांच लाख लोगों की नौकरियां जाने वाली हैं। यानी कुल 10 लाख लोग बेकार होने वाले हैं।
सरकार अभी तक इस बात में उलझी है कि मंदी का ऐलान करें या नहीं लेकिन पूरी दुनिया में स्थिति बहुत खराब है। सोमवार के दिन यूरोप और अमेरिका की सिर्फ चंद कंपनियों ने हजारों लोगों को काम से निकाल दिया।सेज में पिछले साल 30,000 लोगों की नौकरियां गई हैं। यह सरकारी आंकड़ा है। रियल एस्टेट का क्षेत्र भी इस मंदी से अछूता नहीं है। कई बड़े डेवलपर्स ने अपने प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ दिए हैं। उन कंपनियों पर मंदी की मार ज्यादा पड़ी है, जो किसी न किसी रूप में अमेरिकी से जुड़ी हैं।सब कह रहे हैं कि भारत में चिंता करने की बात नहीं है। भारत के निर्यात संगठनों का महासंघ एफआईईओ ने आशंका जताई है कि इस साल मार्च तक निर्यात क्षेत्र में कम से कम एक करोड़ नौकरियां कम हो जाएंगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सामान के खरीदार काफी कम हो गए हैं। एफआईईओ के मुताबिक 80 सालों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार की हालत इतनी खराब हो गई है कि भारतीय सामान को कोई पूछ भी नहीं रहा है। भारतीय वस्तुओं का सबसे बड़ा बाजार यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जो भयंकर मंदी की चपेट में हैं। एफआईईओ के मुताबिक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार ने अब तक जो कदम उठाएं हैं, उसमें निर्यात यानी एक्सपोर्ट क्षेत्र के लिए कोई खास उपाय नहीं हैं। कई बार एफआईईओ सरकार पर दबाव बनाने के लिए भी ऐसे आंकड़े दे देता है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हमारे देश में नौकरियों में कटौती नहीं हो रही है। कई सेक्टरों में लोग चुपचाप निकाले जा रहे हैं।

केलीफोर्निया में महिला ने लगाया अट्ठा

एक अमरीकी महिला ने कैलिफ़ोर्निया के लॉस एंजेलेस में आठ बच्चों को जन्म दिया। दुनिया में ऐसा दूसरी बार ही हुआ है कि किसी महिला ने आठ जीवित बच्चों को जन्म दिया है। छह लड़कों और दो लड़कियों का वज़न 1.8 पाउंड और 3.4 पाउंड के बीच है और वे स्वस्थ हैं। लॉस एंजेलेस के बेलफ़्लावर इलाक़े के अस्पताल की प्रवक्ता ने बताया कि पाँच मिनट के भीतर महिला ने बच्चों को जन्म दिया। इस महिला का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है और इन्होंने अनुरोध किया है कि इन बच्चों के जन्म के बारे में केवल सीमित जानकारी ही सार्वजनिक की जाए। समय से पहले जन्म होने के कारण तीन बच्चों को मदद की ज़रूरत है जबकि बाक़ी सभी अच्छी हालत में हैं। दुनिया में पहली बार टेक्सास के ह्यूस्टन में एक महिला ने आठ जीवित बच्चों को जन्म दिया था। इनमें से एक बच्चे की एक हफ़्ते बाद मृत्यु हो गई थी। लेकिन बाक़ी सभी बच्चे स्वस्थ हैं और पिछले दिसंबर माह में ही उन्होंने अपना दसवाँ जन्मदिवस मनाया है।

Monday, January 26, 2009

अशोक चक्र वितरण समारोह में नम हो गई आंखे

राजधानी दिल्ली मे आयोजित साठवें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जब देश के वीर सपूतों को अशोक चक्र प्रदान किया तो वहां आये लोगो की आंखे नम हो गयी और उन्होनें देश के लिए बलिदान देने वालों को गहरी श्रद्धा के साथ उनकी वीरता को नमन किया ।सबसे पहला अशोक चक्र मेघालय पुलिस सेवा में कार्यरत रहे आर.पी लिंगदोह को मरणोपरांत दिया गया जिसे उनकी पत्नी सतीमोया मल ने राष्ट्रपति से ग्रहण किया । लिंगदोह उग्रवादियों से लडते हुये शहीद हो गये थे ।छह नवम्बर 2007के दिन उन्हें सूचना मिली कि स्वचालित रायफ्लों से लैस लगभग दस उग्रवादियों ने मेघालय के जंगलों मे ंडेरा डाल दिया है ।लिंगदोह ने वहां पहुंच कर उग्रवादियों से लोहा लेना शुरू कर दिया और गंभीर रूप से घायल होने पर भी दो दुर्दांत उग्रवादियों को बंदी बना लिया ।लेकिन इस कार्रवाई में वह शहीद हो गये ।इसके बाद उडीसा राज्य सशस्त्र पुलिस के प्रशिक्षण प्रभारी .विशेष आपरेशन ग्रुप .के सहायक कमाण्डेंट प्रमोद कुमार सत्पथी को मरणोपरांत अशोक चक्र प्रदान किया गया ।राष्ट्रपति से यह दुर्लभ सम्मान उनकी पत्नी अमिता सत्पथी ने ग्रहण किया ।पंद्रह फ्रवरी 2008 को पांच सौ से अधिक नक्सलियों ने भुवनेश्वर के आस पास के इलाक ों में पुलिस पर आक्रमण कर हथियार लूट लिए और कई पुलिस कर्मियों को मार दिया । सत्पथी ने केवल 20 सहयोगियों के साथ नक्सलियो ंको चुनौती दे डाली और दो घंटे से भी अधिक चली भीषण मुठभेड में उन्होंने देश के लिये लडते हुये अपने प्राणों की बलि दे दी ।

डॉक्टरी नहीं पढी लेकिन सात वर्ष की बच्ची बता देगी दवा का नाम

पुड्डुचेरी में एक सात वर्ष की बच्ची किसी भी बीमारी की दवा का नाम बडे आत्मविश्वास और सरलता से बता सकती है। अरियांकुप्पम में अंग्रेजी माध्यम की एक स्कूल की छात्रा भाग्यश्री ने राज्य के सार्वजनिक निर्माण मंत्री एम ओ एच एफ शाहजहां और बडी संख्या में सरकारी अस्पताल के डाक्टरों के सामने यह कारनामा कर दिखाया। भाग्यश्री न्यूमोनिया. आर्थरीटिस. रिमाटायड. डेंगू. ट्यूमर और ल्यूकेमिया सहित विभिन्न बीमारियों की दवाओं के नाम अपनी जुबान पर गिना सकती है।इस अवसर पर श्री शाहजहां ने इस नन्हीं बच्ची को एक शाल और पांच हजार रूपए देकर सम्मानित किया1 भाग्यश्री के पिता भास्कर ने कहा कि भाग्यश्री को जब भी समय मिलता वह मेडिकल की पुस्तकें पढती रहती है इसलिए इस संबंध में ग्यान का विकास हुआ है।श्री भास्कर ने बताया कि भाग्यश्री की भविष्य में ऑनकोलोजिस्ट बनने की इच्छा है।

दुनिया भर में फैले भारतीयों ने मनाया गणतंत्र दिवस

दुनियाभर में फैले भारतीय समुदाय के लोगों ने देशभक्ति की भावना और उत्साह के साथ राष्ट्रीय ध्वज लहराकर 60वां गणतंत्र दिवस मनाया। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।यहां स्थित भारतीय दूतावास में राजदूत निरूपमा राव ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का संदेश पढ़ा। स्थानीय सांस्कृतिक समूह ‘गुरूकुल’ के बच्चों ने देशभक्ति के गीत गाए। भारतीय समुदाय के सदस्य और भारतीय दूतावास के अधिकारी गणतंत्र दिवस मनाने के लिए यहां जुटे। शंघाई और गुआंगझाऊ स्थित भारतीय मिशन में भी यह समारोह मनाया गया। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में करीब 250 लोगों ने भारतीय उच्चायोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बीएसएफ की एक टुकड़ी ने उच्चायुक्त आलोक प्रसाद की तरफ से तिरंगा लहराए जाने के बाद मार्च पास्ट किया।इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में भी गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया गया। वहां भारतीय उच्चायुक्त सत्यव्रत पाल ने राष्ट्रीय ध्वज लहराया। इस अवसर पर विशेष फिल्में दिखाई गईं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। हालांकि, गंभीर खतरा होने के मद्देनजर पांच सितारा होटल में एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना को रद्द कर दिया था।नेपाल की राजधानी काठमांडो में स्थित भारतीय दूतावास में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया। नेपाल में भारत के राजदूत राकेश सूद ने दूतावास में आयोजित समारोह में ध्वजारोहण किया। सूद ने इस अवसर पर मौजूद सैकड़ों भारतीय लोगों को संबोधित करते हुए गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं।सिंगापुर के भारतीय दूतावास में 500 से अधिक भारतीयों की उपस्थित में राजदूत एस. जयशंकर ने ध्वजारोहण किया तथा इसके बाद राष्ट्रगान गाया गया। डा. जयशंकर ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का गणतंत्र दिवस के अवसर पर भेजा गया संदेश पढ़ा

Saturday, January 24, 2009

मार गिराए दो पाकिस्तानी आतंकवादी

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीती रात एक मुठभेड़ में दो संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया है। यह मुठभेड़ दिल्ली के पास नोएडा के सेक्टर-97 में हुई। इसके साथ ही पुलिस ने गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले आतंकवादियों के दिल्ली में हमला करने की साजिश को नाकाम कर दिया है।इन दोनों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं। मुठभेड़ नोएडा के सेक्टर-97 के पास हाजीपुर और सदरपुर गांव के बीच हुई। यूपी एटीएस का कहना है कि मारे गए दोनों आतंकवादी पाकिस्तान के थे। पुलिस ने इनका नाम फारूख और अबू इस्माइल बताया है।इनके पास से पाकिस्तानी पासपोर्ट बरामद हुआ है। साथ ही इनके पास भारी मात्रा में असलहा भी था। इनमें आरडीएक्स की नौ छड़ें, दो एके-47 राइफलें और कई दूसरे हथियार शामिल हैं। जाहिर है कि ये दोनों आतंकवादी किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने आए थे।मुठभेड़ रात 2 से 3 बजे की बीच हुई और उस वक्त ये दिल्ली के कालिंदी कुंज रास्ते में थे। पुलिस ने इनसे जो मारुति कार बरामद की है, उस पर फर्जी नंबर प्लेट लगा हुआ था और जांच करने पर वह एक बजाज चेतक स्कूटर का नंबर निकला।मुठभेड़ के दौरान यूपी एटीएस का एक जवान भी जख्मी हो गया। जवान का नाम विनोद है।यूपी एटीएस को सूचना मिली थी कि दो आतंकवादी गाजियाबाद में लाल कुआं से मारुति कार में सवार होकर दिल्ली की ओर जाने वाले हैं। इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाकर संदिग्धों का मॉडल टाउन से पीछा किया। ये दोनों नोएडा एक्सप्रेसवे की तरफ भागे, लेकिन पुलिस ने इन्हें मार गिराया। सूत्रों के मुताबिक ये लोग सरिता विहार के रास्ते दिल्ली में दाखिल होने की फिराक में थे। (ND)

उनका अच्छा स्वभाव ने उन्हें डूबो दिया

पहले आप, पहले आप' के चक्कर में कई लोगों की गाड़ी छूट जाने की कहानियां तो आपने सुनी होंगी। क्या शिष्ट व्यवहार के कारण जिंदगी और मौत की गाड़ी भी छूट सकती है? टाइटेनिक जहाज पर हुए एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है कि इस हादसे में ब्रिटेन के लोग अपनी भलमनसाहत के कारण ही ज्यादा अनुपात में मारे गए।ब्रिटिश लोग हमेशा से ही अमेरिका के निवासियों की तुलना में खुद के ज्यादा अच्छे स्वभाव पर गर्व करते रहे हैं। लेकिन यही अच्छाई उनके लिए काल बन गई। यूनिवर्सिटी आफ ज्यूरिख के प्रोफेसर ब्रुनो फ्रे ने अपने शोध में दावा किया है कि 1912 में टाइटेनिक जहाज हादसे में मारे गए 225 ब्रिटिश नागरिक अपनी जान बचा सकते थे। दुर्घटना के समय ब्रिटिश नागरिक विनम्रता पूर्वक कतार में खड़े रहे जबकि अमेरिकी उन्हें धक्का देते हुए आगे आकर लाइफ बोट में सवार होकर अपनी जान बचाने में कामयाब हुए थे।कभी न डूबने वाले जहाज के रूप में प्रचारित टाइटेनिक समुद्र में आइसबर्ग से टकराने के बाद डूबने लगा था। ब्रिटिश नागरिक ऐसी आपात स्थितियों में पहले महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने के नियम का पालन करने में लगे थे जबकि अमेरिकी लोग सबको धक्का देकर आगे निकल रहे थे।प्रोफेसर फ्रे के अनुसार टाइटेनिक के डूबने के समय अंग्रेजों के पास बचने के ज्यादा मौके थे क्योंकि यह जहाज ब्रिटेन में बना था। यही नहीं, यह जहाज ब्रिटिश कंपनी का था और इसके चालक दल के सभी सदस्य भी हमवतन थे। फ्रे का मानना है कि इन कारणों के चलते ब्रिटिश यात्रियों का चालक दल से करीबी रिश्ता था। जाहिर है, उन लोगों को आसानी से लाइफ बोट मिल सकती थी।फ्रे द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार 14 अप्रैल 1912 को टाइटेनिक की पहली और आखिरी यात्रा में हुई इस दुर्घटना में बचने वालों में दूसरे देशों के नागरिकों की तुलना में ब्रिटिश सबसे कम थे। स्विटजरलैंड और आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं द्वारा आंकड़ों के आधार पर टाइटेनिक के यात्रियों और चालक दल के बचाव में आड़े आए कारकों के इस विश्लेषण में एक साल से ज्यादा का वक्त लगा।टाइटेनिक में सवार सभी लोगों का 53 फीसदी केवल ब्रिटिश नागरिक थे जबकि बचाए गए 706 लोगों में इनका अनुपात बहुत कम था। बृहस्पतिवार को हुए इस खुलासे का पूरे अमेरिका में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार प्रो फ्रे का यह दावा अंग्रेजों को ऊंचा दिखाने का एक उदाहरण है। मैसाचुसेट स्थित टाइटैनिक हिस्टोरिकल सोसाइटी के करेन कम्युडा के अनुसार अंग्रेजों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे खुद को सुसंस्कृत और बाकी दुनिया को असभ्य समझते हैं। कम्युडा ने कहा कि शोध में किया गया दावा अंग्रेजों की नस्लवादी सोच का परिचायक है।

