मद्रास हाई कोर्ट के जज ने खुली अदालत में यह कह कर सनसनी फैला दी कि फर्जी मार्क्सशीट से जुड़े एक मामले में केंद्रीय मंत्री ने फोन कर के उन पर दबाव डालने की कोशिश की। मंत्री चाहते थे कि इस मामले के आरोपी मेडिकल स्टूडंट और उसके डॉक्टर पिता को अग्रिम जमानत दे दी जाए। जस्टिस आर रघुपति ने कहा है कि अगर संबंधित पक्ष के वकील ने मंगलवार तक उनके सामने बिना शर्त माफीनामा पेश नहीं किया तो वह इस बारे में सरकार और प्रधानमंत्री को लिखेंगे। मामला पुडुचेरी के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के छात्र एस . किरुबा श्रीधर और उसके डॉक्टर पिता सी कृष्णमूर्ति से जुड़ा है। इन दोनों के खिलाफ सीबीआई ने एक दलाल और पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के एक अधिकारी की मदद से गैरकानूनी ढंग से अंक बढ़वाने का मामला दर्ज किया है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस आर रघुपति ने कहा , ' एक केंद्रीय मंत्री ने मुझसे फोन पर संपर्क कर इस मामले में फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की। मंत्री ने इस बात के लिए दबाव बनाने की कोशिश की कि याचिका कर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी जाए। ' जस्टिसरघुपति ने केंद्रीय मंत्री का नाम नहीं बताया , लेकिन कहा कि अगर बिना शर्त माफी नहीं मांगी जाती है तो वह इस बातचीत का जिक्र अपने फैसले में करेंगे। इसके बाद उन्होंने यह मामला चीफ जस्टिस एच . एल . गोखले के पास इस अनुरोध के साथ भेज दिया कि इसे किसी दूसरे जज के सुपुर्द कर दिया जाए।
सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस आर रघुपति ने कहा , ' एक केंद्रीय मंत्री ने मुझसे फोन पर संपर्क कर इस मामले में फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की। मंत्री ने इस बात के लिए दबाव बनाने की कोशिश की कि याचिका कर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी जाए। ' जस्टिसरघुपति ने केंद्रीय मंत्री का नाम नहीं बताया , लेकिन कहा कि अगर बिना शर्त माफी नहीं मांगी जाती है तो वह इस बातचीत का जिक्र अपने फैसले में करेंगे। इसके बाद उन्होंने यह मामला चीफ जस्टिस एच . एल . गोखले के पास इस अनुरोध के साथ भेज दिया कि इसे किसी दूसरे जज के सुपुर्द कर दिया जाए।