Saturday, February 7, 2009

राजसमन्द के विद्यालयों में बांट दी अष्लील पुस्तकें

राजसमन्द। महाभारत युद्ध में अभिमन्यु महारथियों से घिरे होने के बावजूद युद्ध करता रहा और आखिरकार मारा गया। पृथ्वीराज चैहान ने 16 बार मुहम्मद गौरी को हराया और 17 वीं बार हार गया। फ्रांस का सम्राट नेपोलियन जिसके “ाब्द कोश में असंभव “ाब्द नहीं था वह भी हार गया इत्यादि इत्यादि।
इतिहास के उक्त पात्रों की हार और मृत्यु के पीछे इतिहासकारों के अपने-अपने मत रहे है लेकिन देष के ख्यातनाम संत आसाराम के सान्निध्य में संचालित योग वेदांत सेवा समिति की ओर से प्रकाषित योग वेदांत सेवा समिति की ओर से प्रकाषित युवा धन सुरक्षा यौवन सुरक्षा एवं योगयात्रा-4 का समुच्चय पुस्तक में उक्त पात्रों के हार या मृत्यु का मूल कारण हार-मृत्यु से पूर्व उनका वीर्य क्षरण करने को माना गया है। इस पुस्तक में और भी दृश्टांत है जिनके पात्रों के पराजित होने के पीछे मूल मंतव्य ब्रह्मचर्य के क्षरण को होना माना गया।
अमूमन योग वेदांत सेवा समिति मोबाइल पुस्तकालय के जरिए अपनी पुस्तकों का प्रचार-प्रसार एवं विक्रय करती है लेकिन समिति से जुडे कार्यकर्ताओं ने हद तब कर दी जब ऐसी पुस्तकें राजसमन्द जिले के विद्यालयों में लेकर पहुंच गए और छात्रों को इस पुस्तक में वर्णित तुलसी एक अद्भुत औषधि, महामृत्युंजय मंत्र, आसाराम बापू की योगयात्रा के नाम पर गुमराह कर उन्हें सात रुपए अंकित मूल्य की बजाय तीन-तीन रुपए में ऐसी पुस्तक बेच दी।
फरारा विद्यालय में हुआ वाकया ः राजसमंद जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर फरारा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में गुरुवार दिन में योग वेदांत समिति के चार-पांच कार्यकर्ता आए और उन्होंने षिक्षकों एवं संस्था प्रधान की मौजूदगी में युवाधन सुरक्षा नामक पुस्तके तीन-तीन रुपए में बेच दी। बेचने के बाद भी कार्यकर्ता इस पुस्तक की काफी प्रतियां विद्यालय में ही रख कर चले गए। किताबे खरीदने के दौरान विद्यार्थियों एवं षिक्षकों ने यही महसूस किया कि इसमें संत आसाराम के प्रवचन है लेकिन कुछ ही देर बाद जब उन्होंने विस्तृत अध्ययन “ाुरू किया तो उन्हें लगा कि बाजार में बिकने वाले अष्लील साहित्य और इसमें ज्यादा फर्क नहीं है।
यह है इस किताब में ः युवा धन सुरक्षा पुस्तक के पृष्ठ संख्या दो पर वीर्यवान बनो नामक दोहे है। उसके बाद पृष्ठ 46 तक अध्यायवार यौवन सुरक्षा, वीर्यरक्षा के उपाय, वीर्य रक्षण की महत्ता, हमारे अनुभव, ब्रह्मचर्य ही जीवन है आदि का समावेष है।

विद्यालयों में ऐसी पुस्तकों की बिक्री नहीं हो ः जागरूक षिक्षक एवं अभिभावकों के अनुसार पुस्तक के मुख पृष्ठ पर महापुरूशों एवं भगवान का चित्र छापकर अंदर अष्लील बातों का समावेष कर बेचना गलत है। कम से कम विद्यालयों में ऐसी पुस्तकों की बिक्री नहीं होनी चाहिए। कानून की नजर में ः अधिवक्ता नीलेष पालीवाल ने उक्त पुस्तक का अवलोकन कर बताया कि पुस्तक प्रथम दृष्टया अष्लीलता की श्रेणी में है और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 292 के तहत आपराधिक कृत्य है। पालीवाल के अनुसार विद्यालयी पाठ्यक्रमों में यौन षिक्षा लागू की जाए या नहीं यह मुद्दा विचाराधीन है। इसके बावजूद धर्म की आड में इस प्रकार की पुस्तकें विद्यालयों में वितरित करना नैतिकता नहीं है।