कहते हैं कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते, लेकिन कई कंपनियां कुछ ऐसा ही दावा कर रही हैं। रीटेल, कार लीजिंग, रिजॉर्ट और क्रूज कारोबार से जुड़ी श्री ओम साईनाथ, सिटी ग्रुप और मेट्रो क्रूज जैसी कंपनियां निवेशकों को मालामाल करने का वादा कर रही हैं। श्री ओम साईनाथ से आप नई टाटा इंडिका कार के लिए 1.25 लाख रुपए में ऑर्डर कर सकते हैं। कार पांच साल बाद मिलेगी, लेकिन इस बीच कंपनी आपको हर महीने 3,435 रुपए देगी। सिटी ग्रुप के पास 1.39 लाख रुपए डिपॉजिट करने पर अगले पांच साल तक आपको हर महीने 8,800 रुपए मिलेंगे। यह कंपनी सिटी लिमोजिन, सिटी रीयलकॉम और सिटी हॉस्पिटैलिटी नाम से कारोबार करती है। मेट्रो क्रूज तो निवेशकों को इनसे भी ज्यादा रिटर्न का वादा कर रही है। कंपनी का दावा है कि अगर आप उसे 1.05 लाख रुपए दें तो आपको पांच साल तक हर महीने 12,517 रुपए मिलेंगे। रियल्टी स्कीम के तहत मेट्रो क्रूज 50,000 रुपए से लेकर 95,0000 रुपए तक के प्रिफरेंशियल शेयर भी जारी करने का वादा कर रही है। कंपनी के मार्किटिंग एग्जेक्यटिव ने बताया कि उसके पास ऐसे 10,000 निवेशक हैं। निवेशक अगर किसी और को कंपनी की योजनाओं में निवेश करने के लिए तैयार
करते हैं तो कंपनी से आपको 6 फीसदी कमीशन भी मिलेगा। ऐसी योजनाएं चलाने वाली कंपनियां पब्लिक डिपॉजिट नहीं लेती हैं, इस वजह से आरबीआई के दिशानिर्देश उन पर लागू नहीं होते। ऐसे में सवाल यह है कि कंपनियां आखिर किस बूते पर इतने ऊंचे रिटर्न का वादा कर रही हैं? सिटी ग्रुप के चेयरमैन एस.एम. मसूद ने इसके जवाब में कहा कि वह इस फॉर्म्युले की जानकारी किसी को क्यों दें! कंपनी के मार्किटेंग एग्जेक्यटिव के मुताबिक, करीब 1 करोड़ लोगों ने उसकी योजनाओं में पैसा लगा रखा है। जानकारों का मानना है कि इस तरह की ज्यादातर योजनाओं में नए निवेशकों के पैसे से पुराने निवेशकों को रिटर्न दिया जाता है। उनके मुताबिक इन योजनाओं की कड़ी निगरानी की जरूरत है। हालांकि, जानकारों के बीच इस बात पर मतभेद है कि निगरानी का जिम्मा किसे दिया जाए। आरबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक ऐसी कंपनियां केंद्रीय बैंक के अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं। एएनएस लॉ असोसिएट के शरद अभयंकर का कहना है कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को लोगों से डिपॉजिट लेने पर रोक लगनी चाहिए। उनका कहना है, 'अगर कोई कंपनी इक्विटी या प्रिफरेंस शेयर, डिबेंचर या दूसरी कोई सिक्यूरिटी निवेशकों को ऑफर कर रही है तो उसे ऑफर डॉक्युमेंट भी देना चाहिए।' इनवेस्टर ग्रीवांस फोरम के वाइस प्रेजिडंट हिनेश दोशी का कहना है कि इस तरह का रिटर्न देना मुमकिन नहीं है। ई-मेल से भेजे गए ईटी के सवालों के जवाब में श्री ओम साईनाथ ने कहा, 'हम इनवेस्टमेंट कंपनी नहीं चला रहे, हम लोगों से डिपॉजिट