देश के ख्यातनाम श्रीनाथजी मंदिर की गौशाला में छह नवम्बर को बिजारों एवं भैंसों की रोमांचक भिडंत होगी। गोपाष्टमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ग्वाल बालों के संग वन में गाय चराने गए थे। इसी भाव से वैष्णव नगरी नाथद्वारा में गोपाष्टमी का पर्व परम्परा से सराबोर होकर धूमधाम से मनाया जाता है। गोपाष्टमी के दिन श्रीजी प्रभु की हवेली एवं नाथूवास स्थित गोशाला में विविध आयोजन होंगे। गोपाष्टमी की तैयारियां को लेकर हेड ग्वाल नारायण गुर्जर के सान्ध्यि में ग्वाल बाल पूरे उत्साह से जुटे है। गोपाष्टमी के दिन गोशाला में भैंसों व बिजारों की रोमांचक भिडंत होगी। ग्वाल बाल भैंसों व बिजारों को सिंदूर, रजत व स्वर्ण रंग का लेप कर चमक–दमक श्रृंगार धराएंगें। साथ ही गौमाताओं को मयूरपंखी टिपारे का साज धराकर श्रृंगारित करेंगे। शाम पांच बजे हजारों वैष्णवों की मौजूदगी में रोमांचक भिडंत होंगी।
बाल स्वरूपों का अनूठा श्रृंगार : गोपाष्टमी पर श्रीजी प्यारे के संग श्रीलालन प्यारे को जरी वस्त्र, मुकुट, काछनी का अनूठा श्रृंगार अंगीकार कराया जाएगा। कंदराखण्ड में गोमाताओं वाली चितराम की कलात्मक पिछवई सुशोभित की जाएगी।
बाल स्वरूपों का अनूठा श्रृंगार : गोपाष्टमी पर श्रीजी प्यारे के संग श्रीलालन प्यारे को जरी वस्त्र, मुकुट, काछनी का अनूठा श्रृंगार अंगीकार कराया जाएगा। कंदराखण्ड में गोमाताओं वाली चितराम की कलात्मक पिछवई सुशोभित की जाएगी।