एक टॉप डिफेंस एक्सपर्ट ने अनुमान जताया है कि चीन आंतरिक असंतोष, बढ़ती बेरोजगारी और वित्तीय समस्याओं से अपने लोगों का ध्यान बंटाने के लिए भारत पर 2012 तक हमला कर सकता है। उनका मानना है कि ये समस्याएं उस देश पर कम्युनिस्टों की पकड़ को खतरा पैदा कर रही हैं। 'इंडियन डिफेंस रिव्यू' के एडिटर भारत वर्मा ने कहा है कि 2012 से पहले चीन भारत पर हमला करेगा। निराश पेइचिंग के लिए भारत को अंतिम सबक सिखाने के कई कारण हैं जिसके जरिए वह एशिया में इस सदी में चीन की सर्वोच्चता सुनिश्चित करना चाहेगा। उन्होंने कहा कि मंदी ने निर्यात दुकानों को बंद कर दिया है जिससे आंतरिक सामाजिक अशांति पैदा हो रही है जो समाज पर कम्युनिस्टों की पकड़ को गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। वर्मा ने संपादकीय में कहा है कि इस आकलन के अन्य कारणों में बढ़ती बेरोजगारी, अरबों डॉलर मूल्य की पूंजी उड़न छू होने, इसके विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और बढ़ता आंतरिक असंतोष है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त चीन की शह पर भारत के खिलाफ काम करने वाले उनके दाहिने हाथ पाकिस्तान की बढ़ती अप्रासंगिकता चीन की बेचैनी को बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा की अफगान-पाक नीति मूलत: पाक-अफगान नीति है जिसने बड़ी चतुराई से चोर के पीछे चोर लगा दिया है। वर्मा ने कहा कि पेइचिंग के साथ अपनी निकटता से पाकिस्तान पहले ही हिला हुआ है, जो सही मायने में गृहयुद्ध में फंसा हुआ है और भारत के खिलाफ अहमियत खो रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे खास बात यह है कि अमेरिका और पश्चिम के साथ भारत के बढ़ते तालमेल से चिंतित है। उन्होंने कहा कि चीनी कम्युनिस्टों की ये सभी चिंताएं शांतिवादी भारत के खिलाफ युद्ध से ही हल होती है ताकि बहुआयामी रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके। चीन ने जहां उत्तर कोरिया को छिपे तौर पर भूमिगत परमाणु परीक्षण और मिसाइल परीक्षण करने की इजाजत दी, वहीं यह दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसैनिक मौजूदगी भी बढ़ा रहा है ताकि अलग अलग पड़े द्वीपों के उसके दावे का विरोध करने वालों को डरा सके। उन्होंने कहा कि मंदी प्रभावित चीन के लिए इस समय जापान सहित पश्चिमी हितों के खिलाफ बढ़ना समझदारी नहीं होगी। इसलिए सबसे आकर्षक विकल्प भारत जैसे नरम लक्ष्य पर हमला करना और पूर्वोत्तर में इसकी जमीन को जबरन कब्जा करना है। लेकिन, भारत चीनी खतरे का सामना करने के लिए जमीनी स्तर पर कम तैयार है।