Sunday, November 30, 2008
बडे साब और उनकी बेटी ने खुशी दी गरीब अनाथ बच्चों को
लालन ने द्वारकाधीश के साथ अरोगा छप्पन भोग
Saturday, November 29, 2008
लोक लुभावन घोषणाएं क्या देगी राजस्थान को
पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान का नाम विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त है। भारत आने वाले दस विदेशी पर्यटकों में से आठ राजस्थान की प्राचीन संस्कृति और धरोहर को देखने जरूर आते है। विदेशी लोगों के यहां आने से सत्ता में रहने वाली सरकार को वित्तीय दृष्टि से फायदा तो बहुत हुआ लेकिन कभी सरकार ने राजस्थान की प्राचीन धरोहर को संवारने और जर्जर होती पुरा सम्पदा को संजोने में कोई रूचि नहीं दिखाई। यहां तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे घोषणा पत्र में स्थान देना भी जरूरी नहीं समझा। यही हाल राजस्थानी भाषा का है। राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति ने चुनाव की घोषणा से पूर्व राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से अपने घोषणा पत्र में राजस्थानी भाषा की मान्यता के सम्बन्ध में घोषणा करवाने का आग्रह किया, अपनी चुनाव प्रचार सामग्री भी राजस्थानी भाषा में प्रकाशित करवाने का आग्रह किया लेकिन अफसोस किसी पार्टी ने इस और ध्यान नहीं दिया।
लम्बी बीमारी से निजात मिली श्रीलाल को
आठवीं कक्षा मे अध्ययनरत श्रीलाल लम्बे समय से फेफड़े की बीमारी हाइडेटिड सिस्ट से ग्रसित था। मजदूरी से पेट भरने वाला परिवार आर्थिक बोझ तले जैसे तैसे स्थानीय चिकित्सको से इलाज करवा रहा था लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। पिछले दिनाें परिजनाें ने राजकुमार दक से सम्पर्क करने पर उन्होने कमला नेहरू चिकित्सालय के डॉ भूपेश परतानी एवं आरके चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ललित पुरोहित से चिकित्सा परामर्श लिया। सोनोग्राफी करने पर मालूम चला कि बालक के दाएं फेफडे में पानी भरा पड़ा है एवं सिकुड़ गया है जिसका इलाज ऑपरेशन से ही सम्भव है एवं वह उदयपुर(राजस्थान) हो सकता था।
ऐसी स्थिति में दक ने उन्हें महाराणा भूपाल चिकित्सालय के ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ विनय नैथानी के पास भिजवाया जिन्होनें एक घंटे के अथक परिश्रम से उसके फेफडे के पास बनी पानी की थेली को शल्य चिकित्सा कर बाहर निकाली एवं फेफडे को सामान्य तरह से कार्य करने योग्य फुलाया। दक ने बताया कि इस ऑपरेशन में डॉ नैथानी ने पूर्ण मानवीयता का परिचय दिया एवं तुरन्त ऑपरेशन कर हर सम्भव सहयोग प्रदान किया।
डॉ नैथानी के अनुसार बालक को समय पर इलाज मिल जाने से उसकी जान बच गई अन्यथा ऐसे प्रकरण में थेली फटने पर टोक्सीन शरीर में फैल जाता है जिससे रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।
Wednesday, November 26, 2008
सरहदों से पार आई संगीत की बहार
संगीत का यही जादू इन दिनों नजमुल निशा को जर्मनी से उदयपुर खींच लाया। लेखिका और पेशे से पत्रकार नजमुल भारतीय क्लासिकल संगीत से बहुत प्रभावित है। उन्होंने भारतीय क्लासिकल म्युजिक के व्यापक प्रचार प्रचार के लिए बर्लिन में टैगोर इंसटिनी अकादमी भी खोल रखी है। बांगला भाषी नजमुल ने भारत में खुद को प्यारी का उपनाम दिया है। ढाका में जन्मी नजमुल निशा ने बांगलादेश की बुलबुल अकादमी से टैगोर संगीत की बारिकियां सीखी। सन 1980 में बर्लिन में बतौर रेडियो जर्नलिस्ट काम करने का सोचा और जर्मन रेडियों एण्ड टेलीविजन में एडिटर का पद संभाला। इसके बाद भी वह अपने संगीत प्रेम को नहीं छोड़ पाई। उन्होंने बांगला में कई कविताएं भी लिखी। कविताओं की क्वालिटी के दम पर पिछले वर्ष जून माह में लंदन पोयट्री फेस्टीवल तथा इससे पहले न्यूयार्क के बुक फेयर में भाग लिया। हाल ही में कोलकता में आयोजित फिल्म फेस्टीवल में बतौर विशिष्ट अतिथि शरीक हुई।
नजमूल ने उदयपुर स्थित बोस म्यूजिक एकेडमी के बारे में अपने कई जर्मन दोस्तों से सुना तो सम्पर्क किया और वह इसके संस्थापक पंडित आरके बोस से मिलने उदयपुर आई। नजमूल ने बताया कि जर्मनी में इंडियन क्लासिकल म्यूजिक तथा सितार व तबला जैसे वाद्ययंत्रों को सिखाने के लिए यादा रुचि लेते है। उनके संस्थान में भारतीयों के मुकाबले स्थानीय लोगों की संख्या यादा है। स्वतंत्र पत्रकार के रूप में न्यूयार्क और कोलकता के विभिन्न समाचार पत्रों में लिखने वाली नजमूल निशा लेखन और अनुवाद में रुचि रखती है। सन 2005 में साहित्य नोबल पुरस्कार विजेता एल्फ्रेडो जोलिनेक के उपन्यास को इन दिनों वह बांगला में अनुवादित कर रही है।
Sunday, November 23, 2008
जन्मजात नेत्रहीन अनिता को मिला नया जीवन
