Sunday, June 7, 2009

डॉक्टर की हवस का शिकार

लोग आज भी डॉक्टर में भगवान का चेहरा देखते हैं। वे उस पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं लेकिन कई बार किसी शातिर के चंगुल में फंस जाते हैं और अपना सबकुछ लुटा बैठते हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी ऐसे ही एक डॉक्टर की हवस का शिकार हुई महिला की कहानी बता रही हैं उस की जुबानी. .. मेरा नाम सीमा है। उम्र 35 साल है। माता-पिता मूल रूप से गाजियाबाद के निवासी थे। जब मैं 12 बरस की हुई तो मेरा परिवार दिल्ली के शकरपुर इलाके में आकर रहने लगा। मेरे दो भाई और एक बहन थी। पिता मेहनत-मजदूरी करते थे और मां घर का कामकाज देखती थीं। मां की मृत्यु के बाद घरेलू कामकाज का बोझ मेरे कंधों पर आ गया। 16 साल की उम्र में मैंने किसी तरह 10वीं पास कर ली। उसी दौरान मुझे पहली बार मासिक धर्म हुआ। अचानक हुई ब्लीडिंग को गंभीर बीमारी समझकर मैं पड़ोस के डॉक्टर के पास गई। क्लीनिक में काफी भीड़ थी और लोगों के सामने समस्या बताने में मुझे झिझक महसूस हो रही थी। मैं काफी देर तक इंतजार करती रही। डॉक्टर के फ्री होने पर मैंने अपनी तकलीफ बताई। डॉक्टर मेरी नादानी को भांप गया। उसने कहा कि मुझे गंभीर बीमारी हो गई है और काफी दिनों तक इसका इलाज कराना होगा। उसने मुझे विटामिन की कुछ गोलियां दीं और कहा कि खून बंद होने पर चेक-अप के लिए मैं फिर उसके पास आऊं। मैं बेफिक्र होकर घर चली गई।
एक हफ्ते बाद मैं दोबारा डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने अपनी तारीफ करते इलाज को काफी असरदार बताया। उसने कहा कि अब तुम्हारा अंदरूनी चेक-अप करके देखना पड़ेगा कि बीमारी पूरी तरह ठीक हुई या नहीं। इसी बीच उसने दो कप चाय मंगा ली। मुझे डॉक्टर की नीयत पर संदेह नहीं था, इसलिए मैंने चाय पी ली। कुछ देर बाद मैं निढाल हो गई। नशे की हालत में डॉक्टर ने मेरे साथ मुंह काला किया। होश आने पर उसने मुझे कुछ और दवाइयां दी और किसी से इस घटना के बारे में बात न करने की हिदायत दी। लगातार दवाई लेने के बावजूद मैं प्रेग्नेंट हो गई। मुहल्ले में मेरे गर्भवती होने की चर्चाएं होने लगी। मैं डॉक्टर के पास शिकायत करने गई तो उसने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं। मैं तुम्हारे साथ शादी कर लूंगा। उसकी बात पर भरोसा कर मैं उसके साथ रहने लगी। डॉक्टर की नीयत ठीक नहीं थी। मेरे गर्भवती होने के बावजूद उसने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाना जारी रखा। हद तो तब हो गई जब उसने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और ग्राहकों के पास मुझे भेज दिया। अत्यधिक यौन शोषण के कारण मुझे अबॉर्शन कराना पड़ा। मैं पूरी तरह स्वस्थ भी नहीं हो पाई थी कि उसने मेरा यौन उत्पीड़न शुरू कर दिया गया। डॉक्टर ने मुझे घर में कैद कर दिया और वहीं ग्राहक भेजने लगा। बदले में वह मेरे घर पैसे भिजवाता रहता था, जिससे मेरे छोटे भाई-बहन अपना गुजारा करते थे। एक साल बाद मैंने लड़के को जन्म दिया। डॉक्टर साहब बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा कि अब हमारा परिवार बन गया। अब मैं तुमसे शादी कर लूंगा। परिवार के खर्च और बच्चे की परवरिश के लालच में मैं उसकी कठपुतली बन गई। मेरे विरोध करने पर वह भावनात्मक रूप से मुझे ब्लैकमेल करता। धीरे-धीरे मेरी उम्र बढ़ने लगी। डॉक्टर ने बच्चे को किसी अन्य जगह पर रखा था। अब वह 13-14 साल का हो गया है। उसे अभी तक यह नहीं पता कि उसकी मां कौन है। वह मुझे एक बाजारू औरत समझता है। एक दिन बेटे के साथ काफी कहासुनी हुई जिससे डॉक्टर ने मुझे घर से निकाल दिया। मैंने मदद के लिए पुलिस के पास गुहार लगाई, लेकिन किसी ने मेरी एक न सुनी। डॉक्टर ने अपने रसूख के दम पर मामले को दबा दिया। मैं पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हूं। रेलगाड़ियों में छोटा-मोटा सामान बेचकर गुजारा करती हूं। डॉक्टर ने मुझे एक चलती-फिरती लाश बनाकर छोड़ दिया। NBT