मशहूर मलिहाबादी दशहरी आम की फसल इस बार तेज आंधी की वजह से बर्बाद हो गई है। अब इस विशाल मैंगो बेल्ट में सवाल उठ रहा है कि दशहरी आम के स्वाद का मजा देशवासियों को मिले या इसे विदेश भेजकर कमाई की जाए। दशहरी की फसल को देखकर कह सकते हैं कि इस बार यह आम वाकई आम लोगों के लिए नहीं है। वैसे भी आम का यह लीप यिअर है। लीप यिअर हर दूसरे वर्ष में जब आता है तो आम के पेड़ों पर बौरों की संख्या कम हो जाती है। मुंबई-दिल्ली और चेन्नै जैसे मेट्रो शहरों के बड़े आढ़तियों के मैंगो बेल्ट में प्राइज कम देने से मलिहाबाद-माल क्षेत्र के आम उत्पादक किसानों को पहले ही झटका लग चुका है। दोहरी मार आंधी ने दे दी है। फिलहाल लखनऊ-कानपुर और आसपास के जिलों उन्नाव, सीतापुर, हरदोई तथा रायबरेली की मंडियों में कच्चे आम की बिक्री चल रही है। पके दशहरी की पहली खेप मई के आखिरी हफ्ते या जून में आती है। इससे पहले आम को पका हुआ दिखाने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार 11 से 13 अंगुल का दशहरी आम सबसे महंगा बिकना तय है। इसकी कीमत प्रति किलोग्राम 45 से 60 रुपये तक जानी है। साधारण 4 से 6 अंगुल का आम 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक सकता है। वहीं 6 अंगुल से 10 अंगुल का आम 30 से 45 रुपये के बीच बिकना तय है। आम के साथ-साथ आंधी ने सब्जी बोने वाले काश्तकारों को भी बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। नकदी फसलें तबाही का मंजर देख चुकी हैं। मिर्च, भिंडी, तोरई, करेला, खीरा, ककड़ी और तरबूज की फसल चौपट हो गई हैं। आम जनता को सब्जियां महंगे दाम पर खरीदनी पड़ रही हैं।