सितम्बर माह में जिला कलक्टर नवीन जैन ने सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ऐसे बालका को चिन्हित करने के निर्देश दिए जिन्हें विशिष्ट आवश्यकता है। ऐसे में सर्व शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयक शंकर लाल सनाढय व सन्दर्भ शिक्षक प्रमेन्द्र जावडिया के मार्फत बालिका अनिता की जानकारी मिली तो उन्होने तुरन्त ही बालिका को परामर्श के लिए अलख नयन नेत्र मंदिर उदयपुर (राजस्थान) के चिकित्सक डॉ एचएस चुण्डावत के पास एम्बूलेंस से भिजवाया जहां डॉ चुण्डावत एवं डॉ एल एस झाला ने उपचार शुरू किया। फेको पध्दति से 23 अक्टूबर को एक आंख का ऑपरेशन किया गया तो परिजनो की खुशी का पारावार नहीं रहा जब पट्टी खुलने पर पहली बार उसने इस दुनियां को देखा। उसकी दूसरी आंख का ऑपरेशन 17 नवम्बर को किया गया और यह भी पूर्णत: सफल रहा। अनिता से पहले अंगुलिया की गिनती करवाई गई अब अनिता दोनो आंखो से सकुशल देख रही है। अनिता के परिजनों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए अलख नयन मंदिर के डॉ एचएस चुण्डावत ने ऑपरेशन खर्च लगभग पच्चीस हजार रुपया पूर्णत: माफ कर दिया। डॉ चुण्डावत का कहना है कि ऐसे रोगी अज्ञानतावश एवं आर्थिक तंगी से अपना समुचित इलाज नहीं करवा पाते है। यदि इसका ऑपरेशन कुछ वर्ष पूर्व हो जाता तो उसकी नजर की गुणवत्ता और अच्छी होती। अनिता को रोशनी मिलने पर पूरे परिवार व स्कूल में खुशी का माहौल है।राजकुमार दक ने बताया कि जिला कलक्टर नवीन जैन की प्रेरणा पर ऐसे और बच्चों की पहचान कर उनके समुचित इलाज की व्यवस्था की जा रही है।
Saturday, November 22, 2008
मीडिया जनमत जगा रहा है या जनमत को बरगला रहा है
बात यहां लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ समाचार पत्र और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की ओर से निभाई जा रही प्रामाणिक भूमिका की नहीं है। यहां बात हो रही है पूर्णतया व्यावसायिक बनते जा रहे मीडिया की भूमिका के बारे में है। विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है ऐसे में मीडिया के विज्ञापन प्रतिनिधि चुनाव में खडे हुए प्रत्याशी से विज्ञापन लेते है या प्रत्याशी के विज्ञापन प्रकाशित करते है। इसमें कोई बुराई नहीं है। चूंकि यह सर्वमान्य है कि समाचार पत्र और मीडिया विज्ञापन की कमाई से अपना अधिकांश व्यय समायोजित करते है। विधानसभा चुनाव हो या नहीं हो दीपावली, होली या अन्य कोई विशेष अवसर पर समाचार पत्र विज्ञापन के परिशिष्ट निकालने की परम्परा चल पडी है जो भी बुरी बात नहीं है क्याेंकि जनता समाचारों के साथ विज्ञापन का महत्व समझने लगी है।
राजस्थान के विधानसभा चुनावों में मीडिया के कतिपय लोगों ने एक और नई परिपाटी शुरू की है। जिसका उदाहरण प्रतापगढ जिले के बड़ी सादडी विधानसभा क्षेत्र में गत दिनों एक प्रत्याशी ने पेश किया। प्रत्याशी ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया और उसमें अपने प्रचारात्मक सामग्री देते हुए प्रत्येक पत्रकार से उसे छापने का आह्वान किया। सम्मेलन में शरीक हुए पत्रकारों के मुताबिक प्रत्येक पत्रकार को उक्त प्रचार सामग्री प्रकाशन के लिए हजारों रुपए भी दिए गए। हालांकि एक बडे समाचार पत्र के प्रतिनिधि ने प्रत्याशी द्वारा दिए गए रुपए का विरोध करते हुए वापस उसी को लौटा दिए। उक्त प्रतिनिधि ने इस सम्बन्ध में अपनी समाचार डेस्क को अवगत भी कराया, जिस पर इस बडे समाचार पत्र ने पूरे राय के सभी संस्करणों के सम्पादकों को समाचार पत्र की आचार संहिता का उल्लेख करते हुए निर्देशित किया कि इस प्रकार की प्रचारात्मक सामग्री छापने से बचे। बतौर विज्ञापन भी उस प्रत्याशी को जनता का भगवान बनाने का प्रयास नहीं किया जाएं।
यहां तो बात उस समाचार पत्र की हुई जिसने मीडिया की आचार संहिता के मुताबिक ऐसे प्रचारात्मक तरीके को रोकने का प्रयास किया लेकिन बडी सादडी में घटी घटना का दूसरा दु:खद पहलु यह भी रहा कि कई समाचार पत्रों ने अपवादों को छोड़ दे तो उक्त प्रत्याशी की प्रचारात्मक सामग्री को हुबहु छाप दिया। हो सकता है कई पाठक और मीडियाकर्मी इस पर अपनी यह राय दे कि यह तो पहले भी चल रहा था इसमें नया क्या है? तो यहां मैं यह कहना चाहूंगा कि चुनाव के दौरान पहले प्रत्याशी छोटे-छोटे समाचार पत्र जिनमें से अधिकांश उनकी रहमोकरम पर चल रहे है वे ही उनकी प्रचार सामग्री को छापते थे लेकिन अब इसका रूप बदलने लगा है।
बड़ी सादडी में प्रत्याशी द्वारा की गई एक तुच्छ हरकत ने कतिपय मीडियाकर्मी को इस चुनाव में उपरी तौर पर अच्छी कमाई करने का मार्ग प्रशस्त भी कर दिया। इस घटना के बाद कतिपय मीडियाकर्मी उक्त प्रत्याशी के अलावा संभाग के विधानसभा क्षेत्रों मे खडे प्रत्याशी से मिलने-जुलने का काम शुरू कर दिया। प्रत्याशी के प्रचारात्मक एक पृष्ठ सामग्री के लिए लाखों रुपए के सौदे भी किए जा रहे है। कतिपय मीडियाकर्मी इन प्रत्याशियों से यह भी कहते नजर आते है कि विज्ञापन के तौर पर भी उनकी प्रचारात्मक सामग्री लग सकती है लेकिन इसमें जो व्यय होगा वह उसके चुनाव खर्च में जुडेग़ा और इसका नुकसान भी उसे होगा। विधानसभा चुनाव में खडे होने वाले प्रत्याशी को अधिकतम दस लाख रुपए खर्च करने की अनुमति है। स्वाभाविक तौर पर प्रत्याशी अधिकतम दस लाख रुपए से कई गुना अधिक खर्च करते है लेकिन खर्चा पेश करते वक्त दस लाख से कम के बिल और अन्य दस्तावेज पेश करते है। कतिपय मीडियाकर्मी इस कमजोरी का फायदा उठा कर अपनी स्वार्थ सिध्द कर रहे है।
मीडिया में पाठक समाचार इसलिए पढ़ते और देखते है ताकि वह अपनी राय बना सके लेकिन इस तरह किसी प्रत्याशी का डंका बजाना क्या न्यायोचित है? क्या इसके माध्यम से समाचार पत्र जनमत को जगा सकेंगे?
