दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को दिए अपने एक अहम फैसले में दो व्यस्कों द्वारा आपसी सहमति से बनाए जाने वाले अप्राकृतिक संबंधों को अपराध नहीं माना है। कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों की उम्र 18 साल से ऊपर है , तो वे अपनी मर्जी से साथ रह सकते हैं। गौरतलब है कि इस मामले में हाई कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में फैसला सुरक्षित रखा था। आईपीसी की धारा -377 के तहत अप्राकृतिक संबंध बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है और दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक हो सकती है।
दिल्ली स्थित नाज फाउंडेशन ने 2001 में हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस धारा में संशोधन की मांग की थी। अर्जी में कहा गया था कि दो वयस्कों ( होमो अथवा हेट्रो ) के बीच अगर आपसी सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाए जाते हैं , यानी दो लोग अगर होमो सेक्सुअलिटी में संलिप्त हैं तो उनके खिलाफ धारा -377 का केस नहीं बनना चाहिए। हाई कोर्ट ने इस दलील को सही माना और कहा कि दो व्यस्कों पर किसी तरह की पाबंदी लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
दिल्ली स्थित नाज फाउंडेशन ने 2001 में हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस धारा में संशोधन की मांग की थी। अर्जी में कहा गया था कि दो वयस्कों ( होमो अथवा हेट्रो ) के बीच अगर आपसी सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाए जाते हैं , यानी दो लोग अगर होमो सेक्सुअलिटी में संलिप्त हैं तो उनके खिलाफ धारा -377 का केस नहीं बनना चाहिए। हाई कोर्ट ने इस दलील को सही माना और कहा कि दो व्यस्कों पर किसी तरह की पाबंदी लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।