प्रशासनिक आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट की सिफारिशों को अगर मान लिया जाता है तो जहां सिविल सेवा में सभी वर्गो के लिए अवसरों की संख्या में कमी हो जाएगी वहीं 20 बरस पूर्ण करने के बाद अयोग्य हो गए अफसरों पर भी तलवार लटक सकती है। प्रशासनिक सुधार आयोग ने ब्यूरोक्रैसी को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए सुझाव दिया है कि 20 सालों की सर्विस के बाद अगर सरकारी सेवक अयोग्य पाए जाते हैं, तो उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाए एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग ने सरकारी सेवकों के सेवा नियमों में कुछ अभूतपूर्व और दूरगामी असर वाले बदलावों की सिफारिश की है रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 सालों की सर्विस के बाद की जाने वाली समीक्षा मुख्यत: सेवकों को अपने मजबूत और कमजोर पक्षों से अवगत कराने के मकसद से होगी. वहीं, 20 सालों की सेवा के बाद की जाने समीक्षा का मकसद यह तय करना होगा कि सरकारी सेवक आगे सेवा में रहने योग्य है अथवा नहीं दूसरी समीक्षा में अयोग्य रहने वाले सरकारी नौकर सर्विस से हटा दिए जाएंगे दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में ये सुझाव दिए हैं. आयोग की यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई आयोग ने यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को चार के बजाय तीन बार ही परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का सुझाव रखा है आयोग ने ओबीसी तबके के प्रत्याशियों को सात के बजाय पांच बार और एससी/एसटी प्रत्याशियों को छह बार परीक्षा में बैठने देने की सिफारिश की है. एससी/एसटी प्रत्याशी अभी जितनी बार चाहें, यह परीक्षा दे सकते हैं. आयोग ने प्रत्याशियों की अधिकतम उम्र सीमा भी घटाने को कहा है. सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए अधिकतम उम्र 30 की बजाय 25 वर्ष, ओबीसी के लिए 33 से घटाकर 28 वर्ष और एससी/एसटी के लिए 35 से घटाकर 29 वर्ष करने का सुझाव है