रिश्तों के मायाजाल से अनजान एक मासूम जो अभी केवल अपने मां के आंचल को ही पहचान पाया था, वह आंचल भी अब उससे दूर हो गया है। गुजरात राज्य के साबरकांठा जिले के मोडासा में फैली हेपेटाइटिस बी की महामारी ने मासूम से हमेशा के लिए उसकी मां के आंचल की छांव छीन ली। यह दास्तां हैं साबरकांठा जिले के मोडासा शहर के राववास निवासी चार दिवसीय नवजात की। जिसके जन्म लेने के दो दिन बाद ही उसकी मां कोकिला राव (25) की हेपेटाइटिस बी के चलते मौत हो गई।अब यह मासूम भी पीलिया के असर और कमजोरी के चलते जीवनरक्षक उपकरण नियोनेटल वार्ड पर है और जिंदगी के लिए जंग कर रहा है। रावल परिवार का यह पहला ऎसा कुल का "चिराग" है, जिसके होने पर खुशी नहीं मातम हुआ। परिवार बधाई देने नहीं, मातम के लिए इकटा हुआ। यह कहना है इस मासूम के पिता चेतन राव (28) का। उन्होंने कहा कि उसकी मां कोकिला भी अपने लाडले का मुखडा देखने की आस लिए ही इस दुनिया से विदा हो गई। वे भी पत्नी को बचाने की भागदौड में अपने पुत्र का चेहरा नहीं देख पाए हैं। उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को कोकिला ने इसे बायड के अस्पताल में जन्म दिया। इसे जन्म देने के चंद मिनट बाद ही इसकी तबीयत बिगड गई। उसे पहले मोडासा और बाद में अहमदाबाद सिविल रेफर किया गया, जहां उपचार के दौरान शुक्रवार 20 फरवरी को उसने दम तोड दिया। डॉक्टरों ने कहा कि उसे हेपेटाइटिस बी रोग था। चेतन ने बताया कि पांच साल में पहली बार ही उसे पीलिया हुआ। वो पंद्रह दिन पूर्व ही मायके बायड गई थी। बच्चे को जन्म देने से पूर्व वह ठीक थी। न जानें कैसे उसे यह बीमारी लग गई। रावलवास में कोकिला की मौत और मासूम के जीवनरक्षक उपकरण पर रखे जाने की बात जो भी सुनता है, सब बच्चे के जीवन के लिए दुआ करते हैं। कोकिलाबेन के तीन वर्षीय पुत्री टीशा भी है। उसे अभी तक यह नहीं बताया गया कि उसकी मां की मौत हो गई है। टीशा अभी अपने नाना नानी के पास बायड में ही है।