बलात्कार के एक मामले में पीड़िता को संदिग्ध चरित्र वाली महिला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने
एक व्यक्ति को दोषमुक्त करार दिया है, जिसे एक निचली अदालत ने रेप का दोषी ठहराया था। जस्टिस मुकुंदकम शर्मा और जस्टिस बी.एस. चौहान की बेंच ने कहा कि यह एक ऐसी महिला लगती है जो यौन संसर्ग करती रहती थी। उसे अपने आनंद के लिए किसी भी जान-पहचान के शख्स के साथ घुलमिल जाने और खुली गतिविधियां करने में कोई आपत्ति नहीं थी। बेंच ने फैसले में कहा कि इस तरह वह एक संदिग्ध चरित्र वाली महिला दिखाई देती है। बेंच ने अभियोजन पक्ष के इस नजरिए को खारिज कर दिया कि पीड़िता नाबालिग थी।
इससे पहले आरोपी मूसाउद्दीन अहमद उर्फ मूसा को गुवाहाटी में कामरूप की एक सेशन कोर्ट ने बलात्कार का दोषी ठहराया था और 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। मूसा ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने भी उसे दोषी करार देने के फैसले पर मुहर लगाई लेकिन सजा घटाकर चार साल कर दी। मूसा ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने कोई बलात्कार नहीं किया गया था और यह आपसी सहमति से यौन संबंधों का मामला है। याचिका को स्वीकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतों में पीड़िता से पूछताछ के दौरान जांच एजंसियों के समक्ष दिये गये बयानों में कई तरह के विरोधाभास थे।
एक व्यक्ति को दोषमुक्त करार दिया है, जिसे एक निचली अदालत ने रेप का दोषी ठहराया था। जस्टिस मुकुंदकम शर्मा और जस्टिस बी.एस. चौहान की बेंच ने कहा कि यह एक ऐसी महिला लगती है जो यौन संसर्ग करती रहती थी। उसे अपने आनंद के लिए किसी भी जान-पहचान के शख्स के साथ घुलमिल जाने और खुली गतिविधियां करने में कोई आपत्ति नहीं थी। बेंच ने फैसले में कहा कि इस तरह वह एक संदिग्ध चरित्र वाली महिला दिखाई देती है। बेंच ने अभियोजन पक्ष के इस नजरिए को खारिज कर दिया कि पीड़िता नाबालिग थी।
इससे पहले आरोपी मूसाउद्दीन अहमद उर्फ मूसा को गुवाहाटी में कामरूप की एक सेशन कोर्ट ने बलात्कार का दोषी ठहराया था और 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। मूसा ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने भी उसे दोषी करार देने के फैसले पर मुहर लगाई लेकिन सजा घटाकर चार साल कर दी। मूसा ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने कोई बलात्कार नहीं किया गया था और यह आपसी सहमति से यौन संबंधों का मामला है। याचिका को स्वीकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतों में पीड़िता से पूछताछ के दौरान जांच एजंसियों के समक्ष दिये गये बयानों में कई तरह के विरोधाभास थे।