Thursday, June 11, 2009

बीट के नाम पर रिश्वत

क्या बीट के नाम पर एसएचओ एक महीने में ही 15 लाख रुपये या अधिक की रिश्वत खाते हैं? वे यह रिश्वत अकेले ही डकार जाते हैं या फिर यह कहीं और भी पहुंचाई जाती है? इन सवालों के जवाब में भले ही दिल्ली पुलिस कहे कि सब गलत है लेकिन एक सब इंस्पेक्टर के ई-मेल ने ये सभी सवाल अवश्य खड़े कर दिए हैं। कोतवाली के इस सब इंस्पेक्टर ने अपने एसएचओ पर करप्शन के इल्जाम लगाते हुए पुलिस कमिश्नर और जॉइंट कमिश्नर (नॉर्दर्न रेंज) को 8 जून को ई-मेल भेजा है। ई-मेल में लिखी शिकायत पर विजिलेंस जांच के ऑर्डर कर दिए गए हैं। दूसरी ओर, एसएचओ ने इस पूरे कांड की वजह एसआई की नाकारा परफॉर्मेंस और डिविजन से हटाने के बाद उसकी नाराजगी बताई है। सोमवार को पुलिस कमिश्नर वाई.एस.डडवाल और जॉइंट कमिश्नर कर्नल सिंह को कोतवाली के एसआई शीशपाल का ई-मेल मिला। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इसमें शीशपाल ने एसएचओ (कोतवाली) सुनील श्रीवास्तव पर सभी 20 बीट और 6 डिविजन सबसे बड़ी बोली लगाने वाले पुलिसकर्मियों को बेचने के आरोप लगाए हैं। एसआई को जॉइंट कमिश्नर के सामने पेशी के लिए बुलाया गया। जानकारी के मुताबिक, वहां शीशपाल ने मौखिक तौर पर भी एसएचओ पर आरोप लगाए। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शीशपाल ने खुद को बटैलियन में ट्रांसफर करने की गुजारिश की, लेकिन उनका तबादला बुराड़ी थाने में कर दिया गया। जॉइंट पुलिस कमिश्नर कर्नल सिंह ने एनबीटी को बताया कि ई-मेल मिली है। उनके मुताबिक इस ई-मेल पर डिस्ट्रिक्ट विजिलेंस की जांच के ऑर्डर कर दिए गए हैं। उन्होंने एसआई को बुराड़ी थाने में भेजने की पुष्टि भी की। सुनील श्रीवास्तव कोतवाली में छह महीने पहले एसएचओ बनाए गए थे। तब एसआई शीशपाल कौडि़या पुल के डिविजन अफसर थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, तब उस डिविजन से एक लाख रुपये मंथली आती थी। 31 जनवरी को यह डिविजन एसआई एन.पी. तिवारी के हवाले कर दी गई। शीशपाल का आरोप है कि ज्यादा मंथली के लिए उन्हें उस बीट से हटाया गया था। एक फरवरी से शीशपाल को लाजपत राय मार्किट में लगाया गया। शीशपाल ने अफसरों को बताया कि उन्होंने इस बीट में नकली सामान की बिक्री बंद कर मंथली बंद की थी। उनका आरोप है कि इसी कारण 31 मई को उन्हें इस डिविजन से महरूम किया गया। इसके बाद उन्होंने ई-मेल भेजी। अब विजलेंस जांच में डिविजन और बीट अफसरों का रेकॉर्ड लेकर पुलिस वालों के बयान दर्ज किए जाएंगे। दूसरी ओर, एसएचओ सुनील श्रीवास्तव ने करप्शन के आरोप को सरासर झूठ बताते हुए एनबीटी से कहा कि 15 दिन पहले उन्होंने शीशपाल को परफॉर्मन्स सुधारने के लिए कहा था। ड्यूटी में सुधार नहीं आने पर उन्होंने एसआई को हटाया था। एसएचओ के मुताबिक, शीशपाल उनके साथ छह महीने से थे। अगर मैं करप्शन कर रहा था तो शीशपाल उस वक्त डिविजन में रहने के बाद भी खुद को ईमानदार कैसे बता रहे हैं? एसएचओ के मुताबिक, सच्चाई यह है कि डिविजन से हटाए जाने के कारण एसआई ने आरोप लगाए हैं। NBT