Monday, June 15, 2009

हमारे जीवन दाता हैं आप

"मम्मी (मां) ने तो एक बार जीवन दिया किन्तु आप (रक्तदान करने वाले) बारम्बार जीवन दे रहें हैं। उसके शरीर में पिछले करीब 20 वर्षो की जिन्दगी में अब तक पांच सौ बोतल रक्त चढाया जा चुका है। आपके खून के जरिए उसके जीवन की डोर कौन से रक्तदाता की देन है। इस बात का उसे खुद भी पता नहीं।" विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर रविवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान थेलेसीमिया पीडित किशोरी ने दूसरों के रक्त पर आधारित अपनी जिन्दगी की व्यथा जताकर लोगों को भावुक कर दिया। जिन्दगी के हर लमहे को आगे बढाने के लिए बारम्बार रक्त की जरूरत पूरी करने वालों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि थेलेसीमिया पीडित बच्चों की जिन्दगी उन्हें जीवन देने वाले मां बाप की तुलना में रक्त दान करने वालों पर ज्यादा आधारित है। अपने रक्त के जरिए थेलेसीमिया पीडितों के जीवन की डोर थामने वाले रक्त दाताओं का ऋण वे कभी अदा नही कर सकेंगे।विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर अहमदाबाद रेडक्रॉस सोसायटी की ओर से शुरू किए गए शेरदिल रक्तदाता अभियान के मौके पर आभार जताया। स्नातक की शिक्षा हासिल कर रही मैत्री ने नेताजी सुभाष बोस का नारा-तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा..को याद करते हुए कहा कि अपना रक्तदान करके उसके जैसे अनेक थैलेसेमिया पीडितों की जीवन डोर थामें रक्त दाता तो सुभाष बोस का नारा सार्थक कर रहे हैं किन्तु अपने शरीर को जिन्दा रखने के लिए दूसरों पर आधारित वह खुद नेताजी सुभाष के नारे को सार्थक कर पाने में विवश है। कोई जब उसे एक बोतल खून देता है तो मन में यह विचार आता है कि कोई अज्ञात व्यक्ति एक बार फिर उसकी जीवन डोर आगे बढा रहा है। जीवन में सात सौ बोतल रक्त लेकर स्नातकोत्तर की शिक्षा हासिल कर रही थैलेसीमिया पीडित मीरा नायक ने कहा कि रक्तदाताओं का प्रेम बरकरार रहने तक उसके जैसे अनेेक थैलेसीमियां पीडितों की जिन्दगी महक रही है। बालक शैवल गांधी ने रक्तदाताओं को मानव धर्म का प्रतीक बताते हुए कहा कि "हमारे जीवन दाता हैं आप। प्रि-पेड कार्ड जैसी हमारी जिन्दगी में बैलेंस भरवाने वाले हैं आप"। दूसरों के रक्त दान से जीवन की गाडी आगे बढा रहे थैलेसीमिया पीडित बोनिक कोटिक ने कहा कि उसके जीवन की इमारत का आधार ही रक्त दाता हैं। इतना कह कर उसने सााष्टांग प्रणाम कर रक्तदाताओं को दुआंए दी। पूरी जिन्दगी दूसरों के रक्त पर आधारित रहने वाले थेैलेसीमिया पीडित बच्चों के इस प्रकार के उद्गारों ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी की आंखें नम कर दींं।