Friday, February 6, 2009

खाने दे बच्चों को कचरा तभी वह रोग प्रतिरोधक क्षमता से बढा पाएंगे

आधुनिक जमाने में अभिभावक अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे वातावरण मेंरखना चाह्तेहैं और उनके आसपास की जगह हमेशा स्वच्छ रखना चाह्ते हैं, यह गलत भी नहीं है परंतु इससे उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता पूर्णरूप से विकसित नहीं हो पाती है.
छोटे बच्चों की आदत होती है कि वे जमीन पर घोडा बनकर चलते समय अपने मार्ग में मिलने वाली किसी भी चीज को उठाकर मूँह में डाल लेते हैं. हम इंसानों के अंदर यह एक नैसर्गिक गुण होता है कि हम खाना खाना पहले से सीखे हुए होते हैं, और बच्चे हर चीज कोचखना चाहते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि हर चीज को चखना, अपने आसपास के वातावरण को समझने की प्रक्रिया का ही एक हिस्साहै. विशेषज्ञों का मानना है कि जब बच्चे कोई गंदी चीजमुँह मे डाल लेतेहैं तो कई प्रकार के बैक्टेरिया और किटाणुं उनके शरीर में जाते हैं और शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कोकिटाणुओं की प्रोफाइल समझने का मौका मिलता है. किटाणुओं की यह प्रोफाइल आगे चलकर अन्य कई बिमारियों जैसे कि अस्थमा, एलर्जी, मधुमेह आदिसे लडने में शरीर की मदद करती है. जो बच्चे एकदम स्वच्छ वातावरण में रहते हैं और खुलीजमीन पर कभी खेलते नहीं हैं, उनमें इस प्रकार की एलर्जिक रोग होने की सम्भावना बढ जाती है. हालाँकि यह भी सच है कि हमें बच्चों को हमेशा स्वच्छ और अहानिकारक वातावरण मे ही रखना चाहिए परंतु यदि वे कभी कभार जमीन पर पडी कोई चीज उठाकर मुँह में डाल भी लें तो चिंता ना करें, इससे उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता विकसित ही होगी.