दिल्ली हाई कोर्ट ने 80 साल की बुजुर्ग महिला के तीन बेटों को उनके फर्ज की याद दिलाई है। मां की देखरेख न करने के मामले को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए तीनों बेटों को निर्देश दिया है कि वे अपनी मां से हर हफ्ते मिलने जाएं और उनकी हर मांग को पूरा करें। तीनों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे हर महीने 5-5 हजार रुपये अपनी मां को दें। बुजुर्ग महिला अपने चौथे बेटे के साथ मानसरोवर पार्क इलाके में रहती हैं। महिला के तीनों बेटे टीचर हैं। चौथे बेटे ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि उनकी मां बेहद बीमार हैं और उनके साथ रहती हैं लेकिन इस दौरान उनके अन्य भाई अपनी मां से मिलने नहीं आते। उनके तीनों भाई अलग रहते हैं। अजीर् में कहा गया कि 2007 में मेंटिनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स ऐंड सीनियर सिटिजन ऐक्ट बनाया गया था। पिछले साल सितंबर में केंद्र ने इसे लागू कर दिया था लेकिन दिल्ली सरकार ने इसे अब तक लागू नहीं किया है। इस ऐक्ट के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर बुजुर्गों की देखरेख उनकी संतान नहीं करते तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो
सकती है। पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था साथ ही बुजुर्ग महिला के तीनों बेटों को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने मंगलवार को तीनों टीचर बेटों से कहा कि वे दोपहर बाद मां से जरूर मिलें और इसके बाद अगले हफ्ते से हर शुक्रवार को मां से मिलें और उनका हालचाल जानें। इस दौरान अगर वह अपने बेटों से किसी चीज की मांग करती हैं तो उसे वे पूरा करें। कोर्ट ने महिला के तीनों बेटों को उनके फर्ज का अहसास दिलाते हुए कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि बूढ़ी मां से मिलने के लिए इन्हें निर्देश देना पड़ रहा है। अदालत ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या बेटे का यही फर्ज है? NBT
सकती है। पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था साथ ही बुजुर्ग महिला के तीनों बेटों को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने मंगलवार को तीनों टीचर बेटों से कहा कि वे दोपहर बाद मां से जरूर मिलें और इसके बाद अगले हफ्ते से हर शुक्रवार को मां से मिलें और उनका हालचाल जानें। इस दौरान अगर वह अपने बेटों से किसी चीज की मांग करती हैं तो उसे वे पूरा करें। कोर्ट ने महिला के तीनों बेटों को उनके फर्ज का अहसास दिलाते हुए कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि बूढ़ी मां से मिलने के लिए इन्हें निर्देश देना पड़ रहा है। अदालत ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या बेटे का यही फर्ज है? NBT