Monday, February 23, 2009

तिरस्कार से सत्कार मिला पिंकी को

ऑस्कर पुरस्कारों में मुंबई की पृष्ठभूमि पर बनी स्लमडॉग मिलियनेयर की धूम मची हुई है लेकिन साथ ही उस डॉक्यूमेंट्री को भी ऑस्कर मिला है जो सच्ची कहानी पर आधारित है यानी स्माईल पिंकी। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर की पिंकी के असली जीवन पर बनाई गई स्माईल पिंकी को छोटे विषय पर वृत्तचित्र वर्ग में सर्वश्रेष्ठ ऑस्कर मिला है। इस वृतचित्र को बनाया था अमरीका की मेगान मायलान ने बनाया है।पिंकी भारत के उन कई हज़ार बच्चों में से है जिनके होंठ कटे होने के कारण उन्हें सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा है। पिंकी का एक स्वयंसेवी संगठन ने इलाज करवाया और उसकी जिंदगी बदल गई। स्माईल पिंकी।। पिंकी की इसी कहानी को परदे पर उतारता है। क़रीब 39 मिनट के इस वृतचित्र में दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरह एक छोटी सी समस्या से किसी बच्चे पर क्या असर पड़ता है और ऑपरेशन के बाद ठीक हो जाने पर बच्चे की मनोदशा कितनी बेहतरीन हो जाती है। ऑस्कर अवार्डों की शुरुआत जब सुबह हुई तो पिंकी के गांववाले टेलीविज़न के सामने बैठे हुए थे और उम्मीद लगाए हुए थे कि इसे अवार्ड मिलेगा। शायद उनकी प्रार्थना रंग लाई और मेगान मायलान को इस वृतचित्र के लिए ऑस्कर दिया गया। ऑस्कर समारोहों में शामिल होने के लिए पिंकी भी लास एंजल्स में है लेकिन उसके गांववाले इसी बात से खुश हैं कि कटे होंठों के कारण तिरस्कृत पिंकी की दुनिया अब बदल गई है। कुछ समय पहले बीबीसी से बातचीत में पिंकी का आपरेशन करने वाले डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह ने बताया था कि किस तरह कटे होठों के कारण पिंकी को सामाजिक तिरस्कार झेलना पड़ता था। पिंकी के घर के लोग बताते हैं कि होंठ कटा होने के कारण वो बाक़ी बच्चों से अलग दिखती थी और उससे बुरा बर्ताव किया जाता था। पिंकी की सर्जरी डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह ने की है। डॉक्टर सिंह स्माइल ट्रेन नाम की अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में काम करते हैं।