Friday, November 21, 2008
आर्थिक स्वतंत्रता के दौर में लूट न जाए आपके उसूल
समाचार पत्रों में आए दिन सहकर्मी द्वारा महिला के साथ अभद्रता करने या यौन दुराचार करने की घटनाएं छपती है। वही इलेक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा अपराध पर बनाए गए विशिष्ट कार्यक्रमों में इसे प्रमुखता देते है। हालांकि समाचार पत्र अपनी आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए अभद्रता और यौन दुराचार की शिकार हुई महिलाओं का नाम प्रकाशित नहीं करते है वही इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी पीडिता का चेहरा धुंधला कर दिखाने की परम्परा है। यहां सवाल पीडिता का चेहरा दिखाने या उसका नाम प्रकाशित करने का नहीं है अपितु आर्थिक स्वतंत्रता के नाम पर दहलीज से बाहर निकली महिलाओं को अपनी आचार संहिता और उसूलों पर कायम रहने का है। चूंकि मीडिया अपने उसूलों के तहत महिला चाहे व दोषी हो या न हो उसका नाम इसलिए नहीं उजागर करता क्योंकि एक महिला बदनाम होने के बाद उसे समाज और उस परिवेश के लोग जहां वह काम कर रही है, तुच्छ नजरों से ही देखते है।
बात जब निकली है कामकाजी महिलाओं की आचार संहिता की और उसके उसूलों की तो सबसे पहले उल्लेख करना होगा भारतीय संस्कृति में लागू परदा प्रथा की। चौंकने की जरूरत नहीं है और यहां हम यह भी नहीं कह रहे कि महिलाएं लम्बा सा घूंघट डालकर अपने कार्यस्थल पर जाएं बल्कि भारतीय संस्कृति में पुरातनवादी लोगों ने परदा प्रथा इसलिए शुरू की थी कि महिलाएं घर में रहे या बाहर निकले उसे अपनी मर्यादा की जानकारी रहे लेकिन शनै-शनै इस प्रथा ने विकृत रूप ले लिया और लोग घर की महिलाओं को लम्बे-लम्बे घूंघट निकालने पर मजबूर कर दिया। वर्तमान में घूंघट निकालना एक गैर वाजिब परम्परा माना जाता है और स्वाभाविक भी है कि कामकाजी महिलाएं यदि घूंघट निकाल कर बैठेगी तो वह काम क्या करेगी?
दूसरा उसूल हो अपनी बात और कमजोरी अपने तक सीमित रखने की क्षमता। प्राय: यह देखा जाता है कि महिलाएं अपने घर-परिवार में होने वाली अच्छी-बुरी बातों को अपने सहकर्मियों को साथ शेयर करती है। बातों को कहने के दौरान कई बार वह अपनी कमजोरी भी उजागर कर देती है इससे पुरूष सहकर्मी महिला की कमजोरी का फायदा उठाने का प्रयास करता है। तीसरा उसूल हो भारतीय संस्कृति अनुरूप कपडे पहने जाए। यहां लोग प्रश्न यह भी कर सकते है कि क्या साड़ी और सलवार पहनने वाली महिलाओं के साथ अभद्रता नहीं होती? आमतौर पर इन प्रश्नों का जवाब हां में हो सकता है लेकिन यह भी देखना होगा कि साडी और सलवार पहनने वाली महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता उन युवतियों के मुकाबले कम होती है जो स्कर्ट और फैशनेबल कपडे पहनती है। हाल ही में दिल्ली की एक स्वयंसेवी संस्था ने दिल्ली और नोएडा परिक्षेत्र में किए सर्वे में इसका बात का उल्लेख किया है कि सड़कों और बाजारों में अभद्रता की शिकार अधिकांश वह युवतियां होती जिन्होंने पाश्चात्य संस्कृति के अनुरूप कम कपडे पहन रखे है। सर्वे के अनुसार कम कपड़ों की वजह से मनचले युवतियों से सटने या उन पर फिकरे कसते है।
Thursday, November 20, 2008
कही तबाह न हो जाए लाइव इन रिलेशनशिप से
भारतीय धर्म शास्त्रों का अवलोकन करें तो स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि विवाह भी सामाजिक परम्परा की धार्मिक अनुपालना है। बिना विवाह के संतान को धर्मशास्त्र भी पहचान नहीं देते। भारत के धर्मशास्त्रों में यहां तक उल्लेख है कि कुछ ऋषि-मुनियों को भी विवाह के लिए तपस्या करते हुए अनुपालना करनी पड़ी है। वहीं पौराणिक मान्यता यह भी है कि बिना विवाह स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त नहीं होता है। आधुनिकता के नाम पर अंधानुकरण करने से पहले इसके व्यावहारिक और भावी परिणामों पर भी दूरदर्शिता पूर्ण विचार किया जाना चाहिए। लम्बे समय तक एक ही छत के नीचे रहना और पति-पत्नी का आचरण करना कहां तक न्याय संगत है। मानवीय प्रकृति के अनुसार एक ही व्यक्ति समय-समय पर एक से अधिक महिलाओं के साथ रहता है तो किस महिला को उसकी वास्तविक संगीनी माना जाएगा। सरकार ने कानूनी रूप से विवाह का पंजीकरण आवश्यक कर दिया है तो ऐसे साथ रहने वाले जोड़ों को सरकार मान्यता देकर उनका पंजीकरण कर सकती है?