गरमवादी कच्छा नरमवादी कच्छा

मेरे एक परिचित की स्टेशनरी व साहित्यिक किताबों की दुकान थी। एक समय था जब उनके पिताजी के प्रयासों से दुकान खूब चलती थी। लेकिन पिताजी के मरते ही दुकान बैठ गई। मेरा उनसे परिचय भी तब हुआ जब दुकान बैठ चुकी थी। मैं जब भी उनकी दुकान पर जाता, वह उदास बैठे मिलते। दुकान में छिटपुट सामग्री बची थी। पेन्सिल, कलम, नोट बुक्स, सादे कागज आदि। साहित्यिक पत्रिकाएं व पुस्तकें मंगाना उन्होंने बंद कर दिया था। कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि अब लोगों में साहित्य के प्रति रुचि नहीं रही। कहने लगे- आप जैसा कस्टमर कभी-कभार कोई आ जाता है वरना कोई झांकता भी नहीं। आसपास दो स्कूल थे जहां के छात्रों से स्टेशनरी की अच्छी बिक्री हो जाया करती थी मगर उन स्कूलों ने नया चलन अपना लिया। छात्र अब सारी सामग्री स्कूल से ही खरीदते हैं। इसलिए दुकान पर बैठा-बैठा दिनन के फेर देखता रहता हूं। मैंने उन्हें परंपरानुसार सांत्वना दी कि वे दिन नहीं रहे तो ये दिन भी नहीं रहेंगे। फिर मेरी उनकी भेंट नहीं हुई। दो साल निकल गए। एक दिन मुझे उनकी याद आई तो मिलने पहुंचा। वहां पुरानी दुकान की जगह नई चमचमाती दुकान थी। दुकान के बाहर एक शानदार पुतला खड़ा था मात्र कच्छा पहने। ऊपर भव्य बोर्ड लगा था, जिस पर लिखा था- नैशनल कच्छा स्टोर। मुझे भ्रम हुआ कि शायद मैं गलत जगह पहुंच गया हूं। मगर जगह वही थी। सड़क पर असमंजस में खड़ा था तभी उन्होंने दुकान के अंदर से आवाज दी- अरे बाबूजी आइए आइए। मैं दुकान के अंदर गया। उन्होंने सादर बैठाया, चाय-पानी पीते मैंने पूछा-ये क्या। आपने कच्छे की दुकान शुरू कर दी। वह बोले हां, मैं भी नए जमाने के चलन में आ गया हूं। मैंने पूछा- लेकिन कच्छा, इसमें भला क्या धंधा होता होगा। आम भारतीय एक कच्छा खरीदता है तो फटने के बाद भी नहीं बदलता। बदलता तभी है जब पीछे दो बडे़-बडे़ यथार्थवादी छेद हो जाते हैं। वह बोले- नहीं, नहीं ये आम आदमी की दुकान नहीं है। ये विशिष्ट लोगों की दुकान है। आइए मैं आपको दिखाता हूं। वे मुझे दुकान के अंदर वाले हिस्से में ले गए। वहां बड़ी-बड़ी रैक्स थी, हर रैक पर एक लेबल चिपका था। पहली रैक पर लेबल चिपका था- देश भक्त कच्छा, उन्होंने बताया कि हाई लेवल के देशभक्तों के लिए ये कच्छे हैं। एक कच्छा निकाल कर उन्होंने दिखाया भी। उसमें अनेक रंग थे, लाल, पीला, काला, हरा, नीला। उन्होंने आगे बताया इस कच्छे को पहनने से सोई देश भक्ति जाग जाती है। हम आगे सरके। अगली रैक पर लिखा था- गरमवादी कच्छा। एक केसरिया रंग का कच्छा निकाल कर दिखाते हुए वे बोले- इसे हुल्लड़पंथी पहनते हैं। जिन्हें भी हो-हल्ला, तोड़फोड़, मारपीट, आगजनी आदि का शौक है वे इस कच्छे को पहनते हैं। उसके आगे की रैक पर लिखा था- नरमवादी कच्छा। एक सफेद कच्छा निकलाकर दिखाते हुए वह बोले- इसे अहिंसक लोग पहनते हैं और हर कहीं शांति-शांति चिल्लाते हुए शांति समितियां गठित करते रहते हैं। दंगों से पहले केसरिया और दंगों के बाद सफेद कच्छों की बिक्री बढ़ जाती है, ऐसा उनका कहना था। हम सामने वाली रैक की तरफ बढ़े। एक पर लिखा था-हाजमोला कच्छा। उन्होंने बताया कि ये कच्छा पहन कर आदमी कुछ भी हजम कर सकता है। एक भदेस सा कच्छा हाथ में लेकर वह बोले- इसे पहनो फिर लोहा, सीमेंट, पत्थर कुछ भी खाओ, सब हजम। इसी तरह मैंने वहां और भी लेवल देखे जैसे समाजवादी कच्छा, साम्यवादी कच्छा, नक्सलवादी कच्छा। बाहर निकलकर उन्होंने बताया कि अवसरानुकूल इन कच्छों की बिक्री थोक में होती है। फुटकर वह नहीं बेचते। वह बात कर ही रहे थे कि उनका मोबाइल घनघनाया। फोन पर कच्छों का ऑर्डर था। मुझसे मुखातिब होकर बोले- परसों कहीं धरना प्रदर्शन का आयोजन है। डेढ़ सौ कच्छों का ऑर्डर है। उन्हें खुश देखकर मैं वहां से चला आया, यह सोचता हुआ कि लोग कैसे-कैसे धंधे में लगे हैं। (NBT)

एकलिंगनाथ के मन्दिर से दान पेटी के ताले तोड़ नकदी चुरा

कैलाशपुरी स्थित मेवाड़ के आराध्य देव भगवान एकलिंगनाथ के मन्दिर में प्रवेश कर गुरूवार रात्रि अग्यात बदमाश चांदी के छत्र व दान पेटी के ताले तोड़ नकदी चुरा ले गए ।पुलिस सूत्रों ने बताया कि गुरूवार रात्रि अग्यात बदमाशों ने एकलिंगनाथ ंमंदिर के पिछवाड़े में स्थित तालाब की तरफ से मंदिर के गुम्बद पर रस्से डाल ऊपर चढ़ने का बंदोबस्त किया। रस्से के सहारे मंदिर में उतर कर बदमाशों ने एकलिंगनाथ मंदिर के गर्भगृह के मुख्य द्वार का नगुचा तोड़ अंदर प्रवेश किया । इसके पश्चात उन्होंने यहां रखी दान पेश्टी के दोनों ताले तोड़ चढ़ावे के रूप में एकलिंग नाथ के भक्तों द्वारा दान की गई नकदी (चढ़ावा) पर हाथ साफ कर दिया।भगवान एकलिंगनाथ के घर डाका डालने वाले ये बदमाश यहां से मंदिर परिसर में ही बने अंबामाता मंदिर पहुंचे और यहां से चांदी के एक-एक किलो के तीन छत्र चुराने के बाद यहां लगी दानपेटी उखाड़ कर पुनः रस्सों के सहारे मंदिर से बाहर निकल दानपेटी में से नकदी निकालने के बाद दान पेटी वहीं छोड़ भाग निकले।शुक्रवार सुबह पुजारी ने मंदिर खोला तो मौके की नजाकत देख वह हतप्रभ रह गया। इसके बाद मंदिर के सुरक्षा अधिकारी सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने पुलिस को सूचना दी, साथ ही इस घटना की सुखेर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।सूचना मिलते ही एसपी अनिल पालीवाल सहित पुलिस के आला अफसर एडिशनल एसपी राजेन्द्र प्रसाद गोयल, डिप्टी, बृजेश सोनी व सुखेर थानाधिकारी विवेक सिंह डॉग स्क्वाड के साथ मौके पर पहुंचे और घटनास्थल व मंदिर के पिछवाड़े का मौका मुआयना किया । एकलिंगनाथ के घर जब अग्यात बदमाश डाका डालने में लगे थे तब वहां सुरक्षा हेतुं मंदिर के सुरक्षा गार्ड भी मौजूद थे मगर उनके नींद में होने से भगवान के घर चोरी करने में बदमाश सफल हो गए ।जानकारी अनुसार इस घटना के वक्त मंदिर के सुरक्षा गार्ड रामसिंह, राजकुमार, मोड़सिंह व नरेन्द्र सिंह मुख्य मंदिर के सम्मुख स्थित बप्पारावल मंदिर में सो रहे थे। मगर गहरी नींद के कारण इस वारदात की भनक तक उन्हें नहीं लग पाई और बदमाश अपने काम को अंजाम देकर जिस रास्ते से आए थे उसी से भाग निकले। एकलिंग नाथ मंदिर में चोरी की घटना के बाद पुलिस के साथ मौका मुआयना करने पहुंचे डॉग ने ये संकेत तो दे दिए कि चोर घटना के बाद किस रास्ते से होकर रफूचक्कर हुए मगर बदमाशों को पकड़ने में सफलता नहीं मिल पाई ।जानकारी अनुसार घटना के बाद मौके पर पहुंची डॉग स्क्वायड ने घटनास्थल का जायजा लिया । मंदिर में अपना काम पूरा करने के बाद डॉग मंदिर के पिछवाड़े में स्थित पहाड़ी पर जा पहुंचा ।जानकारी अनुसार एक निश्चित सीमा तक जाने के बाद डॉग रूक गया। इस पहाड़ी पर कुछ सिक्के बिखरे पड़े मिले जिससे यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि बदमाश घटना को अंजाम देकर इसी पहाड़ी रास्ते से होते हुए भाग निकले। भगवान एकलिंगनाथ के घर चोरी की यह दूसरी घटना बताई जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहली घटना के समय चोर मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों के ही हत्थे चढ़ गया जबकि इस बार चोर घटना को अंजाम देकर भागने में सफल हो गए।जानकार सूत्रों ने बताया कि करीब तीन वर्ष पूर्व मन्दिर में दर्शन के समय कम्बल ओढ़े एक व्यक्ति दक्षिण द्वार पर रखी छोटी गुल्लक को लेकर भागने की कोशिश में था जिसे वहां मौजूद अन्य भक्तों ने धरदबोचा। इस घटना के बाद मन्दिर में सभी दान पेटी को फिक्स करवा दिया गया। गुरूवार रात्रि को हुई चोरी की घटना अब तक की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है जिसमें चोर तमाम सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बता अपनी कार्यवाही को अंजाम देकर भाग निकले।एकलिंगजी ट्रस्ट द्वारा संचालित एकलिंगनाथ मन्दिर में हुई इस घटना से यह भी साफ हो गया है कि देश-िवदेश में आए दिन होने वाले बम धमाकों व आतंकियों द्वारा धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने के अंदेशे के बावजूद हमारे प्रमुख धार्मिक स्थल कितने सुरक्षित हैं।

Thursday, January 22, 2009

भारत में मिलावटी दूध बेचने पर नहीं मिलता मृत्युदण्ड

भारत में दूध में पानी हो या सिंथेटिक दूध बिकता हो कोई कार्रवाई नहीं होगी। यदि अखबारों के माध्यम से सम्बन्धित विभाग ने दूधिए को पकड भी लिया तो अदालत में पांच-दस साल तक कार्रवाई चलेगी और हो सकता है कि दूधिए को सजा नहीं हो। या हो तो भी इतनी कम की मिलावट के धंधे पर उसके कोई असर नहीं पडता लेकिन चीन में मिलावटी दूध मिलाने के मामले में मृत्युदण्ड की सजा देकर दुनिया के सामने अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
चीन की एक अदालत ने मिलावटी दूध मामले में दो लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है। जबकि इस विवाद के केंद्र में रही सैनलू डेयरी की पूर्व प्रमुख को आजीवन कारावास भुगतना होगा। उत्तरी चीन में शिजियाज़ुआंग की एक अदालत ने इस मामले में कुल 21 लोगों को सज़ा सुनाई है। मिलावटी दूध के कारण छह बच्चों की मौत हो गई थी जबकि क़रीब तीन लाख बच्चे बीमार पड़ गए थे। आरोप था कि दूध पाउडर में मेलामाइन नामक रसायन मिलाया गया ताकि इसमें प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा दिखाई जा सके। इस घटना के कारण चीन में काफ़ी हंगामा हुआ था। साथ ही देश-विदेश में चीन की छवि पर भी धब्बा लगा था। इस पूरे मामले में सैनलू ग्रुप की चेयरवूमैन तियान वेन्हुआ के ख़िलाफ़ फ़ैसले पर लोगों की निगाह थी। सैनलू ग्रुप बच्चों के दूध पाउडर बनाने वाला सबसे बड़ा ग्रुप है। वेन्हुआ ने घटिया और नकली उत्पाद तैयार करने और उन्हें बेचने के मामले में अपना दोष स्वीकार कर लिया था। शिजियाज़ुआंग की अदालत ने वेन्हुआ को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है जबकि ज़ांग युजुन और गेंग जिनपिंग को मौत की सज़ा सुनाई गई है। युजुन पर पूर्वी चीन के शांगडांग में एक ग़ैर क़ानूनी वर्कशॉप चलाने का आरोप था जिसमें 600 टन नकली प्रोटीन पाउडर तैयार किया जाता था। यह देश में मेलामाइन का सबसे बड़ा स्रोत था। युजुन के नकली प्रोटीन पाउडर को बेचने के आरोप में ज़ांग यान्ज़ांग को भी आजीवन कारावास की सज़ा मिली। दूसरी ओर जिनपिंग पर ये आरोप साबित हुआ कि उन्होंने ज़हरीली खाद्य सामग्री बनाई और इसे डेयरी कंपनियों को बेचा। जिनपिंग को मौत की सज़ा सुनाई गई। उनके सहयोगी गेंग जिन्ज़ू को आठ साल क़ैद की सज़ा मिली है। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ इसी मामले में गाओ जुन्जी को भी मौत की सज़ा मिली है, लेकिन फ़िलहाल ये निलंबित रहेगी। पिछले साल सितंबर में नकली दूध पाउडर का मामला सामने आया था। उस समय ये बात सामने आई थी कि मेलामाइन का उत्पादन करने वाले दलालों के माध्यम से इसे दूध डीलरों को बेच रहे हैं। दूध डीलर दूध पाउडर में प्रोटीन की ज़्यादा मात्रा दिखाने के लिए मेलामाइन मिलाते थे जबकि डेयरी कंपनियाँ ऐसे डीलरों से दूध पाउडर ले तो लेती थी लेकिन उनकी शुद्धता और पौष्टिकता की जाँच नहीं करती थी।

सफाई संदेश देने के लिए सचिन को लेकर फिल्म

बीएमसी ने सफाई का संदेश देने के लिए स्टार क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर पर छोटी फिल्म बनाने का फैसला किया है, जिसमें यह मास्टर बल्लेबाज लोगों को सफाई की महत्ता समझाएंगे। बीएमसी ने इस फिल्म के लिए स्मिता तलवालकर की कंपनी अस्मिता चित्रा को नियुक्त किया है। यह पहला मौका होगा जब सुपरस्टार क्रिकेटर सचिन किसी फिल्म में बतौर ऐक्टर नज़र आएंगे। इससे पहले मास्टर-ब्लास्टर बल्लेबाज़ कई ऐड फिल्मों में तो नज़र आए हैं, लेकिन किसी फिल्म में काम करने का यह उनका पहला तजुर्बा होगा। वृहद मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अफसरों ने कहा कि फिल्म में सफाई पर जोर दिया जाएगा, जिसमें नागरिकों को अपने आस पास का क्षेत्र साफ रखने की सलाह दी जाएगी। इसमें शहर को साफ सुथरा रखने की महत्ता भी समझाई जाएगी। इस योजना पर 50 लाख रुपया खर्च होगा। गौरतलब है कि सचिन को पहले कई कमर्शल फिल्मों के भी ऑफर मिल चुके हैं, लेकिन सचिन ने क्रिकेट को सबसे ऊपर रखते हुए इनमें काम करने से मना कर दिया। लेकिन जब बात किसी सामाजिक मुद्दे की आई, तो सचिन मना नहीं कर सके।

