अलीगढ़ जिला मुर्दाघर के पास एक तालाब से शनिवार को करीब 100 मानव कंकाल बरामद होने से सनसनी फैल गई। प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है। एजंसी की खबरों के मुताबिक नर कंकालों की संख्या करीब 30-35 बताई जा रही है जबकि अपुष्ट खबरों के मुताबिक इनकी तादाद 100 से ज़्यादा है। डीएम ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। सिंह ने कहा कि हम कंकालों को फरेंसिक जांच के लिए आगरा भेज रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं और दूसरे हादसों में मारे जाने वाले अज्ञात लोगों के शव पांच दशक से ज्यादा वक्त से इस मुर्दाघर में रखे जाते रहे हैं। अभी यहां रखे जाने वाले शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी एक ठेकेदार को दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल तक नौ साल से यहां लावारिस शवों के अंतिम संस्कार का काम मानव उपकार नामक एक स्वयंसेवी संस्था करती थी। मामले का खुलासा तब हुआ जब अलीगढ़ की एक सामाजिक संस्था मानव उपकार एक तालाब की खुदाई करवा रही थी। अभी तक पुलिस को इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि ये नरमुंड वहां कैसे पहुंचे। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है। डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट राम मनोहर राव ने बताया कि जिला जेल के पीछे स्थित इस तालाब के नजदीक ही पोस्टमॉर्टम हाउस भी है और हो सकता है कि ये कंकाल पोस्टमॉर्टम के लिए लाए गए लावारिस शवों के हों। तालाब से बरामद कंकालों को फरेंसिक जांच के लिए आगरा भेज दिया गया है। इस तालाब के एक तरफ जेल है तो दूसरी तरफ रेलवे लाइन। बीच के एक सूखे तालाब से तीस नरमुंड बरामद होने के बाद हर तरफ सनसनी फैल गई है। एसपी सिटी मानसिंह चौहान कहते हैं कि अभी और भी नरकंकाल मिलने की आशंका है। महत्वपूर्ण बात ये है कि जितने नरमुंड मिल रहे हैं उतने कंकाल नहीं मिले हैं। खुदाई करवा रही संस्था का काम लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवाना है। अब ये सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या ये नरकंकाल उनके हैं जिनका अंतिम संस्कार ठीक से नहीं हो सका। या ये बदनसीब किसी हादसे का शिकार हुए अथवा इनको कहीं मारकर यहां दबा दिया गया। पुलिस अभी किसी सवाल का जवाब दे पाने की हालत में नहीं है। वो कहती है कि मामले की जांच की जा रही है।