स्वतंत्र प्रकृति की महिलाओं का यह भी मानना है कि पुरूष प्रधानता और पुरूष की निरंकुशता को समाप्त करने में लाइव इन रिलेशनशिप सहायक साबित हो सकता है और महिला को शोषण से मुक्ति मिलेगी लेकिन इस बात को कौन दावे से कह सकता है कि लाइव इन रिलेशनशिप से पुरूष की मंशा में परिवर्तन हो सकता है। जरूरत है पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे इन लोगों को भारतीय पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए विचार करने की। अन्यथा लाइव इन रिलेशनशिप से परिवार ही टूटते है।
एडस और कैंसर के बाद पग पसार रहा है सीओपीडी रोग
विष्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सीओपीडी वर्तमान में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है तथा पूर्वानुमान है कि सन् 2020 तक यह मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन सकेगा। प्रति वर्ष करीब 30 लाख लोग इस बीमारी से मौत के शिकार बन जाते है, एवं 40 वर्ष से अधिक उम्र के करीब 10 प्रतिषत लोगों में इस बीमारी के होने की संभावना होती है। एक भारतीय सर्वे के अनुसार करीब 3.5 करोड लोग इस बीमारी से ग्रसित है। उन्होने बताया कि सीओपीडी रोग का प्रमुख कारण ध्रुमपान होता है, लेकिन प्रदूषण भी इसका प्रमुख जिम्मेदार घटक है। चूल्हों से निकलने वाले धुएं, फैक्ट्री व वाहनों से निकलने वाले धुएं से भी इस रोग के होने की आषंका हो सकती है। उन्होंने बताया कि सीओपीडी का प्रारंभिक अवस्था में निदान बहुत जरूरी है। प्रारंभिक निदान एवं बीमारी की गंभीरता नापने के लिए स्पाईरोमेट्री नामक टेस्ट का उपयोग किया जाता है। इससे फेफडे की क्षमता का पता लगाया जा सकता है। इस रोग में इनहेलर द्वारा दी जाने वाली दवाइयां अधिक कारगर व सुरक्षित रहती है।
Wednesday, November 19, 2008
बृजयात्रा कर वापस आए कल्याणराय जी
Monday, November 17, 2008
कांकरोली के द्वारकाधीश मंदिर में ब्रजानंद महोत्सव
Sunday, November 16, 2008
दामोदर दीक्षित आचार्य निरंजन नाथ पुरस्कार से सम्मानित
Saturday, November 15, 2008
विद्या के मंदिरों में सबक ही दलित वर्ग से घृणा का मिलता है
सर्व विदित है कि राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में दलित वर्ग को आज भी हेय दृष्टि से देखा जाता है और उनके हाथ से पानी पीना भी एक अपमान महसूस करने के बराबर माना जाता है। यही नहीं इन दलित वर्ग को मंदिर में दशन नहीं करने देने शादी के वक्त बिंदौली घोडे पर नहीं निकालने देने की गैर दलितों ने परम्परा कायम की वह बदस्तूर जारी है।
चिंताजनक स्थिति तब बन जाती है जब जिन विद्यालयों में बालक छुआछूत को पाप और अपराध है को सबक के रूप में पढता है वहां आज भी ग्रामीणों के दकियानुसी ख्यालात हावी है।
विद्यालयों में मिड डे मील योजना के तहत पकने वाले पोषाहार के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को प्राथमिकता देने के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद हालात इनसे परे है।
दलितों की व्यथा आंकड़ों की जुबानी
राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी द्वारा हाल ही में सूचना के अधिकार में राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के विद्यालयों में भोजन पकाने वाले महिला-पुरूर्षो की जातिवार जानकारी ली। इस सूचना में जो आंकडे आए है वह न केवल राजसमन्द जिले के दलित वर्ग की अपितु राजस्थान राज्य के ग्रामीण इलाकों में दलित वर्ग की व्यथा को साफ बयान करते है।
सूचना का अधिकार के तहत राजसमन्द जिले के 1749 विद्यालयों में भोजन पकाने वाले महिला-पुरूषों के आंकडे उपलब्ध हुए। उनमें से अनुसूचित जाति वर्ग के मात्र 21 महिला-पुरूष है जो कुल विद्यालयों में भोजन पकाने वालों का मात्र 1-37 प्रतिशत है। आंकडों के अनुसार अनुसूचित जनजाति वर्ग के मात्र 129 लोग भोजन पकाने में लगे है जिससे इनका प्रतिशत 7-37 बैठता है। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के भोजन पकाने वालों का राजसमन्द जिले के ब्लॉक वार आंकडे देखे तो आमेट ब्लॉक में कुल 156 विद्यालयों में पोषाहार पकाया जा रहा है जिनमें से एससी का कोई भी महिला-पुरूष नहीं है जबकि जनजाति वर्ग के दो लोग पोषाहार बनाने में लगे हुए है। भीम ब्लॉक के 337 विद्यालयों में एससी वर्ग के दो जने जबकि एसटी वर्ग का कोई नहीं है। देवगढ ब्लॉक के 194 विद्यालयों में एससी वर्ग के सात तथा एसटी वर्ग के दो लोग पोषाहार बनाने में लगे है। कुम्भलगढ ब्लॉक के 317 विद्यालयों में एससी वर्ग के मात्र तीन जने है जबकि एसटी वर्ग के 52 व्यक्ति लगे हुए है। खमनोर में एससी वर्ग का 1 तथा एसटी वर्ग के 38 लोग लगे है। राजसमन्द ब्लॉक के 285 विद्यालयों में एससी वर्ग के तीन और एसटी वर्ग के 26 लोग पोषाहार बना रहे है। चूंकि कुम्भलगढ खमनोर और राजसमन्द ब्लॉक में कई विद्यालय ऐसे है जहां पर एसटी वर्ग के बालक-बालिका ही पढ रहे है ऐसे में इन्हीं वर्ग का भोजन पका रहा है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं। इधर रेलमगरा ब्लॉक के 187 विद्यालयों में एससी वर्ग के पांच और एसटी वर्ग के नौ जने पोषाहार पका रहे है।
