Thursday, November 13, 2008

न्याय की गुहार कर रहे परिवार को पुलिस की मिली दुत्कार

राजसमन्द अमूमन पुलिस एवं प्रशासन संवेदनशीलता से पीडितों की समस्याओं के निराकरण करने के लिए की आदेश प्रचारित करते है लेकिन उनकी कथनी का धरातल स्तर पर किस तरह का क्रियान्वयन हो रहा है उसका एक उदाहरण राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के आमेट थाना क्षेत्र के सरदारगढ कस्बे में देखने को मिलता है जहां पुश्तैनी मकान पाने के लिए थानाधिकारी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक तक गुहार लगा चुके एक परिवार को न केवल दर-दर भटकना पड रहा है अपितु विपक्षी द्वारा लगाए झूठे मुकदमे की वजह से पुलिसकर्मियों की अभद्रता का भी शिकार होना पड रहा है।सरदारगढ निवासी तथा हाल कुंवारिया में रह रहे मोइनुद्दीन ने बताया कि उसके पिता तुफैल मोहम्मद ने पहले बिसमिल्लाह से निकाह किया और उसकी मृत्यु होने के बाद श्रीमती जेबूना बानू से निकाह किया। पिता तुफैल मोहम्मद की वर्ष 2003 में मृत्यु हो गई। जिसके बाद जेबूना बानू ने पूर्व में कृषि भूमि बेच दी। इसके बाद पुश्तैनी मकान सरदारगढ निवासी रोशन लाल पुत्र गोपी लाल खटीक, भैरू सिंह पुत्र मोहन सिंह व श्याम लाल पुत्र गोपी लाल खटीक, गोटू सेन, कैलाश मेवाडा के सहयोग से सरदारगढ निवासी सोनी देवी, मोहन को पांच लाख रुपए में बेच दी। मोइनुद्दीन ने बताया कि मकान के बेचने के बाद भी जेबूना बानू उसी मकान में रही ताकि उसकी धोखाधडी की किसी को खबर नहीं हो। इसके अलावा उसने धोखाधडी का किसी को पता नहीं लगे इसके लिए उसने पट्टे का पंजीयन सरदारगढ के उप पंजीयक के यहां से करवाया लेकिन विक्रय पत्र का निष्पादन पंजीयन आमेट के यहां करवाया। मोइनुद्दीन के अनुसार इस विक्रय में क्रेता और विक्रेता, दस्तावेज के गवाह एवं पहचानकर्ता सभी सरदारगढ के होने के बावजूद सभी व्यक्ति आमेट उप पंजीयक के यहां पेश हुए और निष्पादन करवाया। मोइनुद्दीन के अनुसार जेबूना बानू की धोखाधडी के बारे में जानकारी होने पर 27 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक को परिवाद भी प्रस्तुत किया। इसके अलावा उसी दिन पुलिस अधीक्षक के समक्ष धारा 145 व 146 जाप्ता फौजदारी में परिवाद भी प्रस्तुत कर सिविल न्यायालय से मृतक के वारिसानों का विभाजन नहीं होने और उन्हें उनका निश्चित हिस्सा नहीं मिलने तक उक्त मकान कुर्क करने की गुहार की। पुलिस अधीक्षक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर महा निरीक्षक उदयपुर रेंज के समक्ष भी परिवाद पेश किया गया।मोइनुद्दीन ने बताया कि उनके परिवाद पर कार्रवाई करने की बजाय जेबूना बानू की रिपोर्ट पर एएसआई भंवर सिंह ने उसके सहित 13 जनों के खिलाफ मकान में अनाधिकृत प्रवेश करने का मामला दर्ज करवाया। इस मामले की जांच आमेट थाना के एएसआई बाघ सिंह के जिम्मे की गई।मोइनुद्दीन ने बताया कि बाघ सिंह मामले की जांच करने की बजाय आए दिन पांच-छह पुलिसकर्मियों को लेकर आता है और मकान खरीदार को सौंपने की धमकी देता रहता है। एतराज करने पर घर की महिलाओं से अभद्रता करने लग गया। मोइनुद्दीन ने बताया कि आमेट थाना पुलिसकर्मियों द्वारा पूर्व में दिए गए परिवाद के सम्बन्ध में मामला दर्ज नहीं करने तथा आए दिन बाघ सिंह व पुलिसकर्मियों द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार से परेशान होकर सोमवार को एक बार फिर पुलिस अधीक्षक को परिवाद प्रस्तुत किया। मोइनुद्दीन के अनुसार पुलिस उसकी पीडा को दूर करने की बजाय बढाती जा रही है।