Wednesday, January 21, 2009

सरनेम के बयान से संजय मुबीबत में

मुन्ना भाई उर्फ संजय दत्त के हालिया बयान से यंग जेनरेशन इत्तफाक नहीं रखती। संजय दत्त ने हालिया इंटरव्यू में कहा था कि लड़कियां शादी के बाद नए परिवार का हिस्सा हो जाती हैं और उन्हें पति का सरनेम लगाना चाहिए।
उन्हें नए परिवार की जिम्मेदारियां लेनी चाहिए। दत्त का इशारा अपनी शादीशुदा बहन प्रिया दत्त की तरफ था, जो अभी भी दत्त सरनेम यूज करती हैं। संजय ने कहा था कि अगर मेरी पत्नी शादी के बाद सरनेम चेंज नहीं करती तो मुझे बुरा लगता। संजू बाबा भले ही ऐसा सोचते हैं लेकिन यंग दिल्ली इस राह के उलट है। कुछ पति तो शादी के बाद पत्नी का सरनेम रखने में भी नहीं हिचक रहे। इस कॉमेंट से संजय दत्त की खीज झलकती है, शायद वह जानते हैं कि उनमें सुनील दत्त की परंपरा को आगे ले जाने की क्षमता नहीं है। संजय के बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए जेएनयू में पलिटिकल थॉट की प्रोफेसर निवेदिता मेनन कहती हैं कि यह पूरी तरह राजनीतिक है। अपने आपको साबित करने के लिए उन्होंने जिस तर्क का इस्तेमाल किया, वह मौजूदा शादी व्यवस्था के असली स्वरूप को ही दिखाता है। शादी के बाद जब लड़के की पहचान कायम रहती है, तो लड़की क्यों अपना सरनेम बदले। एक फिटनेस मैगजीन के लिए काम कर रही अस्मिता के मुताबिक, लड़की पराये घर जा रही है, का कॉन्सेप्ट पुराना पड़ चुका है। संजय किस दुनिया में जी रहे हैं? प्रफेशनल वर्ल्ड में पहचान बनाने में लगीं तमाम औरतों ने शादी के बाद अपने सरनेम नहीं बदले। उनके मुताबिक सरनेम बदलने से तमाम बेसिक डॉक्यूमेंट्स में नाम चेंज कराने का झंझट तो रहता ही है, साथ में एक बात भी कोंचती रहती है। गोया शादी के बाद हम कोई और हो गए हों। इंटरनैशनल रिलेशन में एमए कर रही गुंजन सांगवान के मुताबिक, शादी के बाद मैं अपना नाम क्यों बदलूं? यह नाम सालों से मेरी पहचान का हिस्सा है। संजय की सोच पुरुषों की फितरत का एक नमूना है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। सरनेम में अगर मसला इगो का न हो, तो महिलाओं को भी कोई आपत्ति नहीं होती। मसलन रागिनी आनंद ने पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर लव मैरिज करने के बाद अपने पति के टाइटल को नहीं बल्कि उनके नाम को बतौर सरनेम इस्तेमाल किया। उनके पति ने भी अपने टाइटल को ड्रॉप कर सिर्फ शुरुआती नाम आनंद ही कायम रखा। और बच्चों ने भी आनंद टाइटल का इस्तेमाल किया। बकौल रागिनी हम किसी कास्ट आइडेंडिटी को नहीं जारी रखना चाहते थे और इसके लिए मैंने अपने पति के नाम को अपनाया। इसके लिए कोई प्रेसर नहीं था, बस मुझे उस नाम के साथ जुड़कर अच्छा लगा। संजय दत्त जिन गांधी जी के नए प्रवक्ता होने की हिमायत करते हैं, खुद उनका सरनेम के मसले पर बहुत उदारवादी नजरिया था। जब इंदिरा ने फिरोज बाटलीवाला से शादी का फैसला किया, तो नेहरू को इस पर बहुत आपत्ति हुई। तब गांधी ने इंदिरा और फिरोज को अपना सरनेम गांधी देकर मिसाल कायम की थी। (मटा)

रोमांस के लिए होते है एसएमएस

मुंबई में बसने वाले ज्यादातर लोग एसएमएस का इस्तेमाल पार्टनर को रोमैंस के लिए संदेश भेजने में करते हैं। हालांकि मुम्बई और दिल्ली में की गई स्टडी से पता चला है कि एडल्ट कंटेंट भेजने - प्राप्त करने में सबसे ज्यादा 13 फीसदी एसएमएस का इस्तेमाल करते हैं। मार्किट रिसर्च फर्म साइनोवेट ऐंड माइक्रोसाफ्ट की एक ताजा स्टडी से यह निष्कर्ष निकला है। ज्यादातर मुंबई वासी रोमैंस जताने के लिए एसएमएस , एमएमएस ( मोबाइल मेसेज सर्विस ) और आईएम ( इंस्टेंट मेसेज ) का इस्तेमाल कर रहे हैं। स्टडी के मुताबिक संबंध खत्म करने में ( 8 फीसदी ) और नौकरी छोड़ने के लिए ( 5 फीसदी ) एसएमएस , एमएमएस और आईएम का प्रयोग किया गया। एशियन - पसिफिक ( एपेक ) क्षेत्र में किए गए इस रिसर्च से यह पता चलता है कि महानगर के लोग किस तरह अपने मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल से शादी का प्रस्ताव स्वीकार करने में चीनी और भारतीय आगे हैं। इस काम के लिए चीनी ( 58 फीसदी ) और भारतीय ( 54 फीसदी ) मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। 87 फीसदी लोग मानते हैं कि बच्चों को मोबाइल फोन नहीं देना चाहिए। जापान में 71 फीसदी महिलाएं अपने पतियों के एसएमएस और कॉल हिस्ट्री की जांच करती हैं। भारत में करीब 60 फीसदी महिलाएं और 47 फीसदी मर्द ऐसा करते हैं।

संसदीय क्षेत्र के सम्‍मेलन अब 10 फरवरी बाद

लोकसभा चुनाव के मद्‌देनजर भाजपा द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के सम्‍मेलन अब आगामी 10 फरवरी के बाद आयोजित किए जा सकते हैं। पूर्व में घोषित कार्यक्रम के अनुसार भाजपा इनका 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच करने वाली थी, लेकिन इन्हें बिना किसी कारण के टाल दिया गया। पार्टी अब संसदीय सम्‍मेलन करने के बजाय अब इनके अन्य स्वरूप पर विचार कर रही है।
कुछ सम्‍मेलन में पार्टी के केन्द्रीय नेता भी भाग लेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार ये सम्‍मेलन अगले माह नागपुर में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद आयोजित किए जाएंगे। ये दोनों बैठकें 6 से 8 फरवरी तक होगी। तब तक पार्टी राज्य में लोकसभा प्रत्याशी भी घोषित कर देगी। इन सम्‍मेलन को बड़े स्तर पर आयोजित किया जाएगा या छोटे स्तर पर, इस पर अभी विचार किया जा रहा है।
इस बीच कल पार्टी की प्रदेश अनुशासन समिति ने विधानसभा चुनाव के दौरान आए अनुशासनहीनता के मामलों की जांच की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव के दौरान आए अनुशानहीनता के प्रकरणों को लोकसभा चुनाव से पूर्व ही निपटा लिया जाएगा। बैठक में चारों महामंत्री प्रकाशचंद, रामपाल जाट, मदलाल सैनी एवं श्रीकिशन सोनगरा शामिल थे। बैठक में जोधपुर एवं जयपुर संभाग के करीब एक सौ मामलों की जांच की गई। प्रदेश अनुशासन समिति के संयोजक मदनलाल सैनी ने बताया कि अभी हाड़ौती एवं वागड़ क्षेत्र के जिलों (चित्तौड़ संभाग) के मामलों को देखना शेष है, जिन पर 23 जनवरी को विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अनुशासनहीता करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

Tuesday, January 20, 2009

बदतर हो गए नाथद्वारा नगर के कला वैभव

नाथद्वारा। नगर के कला वैभव के प्रति सरकार व जनता की उदासीनता के प्रतीक मीरा मंदिर के हालात इन दिनों बदतर हो गए हैं। मंदिर मंडल की ओर से जारी निर्माण कार्य के चलते मंदिर के वास्तु -स्थापत्य के साथ-साथ प्राचीन भित्ति चित्रों को भी नुकसान पहुंचा हैं। नगर के कलाकारों एवं इन्टेक की पहल के बावजूद मंदिर के संरक्षण का काम आज तक शुरू ही नहीं हो सका है। धुमिल होते भित्ति चित्र तथा गुम्बज में बढती दरारें उदासीनता का ही परिणाम हैं। वनमाली मंदिर परिसर में मीरा मंदिर स्थित हैं। शिलालेखानुसार 99 वर्ष पुराने इस मंदिर के गर्भ गृह में कृष्ण लीला के साथ ही पुष्टिमार्गीय भाव रूपों को प्रमुखता दी गई है। यहां बेल-बूटों व कलात्मक अलंकरण की भरमार हैं। नगर के पारम्परिक कलाकारों द्वारा रूपांकित इन भित्ति चित्रों में गहरे रंगों के साथ ही वस्त्र व मेवाडी चटक रंगों का प्रयोग हुआ हैं। जहां गर्भ गृह के गुम्बज में गोपिकाओं के रासमण्डल को वृत्ताकार रूप में संयोजित किया गया हैं, वहीं खंभो के ऊपर आयताकार खण्डों में बाल लीलाओं एवं वैष्णव वार्ताओं के विषयों को प्रमुखता दी गई हैं। कृष्ण की लीलाओं जैसे गोवर्द्धनधारी कृष्ण, माखन चोरी, छाक लीला, नाग दमन, हिण्डोलना, अन्नकूटोत्सव तथा वार्ता करते महाप्रभुजी एवं शिष्य आदि विषयों को जीवंत रूप में रचा गया हैं।

पोखरण में ब्रहमोस का सफल परीक्षण

भारत ने राजस्थान के पोखरण क्षेत्र में सुपरसोनिक मिसाइल ब्रहमोस का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल डीआरडीओ ने रूस के सहयोग से बनाई है। रक्षा मंत्री ए. के. ऐंटनी ने कहा है कि ब्रहमोस परीक्षण योजना पहले से ही बना ली गई थी और इसका मुंबई के आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान के साथ जारी गतिरोध से कोई मतलब नहीं है। ब्रहमोस सुपरसोनिक (ध्वनि की गति से तेज) क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जंगी जहाज, फाइटर जेट या फिर जमीन से छोड़ा जा सकता है। 3000 किलो वजनी यह मिसाइल 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है।

तीन बाघों के डर से उत्तर प्रदेश के हज़ारों लोग सहमे

जंगल से भटक कर रिहायशी इलाक़ों में घुसे तीन बाघों के डर से उत्तर प्रदेश के हज़ारों लोग सहमे हुए हैं। इनके हमलों में अब तक कम से कम आठ लोग मारे जा चुके हैं और एक व्यक्ति घायल हुआ है। पिछले महीनों से तीनों बाघ राज्य के पाँच ज़िलों में भय का पर्याय बने हुए हैं लेकिन वन विभाग इन्हें पकड़ने में विफल रहा है। तीन में से दो बाघों की यात्रा पश्चिमोत्तर उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से शुरु हुई और इनका डर पूर्वी सीमा पर स्थित गाज़ीपुर ज़िले तक 800 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। राज्य के मुख्य वन्यजीव संरक्षक बीके पटनायक का कहना है कि तीन में से एक बाघ को ख़तरनाक घोषित कर दिया गया है क्योंकि वह आदमखोर हो चुका है। बीके पटनायक का कहना है कि वन विभाग ने इस बाघ को मारने के निर्देश दिए हैं क्योंकि आदमखोर होने के बाद उसके संरक्षण की ज़रूरत नहीं है। इस बाघ की तलाश के लिए बंदूकधारियों के चार दस्ते को रवाना कर दिया गया है। यह बाघ पीलीभीत के जंगलों में अपने निवास स्थान से पिछले साल नवंबर में निकला और पूर्वी उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद ज़िले में पहुँच गया। इस दौरान उसने कम से कम चार लोगों को अपना शिकार बनाया जिनमें से तीन की मौत हो गई और एक घायल हो गया। राज्य के वन मंत्री फतेह बहादुर सिंह ने फैज़ाबाद के दो गाँवों का दौरा कर गुस्साए लोगों को शांत करने की कोशिश की। उनका कहना है कि बाघों ने तब ग्रामीणों पर हमले किए जब वे जंगलों में घुसे थे। लखीमपुर खीरी के गन्ने के खेतों में एक दूसरा बाघ पनाह लिए हुए है जो अब तक तीन लोगों को मार चुका है। तीसरा बाघ सीमावर्ती बिहार राज्य के जंगलों से उत्तर प्रदेश में घुसा है जो एक व्यक्ति को मार चुका है। हालाँकि इसे आदमखोर नहीं बताया गया है। वन अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों बाघों को वापस जंगलों में खदेड़ने के लिए लखीमपुर खीरी और गाज़ीपुर ज़िले में और टीमें भेजी गई हैं। हालाँकि वन अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि प्राकृतिक निवास स्थल से निकल भागे बाघों को नियंत्रण में लेने के लिए उनके पास पर्याप्त उपकरण और अनुभव नहीं हैं। उनका ये भी कहना है कि कड़े संरक्षण नियमों के कारण इस इलाक़े में शेरों की संख्या बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर आबादी बढ़ने और खेती में बदलाव के कारण वन क्षेत्रों में कमी आई है।

Monday, January 19, 2009

सर्व शिक्षा से ग्रामीण शिक्षा बदहाल

सरकार कुछ भी कहे, लेकिन स्कूली पढ़ाई की जमीनी तस्वीर कम से कम ऐसी तो नहीं ही है, जो बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए मां-बाप का हौसला बढ़ा सके। नमूना देखिए कि 2005 में कक्षा एक से आठवीं तक के लगभग 44 प्रतिशत बच्चे सामान्य स्टोरी पढ़ने का ज्ञान रखते थे। 2008 में यह आंकड़ा 41 प्रतिशत पर आ गया है। क्लास के लिहाज से इसी श्रेणी के बच्चों में देखें तो 2005 में जहां लगभग 31 प्रतिशत बच्चे भाग देने का ज्ञान रखते थे, बीते तीन वर्षों में उनका भी प्रतिशत 27 रह गया है। खास बात यह है कि यह गिरावट सरकारी और निजी स्कूलों में एक साथ देखी जा रही है। इस स्थिति का खुलासा ग्रामीण शिक्षा की स्थिति पर जारी हालिया रिपोर्ट में किया गया है।
सरकार जोर-शोर से प्रचार कर रही है कि सर्वशिक्षा अभियान और मिड डे मील की बदौलत स्कूलों में बच्चों के दाखिले के मामले में उसने बड़ी सफलता हासिल कर ली है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नतीजों पर गौर करें तो सीखने-समझने की स्थिति बदतर ही हुई है। अब गणित को ही लीजिए। रिपोर्ट के मुताबिक एक से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई के बाद भी लगभग नौ प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें गणित में कुछ नहीं आता है। अलबत्ता औतसन 23 प्रतिशत बच्चे घटाव व 28 प्रतिशत बच्चे भाग देना जानते हैं। इसी तरह कक्षा एक से आठवीं तक में किताबी पढ़ाई की बात करें तो राष्ट्रीय स्तर पर नौ प्रतिशत बच्चे कुछ नहीं पढ़ सकते। अक्षर व शब्द ज्ञान के मामले में भी सभी बच्चे खरे नहीं उतरते। पैसा है, स्कूल हैं और स्कूल में बच्चे भी हैं... लेकिन कोई खुशफहमी पालने की जरुरत नहीं है। गांवों में बच्चे तीन साल पहले जितना पढ़-लिख लेते थे, अब वह स्तर भी नहीं रहा है। बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकारी आंकड़े अधूरा सच दर्शाते हैं। हकीकत यह है कि गांवों के बच्चे गणित, अक्षर और शब्द ज्ञान के मामले में अभी भी काफी कमजोर हैं। चिंता की बात है कि यह कमजोरी कम होने के बजाय बढ़ रही है।