सरकार के निर्देशो का उल्लंघन मिड डे मील योजना के तहत राजस्थान सरकार द्वारा दिशा-निर्देश की पुस्तिका जारी की है जिसमें बिंदु संख्या 11 में उल्लेख किया है कि पोषाहार पकाने के लिए शिक्षकों को पूर्णतया मुक्त रखा जावे और उनके एवज में गांव के अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग बीपीएल स्वयं सहायता समूह से नियमित मानदेय के आधार पोषाहार पकाया जावे। राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक सोहन लाल भाटी के अनुसार जिले के कई विद्यालयों में प्रशानिक आदेश के तहत शिक्षकों ने अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को पोषाहार पकाने के लिए रखा भी लेकिन ग्रामीणों के विरोध करने पर दलित वर्ग के लोगों को पोषाहार पकाने के कार्य हटाना पडा।
बच्चों का बचपन बचाने के लिए मनोवृति बदलनी होगी
दासता को अभिशाप जो सदिया से चला आ रहा है वह कमोबेश भारत में खत्म होते नहीं दिख रहा है। इसकी मूल वजह व्यक्ति की मनोवृति। सदियो पूर्व व्यक्ति अपनी मजबूरी और लाचारीवश दास बनते थे। उस वक्त खुद और परिवार का गुजारा चले या न चले लेकिन मालिक को खुश रखने और उसका घर भरने के लिए दास बना व्यक्ति सब कुछ न्यौछावर कर देता। वह तब हर पीड़ा और शोषण को सह लेता।
अब हालात बदले है लेकिन व्यक्ति की मनोवृति नहीं बदली। व्यक्ति दास तब मजबूरी में बनता और अब आर्थिक प्रतिस्पध्र्दा की दौड में लोगों से कही पीछे न रह जाए यह सोचकर वह सब कुछ करने को तैयार है। ऐसे हालातों में आम इंसान खुद को दासत्व की और धकेले तो कोई अचरज नहीं। मगर विगत कुछ वर्षो में ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखने को मिल रहा है कि गांव का खेती-बाडी से सम्पन्न व्यक्ति होने के बावजूद अपने बच्चों को बाल श्रम करवाने से नहीं कतराता।
हाल ही में राजस्थान राय के राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़ और उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र के गांवों का दौरा किया तो कमोबेश यही तथ्य सामने आए। यद्यपि खेती-बाड़ी से उनका और पूरे परिवार का गुजारा हो जाता है बावजूद इसके अपने बच्चों को सूरत की कपड़ा फैक्ट्री में पैसा कमाने के लिए भेज देते है।
यहा यह कहना गलत होगा कि बालश्रम के लिए सूरत जा रहे बच्चों को रोकने के लिए प्रशासन ने कोई प्रयास नहीं किए क्योंकि मुझे वर्ष 2005 का वह दिन याद आता है जब सर्व शिक्षा अभियान राजसमन्द के अधिकारी दिनेश श्रीमाल, सुश्री आशा वर्मा और श्याम सुंदर रामावत ने कुम्भलगढ क्षेत्र से सूरत गए बच्चों को तलाशा और उन्हें वहां से वापस यहां लाकर शिक्षा की मुख्य धारा से जोडा।
यहां मैं राजस्थान पत्रिका उदयपुर संस्करण की टीम को भी साधुवाद देना चाहूंगा जिन्होंने गत वर्ष गोगुंदा, खेरवाडा, झाडोल और कोटडा क्षेत्र से सूरत के ठेकेदारों द्वारा नाबालिग बच्चों को ले जाने की खबरों को प्रकाशित किया। इन्हीं खबरों के आधार पर उदयपुर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बालकों को न केवल ठेकेदारों के कब्जे से छुडवाया अपितु बालकों को शिक्षा से जोडने के लिए विशेष विद्यालय भी चलाए।
बालश्रम रोकने के लिए प्रशासन और समाचार पत्र ने तो अपनी सजगता दिखाई लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावक आज भी अपने बच्चों के प्रति सजग नहीं है। आज भी यह लोग चाहते है कि उनका बालक घर के लिए कुछ न कुछ कमाएं। वे अपने लालच को पूर्ण करने के लिए पहले खुले आम बच्चों को सूरत भेजते थे लेकिन अब प्रशासनिक दबाव के चलते चोरी-छिपे भेज रहे है। ऐसे में ग्रामीण बच्चों का बचपन कैसे बच पाएगा?
क्यों नहीं निकाल सकता दलित वर्ग घोडे पर बिंदौली
पुरानी परम्परा धीरे-धीरे खण्डित होने के बावजूद राजस्थान में दलित वर्ग की घोडे पर बैठा कर बिंदौली नहीं निकलने देने की रस्म अब गैर दलित वर्ग ने अपनी शान बना लिया है और जैसे ही किसी दलित के घर में शादी का आगाज होता है गैर दलित वर्ग पैगाम पहुंचा देते है कि बाकि सब ठीक है लेकिन बिंदौली घोडे पर नहीं निकलनी चाहिए। इन हालातों से अछूता राजसमन्द जिला भी नहीं है। इस जिले के केलवा थाना क्षेत्र के वागुंदडा गांव निवासी नेनूराम रेगर के घर में भी आगामी 30 नवम्बर को शादी है और वह धूमधाम से तैयारी में जुटा हुआ है। इसकी जानकारी मिलने पर नेनूराम को भी पैगाम आ गया कि बिंदौली घोडी पर नहीं निकलेगी। घर में खुशी का पहला अवसर हो और ऐसा पैगाम आए तो ऐसे में उसकी नींद उडनी स्वाभाविक थी लेकिन समाजसेवी और दलित वर्ग के प्रबोधक के रूप में जाने जाने वाले राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान शाखा के संयोजक को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस आशय का पत्र सौंपते हुए सुरक्षा की गुहार की। पुलिस प्रशासन ने पीडित दलित वर्ग को हालांकि सुरक्षा उपलब्ध करवा दी लेकिन यक्ष प्रश्न यही कायम है कि क्यों गैर दलित वर्ग दलित वर्ग की बिंदौली नहीं निकालने देने को अपनी शान समझते है।
Thursday, November 13, 2008
नाथद्वारा मंदिर मंडल के पूर्व सीईओ को एक माह कारावास की सजा
न्याय की गुहार कर रहे परिवार को पुलिस की मिली दुत्कार
भूत भगाने बरसाये डण्डे
Tuesday, November 11, 2008
जंजीरों में झकडा निजी विद्यालय का शिक्षक
खाकी वदी की निगाहे होगी कम्प्यूटर पर
