लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान एग्जिट पोल के प्रकाशन-प्रसारण पर रोक के सरकारी फैसले की 'द एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया' ने आलोचना की है। संपादकों की इस संस्था ने इस संबंध में कैबिनेट के हालिया फैसले को प्रेस की आजादी में सीधा हस्तक्षेप करार दिया है।
गिल्ड का कहना है कि जनता को सूचना मुहैया कराना मीडिया का अहम फर्ज है और चुनाव पूर्व सर्वेक्षण का प्रकाशन-प्रसारण भी इसी का एक हिस्सा है। इसमें नेताओं के भाषण, पार्टियों के घोषणापत्र, नीतियां, विचार विश्लेषण, ट्रेंड आदि विस्तार से कवर किए जाते हैं। इस तरह की विविध जानकारियों के आधार पर जनता को अपना मन बनाने में काफी मदद मिलती है।
गिल्ड के मुताबिक चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण के प्रसारण-प्रकाशन पर रोक से मतदाताओं को सूचना पाने के उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। गिल्ड ने सरकार के इस मत को सिरे से खारिज कर दिया कि चुनाव के दौरान एग्जिट पोल दिखाने या छापने से चुनावी प्रक्रिया पर गलत असर पड़ेगा। गिल्ड ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह एग्जिट पोल के प्रकाशन-प्रसारण को रोकने के लिए चुनाव कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर अमल नहीं करे।
गिल्ड का कहना है कि जनता को सूचना मुहैया कराना मीडिया का अहम फर्ज है और चुनाव पूर्व सर्वेक्षण का प्रकाशन-प्रसारण भी इसी का एक हिस्सा है। इसमें नेताओं के भाषण, पार्टियों के घोषणापत्र, नीतियां, विचार विश्लेषण, ट्रेंड आदि विस्तार से कवर किए जाते हैं। इस तरह की विविध जानकारियों के आधार पर जनता को अपना मन बनाने में काफी मदद मिलती है।
गिल्ड के मुताबिक चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण के प्रसारण-प्रकाशन पर रोक से मतदाताओं को सूचना पाने के उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। गिल्ड ने सरकार के इस मत को सिरे से खारिज कर दिया कि चुनाव के दौरान एग्जिट पोल दिखाने या छापने से चुनावी प्रक्रिया पर गलत असर पड़ेगा। गिल्ड ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह एग्जिट पोल के प्रकाशन-प्रसारण को रोकने के लिए चुनाव कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर अमल नहीं करे।