Saturday, July 4, 2009

दूल्हा नहीं, दुलहन चढ़ती है घोड़ी

आमतौर पर परंपरा यही है कि दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर दुल्हन के घर बारात लेकर पहुंचता है। पर एक गांव ऐसा भी है, जहां इसके ठीक उलट होता है। यानी दुल्हन घोड़ी पर सवार होकर बारात लेकर वर के घर पहुंचती है। यूपी के रायबरेली जिले का जहांगीराबाद गांव इस अनोखी परंपरा का सालों से साक्षी रहा है। यहां दूल्हा दुल्हन के बारात लेकर आने का इंतजार करता है, जब कि दुल्हन पगड़ी पहनकर सफेद घोड़ी पर बैठती है। हाल ही में अपनी बेटी के हाथ पीले करने वाले यहां के निवासी शिवकुमार ने बताया कि यह एक अनूठी परंपरा है जिसे गांव के लोग जातियों के बंधन से ऊपर उठकर निभाते हैं। जब मेरी 21 साल की बेटी मंजू की शादी हुई तो वह सफेद घोड़ी पर बैठकर अपनी बारात के साथ नजदीकी गांव उमराय गई। इसी गांव में दूल्हे का घर है। इस परंपरा पर अटूट श्रद्धा रखने वाले गांव के निवासी यह तो नहीं जानते कि यह परंपरा कब से शुरू हुई पर इनका मानना है कि अगर लड़कियां इस परंपरा को नहीं निभातीं तो उनका शादीशुदा जीवन खतरे में पड़ जाता है। या फिर उन्हें कोई गंभीर बीमारी जकड़ लेती है। यहां की निवासी बिंदाई कहती हैं कि गांव में कई बार ऐसा हुआ कि लड़कियों ने शादी के वक्त इस परंपरा को नहीं निभाया। ऐसे मामलों में या तो पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आ गई या फिर लड़की व लड़का दोनों गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए। इस गांव में दुल्हन जब घोड़ी पर सवार होकर दूल्हे के घर के लिए निकलती है तो पहले उसे यहां के विभिन्न मंदिरों में जाकर दर्शन करना होता है। स्थानीय निवासी पूरन कहते हैं कि लड़की शादी के मौके पर विशेष रूप से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती है। इस गांव की आबादी 3,500 से ज्यादा है और यहां ज्यादातर लोग किसान हैं।