इसे विज्ञान का चमत्कार कहें या किस्मत का खेल कि 68 साल की उम्र वाले एक मरीज का हृदय. फेंफडे और अन्य जरूरी अंग काम करना बंद कर देने के बाद भी एक सप्ताह के भीतर डाक्टरों के अथक प्रयास से उसकी हालत में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है।इंदौर के सीएचएल अपोलो अस्पताल में 24 दिसंबर को मरणासन्न स्थिति में गुलाब चंद डोंगरे जब भर्ती कराया गया तब वह पूरी तरह से अचेत अवस्था थे और आंख भी नहीं खोल पा रहे थे। मशीनें भी उनकी नब्ज तथा रक्तचाप नापने में असमर्थ साबित हुई । ईसीजी मशीन ने उनके हृदय को पूरी तरह से ब्लॉक बता दिया।अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नितिन मोदी और डा.सुधीर खेतावत के नेतृत्व में चिकित्सकों के एक दल ने डोंगरे को बचाने की अंतिम कोशिश के तहत उन्हें अस्थायी पेसमेकर और रेस्पिरेटरी वेंटिलेटर पर रखा। डाक्टरों की निरंतर निगरानी में मरीज के हृदय. फेंफड़े और श्वसन तंत्र का इलाज किया गया और एक सप्ताह के भीतर उनकी हालत में चमत्कारिक सुधार देखने को मिला।डा. खेतावत ने बताया कि एक सप्ताह में ही डोंगरे के हृदय और फैंफ.ड़ों की हालत में सुधार को देखते हुये वेंटिलेटर हटा दिया गया और वह न केवल अपनी आंख खोलकर हाथ पैर चलाने लगे बल्कि उनके शरीर के अन्य अंगों में भी गतिशीलता देखने को मिली । उन्होंने बताया कि इतनी गंभीर हालत में लाये गये किसी मरीज में महज एक सप्ताह में इतना सुधार उन्होंने पहले कभी नहीं देखा । डा. खेतावत ने डाक्टरों की अथक मेहनत और मरीज की प्रतिरोधक क्षमता को इस चमत्कार का श्रेय दिया है।