(दिलीप पालीवाल)
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले में स्थित पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्रीद्वारकाधीश मंदिर कांकरोली की आसोटिया स्थित गौशाला में गोपाष्टमी पर्व पर सांड एवं पाडों की भिडंत देख कर दर्शक रोमांचित हो गए। गौशाला में श्रद्धालुओं का हुजुम उमड पडा। प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी पर्व पर आयोजित होने वाले गोपाष्टमी पर्व पर द्वारकाधीश मंदिर गौशाला में सांडों एवं पाडों को शक्ति प्रदर्शन के लिए सजाया गया। इस विशेष आयोजन की मान्यता यह है कि श्री द्वारकाधीश प्रभु इस दिन परोक्ष रूप से गौशाला में पधार कर गौवंशों की सुध लेते है और उन्हें अपने हाथ गौवंश को गुड-थुली के साथ प्रसाद खिलाते है। इस पर्व को लेकर प्रभु की गौशाला को दुल्हन की भांति सजाया गया। शाम करीब साढे चार बजे से वैष्णवजनों एवं दर्शनार्थियों की भीड गौशाला में एकत्रित होना शुरू हो गया।
परम्परानुसार ग्वाल-बालों ने गौवंशों को खेलाया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने गौमाताओं को थुली व प्रसाद खिलाया। शाम करीब पांच बजे बाद अलग-अलग दलों में सांड व पाडों की भिडं़त शुरू हुई। दशकों के हुल्लड के बीच सांड अपने प्रतिस्पद्धी सांड को तो पछाडता तो दशक करतल ध्वनि और हुल्लड के साथ उसे सराहते।
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले में स्थित पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्रीद्वारकाधीश मंदिर कांकरोली की आसोटिया स्थित गौशाला में गोपाष्टमी पर्व पर सांड एवं पाडों की भिडंत देख कर दर्शक रोमांचित हो गए। गौशाला में श्रद्धालुओं का हुजुम उमड पडा। प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी पर्व पर आयोजित होने वाले गोपाष्टमी पर्व पर द्वारकाधीश मंदिर गौशाला में सांडों एवं पाडों को शक्ति प्रदर्शन के लिए सजाया गया। इस विशेष आयोजन की मान्यता यह है कि श्री द्वारकाधीश प्रभु इस दिन परोक्ष रूप से गौशाला में पधार कर गौवंशों की सुध लेते है और उन्हें अपने हाथ गौवंश को गुड-थुली के साथ प्रसाद खिलाते है। इस पर्व को लेकर प्रभु की गौशाला को दुल्हन की भांति सजाया गया। शाम करीब साढे चार बजे से वैष्णवजनों एवं दर्शनार्थियों की भीड गौशाला में एकत्रित होना शुरू हो गया।
परम्परानुसार ग्वाल-बालों ने गौवंशों को खेलाया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने गौमाताओं को थुली व प्रसाद खिलाया। शाम करीब पांच बजे बाद अलग-अलग दलों में सांड व पाडों की भिडं़त शुरू हुई। दशकों के हुल्लड के बीच सांड अपने प्रतिस्पद्धी सांड को तो पछाडता तो दशक करतल ध्वनि और हुल्लड के साथ उसे सराहते।