संभावित वित्त मंत्री के रूप में प्रणव मुखर्जी की प्राथमिकता आम आदमी को इनकम टैक्स में छूट सीमा बढ़ाने की होगी। प्रणव मुखर्जी ने बेशक शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, मगर इससे पहले उन्होंने गुरुवार को करीब 2.30 बजे नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय का दौरा किया। उन्होंने वित्त सचिव अशोक चावला और अन्य उच्चाधिकारियों से मुलाकात कर बजट की तैयारी के बारे में बातचीत की। सूत्रों के अनुसार, उच्चाधिकारियों से बातचीत में प्रणव मुखर्जी ने इनकम टैक्स में छूट सीमा बढ़ाने की गुंजाइश और फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (एफबीटी) को खत्म करने की इंडस्ट्री की मांग पर खासा जोर दिया। प्रणव ने टैक्स, खासकर इनकम टैक्स के कलेक्शन, सीमा छूट बढ़ाने के बाद इसके कलेक्शन पर पड़ने वाले प्रभाव और महंगाई दर को देखते हुए कितनी सीमा छूट बढ़ाना तर्कसंगत होगा, इस बारे में बातचीत की। प्रणव ने उन्हें साफ तौर पर होम वर्क पूरा करने का संकेत दिया। जब वे वित्त मंत्री के रूप में आधिकारिक तौर पर मिलने आएंगे तो उनके सामने इस बाबत सभी ब्यौरे आंकड़े होने चाहिए, ताकि बाद में इस बारे में कोई भी फैसला करने में उनको आसानी हो। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इनकम टैक्स छूट सीमा को लेकर इस वक्त दो ऑप्शन हैं। सीमा छूट को 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये या फिर दो लाख रुपये तक बढ़ाने की गुंजाइश है। अगर सीमा छूट 1.75 लाख रुपये तक बढ़ाया गया, तो सीधे तौर पर 5 हजार करोड़ रुपये का घाटा सरकार को सहना होगा। अगर इनकम टैक्स छूट सीमा 2 लाख रुपये कर दी जाती है तो सरकारी खजाने पर 10 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। साल 2008-09 में डाइरेक्ट टैक्स कलेक्शन, जिसमें इनकम टैक्स भी शामिल है, लक्ष्य से कम रहा है। लक्ष्य 3.45 लाख करोड़ रुपये का था, मगर कुल कलेक्शन 3.38 लाख करोड़ रुपये का रहा। साल 2009-10 में वित्तीय घाटा 3.35 लाख करोड़ रुपये होने की आशंका है। ऐसे में इसकी भरपाई के लिए सरकार को कुल टैक्स कलेक्शन में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। इधर राजस्व सचिव पी. वी. शिंदे का कहना है कि जो परिस्थितियां हैं, उसमें टैक्स कटौती को लेकर ज्यादा उदार रवैया नहीं रखा जा सकता है। आखिर देश को चलाने के लिए सरकारी खजाने में धन की आवश्यकता तो होगी।