आस्ट्रेलियाई ट्रिब्यूनल ने एक क्लब के मालिक की ओर से पगड़ी बांधे कर सिख को बार में आने से रोकने पर देश के सभी राष्ट्रीय समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले फ्रांस में शैक्षणिक संस्थानों में पगड़ी बांध कर आने के लिए मना करने पर अंग्रेजों को अपना फैसला बदलना पड़ा था।
पगड़ी के लिए आस्ट्रेलिया में जंग जीतने वाले हैं मूलरूप से लुधियाना के रहने वाले कंवलप्रीत सिंह पाहवा। उनका घर यहां आत्मनगर में है। कंवलप्रीत पांच साल पहले पढ़ाई करने आस्ट्रेलिया गया था। वहां आईटी में एमएस करने के बाद आस्ट्रेलियन फेडरल गर्वमेंट में इंजीनियर के तौर पर कार्यरत है। वे 8 मई 08 को आस्ट्रेलिया के मनुका शहर में अपने अंग्रेज दोस्तों के साथ फ्रैंकलिन स्ट्रीट क्लब में गया था। पगड़ी बांधे होने से उसे अंदर नहीं जाने दिया गया। क्लब का कहना था कि सिर पर किसी तरह हैट या पगड़ी पहनकर आना उनके ड्रेस कोड में शामिल नहीं है। पगड़ी को ड्रेस नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं का अंग बताने पर भी कंवलप्रीत को अंदर नहीं आने दिया गया।
क्लब का कहना था कि अंदर आने को उसे सबके सामने पगड़ी उतारनी होगी। इस अपमान के लिए उसने ट्रिब्यूनल में भेदभाव की शिकायत की। जहां 18 अप्रैल को ट्रिब्यूनल ने रिलीजन एंड बेनिफिट्स एक्ट कैनबरा के तहत क्लब को नेशनल समाचार पत्र में माफीनामा प्रकाशित करवाने और क्लब का ड्रेस कोड बदलने के आदेश दिए। क्लब ने आदेश मान लिया है। कंवलप्रीत की जीत को उसके पिता मोहिंदर सिंह पाहवा और परिवार ने सिख धर्म की जीत बताते हुए खुशी जताई है।
गौरतलब है कि इससे पहले फ्रांस में शैक्षणिक संस्थानों में पगड़ी बांध कर आने के लिए मना करने पर अंग्रेजों को अपना फैसला बदलना पड़ा था।
पगड़ी के लिए आस्ट्रेलिया में जंग जीतने वाले हैं मूलरूप से लुधियाना के रहने वाले कंवलप्रीत सिंह पाहवा। उनका घर यहां आत्मनगर में है। कंवलप्रीत पांच साल पहले पढ़ाई करने आस्ट्रेलिया गया था। वहां आईटी में एमएस करने के बाद आस्ट्रेलियन फेडरल गर्वमेंट में इंजीनियर के तौर पर कार्यरत है। वे 8 मई 08 को आस्ट्रेलिया के मनुका शहर में अपने अंग्रेज दोस्तों के साथ फ्रैंकलिन स्ट्रीट क्लब में गया था। पगड़ी बांधे होने से उसे अंदर नहीं जाने दिया गया। क्लब का कहना था कि सिर पर किसी तरह हैट या पगड़ी पहनकर आना उनके ड्रेस कोड में शामिल नहीं है। पगड़ी को ड्रेस नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं का अंग बताने पर भी कंवलप्रीत को अंदर नहीं आने दिया गया।
क्लब का कहना था कि अंदर आने को उसे सबके सामने पगड़ी उतारनी होगी। इस अपमान के लिए उसने ट्रिब्यूनल में भेदभाव की शिकायत की। जहां 18 अप्रैल को ट्रिब्यूनल ने रिलीजन एंड बेनिफिट्स एक्ट कैनबरा के तहत क्लब को नेशनल समाचार पत्र में माफीनामा प्रकाशित करवाने और क्लब का ड्रेस कोड बदलने के आदेश दिए। क्लब ने आदेश मान लिया है। कंवलप्रीत की जीत को उसके पिता मोहिंदर सिंह पाहवा और परिवार ने सिख धर्म की जीत बताते हुए खुशी जताई है।