बेटे सजा रहे है पिता का सेहरा

महाभारत काल में देवव्रत ने उम्रदराज हो चले पिता शांतनु की एक मछुआरे की कन्या से शादी की साध पूरी करने के लिए अपनी उम्र दे दी थी। आज के बेटों ने उम्र तो नहीं दी, लेकिन अपने 58 वर्षीय पिता के बिछड़े प्यार को साथ कर पिता के जीवन में नई बहार ला दी। आटो मोबाइल कंपनी में एजीएम पद से सेवानिवृत्त अशोक शर्मा ने कभी अपने प्यार आशा के साथ घर बसाने के सपने देखे थे। लेकिन घर की जिम्मेदारी और दबाव के चलते अपने प्रेम को त्याग कर विमल के साथ उन्हें दांपत्य जीवन में बंधना पड़ा।हरियाणा के गुड़गांव में फरूखनगर कस्बे के रहने वाले अशोक शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी हैं। उनका दांपत्य जीवन हर तरह से सुखमय चल रहा था। वो एक जिम्मेदार पति बने। दो बेटे हुए। पत्नी विमल भी उनके साथ खुश थीं। लेकिन वर्ष 2005 में उनकी पत्नी बीमारी से चल बसी। पत्नी की मौत के बाद अशोक की जिंदगी में वीरानगी छा गई। वह उदास रहने लगे। उनके बेटे गौरव एवं रोहित उन्हें खुश देखना चाहते थे। उनके बेटों को पता चला कि उनके पिता 38 वर्ष पूर्व कानपुर की विजयनगर स्थित आशा शर्मा नाम की लड़की से प्यार करते थे। दोनों ने शादी करने के सपने भी देखे थे। जब बेटों ने आशा के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि आशा ने तो शादी ही नहीं की। बेटों ने निश्चय किया कि पिता के प्यार को उनको सौंपना चाहिए। आशा ने भी हामी भर दी। बेटों की मौजूदगी में 16 जनवरी को कानपुर में अशोक ने आशा के संग सात फेरे ले लिए। अशोक कहते हैं कि उन्हें आशा और अपने बेटों पर गर्व है। आशा का प्यार सच्चा था। उसने अब तक शादी नहीं की थी। बेटों ने उन्हें खुश देखने के लिए इस उम्र में भी उन्हें फेरे दिलवाए।

रत्न कलाकार सोना बेचकर कर रहे गुजारा

तुम्हारी कलाकौशल से इस पत्थर को हीरा दो। एसा कार्य सूरत के रत्न कलाकर करते हैं। फिर भी मंदी का सामना नहीं कर पाने से बेकार रत्न कलाकर मजबूर हो कर वतन को जाने लगे हैं। परंतु करुणता यह कि वतन जाने के लिए भी रुपये नही है। रत्न कलाकारों के पास कमाई की गई रकम खत्म होने के बाद के आभूषण बेंच रहें हैं। वराछा, कतार गाम और कपोद्रा क्षेत्रों में हर दिन लगभग 2 किलो सोना बेंचा जा रहा है। इस हकीकत को जानने के लिए सोने के शो रुम चलाने वाले से एक मुलाकात करने पर जानकारी मिली कि रत्न कलाकारों की स्थिति करुणमय है यह व्यापारियों से बातचीत करने पर ही पता चला है। बराछा मेन रोड पर प्रकाश ज्वेलर्स के मालिक विमल धाकणे ने कहा कि वास्तव में हर दिन 300 से 400 ग्राम सोना वर्तमान में आ रहा है। एक ओर बिक्री ठप पड़ी है दूसरी और सोना बेचने आने वाले को रुपया देना पड़ता है। यह स्थिति भारी लग रही है। यह सब मंदी का प्रभाव ही है।

Friday, January 16, 2009

ब्राह्मणों को सोच बदलनी होगी

डूंगरपुर जिले के जेठाणा गांव में अखिल हिन्द त्रिवेदी मेवाडा ब्राह्मण समाज की बैठक में परिषद के अध्यक्ष ने कहे। उन्होने कहा कि ब्राह्मणों को अन्य समाजों की तर्ज पर अपने प्रसंगों में खर्चे की कमी के साथ ही इसके लिए सामूहिक यज्ञोपवित, सामूहिक विवाह आदि को प्रोत्साहन देने पर बल दिया। बैठक में कहा कि अपने चौखले से बाहर अन्य चौखलों में विवाह करने पर विचार करना होगा। तभी युवक अन्य समाज की ओर विमुख नहीं होगा। समाज की बैठक में बाल विवाह पर रोक, विधवा विवाह प्रथा अपनाने, परिचय सम्मेलन करने पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में चौरासी क्षेत्र के महेन्द्र पण्डया, मोहनलाल पण्डया, गौरीशंकर त्रिवेदी, दिनेश पण्डया, नरेन्द्र उपाध्याय, हरिवल्लभ भटट, दिलीप पण्डया, महेश भटट, तेजशंकर भटट, प्रियकान्त पण्डया आदि उपस्थित थे।

करो चुम्बन पाओ सजा

मैक्सिको के एक शहर के मेयर ने चेतावनी दी है कि यदि किसी पुरुष और महिला को सार्वजनिक तौर पर चुंबन करते पाया गया तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। केंद्रीय मैक्सिको के आनाजुआटा शहर के मेयर का कहना है कि शहर में मूल्यों और बर्ताव को बेहतर बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। शहर का प्रशासन गाली देने, भीख माँगने और सड़कों पर सामान बेचने पर भी प्रतिबंध लगाने जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि सड़कों या सार्वजनिक स्थलों पर चुंबन से स्कूली बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और दोषी पाए गए लोगों को जुर्माना या फिर तीन दिन की जेल हो सकती है। गुआनाजुआटा शहर के मेयर का मानना है प्यार या स्नेह व्यक्त करने के लिए हल्का सा चुंबन या आलिंगन तो स्वीकार्य होगा लेकिन लंबे समय तक सार्वजनिक स्थलों पर चुंबन पर सज़ा मिल सकती है। लेकिन शहर में विपक्षी नेताओं ने इन नए नियमों का विरोध करते हुए कहा है कि ये समाज को तानाशाही की ओर ले जाते हैं।

मनोरोगी बना रहे मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रोनिक आइटम

इलेक्ट्रॉनिक हेयर ड्रेसर, मसाजर, विडियो गेम, वॉक मैन के अलावा और भी कई सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम का यूज युवाओं में बढ़ रहा है लेकिन इनका ज्याद इस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इससे मानसिक रोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हॉस्पिटल में हर महीने सौ से ज्यादा पेशंट आ रहे हैं। । मनोचिकित्सक कहते हैं कि हमारे पास तनाव के शिकार कई युवा आते हैं। इनसे पूछने पर पता चलता है कि इनके दिन का आधे से ज्यादा वक्त फोन और इंटरनेट सफिर्ंग पर गुजरता है। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर की-बोर्ड और फोन से लगातार मेसेज करने से कई तरह की ऑथोर्पेडिक प्रॉब्लम हो सकती है। वहीं बैटरी से चलने वाले फोन ज्यादा चार्ज होने पर ओवर हीट प्रोड्यूस करते हैं, जिससे एक्सप्लोजन भी हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक आइटम बिजली या बैटरी से चार्ज होते हैं इसलिए ये इलेक्ट्रो मैगनेटिक फील्ड प्रड्यूस करते हैं। इनसे निकलने वाली रेडिएशन बॉडी के नेचरल एनर्जी फील्ड को डिस्टर्ब करती है। एक्स-रे की तरह ही ये वेव किसी ऑब्जेक्ट से रुकती नहीं हैं। ये रेडिएशन हमारी बॉडी में पास होकर नार्मल सेल्युलर फंक्शन और बॉयोलॉजिकल प्रोसेस को अपसेट करती हैं। इसके अलावा इन रेडिएशन से सिरदर्द और थकान भी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक आइटम वातावरण के साथ-साथ हेल्थ को भी नुकसान पहुंचाते हैं। हाल में की गई एक स्वीडिश स्टडी के अनुसार मोबाइल फोन रेडिएशन हमारे ब्रेन सेल तक को नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्रैनिज मेलन यूनिवर्सिटी के हाल ही में की गई एक रिसर्च से सामने आया कि जो लोग दिन में ज्यादातर समय नेट पर गुजारते हैं, वे औरों के मुकाबले ज्यादा अकेलेपन के शिकार होते हैं। समाज विज्ञानियों के अनुसार इस तरह के डिवाइस ने हमारा काम तो बहुत आसान कर दिया है, लेकिन हम सामाजिक जीवन से भी कटते जा रहे हैं।

Thursday, January 15, 2009

बच्चों की सांस नली को सिकोड देगी विक्स वेपोरब

जुकाम और सिरदर्द के इलाज में काम आने वाली दवा विक्स वैपोरब बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। एमएसएनबीसी अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।शारीरिक सुकून के लिए नाक और तलवे में विक्स वैपोरब रगड़ा जाता है। एमएसएनबीसी न्यूज नेटवर्क की इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि यह दवा बच्चों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। इससे बच्चों के शरीर के उस हिस्से में जलन हो सकती है जहां विक्स वैपोरब दवा लगाई जाती है। इस मरहम से बच्चों में सांस संबंधी जटिलाएं पैदा हो सकती हैं। इससे श्लेश्म झिल्ली पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।उत्तरी कैरोलिना में वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन के बाल रोग विभाग के उप प्रमुख ब्रुस के। रूबिन को इस रिपोर्ट में यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, छोटे बच्चे के लिए यह दवा अति संवेदनशील साबित हो सकती है। इससे बच्चों की सांस नली सिकुड़ सकती है। कई मामले में यह मरहम सांस नली को खतरनाक तरीके से जाम कर सकता है।उनका मानना है कि यह मरहम लोगों में यह गलतफहमी पैदा कर देती है कि उनकी सांस नली पूरी तरह साफ हो गई है, पर ऐसा होता नहीं है। इस मरहम में मेंथॉल नामक रसायन होता है।

50 लाख नौकरी का विज्ञापन देने वाली साइट ठप

आस्ट्रेलिया के हैमिल्टन द्वीप की देखरेख के लिए लगभग 50 लाख रूपये की नौकरी को लेकर दुनिया भर में हड़कंप मच गया है। आलम ये है कि आवेदनकर्ताओं की भीड़ के कारण विज्ञापन देने वाली साइट ही ठप हो गई है।यह विज्ञापन आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड पर्यटन विभाग ने दिया था जिसमें इसे दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी बताया गया है। मंगलवार को ये नौकरी पाने के लिए दुनिया भर से इतने लोगों ने आवेदन कर दिया कि विज्ञापन देने वाली साइट ही ठप हो गई। आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड पर्यटन विभाग ने द्वीप के केयरटेकर की नौकरी का आनलाइन विज्ञापन दिया था जिसमें इसे दुनिया की सबसे बेहतरीन नौकरी बताया गया।क्वींसलैंड के पर्यटन मंत्री डेस्ले बायल ने बताया कि एक घंटे में तीन लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया। इससे साइट हैंग कर गई। उन्होंने बताया नौकरी के लिए आवेदन करने वालों में स्विटजरलैंड के ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता खिलाड़ी भी शामिल हैं।क्वींसलैंड के पर्यटन विभाग को एक ऐसे को व्यक्ति की तलाश है जो व्हिटसनडे द्वीपसमूह के हैमिल्टन द्वीप की देखभाल कर सके और उनके बारे में लोगों को बता सके। नौकरी के विज्ञापन में बताया गया था कि नौकरी पाने वाले शख्स का काम साप्ताहिक ब्लाग, फोटो डायरी व वीडियो के जरिए दुनिया भर के पर्यटकों को द्वीप के बारे में जानकारी देना होगा।

आवारा कुत्तों की नसबंदी करनी चाहिए

मुंबई के आवारा कुत्तों को एक ख़ूबसूरत हितैषी मिल गई हैं। और वो हैं बेवॉच की चर्चित और पूर्व अभिनेत्री पामेला एंडरसन। पशुप्रेमी पामेला एंडरसन ने मुंबई के अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि आवारा कुत्तों को मारने की बजाय उनकी नसबंदी कर देनी चाहिए। उन्होंने लिखा है कुत्ते कंडोम का इस्तेमाल नहीं कर सकते लेकिन दर्दरहित तरीक़े से 'रोका' जा सकता है। पामेला एंडरसन को पत्र लिखने की तब सूझी जब उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का वह आदेश पढ़ा जिसमें कहा गया है कि आवारा कुत्तों को मारा जा सकता है क्योंकि वे लोगों के लिए स्थाई सिरदर्द हैं। पामेला ने अपने पत्र में लिखा है पशुओं के प्रति क्रूरता के ख़िलाफ़ काम करने वाली संस्था 'पेटा' के सदस्यों से मुझे पता चला कि मुंबई के सड़कों में घूमने वाले कुत्तों को पकड़ कर क्रूरतापूर्वक मारा जा सकता है। म्युनिसिपल कमिश्नर को भेजे गए अपने पत्र में उन्होंने कहा है, "यह सर्वविदित तथ्य है कि आवारा कुत्तों को मार देना उनकी आबादी पर नियंत्रण का कोई स्थाई उपाय नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के अध्ययन का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा है आवारा जानवरों की सामूहिक नसबंदी मानवीय होने के अलावा सबसे व्यावहारिक विकल्प भी है।
पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुंबई के 70 हज़ार आवारा कुत्तों सहित महाराष्ट्र और गोवा के हज़ारों कुत्तों को मारा जा सकता है। अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने बीबीसी से कहा कि फ़िलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर पालन करने पर रोक लगा दी गई है और आवारा कुत्तों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने पामेला एंडरसन के पत्र पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि मुंबई में कई बार कुत्तों की नसबंदी का कार्यक्रम चलाया जा चुका है लेकिन आवारा कुत्तों की आबादी और उनसे होने वाली परेशानी को रोका नहीं जा सका है। पामेला एंडरसन के पत्र को लेकर मुंबईवासियों की प्रतिक्रिया मिलीजुली सी है। सेल्स मैनेजर शुभदा सुर्वे का कहना है ये ठीक है कुत्तों को मारना नैतिक रुप से ठीक नहीं है लेकिन मुंबई के मामलों में दखल देने वाली पामेला एंडरसन कौन होती हैं।