नहीं ले रहे। हम देश भर में बन चुके या बन रहे अपने रिजॉर्ट, होटेल और अपार्टमेंट की मेंबरशिप लोगों को दे रहे हैं।' हालांकि, जब ईटी ने कंपनी को फोन किया तो उसके मार्किटिंग एग्जेक्यटिव ने हमें दो योजनाएं ऑफर कीं। इनमें से एक इंडिका कार वाली थी तो दूसरी रिजॉर्ट में निवेश से जुड़ी। इनमें शुरुआती 1.25 लाख रुपए के निवेश पर अगले पांच साल तक हर महीने 8,040 रुपए देने का वादा किया गया। इसी तरह का फोन जब मेट्रो क्रूज को किया गया तो कंपनी के मार्किटिंग एग्जेक्यटिव ने रीटेल, रियल एस्टेट और कार लीजिंग कारोबार में निवेश का ऑफर दिया।
करते हैं तो कंपनी से आपको 6 फीसदी कमीशन भी मिलेगा। ऐसी योजनाएं चलाने वाली कंपनियां पब्लिक डिपॉजिट नहीं लेती हैं, इस वजह से आरबीआई के दिशानिर्देश उन पर लागू नहीं होते। ऐसे में सवाल यह है कि कंपनियां आखिर किस बूते पर इतने ऊंचे रिटर्न का वादा कर रही हैं? सिटी ग्रुप के चेयरमैन एस.एम. मसूद ने इसके जवाब में कहा कि वह इस फॉर्म्युले की जानकारी किसी को क्यों दें! कंपनी के मार्किटेंग एग्जेक्यटिव के मुताबिक, करीब 1 करोड़ लोगों ने उसकी योजनाओं में पैसा लगा रखा है। जानकारों का मानना है कि इस तरह की ज्यादातर योजनाओं में नए निवेशकों के पैसे से पुराने निवेशकों को रिटर्न दिया जाता है। उनके मुताबिक इन योजनाओं की कड़ी निगरानी की जरूरत है। हालांकि, जानकारों के बीच इस बात पर मतभेद है कि निगरानी का जिम्मा किसे दिया जाए। आरबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक ऐसी कंपनियां केंद्रीय बैंक के अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं। एएनएस लॉ असोसिएट के शरद अभयंकर का कहना है कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को लोगों से डिपॉजिट लेने पर रोक लगनी चाहिए। उनका कहना है, 'अगर कोई कंपनी इक्विटी या प्रिफरेंस शेयर, डिबेंचर या दूसरी कोई सिक्यूरिटी निवेशकों को ऑफर कर रही है तो उसे ऑफर डॉक्युमेंट भी देना चाहिए।' इनवेस्टर ग्रीवांस फोरम के वाइस प्रेजिडंट हिनेश दोशी का कहना है कि इस तरह का रिटर्न देना मुमकिन नहीं है। ई-मेल से भेजे गए ईटी के सवालों के जवाब में श्री ओम साईनाथ ने कहा, 'हम इनवेस्टमेंट कंपनी नहीं चला रहे, हम लोगों से डिपॉजिट नहीं ले रहे। हम देश भर में बन चुके या बन रहे अपने रिजॉर्ट, होटेल और अपार्टमेंट की मेंबरशिप लोगों को दे रहे हैं।' हालांकि, जब ईटी ने कंपनी को फोन किया तो उसके मार्किटिंग एग्जेक्यटिव ने हमें दो योजनाएं ऑफर कीं। इनमें से एक इंडिका कार वाली थी तो दूसरी रिजॉर्ट में निवेश से जुड़ी। इनमें शुरुआती 1.25 लाख रुपए के निवेश पर अगले पांच साल तक हर महीने 8,040 रुपए देने का वादा किया गया। इसी तरह का फोन जब मेट्रो क्रूज को किया गया तो कंपनी के मार्किटिंग एग्जेक्यटिव ने रीटेल, रियल एस्टेट और कार लीजिंग कारोबार में निवेश का ऑफर दिया।