दहेज की लम्बी मांगों के आगे बेबस नरगिस
Monday, November 10, 2008
अहमदाबाद से चुराए गए लाखो रुपए बरामद
Sunday, November 9, 2008
इंदौर की जमीन बेचने के लिए धमकी देने वाले आरोपी ने किया विषाक्त सेवन
सूत्रों ने बताया कि अधिवक्ता नीलेश पालीवाल को धमकी देने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किए नाथद्वारा निवासी कपिल पुत्र रमेश पालीवाल को राजनगर थाना पुलिस ने रविवार दिन में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां से उसे 13 नवम्बर तक रिमाण्ड पर रखने के आदेश हुए। शाम को पुलिस का एक दल कपिल पालीवाल के घर से मोबाइल और सिम बरामद करने के लिए उसे लेकर नाथद्वारा पहुंची जहां पुलिस को चकमा देकर घर के अंदर पडा विषाक्त वस्तु का सेवन कर लिया। हालात बिगडने पर उसे चिकित्सालय पहुंचाया जहां से उसे उदयपुर के लिए रेफर कर दिया गया है।
श्रीनाथ जी के दर्शन कर अमिताभ बच्चन हुए भाव विभोर
स्वास्थ्य लाभ लेने उदयपुर आए सदी के महानायक अमिताभ बच्चन प्रभु श्रीनाथजी एवं मेवाड़ के आराध्य देव एकलिंगनाथजी के दर्शनोपरांत रविवार शाम डबोक एयरपोर्ट से मुम्बई प्रस्थान कर गए।यहां होटल उदयविलास में स्वास्थ्य लाभ ले रहे अमिताभ बच्चन रविवार सुबह प्रभु दर्शन करने अपनी पत्नी जया बच्चन को साथ लेकर होटल से रवाना होकर डबोक एयरपोर्ट पहुंचे।बच्चन दम्पत्ति डबोक एयरपोर्ट से अपने मित्र अमरसिंह व उनके परिवार तथा रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी को साथ लेकर सड़क मार्ग से वाया मावली मार्ग होते हुए नाथद्वारा पहुंचे । यहां प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन करने के पश्चात बच्चन दम्पत्ति, अमर सिंह का परिवार व अनिल अंबानी उदयपुर के लिए रवाना हुए । इस दरमियान इन्होंने रास्ते में कैलाशपुरी स्थित मेवाड़ के आराध्य देव भगवान एकलिंगनाथ के दर्शन किये। दर्शनोपरांत यहां से रवाना होकर ये लोग होटल उदय विलास पहुंचे और यहां से डबोक एयरपोर्ट। डबोक एयरपोर्ट से शाम 4 बजकर 15 मिनिट पर अमिताभ बच्चन, जया बच्चन व उनके सहयोगी मुम्बई प्रस्थान कर गए। अब तक अपनी सबसे लम्बी उदयपुर यात्रा के बाद बिग बी अमिताभ बच्चन रविवार शाम यहां से प्रस्थान कर गए मगर इस यात्रा के साथ वे वापस आने की संभावना भी छोड़ गए।अमिताभ बच्चन की दिली तमन्ना थी कि अपने पूरे परिवार के साथ वे प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन करने नाथद्वारा जाए। मगर अभिषेक बच्चन के अचानक बीमार होने से ऐश्वर्या के साथ वे उदयपुर नहीं आ पाए। इस कारण पूरे परिवार के साथ श्रीनाथजी के दर्शन करने की अमिताभ की तमन्ना अधूरी ही रह गई। ऐसे में ये संभावना जताई जा रही है कि वे आने वाले दिनों में कभी भी पूरे परिवार के साथ श्रीनाथजी के दर्शन करने पुनः उदयपुर की यात्रा पर आ सकते है। पांच दिवसीय उदयपुर प्रवास के दौरान बिग बी होटल उदयविलास में अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले, इस कारण उनके प्रशंसक उनकी झलक पाने में सफल नहीं हो पाए। कई प्रशंसक तो सुबह-शाम पिछोला के आस-पास चक्कर काट यह टकटकी लगाए रहे कि हो सकता है बिग बी पिछोला में बोटिंग करने आएं और उनकी एक झलक दिख जाए। मगर ऐसे प्रशंसकों को भी कोई सफलता नहीं मिल पाई।
Saturday, November 8, 2008
परिवार प्रबंधन का सीरियल है जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली
ऐसे में जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली धारावाहिक न केवल भारतीय सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है अपितु एक संयुक्त परिवार का प्रबंधन कैसे होता है इसका बखूबी से चित्रण किया है। हालांकि यह धारावाहिक मातृ सत्तात्मक है और मुख्य किरदार जस्सूबेन किस तरह अपने संयुक्त परिवार को बांधे रखा है इसका अच्छा सा उदाहरण प्रस्तुत किया है। धारावाहिक में कानपोर बा नामक महिला विलेन के रूप में है जिसे जस्सूबेन की परिवार के प्रति की गई व्यवस्थाओं पर नाराजगी रहती है और वह परिवार का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती है। हालांकि एक बार जस्सूबेन और अन्य परिजनों की सहमति से कानपोर बा के हाथ में परिवार प्रबंधन चला भी गया लेकिन कानपोर बा के प्रबंधन से न केवल परिवार टूटता रहा अपितु कानपोर बा भी एक भारी मुसीबत में फंसते-फंसते रह गई। धारावाहिक के अन्य किरदार शैलेष, प्रोफेसर चंद्रकांत गीता राजु भाई पिनाकीन नंदिनी पुष्पा और बालक वर्ग में केदार ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। संयुक्त परिवार में आने वाली समस्याओं के समाधान के प्रति प्रत्येक सदस्य का क्या दायित्व होता है प्रत्येक सदस्य अपना क्या योगदान दे सकता है। इसका भी अनुपम चित्रण से यह धारावाहिक अब लोगों का चहेता बनता जा रहा है।
इन्दोर में करोडो रुपये की भूमि बेचने के लिए वकील को दी धमकी