कुत्ते का शिकार करने के लिए बाघ घर में घुसा

उत्तरांखड में टिहरी जिले के महरगांव में कुत्ते को अपना शिकार बनाने के लिए एक बाघ घर में घुस गया। पुलिस के अनुसार महरगांव में भगवान सिंह नेगी के घर के पालतू कुत्ते को अपना शिकार बनाने के लिए मंगलवार की रात करीब दो बजे एक बाघ घर में घुस आया। घरवालों की नींद खुल गई और उन्होंने अपने कमरे के दरवाजे बन्द कर लिया।घर के बाहर निकले के रास्ते वाले कमरे में बाघ के बैठे होने से वे बाहर नहीं आ सके। शोर मचाने पर बाघ भी बाहर नहीं निकला सका, क्योंकि जिस कमरे में वह घुसा था उसका दरवाजा अपने आप बन्द होने वाले कुन्दे के कारण बन्द हो गया। घरवालों ने शोरमचाकर किसी तरह गांव वालों को सूचित किया तब पुलिस और वनविभाग के कर्मचारियों ने देर शाम कमरे की छत तोड़कर उन लोगों को बाहर निकाला और बाघ को कड़ी मशक्कत के बाद कब्जे में लिया।

लादने ने नहीं दी धमकी

अमेरिकी सरकार ने कहा है कि बुधवार को जारी किए गए ओसामा बिन लादेन ने टेप में अमेरिका या नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा को सीधी तौर पर धमकी नहीं दी है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता गार्डन जॉन्ड्रोइ ने बताया कि ओसामा के ऑडियो टेप में ओबामा के शपथग्रहण समारोह या देश के लिए कोई धमकी नहीं दी गयी है। हालांकि टेप में लादेन ने ओबामा को निवृत्तमान राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की परंपरा का वाहक ही बताया है।जॉन्ड्रोइ ने कहा कि लादेन की पूरी बात फिलीस्तीन के गाजा में इस्राइल हमले के खिलाफ जेहाद और फिलीस्तीनियों के प्रति संवेदना जताई गई है। उन्होंने कहा कि लादेन का टेप ऐसे समय में आया है जबकि अलकायदा की विचारधारा पर दुनियाभर में सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं।जॉन्ड्रोइ ने कहा कि इससे लगता है कि यह टेप अलकायदा की संकटग्रस्त भ्रमित विचारधारा को सही ठहराने के लिए लादेन की कवायद मात्र है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं यह लादेन द्वारा मुस्लिम जगत से फिलीस्तीन पर हमले के नाम पर धन एकत्र करने का भी प्रयास हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से नहीं होती यहां नौजवानों की शादी

हापुड गांव में आर्थिक रूप से सुदृढ नौजवानों की कमी नहीं है कमी है तो उनके पास जीवनसाथी की। इस क्षेत्र8 में नौजवानों को चाहे वह कितना ही पैसे वाला क्यो न हो उससे अपनी लडकी की शादी करवाने के लिए कोई तैयार नहीं होता है। इसकी मुख्य वजह है यहां पर्यावरण प्रदूषण का होना यहां के तमाम लोगों पर पर्यावरण की ऐसी मार पड़ रही है कि क्षेत्र के 40 फीसदी से ज्यादा नौजवान घर बैठे हैं और उनकी शादियां टूटने लगी हैं और इसकी वजह है यहां अवैध रूप से चल रहीं बोन और ग्लू (सरेस) की फैक्ट्रियां। इन फैक्ट्रियों की वजह से यहां का पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है। गांव के चारों ओर मांस की बदबू फैली रहती है, पानी में अक्सर खून आता है और आसमान में चील, गिद्ध और कौवे मंडराते रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में रहने की वजह से इसका असर यहां रहने वाले बाशिंदों के शरीर पर पड़ रहा है। लोग यहां अपनी लड़की के लिए रिश्ता देखने आते हैं, तो लड़केवालों से लड़कीवालों की सबसे पहली मांग गांव छोड़ने की होती है। जो लोग घर छोड़ देते हैं, वे तो सुखी हैं और जो अपने पुश्तैनी मकानों को न छोड़ने का मन बना चुके हैं, हापुड़ में बीस सालों से ज्यादा समय से अवैध रूप से बोन और ग्लू मिल्स चल रही हैं, जिनसे गांवों की डेढ़ लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित है। यहां चल रही बोन फैक्ट्रियों के खिलाफ बीते 12 सालों से लड़ाई लड़ रही एंटी प्रदूषण एवं जन कल्याण चेतना कमिटी के कानूनी सलाहकार कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए यहां आज भी अवैध रूप से बोन और ग्लू फैक्ट्रियां चल रही हैं। पहले तो कम पढ़ी-लिखी लड़कियां जैसे-तैसे निर्वाह कर लेती थीं, लेकिन आजकल तो गांव में भी लड़कियां कम-से-कम ग्रैजुएट होती हैं। वे अच्छे-बुरे की जानकारी रखती हैं, लिहाजा प्रदूषण से उनके शरीर और उनकी आने वाली नस्लों पर होने वाले प्रभाव को बखूबी जानते हुए कोई भी लड़की यहां ब्याह करने को तैयार नहीं होती। नतीजा, आर्थिक रूप से मजबूत और पढ़े-लिखे 40 फीसदी से ज्यादा लड़के कुंआरे बैठे हैं। कुछ लड़केवाले तो अपने लड़के की शादी के लिए दहेज देने की भी पेशकश करते हैं, लेकिन फिर भी बात नहीं बन पाती।

Wednesday, January 14, 2009

प्रकृति की गोद में बालकों को लगा प्यारा सा अहसास

आठो प्रहर प्रकृति की गोद में रह कर प्राकृतिक माहौल और आबोहवा का अहसास। जनवरी की कडकडाती ठण्ड के बीच रात गुजारना और प्रकृति के हमझोली बनने की अनुभूति।
स्काउट इको क्लब से जुडे 50 विद्यार्थी यह अहसास इन दिनों तेजो का गुडा में पा रहे है। यह अवसर मुहैया करवाया है वन विभाग की ओर से आयोजित पर्यावरण जागरूकता िशविर के माध्यम से। िशविर में प्रकृति के माध्यम से बालमन की समझ विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। विद्यार्थियों को तीन दिनों से दो रात प्रकृति की गोद में गुजारनी होती है। कुम्भलगढ तहसील अंतर्गत वन विभाग के ईको टूरिज्म स्थल तेजो का गुडा में चल रहे िशविर में अहमदाबाद की संस्था एनाला के प्रकृति विशेशज्ञ रमेश उत्तम प्रकृति के बारे में नई-नई जानकारी देते है। इनके साथ संस्था के एडवेंचर विशेशज्ञ जिगनेश पटेल छात्रों को एडवेंचर एिक्टविटीज करवाते है। इस कार्य में उप वन संरक्षक राहुल भटनागर, मणिशंकर चौबीसा आदि उनका सहयोग कर रहे है। विद्यार्थियों को तेजो का गुडा में कपडे में बने तम्बूनुमा टेंट में ठहराया जा रहा है। 11 तम्बू में छह-छह छात्रों को ठहराया जा रहा है। राहुल भटनागर ने बताया कि पर्यावरण जागरूकता िशविर का उद्देश्य प्रकृति के माध्यम से मानव विकास करना है। विद्यार्थियों को प्रकृति के पास रहकर प्रकृति के बारे में जानकारी देना एवं उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करें।

पालछ गांव में प्रशासन जुदा-जुदा

शायद आपकों जानकर हैरत हो मगर यह सच है कि राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के कुम्भलगढ क्षेत्र में एक गांव ऐसा भी है जिसके दो जिला मुख्यालय है। राजसमन्द और उदयपुर जिले की सीमा पर बसे कुम्भलगढ उपखण्ड के पालछ गांव की इस अजीब सी परेशानी की वजह सिर्फ इतनी है कि यहां के जिला कलक्टर उदयपुर में बैठते है और पुलिस अधीक्षक राजसमन्द में। केलवाडा थाने के अधीन इस गांव में लोगों की मुसीबत यह है कि उन्हें यदि ऐसे किसी मामले का हल करवाना हो जिसमें पुलिस व प्रशासन दोनों की मदद की दरकार हो तो उनकी एक टांग राजसमंद और दूसरी उदयपुर में रखनी होती है। करीब पांच सौ गांव की आबादी वाले इस गांव में 125 घरों की बस्ती है। इसके समीप लगने वाली रमण की भागल के साथ ही यही समस्या है। यह गांव उदयपुर जिले की गोगुंदा तहसील की गुंदाली ग्राम पंचायत में आता है। वशZ 1993 के बाद से अब तक गांव से जुडे 32 प्रकरण सामने आए है जो केलवाडा पुलिस थाने में दर्ज हुए है। दहेज हत्या जैसे मामले की जांच एसडीएम करते है। तब यह समस्या आती है लेकिन इस गांव में अब तक ऐसा मामला सामने नहीं आया है। पहले यह गांव राजसमन्द जिले की कुम्भलगढ तहसील की कुंचौली ग्राम पंचायत में आता था। 1991 में उदयपुर से टूटकर राजसमन्द जिला अलग बनने के बाद भी यह गांव राजसमन्द से अलग नहीं हो पाया। इसके तीन साल बाद क्षेत्रवासियों की मांग और 1994 में पंचायतों के पुनर्गठन के बाद उदयपुर जिले में शामिल कर लिया गया। तब गोगुंदा पंचायत समिति की करदा पंचायत से टूट कर नई बनी गुंदाली ग्राम पंचायत में पालछ में शामिल हो गई।

Tuesday, January 13, 2009

प्रधानमंत्री जी मीडिया को नहीं बनाए सरकारी भोपू

केंद्र सरकार की ओर से मुंबई हमलों की कवरेज का बहाना लेकर न्यूज चैनलों पर बेड़ियां डालने के खिलाफ मीडिया एकजुट हो गया है। सरकार की इस कोशिश के खिलाफ सभी न्यूज चैनलों ने मोर्चा खोल लिया। तमाम न्यूज चैनलों के संपादकों ने सेंसरशिप के विरोध में प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी है। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस नए प्रस्तावित कानून को किसी भी सूरत में रोकने की अपील की है। एडीटर्स गिल्ड और प्रेस क्लब ने भी एक बयान जारी कर सरकार की इस कोशिश पर चिंता जाहिर की है। सरकार केबल टेलीविजन नेटवर्क( रेगुलेशन) एक्ट में संशोधन करने जा रही है। एक रेगुलेटरी लाकर टीवी चैनलों को नियंत्रित करने की कोशिश है। सरकार की चली तो तमाम टीवी चैनल सरकारी भोंपू बन कर रह जाएंगे। लेकिन मीडिया ने सरकारी हाथों की कठपुतली बनने से साफ इनकार कर दिया है। तमाम टीवी न्यूज चैनलों के संपादकों और पत्रकारों ने मिलकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सवाल पूछे हैं, उन्हें एक चिट्ठी लिखी है। उनसे मिलने के लिए वक्त मांगा गया है। पीएम को भेजे खत में साफ लिखा गया है कि सरकार के इस कदम से पत्रकार बिरादरी में और उन तमाम लोगों में खासा असंतोष है जो अभिव्यक्ति की आजादी में यकीन रखते हैं। संपादक होने के नाते हमारा ये मानना है कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं को जिंदा रखने के लिए उनकी निगरानी जरूरी है, ये निगरानी मीडिया करता है। अगर सरकार ने मीडिया को अपने हाथ में लेने की कोशिश की तो लोकतंत्र की शक्ल हमेशा के लिए बिगड़ जाएगी। इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए कंटेट कोड को अंतिम रूप दिया जा चुका है। माना जा रहा है कि ये कोड जनवरी के अंत तक जारी कर दिया जाएगा। इसमें साफ है कि आतंकवादी हमला, सांप्रदायिक दंगा, हाईजैकिंग या बंधक बनाये जाने जैसी किसी भी वारदात के दौरान मीडिया अपनी ओर से कोई कवरेज नहीं कर पाएगी। न्यूज चैनलों को सिर्फ वही फुटेज दिखाना पड़ेगा जो सरकारी अधिकारी उपलब्ध कराएंगे। यानी घटना को लेकर सरकारी अमला अपनी कहानी पकाएगा और मीडिया की कनपटी पर बंदूक रखकर उसे बाध्य किया जाएगा कि वो वही कहानी जनता के सामने उसी तरह पेश करे। मामला यहीं खत्म नहीं होता।

चाहिए बीयर की पेटी, लो बिकाउ है मेरी बेटी

अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए रिश्तो की बलि कैसे दी जाती है इसका एक उदाहरण केलीफोनिया में देखने को मिला जहां एक बाप ने सोलह हजार डालर, बीयर की सौ पेटियां और मांस के डिब्बे - एक बाप ने अपनी 14 वर्षीय बेटी की यही कीमत लगाई। पुलिस ने अपनी बेटी को बेचने का इंतजाम कर रहे एक व्यक्ति को कैलिफोर्निया में गिरफ्तार किया है। यहां से 225 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित ग्रीनफील्ड में अधिकारियों ने कहा कि 36 वर्षीय स्पेनी व्यक्ति ने एक 18 वर्षीय लड़के को अपनी बेटी बेच दी थी। वह लड़का उसकी बेटी से शादी करने वाला था। यह मामला तब सामने आया जब लड़की के पिता ने पुलिस में यह शिकायत दर्ज की कि उनकी बेटी के संभावित पति ने उस करार को पूरा नहीं किया है जो उन दोनों के बीच हुआ था। इस करार का एक गवाह भी था। पुलिस ने स्पेनी व्यक्ति को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है जबकि 18 वर्षीय लड़के के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है। बच्ची अपने घर वापस लौट गई है।

कड़कड़ाती ठंड में आईजी को गिरफ्तार करने की मांग पर अडी है महिला वकील

यमुनानगर की एक महिला वकील ने धमकी दी है कि आईजी एम. एस. अहलावत को गिरफ्तार करो, नहीं तो मैं जान दे दूंगी । उनका आरोप है कि आईजी महेंद्र सिंह अहलावत ने उनको सेक्सुअली हैरेस किया है। यह महिला वकील सोमवार से इंसाफ की आस में हरियाणा पुलिस मुख्यालय के सामने धरने पर बैठी है। कड़कड़ाती ठंड की भी उसे परवाह नहीं है। उसका कहना है कि पिछले कई सालों से वह शिकायत कर रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उसने कहा है कि इस बार वह इंसाफ लेकर ही यहां से उठेगी। सारी रात वह ठंड में ही पुलिस मुख्यालय के बाहर बैठी रही। पुलिस हेडक्वॉर्टर के बाहर बैठी इस महिला का कहना है कि आईजी के हाथ लंबे हैं। उन्होंने जितनी शिकायतें कीं, उन पर आईजी ने कार्रवाई नहीं होने दी। वह बहुत डरी हुई है। उसने आशंका जताई है कि आईजी उसके साथ कुछ भी करवा सकते हैं। महिला ने बताया, मैं अपने ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज मामले की पैरवी करने के लिए तत्कालीन एसपी एम. एस. अहलावत से मिलती थी। इस दौरान उसने मुझसे फोन पर बातचीत की और एक दिन मुझे सेक्सुअली हैरेस किया। यह घटना 2002 की है। तब अहलावत यमुनानगर के एसपी हुआ करते थे। मैंने मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत भेजी थी, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होने दी गई। मैंने पिछले साल 26 जून को डीजीपी रंजीव दलाल के पास पेश होकर शिकायत की थी। इस पर डीजीपी ने डीआईजी डॉ. आर. सी. मिश्रा, एसपी चारू बाली और डीएसपी राजेश दुग्गल की एक संयुक्त टीम गठित करके जांच कराई थी। यह जांच कहां तक पहुंची मुझे कुछ पता नहीं है। अब मैं परिणाम चाहती हूं। आईजी को फौरन गिरफ्तार किया जाए। इतने पुराने मामले को अब उजागर करने की बाबत महिला ने कहा, ' पहले मैं डरी हुई थी। पुलिस के हाथ बहुत लंबे होते हैं। मैंने निश्चय किया है कि मैं सामने आऊंगी और आईजी की कारगुजारी को सबके सामने लाऊंगी। ' आईजी एम. एस. अहलावत इस समय अंबाला में विजिलंस ब्यूरो में तैनात हैं। वह 19 मई को इसी साल रिटायर हो जाएंगे। आईजी ने कहा है कि महिला के आरोप निराधार हैं। इस मामले की पहले भी कई बार जांच हो चुकी है। आरोप सही नहीं पाए गए। उन्होंने कहा, ' जब यह मामला इतना पुराना है, तब महिला इतने साल बाद क्यों बोल रही है? '

