Wednesday, October 7, 2009

'उन्होंने पापा को मारा है, मैं भी उन्हें मारूंगा'

माओवादियों ने अगवा किए गए पुलिस इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की गला काट कर हत्या कर दी है। फ्रांसिस को हफ्ताभर पहले अगवा कर लिया गया था। उनके बदले तीन नक्सली नेताओं की रिहाई की मांग की जा रही थी। इन नेताओं में कोबाड़ गांधी का नाम भी शामिल है। केंद्र ने इस मांग को खारिज कर दिया था। मंगलवार को रांची के धुर्वा में मौजूद पुलिस हेडक्वॉर्टर में शहीद फ्रांसिस इंदवार के शव को देखकर कई आंखें नम हो गईं।
हेडक्वॉर्टर के कंट्रोल रूम में बैठे शहीद फ्रांसिस इंदवार के बेटे अभिषेक भी भावनाओं ज्वार - भाटों में डूब - उतर रहे हैं। पिता की मौत से ग़म के सागर में डूबे 10 साल के अभिषेक अचानक ऐलान करते हैं , '' मैं नक्सिलयों ने मेरे पापा को मारा है। मैं भी बड़ा होकर पुलिस बनूंगा और एक - एक को मारूंगा। '' शहीद इंसपेक्टर के तीन बेटे हैं। अभिषेक उनमें सबसे छोटा है।
तस्वीरों में : शहीद फ्रांसिस के ग़म में टूटा परिवार
गौरतलब है कि इस बहादुर इंस्पेक्टर के परिवार ने भी सरकार से कह दिया था कि फ्रांसिस के बदले किसी को न छोड़ा जाए। रांची के एसपी ( रूरल ) हेमंत टोपो ने बताया कि राज्य पुलिस की खुफिया ब्रांच में काम कर रहे 37 वर्षीय इंदवार का शव उनके कटे हुए सिर के साथ यहां से करीब 12 किलोमीटर दूर नामकोम पुलिस स्टेशन के तहत राइशा घाटी के पास बरामद किया गया।
माओवादियों ने 30 सितंबर को यहां से करीब 70 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के हेमब्रोम बाजार से इंदवार का अपहरण कर लिया था। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं। ख़बरों के मुताबिक माओवादियों ने अधिकारी को छोड़ने के बदले तीन नक्सली नेताओं गांधी , छत्रधर महतो और भूषण यादव की रिहाई की मांग की थी।
कहा जा रहा है कि संगठन के दक्षिण छोटानागपुर समिति के सचिव समरजी ने शनिवार को एक लोकल अखबार को फोन कर अधिकारियों तक अपनी मांग पहुंचाई थी। हालांकि , केंद्रीय गृह मंत्री पी . चिदंबरम ने दिल्ली में कहा कि माओवादियों ने गिरफ्तार नक्सलियों को छोड़ने के लिए किसी तरह की मांग नहीं की थी। उन्होंने काह कि हत्या करना बिल्कुल मंजूर नहीं है। मैं इसकी भर्त्सना करता हूं।