एनडीटीवी इमेंजिंग पर सोमवार से गुरुवार को रात दस बजे दिखाए जाने वाला जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली धारावाहिक सही मायनों में परिवार प्रबंधन का सीरियल है। वर्तमान दौर में टेलीविजन पर आने वाले दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों में परिवार के सदस्यों के बीच साजिष और षडयंत्र का खेल खेला जाता है और ऐसे धारावाहिक को देखने के बाद मध्यमवर्गीय परिवारों में साजिष भी होने की खबरे आम हो जाती है। इन धारावाहिकों से संयुक्त परिवार टूटते जाते है। वहीं इन धारावाहिकों में समाज में घट रही घटनाओं से इतर जो सामग्री परोसी जा रही है वह भी आम लोगों को हजम करना काफी मुिष्कल है।
ऐसे में जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली धारावाहिक न केवल भारतीय सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है अपितु एक संयुक्त परिवार का प्रबंधन कैसे होता है इसका बखूबी से चित्रण किया है। हालांकि यह धारावाहिक मातृ सत्तात्मक है और मुख्य किरदार जस्सूबेन किस तरह अपने संयुक्त परिवार को बांधे रखा है इसका अच्छा सा उदाहरण प्रस्तुत किया है। धारावाहिक में कानपोर बा नामक महिला विलेन के रूप में है जिसे जस्सूबेन की परिवार के प्रति की गई व्यवस्थाओं पर नाराजगी रहती है और वह परिवार का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती है। हालांकि एक बार जस्सूबेन और अन्य परिजनों की सहमति से कानपोर बा के हाथ में परिवार प्रबंधन चला भी गया लेकिन कानपोर बा के प्रबंधन से न केवल परिवार टूटता रहा अपितु कानपोर बा भी एक भारी मुसीबत में फंसते-फंसते रह गई। धारावाहिक के अन्य किरदार शैलेष, प्रोफेसर चंद्रकांत गीता राजु भाई पिनाकीन नंदिनी पुष्पा और बालक वर्ग में केदार ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। संयुक्त परिवार में आने वाली समस्याओं के समाधान के प्रति प्रत्येक सदस्य का क्या दायित्व होता है प्रत्येक सदस्य अपना क्या योगदान दे सकता है। इसका भी अनुपम चित्रण से यह धारावाहिक अब लोगों का चहेता बनता जा रहा है।
ऐसे में जस्सू बेन जयंती लाल जोशी की जॉइंट फेमेली धारावाहिक न केवल भारतीय सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है अपितु एक संयुक्त परिवार का प्रबंधन कैसे होता है इसका बखूबी से चित्रण किया है। हालांकि यह धारावाहिक मातृ सत्तात्मक है और मुख्य किरदार जस्सूबेन किस तरह अपने संयुक्त परिवार को बांधे रखा है इसका अच्छा सा उदाहरण प्रस्तुत किया है। धारावाहिक में कानपोर बा नामक महिला विलेन के रूप में है जिसे जस्सूबेन की परिवार के प्रति की गई व्यवस्थाओं पर नाराजगी रहती है और वह परिवार का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती है। हालांकि एक बार जस्सूबेन और अन्य परिजनों की सहमति से कानपोर बा के हाथ में परिवार प्रबंधन चला भी गया लेकिन कानपोर बा के प्रबंधन से न केवल परिवार टूटता रहा अपितु कानपोर बा भी एक भारी मुसीबत में फंसते-फंसते रह गई। धारावाहिक के अन्य किरदार शैलेष, प्रोफेसर चंद्रकांत गीता राजु भाई पिनाकीन नंदिनी पुष्पा और बालक वर्ग में केदार ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। संयुक्त परिवार में आने वाली समस्याओं के समाधान के प्रति प्रत्येक सदस्य का क्या दायित्व होता है प्रत्येक सदस्य अपना क्या योगदान दे सकता है। इसका भी अनुपम चित्रण से यह धारावाहिक अब लोगों का चहेता बनता जा रहा है।