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले में अधिवक्ता नीलेश पालीवाल को सेल फोन से धमकी देकर इंदौर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित उसकी करोड़ों रूपए की पैतृक जमीन को मात्र दस लाख रूपए में बेचने के लिए बाध्य करने के मामले में राजनगर थाना पुलिस ने मामले की सघन जांच कर अधिवक्ता के फूफेरे भाई को गिरफ्तार किया।पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि अधिवक्ता नीलेश पालीवाल ने रिपोर्ट दी कि गत 20 अक्टूबर को उनके सेल फोन नम्बर 9414171719 पर किसी गुरू नामक व्यक्ति ने अपने सेल फोन नम्बर 9610615813 से सम्पर्क किया। गुरू ने सेल फोन पर धमकी दी कि नीलेश पालीवाल की दादीजी पार्वती बाई के नाम पर इंदौर (मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित करोड़ों रूपए की जमीन को दस लाख रूपए में बेचें अन्यथा नीलेश को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। गुरू इसके बाद क ई बार पालीवाल को सेल फोन पर धमकी देता रहा। पुलिस उपाधीक्षक मनीष पुलिस निरीक्षक गोवर्द्धन लाल ने इस मामले की जांच करते हुए गुरू नामक सेल फोन नम्बर ट्रेस किया तो यह नम्बर नाथद्वारा निवासी रमाकांत पुत्र आनंदी लाल शास्त्री के नाम पर होना पाया गया। पुलिस ने पूछताछ की तो सामने आया कि रमाकांत ने उक्त नम्बर की सिम खरीदी ही नहीं हैं। इस पर पुलिस ने जलचक्की कांकरोली स्थित वोडाफोन के कार्यालय से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि सेल्समेन पंकज सेन द्वारा नाथद्वारा स्थित रॉयल्स ऐजंसी के कपिल पालीवाल को उक्त नम्बर की सिम देने की बात सामने आई। नाथद्वारा निवासी कपिल पालीवाल पुत्र रमेश जो कि अधिवक्ता नीलेश पालीवाल का फूफेरा भाई भी है से पूछताछ की तो उसने धमकी देने का जुर्म कबूल किया। पुलिस ने कपिल पालीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। उसे रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा। पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में कपिल पालीवाल ने यह भी बताया कि उसने इंदौर वाली जमीन को बेचने के लिए पार्वती देवी की ओर से फर्जी पॉवर ऑफ एटोर्नी भी तैयार की।गुमराह करता रहा पुलिस को ः पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में कपिल पालीवाल पुलिस को गुमराह करते हुए सिम के बारे में अनजान बनता रहा लेकिन पुलिस ने उसे मनोवैज्ञानिक तौर पर पूछताछ करने पर उसने सारे घटनाक्रम का खुलासा कर दिया। फर्जीवाडे का मामला भी ः कपिल पालीवाल के खिलाफ शुक्रवार को पार्वती सनाढ्य ने भी मामला दर्ज करवाया। पार्वती के अनुसार कपिल ने अपने सहयोगी दीपेश जैन के सहयोग से फर्जी पॉवर ऑफ एटोर्नी बनाई और इंदौर स्थित जमीन को इंदौर निवासी प्रमोद शुक्ला को बेच दी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। धमकी देने का तीसरा मामला ः जिले में पिछले एक सप्ताह में करोडों रूपए के लिए धमकी देने का यह तीसरा मामला है। इससे पहले नाथद्वारा में मिराज प्रोडक्ट के निदेशक मदन लाल पालीवाल को 15 करोड की फिरौती के लिए ईमेल पर धमकी दी। इसके बाद कांकरोली बस स्टेण्ड क्षेत्र निवासी अम्बालाल पालीवाल को धमकी देकर दो करोड की मांगे गए। तीनों मामलों का पुलिस ने राजफाश करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
Friday, November 7, 2008
धमकी देकर दो करोड की फिरौती मांगने के मामले में तीन गिरफ्तार
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के कांकरोली शहर के एक व्यवसायी को सेल फोन पर धमकी देकर उससे फिरौती में दो करोड रुपए मांगने के मामले का राजनगर थाना पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने दावा किया है कि तीनों युवकों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक संतोष चालके के अनुसार कांकरोली बस स्टेण्ड क्षेत्र निवासी अम्बालाल पुत्र परसराम पालीवाल को उनके सेल फोन पर गत 30 अक्टूबर से अज्ञात युवक सेल फोन नम्बर 9610822673 और 9610822674 से लगातार धमकियां देते हुए उनसे दो करोड रुपए की मांग की। अम्बालाल पालीवाल ने इस सम्बन्ध में गुरुवार को राजनगर थाने में रिपोर्ट दी। इस पर मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक मनीष त्रिपाठी, थानाधिकारी गोवर्द्धन लाल की टीम ने शुरू करते हुए सर्राफा बाजार कांकरोली निवासी पप्पू उर्फ नितेश पगारिया पुत्र सोहन लाल पगारिया, कमल तलाई निवासी सुनील पुत्र जगदीश पूिर्बया और कांकरोली निवासी पवन छीपा पुत्र राधेश्याम छीपा को गिरफ्तार किया। थानाधिकारी गोवर्द्धन लाल ने बताया कि तीनों आरोपियों को शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
यू आएं पुलिस गिरफ्त में : अम्बालाल पालीवाल की ओर से राजनगर थाने में मामला दर्ज होने के बाद जांच दल ने पालीवाल के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई। इस दौरान सेल फोन नम्बर 9610822673 और 9610822674 से धमकी भरे फोन आने ज्ञात हुए। इन सेल फोन नम्बरों के धारकों के बारे में जानकारी जुटाने पर ज्ञात हुआ कि दोनों सेल नम्बर नाथद्वारा निवासी दिनेश हरिजन के नाम पर लिए गए। जांच में जुटी पुलिस ने नाथद्वारा में दिनेश हरिजन की तलाश की लेकिन वहां से कोई सफलता हाथ नहीं लगी जिस पर जांच दल ने वोडाफोन कम्पनी से सम्पर्क कर सेल नम्बरों की सिम के बारे में जानकारी ली तो ज्ञात हुआ कि यह सिम जलचक्की स्थित सलीम खां के नाम से विक्रय की गई। पुलिस ने सलीम से पूछताछ की उसने उक्त सेल नम्बर गोपाल साहू को देना बताया। गोपाल साहू ने उक्त सेल नम्बर सुनील पूिर्बया को बेचना बताया जिस पर पुलिस ने सुनील और उसके साथियों को गिरफ्तार किया।
