रोहिणी में रहने वाली सीमा स्याल मंगलवार को जूलरी खरीदने मार्किट पहुंच उन्हें यह पता था कि सोने की कीमत ऊंची चल रही है। उनका अंदाजा था कि कीमत शायद 13 से 14 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच होगी। लेकिन दुकान में उन्हें यह जानकर झटका लगा कि सोने की कीमत रेकॉर्ड तोड़ चुकी है और यह अब 15 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार है। सीमा इस पसोपेश में थीं कि जूलरी खरीदें या नहीं। उन्हें यह आशंका भी सता रही थी कि कहीं सोने की कीमत 16 हजार को पार न कर जाए। सीमा ने जूलरी तो नहीं खरीदी, लेकिन शादियों के इस मौसम में वर और वधू पक्ष वाले खरीदारी से कैसे परहेज कर सकते हैं। भारत में सोने की खपत प्रतिवर्ष 800 टन से ज्यादा है। उत्पादन लगभग शून्य है, जिससे अधिकांश सोने का आयात करना पड़ता है। मंगलवार को लंदन मेटल एक्सचेंज में सोने का दाम 960 डॉलर प्रति 31.6 ग्राम पर पहुंच गया। जेवर ऐंड जेवर ग्रुप के चेयरमैन घनश्याम दास गुप्ता का कहना है कि आयात महंगा होगा तो चीज भी महंगी होगी। विशेषज्ञों के अनुसार तेजी के तीन प्रमुख कारण हैं। पहला, शेयर और प्रॉपर्टी मार्किट में स्लोडाउन के कारण फॉरेन इनवेस्टरों का मेटल मार्किट में इनवेस्टमेंट। दूसरा, सोने के वायदा कारोबार में तेजी। यानी दो माह के सौदे पहले से ही ज्यादा के दाम में किया जाना। तीसरा, डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी। आर.सी. जूलर्स के डायरेक्टर आर.सी. सोनी का मानना है तेजी का दौर कुछ दिनों तक जारी रहने की आशंका है। इंटरनैशनल मार्किट पर सटोरियों ने कब्जा कर लिया है। उनको पता है कि तेल, शेयर और प्रॉपर्टी में फायदा नहीं रह गया है। भारत में वायदा कारोबारी भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। जब दो माह के सौदे अधिक दाम में किए जाएंगे तो भविष्य में दाम गिरने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक कीमत में जूलरी खरीदने का कोई तुक नहीं है। शादी-ब्याह के लिए जितना जरूरी हो, उतना ही खरीदें। इनवेस्टमेंट के लिहाज से इसमें शॉर्ट टर्म रणनीति पर चलना ठीक रहेगा। सुदामा डायमंड जूलर्स के एमडी संजय गुप्ता के अनुसार सटोरिया मुनाफा वसूली जरूर करेंगे। सो कीमतों में बीच-बीच में गिरावट तय है। ऐसे में इनको खरीद कर कुछ समय रखकर फिर तेजी आने पर बेचा जा सकता है। छह माह या साल भर बाद कुछ भी हो सकता है। अगर शेयर और प्रॉपर्टी बाजार में सुधार आया तो सोना-चांदी फिर धड़ाम से गिर सकते हैं।