यूनेस्को का कहना है कि 5 साल के बच्चों को भी सेक्स एजुकेशन दी जानी चाहिए। यूनेस्को ने सेक्स एजुकेशन पर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस में कहा गया है कि 5 साल की उम्र से ही बच्चों को मास्टरबेशन और जेंडर वॉइलंस जैसी चीजों के बारें बताया जाना चाहिए। गाइडलाइंस कहती हैं कि 5 से 8 साल तक के बच्चों को बताया जाना चाहिए कि यौनांगों को छूना और सहलाना मास्टरबेशन होता है। उन्हें यह भी बताया जाना चाहिए कि अपने यौनांगों को छूने से आनंद की अनुभूति हो सकती है। 9 साल की उम्र में उन्हें उत्तेजक चीजों वगैरह की अच्छी और बुरी बातों के बारे में बताया जाना चाहिए। 12 साल की उम्र में उन्हें अबॉर्शन की वजहों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। 15 साल की उम्र में पहुंचने पर बच्चों को सेफ अबॉर्शन और उससे जुड़े अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए। एचआईवी, यौन हिंसा और शोषण से युवा समाज कैसे बचे, यह जागरुकता पैदा करने के प्रयास के तहत यूनेस्को ने सेक्स एजुकेशन पर ये नई गाइडलाइंस तैयार की हैं। सेक्स एजुकेशन पर बनाए गए अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों से टीचर बच्चों को बताएंगे कि वह कैसे खुद को सेक्सशुअल मिसबिहेविअर, अनचाही प्रेगनंसी और एचआईवी वगैरह से बचें। यूनेस्को के अनुसार युवाओं में एचआईवी इन्फेक्शन और प्रेगनंसी जैसे मुद्दों पर एजुकेशन की जरूरत है, जो दुनिया के कई हिस्सों में उपलब्ध नहीं है। यूएन एड्स और डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पूरी दुनिया में 50 लाख से ज्यादा युवा एचआईवी पॉजिटिव हैं, जिनमें से 45 फीसदी मामले 15 से 24 साल के बीच के उम्र के लोगों में है। जानकारों ने इन नई गाइडलाइंस का विरोध किया है और इन्हें अजीबोगरीब करार दिया है।