Tuesday, November 11, 2008

दहेज की लम्बी मांगों के आगे बेबस नरगिस

ससुराल के लोगों ने जो मांग रखी वह पूरी करती रही लेकिन उनकी मांगे दिन ब दिन लम्बी होती जा रही थी उन्हें पूरी कर पाना न तो मेरे और न मेरे पीहर पक्ष के बस की बात रही। अब तक दो लाख दे चुकी हूं, लेकिन अब पांच लाख की मांग कहां से पूरी करूं। यह कहानी है राजस्थान राज्य के उदयपुर जिला मुख्यालय पर ब्याही नरगिस की I राजनगर थाने में रिपोर्ट देते वक्त हालाकि पीड़िता नरगिस की आंखों से आंसू झलक रहे थे लेकिन उसे उम्मीद है कि इससे उसे न्याय जरूर मिल जाएगा। रजा कॉलोनी राजनगर निवासी नरगिस ने बताया कि उसका निकाह छह वर्ष पूर्व सिलावटवाडी उदयपुर निवासी मोहम्मद अनिस से हुआ। निकाह के वक्त उसके पिता ने 61 हजार के वेश, 20 तोला सोने और चांदी के आभूषण तथा घरेलू सामान दिया। इसके बावजूद पति मोहम्मद अनिस, ससुर सईद अहमद, देवर टिंकू, ननद शगुफ्ता, उदयपुर में शहनाज हुसैन ब्यूटी पार्लर की संचालिका शहनाज व ननदोई लियाकत हुसैन ने कम दहेज का ताना दिया। इस पर उसके पिता व भाई ने समझाइश की लेकिन उनके नहीं मानने पर दो लाख रूपए का चैक और विदाई के वक्त छह सोने की चैन दी। निकाह के बाद तीन माह तक ठीक रखा और उसके बाद से दहेज के लिए पुनः ताना देना शुरू कर दिया। वहीं पूर्व में दिए गए चैक को जब ससुराल पक्ष ने पेश किया तो रूपए नहीं होने से भुगतान नहीं हुआ। इस पर उक्त लोगों ने ताना देना शुरू किया । इससे परेशान होकर मेरे भाई सिराज ने 50 हजार का भुगतान किया और शेष एक लाख रूपए एक माह बाद उदयपुर जाकर भुगतान किया। दो लाख रूपए लेने के बावजूद ससुराल पक्ष के लोग संतुष्ठ नहीं हुए और राजसमंद क्षेत्र में एक खान आवंटित करवाने की मांग करने लगे। नरगिस ने बताया कि खान की बात को लेकर पति, ससुर, ननद व ननदोई परेशान करते रहते थे। इसी बीच उसके एक बेटी भी हुई जो आनुवांशिक रोग से ग्रस्त होने की वजह से उसका दोष भी उस पर मढते रहे। नरगिस ने बताया कि ससुराल पक्ष ने उसे जलाने का षड़यंत्र भी रचा लेकिन उसकी सजगता से वह कामयाब नहीं हो सके। नरगिस ने बताया कि करीब ढाई वर्ष पूर्व ससुराल पक्ष ने उसके जेवर उतरवा लिए और उसे व उसकी बेटी को राजनगर छोड कर चले गए। उक्त लोगों से काफी समझाइश करने का प्रयास किया लेकिन वह पांच लाख रूपए या खान आवंटित करने की मांग पर अडे हुए है।