चाँद पर जाने वाले भारत के पहले आदमी को योग की गहन शिक्षा दी जाएगी। योग क्रिया में पारंगत एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) के लिए शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति से निपटना बेहद आसान हो जाएगा।पिछले हफ्ते बेंगलुरु में एयरोमेडिसन की तीन दिवसीय बैठक में चाँद पर भेजने के लिए चुने गए पायलटों में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित करने के तरीकों पर विचार किया गया। इसमें योग की बड़ी भूमिका होने वाली है। चाँद पर पहुँचने पर आदमी के लिए पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। शून्य गुरुत्वाकर्षण की वजह से स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएँ भी पैदा होने का जोखिम रहता है। 2015 तक चाँद पर मानव सहित यान भेजने के लिए एयरफोर्स के 200 पायलटों की सूची बनाई गई है। गहन ट्रेनिंग के बाद इनमें से चाँद पर जाने के लिए अंततः चार पायलटों का चुनाव किया जाएगा।एयरोस्पेस मेडिसन के डॉक्टरों की तीन दिवसीय बैठक में इन पायलटों को पूरी तरह से स्वस्थ रखने एवं उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित करने के तरीकों पर विचार हुआ। इसके लिए होलिस्टिक विधि को अपनाने पर जोर दिया गया। इस विधि में योग और एक्यूपंक्चर का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।होलिस्टिक विधि के विशेषज्ञों ने सलाह दी कि पायलटों को एलोपैथी मेडिसन से जहाँ तक संभव हो दूर रखना चाहिए। एलोपैथी दवा के सेवन से नई परिस्थिति के अनुरूप क्रिया करने की क्षमता सुस्त पड़ जाएगी। सेना व एविएशन (उड्डयन) क्षेत्र के डॉक्टरों की संस्था इंडियन सोसायटी सम्मेलन में चंद्रायन वन प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राधाकृष्णन ने चाँद पर मानव को भेजने की योजना का विस्तृत खुलासा किया। इसमें एयरफोर्स स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक पी. मधुसूदन ने भी भाग लिया।होलिस्टिक विधि पर पेपर पेश करने के लिए एयरफोर्स स्वास्थ्य सेवा में 13 साल काम कर चुके अपोलो के एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ डॉ. रवींद्र तुली को बुलाया गया था। उन्होंने एयरफोर्स के तमाम पायलटों के इलाज में होलिस्टिक विधि के प्रयोग पर जोर दिया।