Tuesday, February 17, 2009

छह स्टूडंट गायब पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई

क्या पूर्वी दिल्ली की न्यू संजय अमर कॉलोनी में निठारी जैसा कोई वाका दोहराया जा रहा है? कड़कड़डूमा कोर्ट के पीछे इस झुग्गी झोपड़ी कॉलोनी से पिछले चार सालों में 22 बच्चे गायब हुए हैं। लेकिन निठारी जैसे ही यहां भी पुलिस इसे मानने को तैयार नहीं है। पुलिस यह भी नहीं मानती है कि बच्चों के गायब होने के सिलसिले में कोई कड़ी है। ताजा मामले में करीब एक हफ्ते पहले 11 फरवरी को छह स्टूडंट गायब हो गए। इस इलाके में बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम करने वाले राजकुमार ढिंगरा ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। रहस्यमय तरीके से गायब होने से पुलिस की नींद उड़ गई है। इस घटना से इलाके में दहशत है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कॉलोनी से 4-5 सालों में दो दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हो चुके हैं। हालांकि पुलिस इन सभी छह स्टूडंट्स के गायब होने की घटना को प्रेम-प्रसंग से जोड़कर देख रही है। डीसीपी आनंद मोहन ने बताया कि पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, आनंद विहार थाना क्षेत्र की न्यू संजय अमर कॉलोनी में रहने वाली पूजा(13), दुर्गा(15), जितेंद्र(14), दिनेश(16), बिट्टू(17)और अर्जुन(12)विश्वास नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय में पढ़ते हैं। इनके माता-पिता ने बताया कि सभी बच्चे 10 फरवरी की सुबह स्कूल गए थे, लेकिन उसके बाद नहीं लौटे। देर शाम तक जब बच्चे नहीं लौटे तो बच्चों के माता-पिता उनकी तलाश में स्कूल पहुंचे। वहां पता चला कि इनमें से कोई भी बच्चा स्कूल नहीं आया था। काफी तलाश करने के बाद भी जब बच्चों का पता नहीं चला तो अभिभावकों ने थाने में शिकायत दी। पुलिस ने उनकी कंप्लेंट पर अपहरण का केस दर्ज कर लिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बच्चों के गायब होने का यह पहला मामला नहीं है। इस कॉलोनी से पिछले 4-5 सालों में करीब दो दर्जन लड़के-लड़कियां गायब हो चुके हैं। उनका अब तक कोई सुराग नहीं मिला। इनमें से कई मामलों में पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज नहीं की। तनसुख लाल ने बताया कि उनकी बेटी पूजा (15) 27 जनवरी को अपनी कुछ सहेलियों के साथ घूमने निकली थी, लेकिन उसके बाद घर नहीं लौटी। उन्होंने इस संबंध में 28 जनवरी को आनंद विहार थाने में लिखित कंप्लेंट दी थी। पुलिस ने 31 जनवरी को अपहरण का केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन लड़की का आज तक कोई सुराग नहीं मिला है। इसी कॉलोनी में रहने वाले बाबू लाल और उनकी पत्नी गीता देवी ने बताया कि उनकी तीन बेटियां आशा (7), निशा (7) और सुशील (6) 2003 से लापता हैं। जब वे रिपोर्ट लिखवाने थाने गए थे तो पुलिस ने उन्हें धक्के देकर बाहर निकाल दिया था। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप के बाद करीब एक साल बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। अंकित (9) 13 अगस्त 2008 से गायब है। उसकी मां रेशमा ने बताया कि जब वह रिपोर्ट लिखवाने थाने गई थी तो पुलिस ने उन्हें हड़काकर भगा दिया था। बाबूलाल कहते हैं कि बेटियों की मदद न कर पाने का एहसास ही उन्हें परेशान कर देता है। डीसीपी ईस्ट आनंद मोहन का कहना है कि जो छह किशोर गायब हुए उनमें आपसी रिश्ते थे। दो जोड़े तो जानबूझकर भाग गए लगते हैं। लेकिन गायब हुए बच्चे नाबालिग हैं, इसलिए हम अपहरण का मामला दर्ज कर रहे हैं। बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन की एक रिपोर्ट के मुताबिक मदनपुर खादर, नांगलोई, बदरपुर और संगम विहार से पिछले ढाई सालों में 6-17 साल की उम्र के करीब 102 बच्चे गायब हुए हैं। ऐसे में बच्चों के गायब होने में किसी पैटर्न की आशंका होती है। लेकिन दिल्ली पुलिस के पीआरओ राजन भगत के मुताबिक गायब होने वाले ज़्यादातर बच्चे मजदूरी करते हैं और बहक कर घर छोड़ देते हैं। बाद में वह किसी की मदद से घर लौटते हैं। उन्होंने बच्चों के गायब होने में किसी पैटर्न से इनकार किया है।