देश के मुख्य न्यायाधीश ने एक टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में कहा है कि कानून चाहे जितना भी कड़ा किया जाए मगर मानवाधिकारों के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए।देश में जब आतंकवाद से निपटने के लिए कड़ा कानून बनाने की बात जोरों पर चल रही और सरकार के साथ इस बात में विपक्ष ने भी सुर में सुर मिला दिए ऐसे में मुख्य न्यायाधीश का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने साफ कहा कि मानवीय संवेदनाओं का ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात को खुलकर कहा भी कि आतंकवाद से निपटने के लिए कठोर कानून जरूरी है। कानून कैसा इस पर संसद को चर्चा करने के बाद तय करना चाहिए। देश में लोगों के भीतर सुरक्षा की भावना होनी ही चाहिए।मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कसाब को एक वकील की सहायता मुहैया कराई जानी चाहिए। अदालत की कार्रवाई में वकील के महत्व पर उन्होंने कहा कि कानूनी कार्रवाई के लिए बचाव पक्ष का वकील होना आवश्यक है। गौरतलब है कि कानून को कठोर बनाने के सूरत में मानवाधिकारों को कुछ हद तक दरकिनार करने के बात स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं।