आतंकवादियों में शामिल थे जिन्हें आत्मघाती दस्ते में भर्ती किया गया था। मुम्बई पुलिस के उपायुक्त देवेन भारती ने एक विदेशी अखबार की वेबसाइट को बताया कि इस बात की संभावना से इंकार करने का कोई कारण नहीं है कि बाकी बचे 20 आतंकवादी भारत में ही हैं। भारती ने कहा है, ये बीस मरने के लिए तैयार हैं। यह सबसे अधिक चिंता की बात है। उन्होंने बताया कि इन सभी को बहुत गहन प्रशिक्षण दिया गया है जिसमें समुद्री लड़ाई की ट्रेनिंग भी शामिल है। भारती ने बताया कि यह जानकारी हमले के दौरान जीवित पकड़े गए आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब से पूछताछ में मिली है। कसाब और उसके नौ साथियों को तीन महीने तक एक घर में रखा गया था और इसके बाद उन्हें दो-दो की टीम में बांट दिया गया था। इनमें से प्रत्येक टीम को मुम्बई में ही अलग-अलग लक्ष्य दिए गए थे। उनसे कहा गया था कि वे इस जानकारी को आपस में भी नहीं बांटेंगे। भारती ने बताया कि कसाब ने पूछताछ में बताया है कि उसने उन 20 आतंकवादियों से एक बार अलग होने के बाद उन्हें फिर से नहीं देखा और न ही उसे पता है कि वे कहां हैं। हमलों की जांच से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमलावरों को अंधाधुंध गोलीबारी कर अधिक से अधिक लोगों को मारने के आदेश दिए गए थे। कसाब ने पुलिस को यह भी बताया है कि आतंकवादियों से कहा गया था कि वे या तो लोगों को मार गिराएं या बंधक बना लें। उनसे मिशन के बाद किसी अज्ञात स्थान पर जाने के लिए कहा गया था। पुलिस को यह भी बताया गया कि ये सभी अपने आपको फिदायीन कहते थे पुलिस के अनुसार इनमें से प्रत्येक आतंकवादी के पास 10 से भी अधिक हथगोले, 2 मैग्जीन के साथ 9-एमएम की एक पिस्तौल, 7 मैग्जीन के साथ एक-एक एके-47 राइफल और 100 से 150 कारतूस थे।