बड़ा सिर, फूली हुई आंखें, मुड़े हाथ जो मुंह तक नहीं पहुंच पाते और मुड़े पैर जो शरीर का भार नहीं उठा सकते। इन सब शारीरिक लक्षणों ने जितना परेशान बच्चों के माता-पिता को किया है, उससे कहीं ज्यादा हैरान डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को किया है। फरीदकोट के इस छोटे से इलाके में बच्चों में दिखी इन असमान्यताओं की जांच के लिए पिछले दिनों बच्चों के बालों के सैंपल जर्मनी की लबॉरटरी में भेजे गए थे। पर हाल ही में मिली लैब रिपोर्टों से पता लगा है कि शारीरिक गड़बड़ी की वजह असल में यूरेनियम की उच्च मात्रा होना है। ये सैंपल साउथ अफ्रीकी टॉक्सिकॉलजिस्ट डॉ. करीन स्मिट की पहल पर जर्मन लैब में भेजे गए थे। सैंपल नतीजों पर फरीदकोट के बाबा फरीद सेंटर फॉर स्पेशल चिल्ड्रेन के हेड पृथपाल सिंह कहते हैं, 'टेस्ट नतीजों से हम हैरान हैं क्योंकि पंजाब में यूरेनियम का कोई ज्ञात स्त्रोत नहीं है। यूरेनियम की बात उजागर होने पर अब जर्मन और साउथ अफ्रीकी डॉक्टरों की मदद से 150 अन्य प्रभावित बच्चों पर टेस्ट किए जा रहे हैं। इस बात की पड़ताल की जा रही है कि क्या यूरेनियम कहीं से रिसाव के कारण आया है या इसका स्त्रोत प्राकृतिक है।' टेस्ट के सिलसिले में यहां आए जोहानिसबर्ग से टॉक्सिकॉलजिस्ट डॉ. स्मिट के मुताबिक, 'जब मैंने पहली बार ब्रेन डैमिज के इतने बड़े पैमाने पर सबूत देखे तो मुझे लगा कि ऐसा जहर के कारण हो रहा है। यूरेनियम के बारे में तो मैंने कतई सोचा भी नहीं था। पर डॉ. स्मिट की कोशिशों से जर्मन लैब में सच सामने आ गया।' 149 बच्चों में से 53 के पेशाब सैंपलों में यूरेनियम की मात्रा मिलने की आशंका है। फिलहाल डॉक्टर और पुख्ता सबूत जुटाने में लगे हैं। चूंकि यूरेनियम किडनी और लिवर जैसे शारीरिक हिस्सों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, इसलिए 53 बच्चों की शारीरिक गड़बड़ी को टेस्ट किया जा रहा है।