राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के देवगढ क्षेत्र में लोहे की जंजीर मे जकडा राजूसिंह पिछले छह वर्ष से जिन्दगी को बोझ की तरह ढो रहा है। ग्यारहवीं तक शिक्षित कामली बस्ती का राजूसिंह [29] कामलीघाट चौराहा के एक निजी स्कूल में अध्यापक था, जहां से छह वर्ष पूर्व एक दिन घर लौटते वह अचानक विक्षिप्तावस्था में पहंुच गया। लोगों पर पत्थर फैंकने व उनसे हाथापाई करने लगा। उसकी इस हालत से माता-पिता चिन्तित और परेशान हो गए। रस्सी से बांध कर कमरे में बंद रखना उनकी मजबूरी बन गया। लेकिन मौका देख वह मुक्त होकर बस्ती में लोगों से अभद्रता करने लगा। तब उसे लोहे की भारी जंजीर से बांध उसमें ताला ठोका गया। पिता मोहन सिंह ने बताया कि बेटे की इस हालत से उन्हे अपनी नौकरी छोडनी पडी। जमा पूंजी इलाज में खर्च कर दी। कोई इलाज कारगर नहीं हुआ। प्रशासन से सहायता मांगी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। राजू के बडे एवं छोटे भाई परिवार की हालत देखकर घर छोडकर चले गए। राजू की मां भी दिमागी संतुलन खो बैठी है। छह वर्ष से जंजीर में जकडे बेटे की देखभाल ही उनके जीवन की नियति है।