Monday, January 12, 2009

थाने में पुलिसिया रोब नहीं सत्यनारायण की होती है कथा

थाने में अभियुक्तों की गिड¸गिडाहट और पुलिस की कड¸क आवाज की जगह शंख की ध्वनि, हवन से उठते धुएं और मंत्रोच्चार सुनाई पडे¸ तो यह किसी ताजुब से कम नहीं। रçववार की सुबह स्टेशन पर खडे¸ यात्री यह नजारा देखकर भौचक हो गये। रल थाने में सत्यनारायण की कथा चल रही थी। वह भी घर-परिवार की शांति के लिए नहीं थाना क्ष्ोत्र में çवधि व्यवस्था कायम रखने और जवानों की सलामती के लिए।
इसे भगवान में अटूट विश्वास कहें या श्रद्धा आरा रल थानाध्यक्ष çवनोद कुमार प्रत्येक पूर्णमासी को थाने में पूजा व हवन कराते हैं। पूर्णमासी के दिन पंडित जी सुबह आ जाते हवन और पूजा की तñयारी शुरू हो जाती हñ। चार-पांच जवान पूजा पर बñठते हवन वहीं पूजा के दौरान भगवान से इस बात की प्रार्थना की जाती हñ कि उनके थाना क्ष्ोत्र में çवधि व्यवस्था बनी रहे। आपराधिक घटनाएं न घटे और डKूटी पर तñनात जवान सलामत रहें।
एेसा माना जाता हñ कि पूर्णमासी के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने से भौतिक, दैहिक और दñहिक तीनों प्रकार के कष्टों का नाश होता हñ। रल थानाध्यक्ष çवनोद कुमार ने इस बावत पूछने पर कहा कि थाने पर पूजापाठ करवाने से आत्मा को संतुष्टि मिलती हñ। थानाध्यक्ष की मानें तो वे गया व मोकामा में भी प्रत्येक पूर्णमासी को पूजा-पाठ करवाते fो।

कानून मंत्री को कम छुटटी लेने पर होना पडा आलोचना का शिकार

फ्रांस की कानून मंत्री रशीदा दाती को कम छुट्टी लेने के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, लोग उनके रवैए से ख़ासे उत्तेजित हो गए हैं। दरअसल, अपनी बेटी को जन्म देने के बाद रशीदा ने सिर्फ़ पाँच दिन की छुट्टी ली और छठे दिन मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल होने के लिए पहुँच गईं। विरोध करने वालों का कहना है कि रशीदा ने एक ग़लत मिसाल पेश की है और उनके इस कारनामे की वजह से महिलाओं पर दबाव बढ़ेगा कि वे मातृत्व अवकाश कम से कम लें। मोरक्को मूल की रशीदा ने 2 जनवरी को सिज़ेरियन ऑपरेशन के ज़रिए बच्ची को जन्म दिया था जिसका नाम ज़ोहरा रखा गया है। उन्होंने पाँच दिन के अंतराल पर अपने काम पर लौटते हुए कहा कि वे अच्छा महसूस कर रही हैं और काम शुरू कर सकती हैं। महिला अधिकारों के लिए संघर्ष चलाने वाली संस्था नेशनल कलेक्टिव की माया स्त्रुडैस्ट ने कहा, "यह तो बहुत ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार है, कंपनियाँ महिला कर्मचारियों पर दबाव डाल सकती हैं कि वे प्रसव के बाद जल्दी काम पर लौटें।" फ्रांस में महिलाओं को चार महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है जिस दौरान उन्हें पूरा वेतन मिलता है, लेकिन फ्रांसीसी मंत्री श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ता फ्लोरेंस मोंत्रे ने दाती की तुलना 1920 के दशक की महिला मज़दूरों से की जो कई बार फैक्टरियों में ही बच्चे को जन्म देती थीं, उनका कहना है कि उनके इस क़दम से कामकाजी महिलाओं के लिए मुसीबतें बढ़ सकती हैं। पत्रकारों का कहना है कि दाती अगले महीने काफ़ी व्यस्त रहने वाली हैं। दाती पहले भी विवादों में रही हैं, 43 वर्षीय मंत्री पहली बार माँ बनी हैं और उन्होंने अपने बच्चे के पिता नाम गुप्त रखा है।

युवराज के लिखा गीत ने पाई स्लम डॉग में तारीफे

बॉलीवुड के दिग्गज संगीतकार ए।आर। रहमान को हॉलीवुड फिल्म ``स्लमडॉग मिलियनेयर'' के जिस गाने के लिए सबसे अधिक तारीफ मिल रही है, वह दरअसल किसी और फिल्म के लिए लिखा गया था।आजा-आजा शामयाने के तले शीर्षक वाले इस गीत को गीतकार गुलजार ने शोमैन सुभाष घई की हाल ही में प्रदर्शित फिल्म युवराज के लिए लिखा था। यह गीत युवराज में तो शामिल नहीं हो सका लेकिन स्लमडॉग मिलियनेयर में इसकी सफलता ने ऑस्कर पुरस्कारों को प्रभावित करने में सफलता हासिल की है।गुलजार ने इस हकीकत पर से पर्दा उठाते हुए कहा, मैंने आजा-आजा शामयाने के तले/जरी वाले नीले आसमान के तले गीत युवराज के लिए लिखा था। हालांकि सुभाष ने किन्हीं कारणों से इस गीत को अपनी फिल्म में शामिल नहीं किया।बकौल गुलजार, इसके बाद रहमान ने मुझे इस गीत को स्लमडॉग मिलियनेयर में आजमाने का सुझाव दिया। मैंने इस संबंध में सुभाष से बात की और वे भी मान गए। मैं इस गीत की सफलता से खुश हूं। रहमान ने इस गीत को जीवंत बना दिया है।आजा-आजा शामयाने के तले की सफलता का यह आलम है कि इसे एकेडमी अवार्ड्स के सर्वश्रेष्ठ गीत वर्ग के लिए नामांकित किया गया है। इसके अलावा यह गीत लास एंजेलिस क्रिटिक्स च्वाइस अवार्ड भी जीत चुका है। यही नहीं, इसे न्यूयार्क क्रिटिक्स च्वाइस अवार्ड के लिए भी नामांकित किया गया है।

Thursday, January 8, 2009

नगर निगम अध्यक्ष के घर शादी हो तो क्यों न आए गली के श्वानों की शामत

वसई के नवघर माणिकपुर म्युनिसिपल काउन्सिल के अध्यक्ष की पुत्री का रविवार को विवाह था। यहां के रहनेवाली हेमा पटेल (बदला हुआ नाम) का आरोप है कि विवाह में आने वाले मेहमानों को कठिनाई न हो इसके लिए गली के श्वानों को पकड़ा गया। कुत्ते भौके नहीं इसके लिए अध्यक्ष के बिना आदेश से महानगर पालिका के कर्मचारियों ने कई श्वानों को पकड़ कर ले गए और पिंजरे में डाल दिया। उन श्वानों मे हेमा का पिछले कई वर्षो से दत्तक लिए एक अंध मादा श्वान का भी समावेश था। सभी श्वानों की स्थिति दयनीय होने पर अध्यक्ष ने इस घटना के लिए जबाबदार नहीं होने का कहकर फोन रख दिया। दक्षिण मुंबई फाईव स्टार होटल में ब्युटीपार्लर का काम करने वाली और वसई के दीवानमाल क्षेत्र से रहनेवाली हेमा पटेल पिछले 15 वर्षों से गली में रहने वाले एवं भटकने वाले श्वान को नियमित दो बार खाने को देती है।हेमा का आक्षेप है कि एनएमएमसी के अध्यक्ष की पुत्री के विवाह में आए मेहमानों को श्वान भौंके नहीं और विवाह में व्यवधान नहीं पड़े इसके लिए नारायण मानकर के आदेश को ध्यान में रखकर महानगरपालिका कर्मचारियों ने लगभग 30 से अधिक श्वान को पकड़ कर ले गई। उन श्वान को वसई रोड़ रेलवे स्टेशन के पास एक पिंजरे में डालदिया गया। उन कुतों में हेमा की एक अंध मादा श्वान का भी समावेश था कर्मचारियों ने श्वान को छोडने को कहा पर विवाह पूरा होने के बाद।इस प्रकरण की जानकारी के अनुसार 28 दिसंबर काð पकड़े गए सभी श्वानों को रात भर भूखा प्यासा रखा। संकरी जगह होने से कुत्ते एक दूसरे को काट रहे थे। कईयों के गले से खून बह रहा था। हेमा ने उन्हें खाने के लिए पूछा तो कर्मचारियों ने कहा कि श्वानों को खिलाने के लिए पैसा नहीं है इसलिए खाने को नहीं दिया। वह श्वानों को खिलाने के लिए हर माह 2500 रुपये खर्च करती है। पिंजरे में डाले श्वानों की दयनीय स्थिति देखकर उसने मुंबई की सोसायटी ऑफ प्रिवेन्शन ऑफ क्रुअल्टी टु एनिमल्स के अधिकारियों से संपर्क किया। लेकिन वह अपनी ऑफिस में नहीं होने से मदद के लिए असमर्थता जाताई। अंत में उसने मिडिया की मदद मांगी।

मिस्ड कॉल बाबा ने कर दी चट मंगनी पट ब्याह

एक मिस्ड कॉल से शुरू हुई लव स्टोरी सिर्फ 8 दिन में शादी तक पहुंच गई। परिजन शादी के लिए राजी नही हुए तो लवर्स ने घर से फरार होकर मंदिर में शादी कर ली। परिजनों की शिकायत के बाद फिलहाल पुलिस यह जांच करने में लगी है कि लड़का और लड़की बालिग हैं या नहीं। पुलिस कहना है कि जांच में यदि दोनों बालिग मिलते है तो उन्हें अपनी मर्जी से साथ रहने के लिए रिहा कर दिया जाएगा। ऐसा नहीं हुआ तो लड़की को उसके परिजनों को सौंपकर युवक को जेल भेज दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मेरठ के मवाना से एक लड़की मुजफ्फरनगर निवासी एक लड़के के साथ 30 दिसंबर को फरार हो गई थी। लड़की के परिजनों ने घटना की रिपोर्ट मवाना कोतवाली में दर्ज कराई। पुलिस फरार लड़के-लड़की की तलाश में जुटी ही थी कि अचानक शनिवार को दोनों सर्कल पुलिस अधिकारी के दरबार में पहुंच गए। लड़की ने सर्कल ऑफिसर को या कि वह दसवीं की स्टूड़ंट है और अपनी मर्जी से लड़के के साथ भाग कर आई है। उसने यह भी बताया कि वह युवक के साथ मंदिर में शादी कर चुकी है। लड़की के अनुसार एक मिस्ड कॉल के जरिए वह लड़के के नजदीक आई थी। युवक का कहना था कि वह पेंटर का काम करता है और मिस्ड कॉल के बाद उसका लड़की से प्रेम हुआ और सिर्फ 8 दिन में हमने शादी करके एक साथ रहने का फैसला ले लिया।

भारत की धरती आतंकवाद के लिए नहीं : प्रधानमंत्री

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि किसी भी देश को अपनी धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने देना चाहिए। चेन्नई में गुरुवार से शुरु हुए प्रवासी भारतीय दिवस के उदघाटन संबोधन में मनमोहन सिंह ने कहा, "इस बात के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की ज़रूरत है कि कोई भी देश अपनी धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने दे।" उनका कहना था, "हम अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ मिल कर आतंकवाद का मुक़ाबला करेंगे और ऐसी ताकतों को समाज में विघटन पैदा करने से रोकेंगे।" भारतीय प्रधानमंत्री ने ग़ज़ा पट्टी में इसराइली हमले की निंदा करते हुए अलग फ़लस्तीन राष्ट्र के लिए भारत का समर्थन दोहराया। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से कहा कि मंदी के बावजूद बुनियादी मज़बूती के बूते भारत का आर्थिक विकास दर सात फ़ीसदी रहेगा। इस सम्मेलन को देखते हुए पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। सम्मेलन के आयोजकों में से एक को मिले धमकी भरे ई-मेल और चेन्नई स्थित एयर इंडिया के दफ़्तर में आए धमकी भरे पत्र को देखते हुए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं। 26 नवंबर को मुंबई में हुए चरमपंथी हमलों के बाद भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह पहला बड़ा सम्मेलन है। पहली बारी राजधानी दिल्ली की जगह चेन्नई को इसकी मेज़बानी मिली है क्योंकि चेन्नई सुरक्षा की दृष्टि से महफ़ूज़ माना गया। साथ ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने इसके आयोजन की इच्छा जताई थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा कई अन्य केंद्रीय मंत्री और कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस सम्मेलन में प्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों और भारत के विकास में उनके योगदान पर चर्चा होगी

ठोस सबूत से डर रहे है पाकिस्तानी शीर्ष नेता

आतंकवादी हमलों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बने जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव के कारण पाकिस्तान भारत द्वारा मुहैया कराए गए सबूतों की तहकीकात करने तथा अपने जाँचकर्ताओं को मुंबई में आतंकी हमलों के शिकार हुए स्थलों पर जाने देने की बात कह रहा है।पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के माध्यम से पाकिस्तान ने भले ही भारतीय सबूतों को खारिज करने की बात कही हो, लेकिन उसके शीर्ष नेता अंदर से सहमे हुए हैं।पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के काबुल से वापस लौटने पर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने मंगलवार देर शाम उनसे मुलाकात कर दिनभर के हालात पर गंभीर विचार किया।मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि राष्ट्र प्रमुख और शासन प्रमुख के बीच द्विपक्षीय बैठक में भारतीय नेताओं के बयानों का विश्लेषण किया और इस बात पर सहमति जताई कि भारत द्वारा दिए गए सबूतों की जाँच कराई जाएगी तथा इसमें जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी करना पड़ेगी।पाकिस्तान की सूचना प्रसारण मंत्री शैरी रहमान ने एक टेलीविजन चैनल को बताया पाकिस्तान सरकार ने सबूतों की जाँच की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि आगे की कार्रवाई से पहले सरकार जाँच पूरी होने का इंतजार करेगी तथा वह चाहेगी कि पाकिस्तानी जाँचकर्ताओं को मुंबई के आतंकी हमला स्थलों तक जाने की इजाजत भी मिले।कूटनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के एक तरफा और कठोर रवैये के कारण पहले से परेशान पाकिस्तान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कल के आक्रामक बयान और सबूतों के जरिये बने कूठनीतिक दबाव को झेल नहीं पा रहा है।

