Saturday, February 14, 2009

वैष्णव मंदिरों में फाग सेवा

नाथद्वारा । वैष्णव मंदिरों में शनिवार को फाग सेवा हुई। शृंगार की झांकी में ठाकुरजी को लाल ठाडे वस्त्र के परिवेश में केसरी सूथन, घेरदार वागा व चोली के साथ दोनों तरफ कटि पटके की सेवा धरायी गई। श्रीमस्तक पर पाग संग हरे व सफेद मोतियों की गोल चन्द्रिका शृंगारित की गई।रंगात्मक सेवाठाकुरजी के अंग वस्त्र पर मुखिया ने चौवा-चन्दन की टिपकी लगाई तथा राजभोग की झांकी में सफेद पिछवई खण्ड पर गुलाल-अबीर की चिडियाओं का रूपांकन कर फाग भाव मुखरित किया। कीर्तनकारों ने हरि संग खेलन जाय, अरी चली बेगि छबीली... का गान किया। लालन, द्वितीय पीठ के युगल स्वरूप को भी राजभोग की झांकी में रंगात्मक सेवाएं धरायी गई। ग्वाल की झांकी में लालन को पत्र-पुष्प के पलने में विराजमान कराया गया। धमार में होली का भाव पुष्टिमार्गीय सेवा का आधार राग, भोग व शृंगार है। राग सेवा के तहत ही फाग माह में कीर्तनकार धमार के माध्यम से होली के भाव की अभिव्यक्ति करते हैं । धमार की अष्ठछाप पदावलियों में राधाकृष्ण की शंृगारिक लीलाओं को प्रमुखता दी गई है। गुलाल-अबीर से होली खेलने के साथ ही कृष्ण अपने गोप सखाओं के साथ ब्रजबालाओं के संग केसर भरी पिचकारी से रंगोत्सव का आनन्द लेते हैं।