भारतीयों में घातक रोग एड्ज़ को रोकने वाले प्राकृतिक मानव जीन नहीं हैं। साथ ही भारतीयों में इस बीमारी को फैलाने वाले जीन ढाई गुना अधिक हैं। इससे भारतवासियों में इस बीमारी के फैलने का खतरा अधिक है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्नी पानाबाका लक्ष्मी ने लोकसभा में बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अध्ययन में पाया गया कि एड्ज़ के एचआईवी संक्रमण को रोकने वाली प्रतिरोधक जीन भारत के लोगों में आमतौर पर मौजूद नहीं हैं। इस कारण लोगों में इस रोग का ज्यादा खतरा है। वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि सेक्स संबंध के दौरान एड्ज़ वायरस किस तरह फैलता है। रिसर्चर अब तक मानते थे कि महिलाओं की योनि (वेजिना) की लाइनिंग सेक्स के दौरान एचवाईवी वायरस को शरीर के अंदर से जाने से रोक देती है। लेकिन अब पता चला है कि वायरस इस टिशु को भी भेद सकता है। वैज्ञानिक इस तरीके को समझकर अब एड्ज़ को रोकने के लिए एक वैक्सीन बना रहे हैं। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की एक टीम ने पहली बार दिखाया है कि एचआईवी वायरस महिलाओं की योनि के सामान्य ऊतकों को भेद कर अंदर जा सकता है। टीम लीडर टॉमस होप कहते हैं कि यह एक अप्रत्याशित और अहम नतीजा है। हमें पहली बार पता चला है कि एचआईवी महिलाओं की योनि में कैसे घुस जाता है। अब तक एचआईवी के सेक्सुअल ट्रांसफर की डिटेल्स पता नहीं चल पाए थे। टॉमस के मुताबिक, भविष्य के अध्ययनों में एचआईवी की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाए जा सकते हैं। टॉमस कहते हैं कि एचआईवी को फैलने से रोकने के लिए कंडोम 100 फीसदी कारगर हैं। लेकिन लोग कल्चरल या दूसरी वजहों से इसका इसका इस्तेमाल नहीं करते। अपनी स्टडी में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि योनि की इंटीरियर स्किन में वायरस का खतरा सबसे कम होता है। लेकिन चूंकि योनि की ऊपरी स्किन काफी ढीली और लचीली होती है इसलिए यहां एचआईवी वायरस का खतरा अधिक होता है।