Tuesday, January 6, 2009

पाकिस्तान भारत के खिलाफ सबूत तैयार कर इसे दुनिया भर में बांटने की तैयारी में

पाकिस्तान ने मुंबई हमले के संबन्ध में भारत द्वारा सोमवार को पेश किए गए सबूतों को पुराने अंदाज में अपर्याप्त बताते हुए खारिज कर दिया और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए उल्टे भारत के खिलाफ सबूतों का पुलंदा तैयार कर इसे दुनिया भर में बांटने की योजना बना ली है।पाकिस्तान ने सोमवार को दिए गए सबूतों को अपर्याप्त करार देते हुए कहा है कि इनके आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। भारतीय विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायुक्त शाहिद मलिक और इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त सत्य पाल ने पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर को मुंबई हमलों पाकिस्तानी तत्वों की संलिप्तता को उजागर करने वाले सबूत सौंपे हैं।समाचार पत्र द नेशन ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस्लामाबाद आए अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री रिचर्ड बाउचर से सोमवार को हुई बातचीत में भी अपना यह पक्ष रख दिया है।सूत्रों के अनुसार भारत द्वारा उपलब्ध कराए गे प्रमाण मुंबई में गिरफ्तार आतंकवादी अजमल आमिर कसाब के इकबालिया बयान और हमले के दौरान टेलीफोन पर की गई बातचीत के एक टेप, हथियार एवं अन्य सामग्रियों की बरामदगी पर आधारित हैं।सूत्रों ने बताया कि श्री बाउचर से स्पष्ट शब्दों मे कहा गया है कि पाकिस्तान के समक्ष लाए गए सबूत इतने अपर्याप्त हैं कि उनके आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसके अलावा कसाब का बयान भारतीय जांच एजेंसियों की प्रताडना और दबाववश जबरन दिलवाया गया हो सकता है। इसलिए इसका कानूनी महत्व नगण्य है।सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान भारत सरकार को एक दो दिन में अपना जवाब आधिकारिक तौर पर भेज देगा।इस बीच एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने अपने आधिकारिक बयान में भारतीय सबूतों के अध्ययन के लिए एक कमेटी गठित किए जाने की घोषणा की है। लेकिन विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने अखबार से बातचीत में कहा कि भारतीय दस्तावेजों में वही सब बातें कही गई हैं जो भारत के मीडिया में पहले से ही प्रचारित हो रही हैं। इसमें नया कुछ भी नहीं है।अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान ने भी उसके कबायली इलाकों और बलूचिस्तान में हुईं आतंकवादी घटनाओं में भारत की भूमिका को लेकर एक दस्तावेज तैयार किया है इसमें काबुल स्थित भारतीय उच्चायोग की भूमिका का ब्यौरा शामिल है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जल्द ही इस दस्तावेज को अमेरिका एवं अन्य प्रमुख देशों को सौंपेगा और उन्हें बताएगा कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए वास्तव में कौन सा देश जिम्मेदार है और अपने पड़ोसी देशों में आतंकवाद का समर्थन कर रहा है।अधिकारी ने भारत द्वारा वांछित आतंकवादी उसे सौंपे जाने की संभावना से एक बार फिर साफ इनकार किया।

महापुरूषों को उसने माफिया बना दिया

कैसी विडम्बना है कि जिन महापुरूषों को भारत के नागरिक महान मानते हुए उन्हें पूजते आए है उसी भारत का एक मंत्री इन महापुरूषों को माफिया बताने से भी नहीं चुक रहा है। उत्तर प्रदेश के एक और कैबिनेट मंत्री ने सरकार की किरकिरी करा दी है। मायावती सरकार के मंत्री अवधपाल सिंह ने महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह आदि को माफिया बताया है। उनकी नजर में डीपी यादव एक बहादुर व्यक्ति हैं।इतना ही नहीं मुकदमों का दर्ज होना शायद माया सरकार के इस मंत्री की नजर में एक सम्मान है। डीपी यादव पर मुकदमों पर उठे एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह तुलना कर डाली थी।गौरतलब है कि अवधपाल सिंह का इतिहास बड़ा दागदार है। ये शराब माफिया हैं। इन पर हत्या, लूट के प्रयास और बलात्कार के 24 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। ये कच्ची शराब का धंधा भी करते हैं। इतना ही नहीं अभी पंद्रह दिन पहले इनके गांव से तीन लाख लीटर अवैध शराब भी पकड़ी गई है। इनके पिता लटरी सिंह यादव डकैत छविराम गैंग के सदस्य थे और उन पर भी 40 से ज्यादा मुकदमें दर्ज थे। वे भी पांच बार विधायक रहे हैं।



बिगडती अमरीकी अर्थव्यवस्था को बराक देंगे नया पैकेज

अमरीका के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित बराक ओबामा ने अमरीका की अर्थव्यवस्था को बहुत गंभीर बताते हुए कहा है कि हालात और बिगड़ते जा रहे हैं
उन्होंने उम्मीद जताई कि अमरीका में नौकरियों के इस सप्ताह के अंत में आने वाले ताज़ा आँकड़ों में कुछ सुधार होगा।
इससे पहले उन्होंने वाशिंगटन में राजनीतिक नेताओं से देश की अर्थव्यवस्था सुधारने और नई नौकरियाँ पैदा करने के उपायों के बारे में बात की।
अमरीका के मीडिया की रिपोर्टों का कहना है कि ओबामा 800 अरब डॉलर से ज़्यादा के एक बड़े राहत पैकेज की योजना बना रहे हैं जिसमें टैक्सों में 300 अरब डॉलर की कमी भी शामिल है।
ओबामा ने कहा कि वे ऐसी योजना बनाना चाहते हैं जिससे 2011 तक 30 लाख नई नौकरियाँ पैदा हों । नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि वे 20 जनवरी को अपने पद ग्रहण के बाद एक राहत पैकेज जल्दी ही लागू करवाएंगे।
उन्होंने कहा, "अर्थव्यवस्था वाकई बेहद खराब स्थिति में है। हमें इस पर कार्रवाई करनी होगी। यह कार्रवाई हमें तुरंत करनी होगी ताकि इस मंदी की गति पर कुछ रोक लगे।"
उनका कहना था, "हमारे सामने अर्थव्यवस्था के रूप में एक बड़ी और असाधारण चुनौती है और हम इस सप्ताह के अंत में नौकरियों की रिपोर्ट में सुधार की उम्मीद करते हैं।"
अमरीका का श्रम विभाग शुक्रवार को दिसंबर की रोज़ग़ार रिपोर्ट जारी करेगा।
जानकारों को उम्मीद है कि बेरोज़गारों की संख्या पाँच लाख तक बढ़ सकती है जिससे 2008 में अमरीका में नौकरियों का कुल नुकसान 25 लाख हो जाएगा।
ओबामा ने कहा, "राजनीतिक परिदृश्य के अर्थशास्त्री मानते हैं कि अगर हमने दृढ़ता और तेज़ी से कार्रवाई नहीं की तो हम अर्थव्यवस्था को और भी नीचे जाते देखेंगे। इससे बेरोज़ग़ारी दोगुनी हो सकती है और अमरीका के सपने इतने दूर हो सकते हैं जहाँ तक हमारी पहुँच न हो।" इस पैकेज में साल में दो लाख डॉलर से कम कमाने वाले लोगों के लिए टैक्स में छूट और ज्यादा लोगों को भर्ती करने वाली कंपनियों के लिए टेक्स क्रेडिट शामिल है।
ज़्यादातर कामग़ारों के लिए 500 डॉलर और दंपत्ति के लिए एक हज़ार की टैक्स कटौती के अलावा इस पैकेज में व्यापार के लिए सौ अरब डॉलर की टैक्स रियायतें शामिल हैं।
इसमें पिछले साल नुकसान झेल चुकी कंपनियों को पिछले पाँच साल में हुए मुनाफ़े को देखते हुए ऋण दिए जाने की भी योजना है।

Sunday, January 4, 2009

लालू प्रसाद चले जापान

जब से लालू प्रसाद यादव ने रेलवे में मुनाफा बढाना क्या शुरू कर दिया है उन्हें सभी लोग मेनेजमेंट गुरु के रूप में पूजने लगे है। अब देखो लम्बी-चौडी पढाई करने वाले मेनेजमेंट गुरुओ का जमाना नहीं रहा अब लालू ही मेनेजमेंट के फण्डे सिखाएंगे वह भी जापना के छात्रों को रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव अब भारतीय रेल के कायाकल्प के बारे में जापानी स्टूडंट्स को भी मैनिजमंट मंत्र से रू-ब-रू कराएंगे। इससे पहले वह अहमदाबाद में मौजूद इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनिजमंट और और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडंट्स को प्रबंधन के गुर सीखा चुके हैं। रेल मंत्री के निकट सहयोगी व राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता श्याम रजक ने बताया कि लालू जापान सरकार के निमंत्रण पर 11 जनवरी को 10 दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। वहां की रेल व्यवस्था का अध्ययन करने के अलावा लालू तोक्यो सहित कई यूनिवर्सिटी में इंडियन रेल के कायाकल्प के बारे में लेक्चर भी देंगे। रजक ने कहा कि संकट के दौर से गुजर रहे भारतीय रेलवे को लालू ने उबारा और वर्तमान वित्त वर्ष में उन्होंने एक लाख करोड़ मुनाफे का आश्वासन दिया है।

दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए किजिए ऑन लाइन गांधीगिरी

शहर में अपराधियों के आज़ाद घूमने पर आपको किसी मंत्री के खिलाफ गुस्सा जाहिर
करना हो या तेज़ आवाज़ में म्यूजिक बजाने वाले पड़ोसी का विरोध करना हो, अब आप इन्हें ग्रीटिंग्स कार्ड के जरिए अलग अंदाज में शर्मसार कर सकते हैं। आपकी इस मुश्किल को आसान कर दिया है www.papam.in ने। इसके ज़रिए व्यंग्यपूर्ण और अहिंसक तरीके से विरोध प्रदर्शन कर अपने विरोधी को शर्मसार करने के लिए आप उसे कार्ड भेज सकते हैं। www.papam.in के डायरेक्टर ने कहा, ' हमारी साइट पर कार्ड संबंधित लोगों के व्यक्तिगत, स्थानीय और राष्ट्रीय हितों से जुड़ीं चिंता के मुद्दे पर उनके दर्द को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। शुरुआती तौर पर इस सीरीज़ में कुल 14 आम मुद्दों को शामिल किया गया है। मनीष पाठक ने काह, ' इस सीरीज़ को नए कारणों और चिंताओं के साथ अपडेट किया जाता रहेगा। इस पहल से लोग उग्र प्रदर्शन और हिंसा किए बिना सामाजिक मुद्दों पर अभियान भी चला सकेंगे। ' गांधीगीरी कार्ड्स को ऑनलाइन चुना जा सकता है और फिर वग कुरियर के जरिये संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाए जाएंगे। मनीष पाठक के मुताबिक, अधिकारी या मंत्री के लिए जहां उसके खिलाफ उग्र प्रदर्शन टालना आसान होगा, लेकिन डाक के ज़रिए मिले ग्रीटिंग कार्ड को अस्वीकार करना बेहद मुश्किल होगा।

नेपाल सरकार स्थानीय पुजारियों को ही नियुक्त करेगी

काठमांडू स्थित मशहूर पशुपतिनाथ मंदिर में स्थानीय नेपाली पुजारियों को नियुक्त करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और इसका विरोध भी बढ़ रहा है। लेकिन नेपाल सरकार ने स्पष्ट किया है कि पशुपतिनाथ मंदिर में नेपाली पुजारियों को नियुक्त करने के फ़ैसले पर वह क़ायम है। भारत में मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने भी नेपाल सरकार के इस फ़ैसले का विरोध किया है। भारत में इसके विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं.
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय पुजारियों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाने के फ़ैसले के बावजूद नेपाल सरकार ने ये नियुक्ति की है। गुरुवार को सरकार ने ब्राह्मण पुजारियों को हटाकर स्थानीय पुजारियों की नियुक्ति की घोषणा की थी. इसके बाद से ही सरकार के क़दम का विरोध हो रहा है।
दरअसल वर्षों से पशुपतिनाथ मंदिर में प्रमुख पुजारी की भूमिका दक्षिण भारत के ब्राह्मण निभाते हैं, जिन्हें भट्ट कहा जाता है। उनका सहयोग स्थानीय नेपाली पुजारी करते हैं, लेकिन उनका क़द ब्राह्मण पुजारियों से छोटा होता है। पारंपरिक रूप से नेपाल नरेश ही देश के सर्वोच्च पुजारी की नियुक्ति करते थे लेकिन राजशाही की समाप्ति के बाद माओवादियों के नेतृत्व में बनी सरकार स्थानीय पुजारियों को इस सम्मानित पद पर नियुक्त करना चाहती है। नेपाल में अभी नया संविधान नहीं लिखा गया है, इसलिए इस मामले पर अभी क़ानून स्पष्ट नहीं है कि किसे पुजारियों की नियुक्ति का अधिकार है। नेपाल के संस्कृति मंत्री गोपाल किराती का कहना है कि सरकार स्थानीय पुजारियों की नियुक्ति के अपने फ़ैसले पर क़ायम है। गुरुवार को सरकार के फ़ैसले के बाद से ही अन्य पुजारियों ने मंदिर के धार्मिक समारोहों से अपने को अलग कर लिया है। मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस और अन्य हिंदू संगठन भी सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं. पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव का मंदिर है और नेपाल के अलावा भारत में भी यह मंदिर काफ़ी मशहूर है। दूसरी ओर पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी सरकार के इस फ़ैसले को धार्मिक मामलो में राजनीतिक हस्तक्षेप बता रहे हैं. पूर्व नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र ने भी इस विवाद के हल की अपील की है।
ज्ञानेंद्र के सहयोगी पन्हीराज पाठक ने बताया, "ज्ञानेंद्र ने नेपाल सरकार, भक्तों और अन्य लोगों से अपील की है कि वे पशुपतिनाथ मंदिर को राजनीति से ऊपर रखें. उन्होंने कहा है कि आस्था, परंपरा और धार्मिक आचरण हमारे अधिकार और हमारे जीवन की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ राष्ट्रवाद से जुड़े हैं नेपाल के संस्कृति मंत्री ने माना है कि पशुपतिनाथ मंदिर में प्रमुख पुजारी के रूप में स्थानीय पुजारियों की नियुक्ति में कुछ प्रक्रियागत ग़लतियाँ रही हैं लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वे दक्षिण भारतीय पुजारियों की दोबारा नियुक्ति नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने त्यागपत्र दे दिया है।

