दाऊद इब्राहिम भले ही कितना बड़ा डॉन क्यों न हो, लेकिन खुद उसका हथियार खाना चोरों से महफूज नहीं है। गुरुवार को मुंबई क्राइम ब्रांच ने जिन 917 कारतूसों को जब्त किया, विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ये सारे कारतूस दाऊद के हथियारखाने से ही चुराए गए थे। इन्हें चुराने वाला शख्स कोई डी कंपनी का आदमी नहीं, बल्कि एक मामूली चोर मकसूद खान था। उसे गुरुवार को कारतूसों के मिलने के बाद अरेस्ट किया गया। सूत्रों के अनुसार मकसूद के पास से जो कारतूस मिले थे, वे कारतूस उसने दक्षिण मुंबई की टो टाकी इलाके की एक मिल से चुराए थे। सूत्रों का दावा है कि करीब दस साल से बंद पड़ी इस मिल का दाऊद इब्राहिम बतौर हथियारखाना इस्तेमाल कर रहा था। दाऊद के कारखाने से कोई चोर कारतूस निकालेगा, दाऊद तो छोडि़ए खुद पुलिस या क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने भी इसकी कल्पना नहीं की थी।
सूत्रों के अनुसार मकसूद खान ने न तो कभी डी कंपनी के लिए काम किया था और न ही उसे मालूम था कि यहां कारतूस रखे हैं। वह मिल कबाड़ चुराने के इरादे से घुसा, लेकिन इसी दौरान उसके हाथ कारतूस लग गए। इन्हें मिल के एक कोने में छिपाकर रखा गया था। मकसूद को लगा कि इनसे उसे मोटी रकम मिल सकती है, इसलिए वह इन्हें बेचने निकला और पकड़ा गया। पुलिस ने उसके पास से 500 कारतूस तो तब जब्त किए, जब वह पकड़ा गया। इसके बाद उससे पूछताछ में 417 कारतूस नल बाजार में स्थित एक सुलभ शौचालय की छत से मिले, जो मकसूद ने वहां छिपाकर रखे थे। जिस इलाके की बंद मिल से ये कारतूस मकसूद ने चुराये थे, दरअसल वह इलाका दाऊद का ही माना जाता है। दाऊद इब्राहिम का पुस्तैनी घर जिस पाकमोडिया इलाके में है, वह यहां से मुश्किल से आधा किलोमीटर दूर है। यही नहीं छोटा शकील का अड्डा टेमकर मोहल्ला भी पास में ही है। जिस मिल के अंदर से ये कारतूस मकसूद को मिले, वह पहले तेल की मिल थी। लेकिन पार्टनरों के आपसी विवाद की वजह से मिल करीब दस साल पहले बंद हो गई थी और धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गई। लेकिन सूत्रों के अनुसार बाद में शायद डी कंपनी को लगा कि ये खंडहर तो अपने लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए डी कंपनी ने यहां अपने लिए कारतूस और हथियार भी छिपाने शुरू कर दिए। फिलहाल तो क्राइम ब्रांच अधिकारियों को सिर्फ कारतूस ही मिले हैं। पुलिस और जांच एजंसियां अब मिल के दूसरे कोनों में हथियारों की तलाश कर रही है।NBT
सूत्रों के अनुसार मकसूद खान ने न तो कभी डी कंपनी के लिए काम किया था और न ही उसे मालूम था कि यहां कारतूस रखे हैं। वह मिल कबाड़ चुराने के इरादे से घुसा, लेकिन इसी दौरान उसके हाथ कारतूस लग गए। इन्हें मिल के एक कोने में छिपाकर रखा गया था। मकसूद को लगा कि इनसे उसे मोटी रकम मिल सकती है, इसलिए वह इन्हें बेचने निकला और पकड़ा गया। पुलिस ने उसके पास से 500 कारतूस तो तब जब्त किए, जब वह पकड़ा गया। इसके बाद उससे पूछताछ में 417 कारतूस नल बाजार में स्थित एक सुलभ शौचालय की छत से मिले, जो मकसूद ने वहां छिपाकर रखे थे। जिस इलाके की बंद मिल से ये कारतूस मकसूद ने चुराये थे, दरअसल वह इलाका दाऊद का ही माना जाता है। दाऊद इब्राहिम का पुस्तैनी घर जिस पाकमोडिया इलाके में है, वह यहां से मुश्किल से आधा किलोमीटर दूर है। यही नहीं छोटा शकील का अड्डा टेमकर मोहल्ला भी पास में ही है। जिस मिल के अंदर से ये कारतूस मकसूद को मिले, वह पहले तेल की मिल थी। लेकिन पार्टनरों के आपसी विवाद की वजह से मिल करीब दस साल पहले बंद हो गई थी और धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गई। लेकिन सूत्रों के अनुसार बाद में शायद डी कंपनी को लगा कि ये खंडहर तो अपने लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए डी कंपनी ने यहां अपने लिए कारतूस और हथियार भी छिपाने शुरू कर दिए। फिलहाल तो क्राइम ब्रांच अधिकारियों को सिर्फ कारतूस ही मिले हैं। पुलिस और जांच एजंसियां अब मिल के दूसरे कोनों में हथियारों की तलाश कर रही है।NBT