योजना सफल होती तो 50 लाख सांवलिया मंदिर में भेंट करते : पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बताया कि अम्बालाल पालीवाल से दो करोड रुपए लेने की योजना उन्होंने कांकरोली में बनाई और उसके बाद इस योजना की सफलता के लिए वह सांवलिया मंदिर चित्तौडगढ भी गए और मंदिर में भगवान के सामने मन्नत मांगी कि पालीवाल से रुपए मिलने के बाद वह 50 लाख मंदिर में भेंट करेंगे और शेष रुपए गरीबों में बांट देंगे।
पगारिया का पिता कर्जदार भी रहा : धमकी देकर दो करोड रुपए मांगने के मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए नितेश पगारिया का पिता सोहन लाल पगारिया ने अम्बालाल पालीवाल से दस लाख रुपए कर्ज लिए थे और इनका मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
गोपाष्टमी पर नाथद्वारा में बाल स्वरूपों का भव्य श्रृंगार
द्वारकाधीश मंदिर गौशालामें हुई सांड व पाडों की भिड़ंत
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले में स्थित पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्रीद्वारकाधीश मंदिर कांकरोली की आसोटिया स्थित गौशाला में गोपाष्टमी पर्व पर सांड एवं पाडों की भिडंत देख कर दर्शक रोमांचित हो गए। गौशाला में श्रद्धालुओं का हुजुम उमड पडा। प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी पर्व पर आयोजित होने वाले गोपाष्टमी पर्व पर द्वारकाधीश मंदिर गौशाला में सांडों एवं पाडों को शक्ति प्रदर्शन के लिए सजाया गया। इस विशेष आयोजन की मान्यता यह है कि श्री द्वारकाधीश प्रभु इस दिन परोक्ष रूप से गौशाला में पधार कर गौवंशों की सुध लेते है और उन्हें अपने हाथ गौवंश को गुड-थुली के साथ प्रसाद खिलाते है। इस पर्व को लेकर प्रभु की गौशाला को दुल्हन की भांति सजाया गया। शाम करीब साढे चार बजे से वैष्णवजनों एवं दर्शनार्थियों की भीड गौशाला में एकत्रित होना शुरू हो गया।
परम्परानुसार ग्वाल-बालों ने गौवंशों को खेलाया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने गौमाताओं को थुली व प्रसाद खिलाया। शाम करीब पांच बजे बाद अलग-अलग दलों में सांड व पाडों की भिडं़त शुरू हुई। दशकों के हुल्लड के बीच सांड अपने प्रतिस्पद्धी सांड को तो पछाडता तो दशक करतल ध्वनि और हुल्लड के साथ उसे सराहते।
Thursday, November 6, 2008
ब्लेक क्रांति की नीतियों के प्रति भी सजग रहना होगा
व्हाईट हाउस में ब्लेक क्रांति का जो शुभारंभ हुआ है वह निसंदेह प्रशंसनीय है। बुधवार दिन भर इसी खबर को लेकर मीडिया जगत भी निरंतर खबरे देता रहा। स्वाभाविक भी है। दुनिया के शक्तिशाली देश का प्रमुख बनना और वह भी एक अश्वेत पुरूष कामयाबी की काफी बडी मंजिल पाने के बराबर है।
बराक ओबामा की जीत पर भारत के समाचार पत्रों सहित कई संगठनों ने बराक ओबामा को आम भारतीय की पसंद करार दिया है लेकिन यह नहीं भुलना चाहिए कि बराक ने अपने प्रचार अभियान के दौरान कश्मीर मामले मध्यस्था के पक्ष को उजागर किया था। कश्मीर का मसला भारत-पाक के मध्य का है और उसमें मध्यस्थता किसी भी कीमत पर आम भारतीय को मंजूर नहीं होगी।
बराक ओबामा की जीत पर भारत के राजनीतिक संगठनों ने हालांकि खुशी जाहिर की लेकिन ओबामा के प्रशासन को लेकर उनके मन में चिंताएं भी दिखी। मुख्यत: कांग्रेस और भाजपा दल के नेताओं की परमाणु अप्रसार संधि, आउटसोर्सिंग और भारत का मुख्य मुद्दा कश्मीर पर एक राय नजर आए। वहीं अमेरिका के विरोधी रहे वामपंथी दल के नेताओं का भी यही कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति बदलते है नीतियां वहीं रहती है।
चिंता का विषय यह भी है कि ओबामा प्रशासन कर ढांचे को और ज्यादा कठोर बना कर भारतीयों की नौकरियों पर तलवार लटका सकता है। इसके अलावा सीटीबीटी के लिए दबाव भी ओबामा प्रशासन बना सकता है।
पदासीन बराक के हालांकि शुरूआती दिन है लेकिन भारत को इन मुद्दों पर सजग रहना होगा। अन्यथा महाशक्ति का महानायक की नीतियां कही हाल की खुिशयों को काफूर न कर देवे और कही व्हाइट हाउस की ब्लेक क्रांति आम भारतीयों के लिए ब्लेक आउट साबित न हो।
Sunday, November 2, 2008
अक्षय नवमी पर घसियार मंदिर में अन्नकूटोत्सव
नाथद्वारा स्थित प्रभु श्रीनाथजी का मंदिर तथा घसियार उदयपुर स्थित मंदिर बिल्कुल एक समान है। सिंधिया सेना के आक्रमण से असुरक्षित परिस्थितियों को देखते हुए तात्कालीक तिलकायत गिरधर ने उदयपुर के समीप घसियार नामक सुरम्य स्थान पर नाथद्वारा के समान ही मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर में प्रभु श्रीनाथजी निरंतर चार वर्ष तक विराजने के बाद विक्रम संवत १८६४ में नाथद्वारा पधार गए। घसियार मंदिर में आज भी प्रभु श्रीनाथजी की चित्र सेवा होती है।
गोपाष्टमी पर नाथद्वारा मंदिर की गौशाला में होगी बिजारों की भिडंत
बाल स्वरूपों का अनूठा श्रृंगार : गोपाष्टमी पर श्रीजी प्यारे के संग श्रीलालन प्यारे को जरी वस्त्र, मुकुट, काछनी का अनूठा श्रृंगार अंगीकार कराया जाएगा। कंदराखण्ड में गोमाताओं वाली चितराम की कलात्मक पिछवई सुशोभित की जाएगी।
Saturday, November 1, 2008
दामोदर दीक्षित को आचार्य निरंजननाथ सम्मान