सब कुछ अलग लेकिन फिर भी है जुडवां

मिशिगन। जुड़वा शब्द सुनते ही पहला ख्याल तो यही आता है कि दो इंसान एक ही दिन साथ पैदा हुए होंगे। लेकिन मिशिगन में पैदा हुए जुड़वा बच्चों के साथ तो बिल्कुल उलटा ही हो गया।दोनों के पैदा होने में सिर्फ 26 मिनट का ही फर्क था। लेकिन कुछ मिनट के अंतर ने केवल तारीख ही नहीं, महीना और साल तक में फर्क ला दिया। घटना बीते 31 दिसंबर 2008 की है। जब मिशिगन के रोचेस्टर स्थित क्रिटेनटन अस्पताल में दो जुड़वा बच्चे पैदा हुए। रोचक बात यह थी कि एक बच्चा तारिक ग्रिफिन 12:17 मिनट पर 1 जनवरी 2009 को दुनिया में आया जबकि दूसरेबच्चा टेरेंस उससे ठीक 26 मिनट पहले यानी 31 दिसंबर 2008 को पैदा हुआ। चंद मिनटों के फासले ने दोनों के जन्म प्रमाण पत्र में बड़ा फर्क ला दिया। अलग-अलग वर्ष में पैदा होने वाले इन दोनों बच्चों में कुछ खास बात है। संयोग से तारिक और टेरेंस के पिता सीनियर टेरेंस भी जुड़वा हैं। उनके माता-िपता बस इसी बात से संतुष्ट हैं कि दोनों बच्चे स्वस्थ हैं।

Saturday, January 3, 2009

अनूठे पेंटिंग्स चोर

अमूमन चोर सूने मकान और दुकान का ताला तोड कर वहां से नकदी, आभूशण और खाद्य सामग्री चुराते है लेकिन राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के नाथद्वारा कस्बे में चोरों ने शनिवार रात को एक दुकान का ताला तोड कर वहां से नकदी और अन्य सामान यथावत रहने दिया जबकि वहां रखी पेंटिंग चुरा कर ले गए।
नाथद्वारा नगर के श्रीजी माकेट स्थित नरेन्द्र शर्मा की पिछवई पेंटिंग की दुकान के ताले तोड कर चोरों ने यहां रखी करीब डेढ लाख रुपए मूल्य की पेंटिंग चुरा ली। रविवार सुबह जब नरेन्द्र का पुत्र दुकान खोलने पहुंचा तो उसके होश उड गए। नरेन्द्र शर्मा के अनुसार उक्त पेंटिंग्स उसने 25 हजार रुपए की सोने की बरक से बनाई थी।

जमीन से मूर्ति निकालने वाले संत रामदास फरार

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के कुम्भलगढ उपखण्ड के कालिंजर गांव से मूर्ति निकालने का दावा करने वाले संत शनिवार को पुलिस पहुंचने से पहले नदारद हो गए। घटना के दूसरे दिन ग्रामीण इस कथित चमत्कार की हकीकत जान चुके थे। पुलिस ने मूर्ति व मौका देख कर ग्रामीणों से पूछताछ की। संत का पता नहीं चल पाया। ज्ञात रहे कि गुरुवार की रात जबलपुर से आए संत रामदास ने गांव के पुराने मकान में चार फीट गहराई तक खड्डा खुदवाया था। पूजा-पाठ के उपरांत यहां ब्रह्मा की मूर्ति निकालने का दावा किया। कई ग्रामीण श्रद्धावश इसे संत का चमत्कार मानने लगे तो कुछ लोगों को संदेह भी हुआ। समाचार आज तक में इस घटनाक्रम को देख कर पुलिस अधीक्षक संतोश चालके ने कुम्भलगढ पुलिस को कालिंजर गांव भेजा लेकिन तब तक संत रामदास नदारद हो गया। इधर ग्रामीणों ने बताया कि संत ने ग्रामीणों से 11 हजार रुपए का चंदा भी मांगा लेकिन ग्रामीण जोड-तोड कर एक हजार रुपए का चंदा दे पाए।

पशुपति नाथ मंदिर का राजनीतिकरण नहीं करे

नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र ने शनिवार को लोगों से पशुपतिनाथ मंदिर विवाद का राजनीतिकरण नहीं करने की अपील की। उन्होंने मंदिर से जुड़े ताजा विवाद पर चिंता जताई है और लोगों से धार्मिक सद्भाव बरकरार रखने को कहा है। माओवादियों द्वारा नेपाल के सबसे पवित्र मंदिर पशुपतिनाथ में जबरदस्ती प्रवेश करने पर विरोध लंबा खिंचने की आशंका है, क्योंकि शीर्ष न्यायालय के एक आदेश को लागू करने के लिए प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार पर दबाव डालने के मकसद से एक संघर्ष समिति का गठन कर लिया गया है।पूर्व गुरिल्लाओं ने नेपाल के उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए बृहस्पतिवार को पशुपतिनाथ मंदिर में जबरदस्ती प्रवेश किया था। शीर्ष अदालत ने मंदिर की 300 साल पुरानी परंपरा के अनुसार नियुक्त किए गए भारतीय ब्राह्मणों की जगह नेपाली पुजारियों को नियुक्त करने पर रोक लगा दी थी।माओवादी एवं यंग कम्युनिस्ट लीग के कार्यकताओं ने बृहस्पतिवार को मंदिर में जबरदस्ती प्रवेश किया और भारतीय ब्राह्मणों की जगह नए पुजारी को वहां रखवाया। इस कदम का मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांगेस और हिन्दू संगठनों तथा मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों ने तुरंत विरोध किया।

इजरायल और हमास के बीच जमीन लडाई शुरू

इसराइली सेना और हमास के चरमपंथी अब ग़ज़ा पट्टी में आमने-सामने हैं. दोनों के बीच ज़मीनी लड़ाई शुरू हो गई है। इसराइल का अपनी ताज़ी कार्रवाई के बारे में कहना है कि ग़ज़ा पट्टी में सेना का प्रवेश और ज़मीनी लड़ाई इसलिए छेड़ी जा रही है ताकि ग़ज़ा के उन हिस्सों पर नियंत्रण किया जा सके जिनका इस्तेमाल हमास के चरमपंथी इसराइल पर हमले के लिए कर रहे है। शनिवार को ही इसराइली सेना ने ग़ज़ा पट्टी के उत्तरी इलाक़े में प्रवेश करना शुरू कर दिया था. इसराइल के टैंक ग़ज़ा पट्टी में प्रवेश करते देखे गए हैं और सीमावर्ती इलाकों से गोलीबारी और धमाकों की आवाज़ें भी सुनी गई है। उधर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक पूरी स्थिति की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि इसराइल को तुरंत ग़ज़ा पट्टी में अपनी ज़मीनी कार्रवाई रोक देनी चाहिए। बान की मून ने बताया कि उन्होंने इसराइल के प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट से बातचीत की है और अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। इसराइल फिलहाल पूरी तरह से युद्ध की मुद्रा में नज़र आ रहा है. इसराइल के रक्षा मंत्री एहुद बराक ने कहा है कि ज़मीनी कार्रवाई लंबी चल सकती है। इसराइल ने कहा है कि हमास बड़ी तैयारी के साथ है और इससे निपटने के लिए संघर्ष लंबा चल सकता है। उन्होंने कहा कि हमास ने इसके सिवा कोई और विकल्प नहीं छोड़ा है. एहुद बराक ने कहा कि उनका देश युद्ध नहीं चाहता है लेकिन अपने नागरिकों को हमास के रॉकेट हमलों के लिए नहीं छोड़ सकता। इसराइल ने हज़ारों की संख्या में अपने रिजर्व सैन्य बल को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं क्योंकि उनका आकलन है कि ताज़ा अभियान लंबा चल सकता है। हमास अधिकारियों ने भी इसराइली सेना के घुसने की पुष्टि की है, लेकिन कहा है कि उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ज़मीनी लड़ाई के साथ-साथ टेलीविज़न तस्वीरों से साफ है कि हवाई हमले भी जारी है। इससे पहले आठ दिन से चल रहे आक्रमण में पहली बार इसराइली सेना ने तोपों का इस्तेमाल किया। तोपों के इस्तेमाल को गज़ा में इसराइली सेना की ज़मीनी कार्रवाई की तैयारी के रूप में देखा जा रहा था। हमास के ख़िलाफ़ किए जा रहे हमलों में अब तक 400 से अधिक लोग मारे जा चुके है।

Friday, January 2, 2009

कालिंजर में जमीन से निकली ब्रहृमा की मूर्ति लोगों में कौतुहल

राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के कुम्भलगढ इलाके के कालिंजर गांव में बीती रात जमीन से ब्रह्मा की प्रतिमा निकलने से लोगों में कौतुहल पैदा हो गया है। पूजा-पाठ के बाद इस मूर्ति को गांव के मंदिर में रखाा गया है। मध्यप्रदेश से आए संत रामदास का दावा है कि उसका सपना हकीकत में बदला है। दो महीने से सपने में यह गांव और मूर्ति दिख रही थी। सपना सच होने की बात से जहां ग्रामीणों में श्रद्धा जाग गई है तो दूसरी ओर कई ग्रामीण ऐसे भी जिनके गले यह कहानी नहीं उतर रही है। वे इसे कोरा अंधविश्वास बता रहे है। प्रशासन ने इस सम्बन्ध में कुछ भी कहने से इनकार किया है।

कालिंजर गांव में मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले से आए संत रामदास ने सपने के बारे में बताकर खुदाई करने को कहा। संत ने कहा कि पिछले दो माह से उसके सपने में यह गांव और एक आदमी जालम दिख रहा था। रामदास ने खुदाई के लिए गुरुवार शाम सात बजे का समय नििश्चत किया। गांव के बीचो-बीच खण्डरनुमा कच्चे मकान में खुदाई शुरू की। करीब चार फीट तक की खुदाई के बाद रामदास उसमें उतरे। दस मिनट तक उस खड्डे के एक कोने में धूप-दीप किया। इसके बाद खड्डे को कपडे से ढक दिया गया। रात करीब साढे आठ बजे संत लाल कपडे में ढकी ब्रह्मा जी की एक छोटीे मूर्ति के साथ निकला। रामदास ने जल, दूध से स्नान कराकर मूर्ति के दशZन कराए। मूर्ति को ग्रामीणों ने श्रद्धा व्यक्त कर नमन किया। गांव में मूर्ति मिलने की खबर के बाद कालिंजर, सांयो का खेडा, कोयल, झीतरिया, गांगा का गुडा सहित राजसमन्द जिले के विभिन्न गांवों से लोगों का मूर्ति अवलोकन के लिए तांता लगा हुआ है।
इस मूर्ति और इसके पिछे की कहानी पर कई लोगों को संदेह भी है। कुछ लोग इसे चमत्कार तो कुछ अंधविश्वास बता रहे है। खुदाई के बाद कालिंजर के पूर्व सरपंच घासीराम गुर्जर ने कहा कि यह मूर्ति पुरानी नहीं लग रही है। ऐसा भी नहीं है कि लग रहा कि यह लम्बे समय तक जमीन में दबी रही हो। गांव के मोहनलाल गुर्जर का भी कुछ इसी तरह कहना है। गोपाल गुर्जर के अनुसार यह सब तंत्र विद्या के खेल से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

भीख मांग कर पढाया बच्चों को

वह भगवान के नाम पर लोगों के सामने हाथ फैलाता। लोग जो कुछ देते उसी से अपना और परिवार का गुजारा चलाता लेकिन वह समय की चालक को भी पहचानता था। जिंदगी भर भीख मांग कर उसने चारों बच्चों को पढाया। आज उसका सबसे बडा पुत्र बीए अंतिम वशZ का छात्र है। यह कहानी है रूपनाथ की।
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले की सांगावास पंचायत स्थित कुण्डेली गांव के रूपनाथ के सिर से छोटी उम्र में ही पिता का साया उठ गया। कुछ समय बाद मां भी उसे छोड गई। ऐसे में उसे और उसके तीन भाइयों को गांव के लोग खाने को दे देते थे। कुछ बडे होने पर चारों भाई भीख मांग गुजारा करने लगे। लोगों की दुत्कार और उपेक्षा रूपनाथ को अखरती थी। उसने तय किया कि अपने बच्चों से यह काम नहीं करवाएगा।
रूपनाथ के अनुसार उसने अपने चारों बच्चों को स्कूल में भर्ती कराया और तय किया कि िशक्षा में कभी रूकावट नहीं आने देगा। वह अपने साथियों के साथ भीख मांगने बडे शहरों में जाता जिस वशZ अच्छी भीख नहीं मिलती, कर्ज लेकर बच्चों की पढाई जारी रखी। लोगों ने खूब टोका परंतु वह जानता था कि आने वाला समय िशक्षितों का है उसके किसी भी भाई ने भी यह समझ नहीं दिखाई। रूपनाथ का बडा बेटा प्रभुनाथ आमेट महाविद्यालय से बीए कर रहा है। उसने छठी से 12वी तक जवाहर नवोदय विद्यालय राजसमन्द में पढाई की। छोटा बेटा राजूनाथ दसवीं में पढ रहा है इसी तरह खूमनाथ ने नवी में और छोटा बेटा दिनेश पांचवी में पढ रहा है। रूपनाथ के बारे में जब राजसमंद जिला कलक्टर को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रभुनाथ को स्वरोजगार कर्ज के लिए रूरल पॉप योजना के तहत बैंक से ऋण देने के लिए आदेश दिए है।

भारत को नहीं सौंपेगे आतंकवादी : पाकिस्तान

पाकिस्तान ने मुंबई हमलों में शामिल या भारत द्वारा वांछित आतंकियों को भारत को सौंपने से साफ इनकार कर दिया है।पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है। हम लोग अपना आंतरिक ढांचा बनाने में जुटे हैं। ऐसे समय इन बातों में फंसा जाएगा तो यह पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह होगा।कुरैशी ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि क्या भारत और अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के आपरेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी, जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर और हाफिज मुहम्मद सईद को भारत के हवाले करने की मांग रखी है? कुरैशी ने यह भी दोहराया कि अजहर पाकिस्तान की हिरासत में नहीं है।कुरैशी का यह बयान भारत को जवाब समझा जा रहा है। गुरूवार को भारतीय विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए प्रत्यर्पण संधि होना जरूरी नहीं है। मुखर्जी ने कहा था कि मुंबई हमले के संदिग्धों के खिलाफ पाकिस्तान को अभी कार्रवाई करनी है। उन्होंने यह भी कहा था कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के मद्देनजर वह ज्यादा दिनों तक कार्रवाई टाल नहीं सकेगा।पाकिस्तान का कहना है कि वह भारत के आरोपों की जांच अपने स्तर पर कर रहा है। कुरैशी ने बताया कि जांच काफी आगे बढ़ गई है, लेकिन उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर अभी ज्यादा कुछ बताया गया तो जांच पर असर पड़ सकता है। उन्होंने भारत से मुंबई हमलों में पाकिस्तानियों का हाथ होने का सुबूत मुहैया कराने की मांग भी दोहराई।कुरैशी ने एक बार फिर युद्ध का हौवा खड़ा करने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को सूचना मिली है कि भारत उसकी सीमा में कुछ चुनिंदा ठिकानों पर हमले की योजना बना रहा है। यह भी कि पूर्वी कमान से नौसेना के जहाजों को पश्चिमी कमान भेज दिया गया है। कुरैशी बोले, इनके अलावा भी भारत की तैयारियों से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तान के पास हैं, लेकिन मैं उनका खुलासा नहीं कर सकता।