Saturday, February 14, 2009

बजट से आम आदमी को कुछ राहत मिलेगी

अंतरिम बजट से लोगों की अपेक्षाएं बढ़ा दी हैं। सोमवार को पेश होने वाले लेखानुदान में अब यह संभावनाएं बढ़ गई हैं कि इसमें भी आम आदमी को कुछ राहत मिलेगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार टैक्सों में छूट को लेकर पिछले दिनों पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सुरेश तेंडुलकर और वित्त राज्यमंत्री पवन बंसल की बैठक हुई थी। उम्मीद है कि यूपीए सरकार के इन दिग्गज अर्थशास्त्रियों ने तमाम तकनीकी पहलुओं को देखते हुए आम आदमी के लिए छूट का रास्ता निकाल लिया होगा। हालांकि एनडीए सरकार के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि लेखानुदान एक रुटीन प्रक्रिया है। इसमें सरकार को नीतिगत फैसले लेने से बचना चाहिए। अगर यूपीए सरकार इस तकनीकी पहलू को दरकिनार करते हुए चुनावी लाभ के लिए फैसले लेती है तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होगा। नई सरकार को जुलाई में पूर्ण बजट पेश करना है, यह काम उस पर छोड़ देना ही बेहतर होगा।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ी है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2008-09 में हर भारतीय की औसत आमदनी 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है। इस वजह से सरकार पर इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने और इनकम टैक्स के स्लैबों में बदलाव का दबाव बढ़ गया है। मौजूदा समय में इनकम टैक्स छूट की सीमा डेढ़ लाख रुपये है। इनकम टैक्स स्लैब 10, 20 और 30 फीसदी के हैं। इसके अलावा सरकारी स्कीमों में एक लाख रुपये तक के निवेश की छूट भी आम आदमी को है। पूर्व वित्त सचिव एस. नारायण मानते हैं कि इनकम छूट की सीमा या स्लैबों में बदलाव करने का रिस्क सरकार शायद न ले, मगर वह एक लाख रुपये तक की निवेश पर छूट की सीमा बढ़ा सकती है। हालांकि वह इस बात इनकार नहीं करते कि अगर यूपीए सरकार ने ऐसी छूटों की घोषणा की तो केंद्र में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की आए, वह इसे आगे ही बढ़ाएगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अप्रत्यक्ष करों, विशेष रूप से सीमा और उत्पाद शुल्कों में कटौती करके कुछ वस्तुओं के दामों में कमी की जा सकती है। इसके अलावा केंद्रीय वैट यानी सेनवैट में कटौती की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने पिछले दिनों सेनवैट में तीन महीने के लिए 4 फीसदी की कटौती की थी। इस कटौती के बावजूद कंपनियों ने वस्तुओं की रिटेल कीमतों में कमी नहीं की, मगर इस बार उन्हें कमी करनी पड़ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं यानी आम आदमी को मिलेगा। सूत्रों के अनुसार, सरकार आम आदमी के लिए लोन की ब्याज दरों में कुछ ऐसी घोषणाएं कर सकती है, जिससे कुछ समय के लिए ही सही, उसे कर्ज लेने में ज्यादा परेशानी न हो। सरकारी बैंकों को निर्देश दिया जा सकता है कि वे तय समय के लिए सस्ते कर्ज की घोषणाएं करें। होम लोन पर इनकम टैक्स छूट को भी बढ़ाया जा सकता है। NBT