केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इंटरपोल से कहा है कि वह इटली के व्यवसायी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि का नाम रेड कार्नर नोटिस सूची से हटा ले। भारत के कहने से 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स रिश्वत घोटाले के आरोपी क्वात्रोच्चि का नाम पिछले 12 साल से इस सूची में है। एटर्नी जनरल मिलन बनर्जी से कानूनी सलाह लेने के बाद यह निर्णय किया गया। ब्यूरो के प्रवक्ता हर्ष बहल ने बताया कि मामला 1999 से अदालतों में चल रहा है। ब्यूरो ने शीर्ष विधि अधिकारी से कानूनी सलाह लेने के बाद यह कदम उठाया है। सक्षम अदालत को सुनवाई की अगली तारीख [30 अपै्रल 2009] को हम सूचित कर देंगे। एटर्नी जनरल ने दो बार क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण में ब्यूरो की असमर्थता का उल्लेख किया। पहली बार मलेशिया में सन 2003 तथा दूसरी बार अर्जेन्टीना में सन 2007 में। दोनों मामलों में फैसले दर्शाते हैं कि प्रत्यर्पण के लिए उचित आधार नहीं था। देश के शीर्ष विधि अधिकारी बनर्जी ने कहा कि वारंट हमेशा के लिए जारी नहीं रह सकता। लिहाजा फरवरी 1997 का वारंट अपनी वैधता खो चुका है खासकर मलेशिया और फिर अर्जेन्टीना से अभियुक्त को प्रत्यर्पित करने की सीबीआई की असफल कोशिश को देखते हुए। इस राय के आधार पर यह निर्णय किया गया और ब्यूरो ने इंटरपोल को सूचित किया कि क्वात्रोच्चि के खिलाफ आरसी 1 ए 90 एसीयू आईवी [एसआईजी] बोफोर्स मामला तथा सबजैक्ट आफ इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस ए 44 2 1997 स्थगित किया जाय। क्वात्रोच्चि के खिलाफ ब्यूरो के इस आरोप के बाद यह मामला दर्ज किया गया कि उन्होंने करोड़ो रुपये के बोफोर्स तोप सौदे में रिश्वत ली। ब्यूरो ने क्वात्रोच्चि को 1999 में भगोड़ा घोषित किया और 1997 के गैर जमानती वारंट के आधार पर उनके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी करने की मांग की। इंटरपोल के वारंट के आधार पर क्वात्रोच्चि को छह फरवरी 2007 को अर्जेन्टीना में गिरफ्तार किया गया। उनके प्रत्यर्पण के लिए ठोस प्रयास नहीं करने के लिए ब्यूरो की आलोचना हुई और भारत जून 2007 में अर्जेन्टीना की एक अदालत में मुकदमा हार गया। वहां के जज ने कहा था कि भारत उचित कानूनी दस्तावेज तक प्रस्तुत नहीं कर पाया और भारत से क्वात्रोच्चि के कानूनी खर्च की अदायगी को कहा गया। भाजपा नीत राजग के शासनकाल के दौरान 22 अक्तूबर 1999 को ब्यूरो ने क्वात्रोच्चि के खिलाफ एक अभियोग पत्र दायर किया, जिसमें उनके और उनकी पत्नी मारिया द्वारा परिचालित प्रमुख कम्पनी ए ई सर्विसेज के नाम का उल्लेख था। कानूनी प्रक्रिया के बाद स्विस बैंकों द्वारा जारी 500 दस्तावेजों के आधार पर ब्यूरो ने क्वात्रोच्चि और उनकी पत्नी के खिलाफ आरोप तय किए।