मीडिया आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि आतंकवादी जहां व्यक्ति की सोच पर हमला कर उसकी हत्या कर डालते हैं वहीं मीडिया व्यक्ति की सोच पर हमला कर उसकी अंतरात्मा को ही खत्म कर देता है। यह मानना है निर्माता-निर्देशक रामगोपाल वर्मा का ।वर्मा के अनुसार अगर निहत्थे लोगों पर हमला करने वालों को आतंकवादी कहा जाता है तो विभिन्न स्तरों पर मीडिया भी तो अपने हल्के और कपटपूर्ण तरीके से यही काम करता है। वर्मा ने यह नाराजगी टीवी पर दिखाए गए उन फुटेज तथा उसके बाद शुरू हुई आलोचना के संदर्भ में जाहिर की है, जिनमें वर्मा महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख तथा उनके पुत्र एवं अभिनेता रितेश देशमुख के साथ आतंकवादी हमले का शिकार हुए ताज होटल में नजर आ रहे थे।
मीडिया हमें यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि केवल वह ही जनता के हितों का ध्यान रखता है भले ही वह यह काम खासतौर से इसी आशय से नहीं करता हो, लेकिन उसके हावभाव ऐसे ही होते हैं और इसी वजह से लोग उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं। यह अंधा अंधे को राह दिखाये का एक नायाब नमूना है। इसका परिणाम बहुत बार हास्यास्पद भी होता है।वह कहते हैं कि मुझे हैरत होती है कि जब देश आतंकवाद की ऐसी त्रासदी से जूझ रहा था तब एक फिल्म निर्माता की किसी स्थान पर उपस्थिति जैसी बेतुकी बात को प्रसारित करने में मीडिया इतना वक्त बर्बाद कर सकता है।समझ में नहीं आता कि जब इतना कुछ चल रहा है तब यह बात किसी को और कैसे प्रभावित कर सकती है। वर्मा ने लिखा है कि टीवी चैनलों को वह फुटेज मुहैया कराए गए थे, जिन्हें विलासराव की टीम ने शूट किया था। इन दृश्यों को चैनलों पर बार-बार दिखाया गया और सवाल किया गया कि मैं वहां क्यों गया। विलासराव मुझे क्यों साथ ले गए, जो कुछ हमने ताज में देखा वह सब टीवी पर पहले भी कई बार दिखाया जा चुका था।अगर मुझे उस पर फिल्म बनानी होती तो क्या मैं देखे हुए घटनाक्रम को देखने जाता। कुछ चैनलों ने यहां तक कह दिया कि हमने वहां कुछ छेड़छाड़ की। अगर सचमुच ऐसा था तो सुरक्षा अधिकारी हमें रोक सकते थे।वर्मा के अनुसार विलासराव से मेरा कोई औपचारिक परिचय भी नहीं है। रितेश को सिर्फ इतनी जानकारी थी कि ताज के जिन हिस्सों की जांच हो चुकी है उन्हें ही हम देख सकते हैं। उनके अनुसार जब हम ताज पहुंचे तो वहां पुलिस अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों और होटल के कर्मचारियों सहित 60 से 70 लोग थे। इस भीड़ में मुझे नहीं लगता कि विलासराव का ध्यान मुझ पर गया होगा। मैं उस जगह को देख रहा था जहां सर्वाधिक भयावह घटना हुई थी। ऐसा कौन होगा जिसे उस स्थान को देखने की उत्सुकता नहीं होगी। वर्मा सवाल करते हैं कि उनके ताज जाने से क्या प्रभावित हो सकता था। अगर उनके कारण सुरक्षा नियमों का उल्लंघन होता या उनकी वजह से कोई समस्या होती तो उन्हें सुरक्षा अधिकारी रोक सकते थे। अधिकारियों ने उन्हें इसलिए नहीं रोका क्योंकि उन लोगों को वह हिस्से दिखाए गए जहां जांच हो चुकी थी। इन हिस्सों के फुटेज टीवी पर कई बार दिखाई जा चुकी थी।
मीडिया हमें यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि केवल वह ही जनता के हितों का ध्यान रखता है भले ही वह यह काम खासतौर से इसी आशय से नहीं करता हो, लेकिन उसके हावभाव ऐसे ही होते हैं और इसी वजह से लोग उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं। यह अंधा अंधे को राह दिखाये का एक नायाब नमूना है। इसका परिणाम बहुत बार हास्यास्पद भी होता है।वह कहते हैं कि मुझे हैरत होती है कि जब देश आतंकवाद की ऐसी त्रासदी से जूझ रहा था तब एक फिल्म निर्माता की किसी स्थान पर उपस्थिति जैसी बेतुकी बात को प्रसारित करने में मीडिया इतना वक्त बर्बाद कर सकता है।समझ में नहीं आता कि जब इतना कुछ चल रहा है तब यह बात किसी को और कैसे प्रभावित कर सकती है। वर्मा ने लिखा है कि टीवी चैनलों को वह फुटेज मुहैया कराए गए थे, जिन्हें विलासराव की टीम ने शूट किया था। इन दृश्यों को चैनलों पर बार-बार दिखाया गया और सवाल किया गया कि मैं वहां क्यों गया। विलासराव मुझे क्यों साथ ले गए, जो कुछ हमने ताज में देखा वह सब टीवी पर पहले भी कई बार दिखाया जा चुका था।अगर मुझे उस पर फिल्म बनानी होती तो क्या मैं देखे हुए घटनाक्रम को देखने जाता। कुछ चैनलों ने यहां तक कह दिया कि हमने वहां कुछ छेड़छाड़ की। अगर सचमुच ऐसा था तो सुरक्षा अधिकारी हमें रोक सकते थे।वर्मा के अनुसार विलासराव से मेरा कोई औपचारिक परिचय भी नहीं है। रितेश को सिर्फ इतनी जानकारी थी कि ताज के जिन हिस्सों की जांच हो चुकी है उन्हें ही हम देख सकते हैं। उनके अनुसार जब हम ताज पहुंचे तो वहां पुलिस अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों और होटल के कर्मचारियों सहित 60 से 70 लोग थे। इस भीड़ में मुझे नहीं लगता कि विलासराव का ध्यान मुझ पर गया होगा। मैं उस जगह को देख रहा था जहां सर्वाधिक भयावह घटना हुई थी। ऐसा कौन होगा जिसे उस स्थान को देखने की उत्सुकता नहीं होगी। वर्मा सवाल करते हैं कि उनके ताज जाने से क्या प्रभावित हो सकता था। अगर उनके कारण सुरक्षा नियमों का उल्लंघन होता या उनकी वजह से कोई समस्या होती तो उन्हें सुरक्षा अधिकारी रोक सकते थे। अधिकारियों ने उन्हें इसलिए नहीं रोका क्योंकि उन लोगों को वह हिस्से दिखाए गए जहां जांच हो चुकी थी। इन हिस्सों के फुटेज टीवी पर कई बार दिखाई जा चुकी थी।