Monday, December 29, 2008

पांच बरस में ले ली 98 हजार लोगों की जान

पिछले पांच साल से इराक में चल रही अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में अब तक रासायनिक हथियार तो नहीं मिले लेकिन सद्दाम हुसैन को हटाने की इस मुहिम के लिए पहले से ही मजहबी हिंसा के शिकार रहे इस देश के वाशिंदों ने भारी कीमत अदा की है। इराक में व्यापक विनाश के हथियारों की खोज के नाम पर तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को अपदस्थ करने के लिए वर्ष 2003 में किए गए अमेरिकी हमले के बाद से अब तक 98 हजार मासूम लोगों की जान जा चुकी है।इराक युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए यहां के मानवाधिकार संगठन 'इराक बॉडी कांउट' की शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किए गए हैं।रिपोर्ट के अनुसार इराक में इस साल अब तक आठ से नौ हजार के बीच स्थानीय नागरिक मारे जा चुके हैं। हालांकि पिछले पांच साल में 2006-07 में सबसे ज्यादा 48 हजार लोगों के मारे जाने के बाद पिछले एक साल में अमेरिका और स्थानीय सरकार समर्थकों पर किए गए हमलों की संख्या में खासी गिरावट दर्ज की गई है।संगठन के सहसंस्थापक और प्रवक्ता जॉन स्लोबोदा ने बताया कि मरने वाले स्थानीय नागरिकों की संख्या में आई यह गिरावट बगदाद के आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा प्रभावी रही। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट मीडिया एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है इसलिए मृतकों की वास्तविक संख्या 98,400 से भी अधिक हो सकती है।