भुवन चंद्र खंडूरी की जगह पर स्वास्थ्य मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री होंगे। राज्य के कृषि मंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बताया कि दिल्ली में हुई उत्तराखंड के बीजेपी विधायकों की मीटिंग में पोखरियाल को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया। पत्रकार से नेता बने 51 वर्षीय पोखरियाल उत्तर प्रदेश सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। गौरतलब है कि अंदरूनी असंतोष और लोकसभा में उत्तराखंड की पांचों सीट हारने के चलते भुवन चंद्र खंडूरी को सोमवार को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद पार्टी आलाकमान ने भगत सिंब कोश्यारी की दावेदारी को नकारते हुए पोखरियाल को मुख्यमंत्री बनाने का मन बना लिया था।
मंगलवार को केंद्रीय पर्यवेक्षक वेंकैया नायडू और थावरचंद गहलौत की मौजूदगी में विधायकों की मीटिंग में खंडूरी ने ही पोखरियाल के नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद प्रकाश पंत, त्रिवेंद्र रावत और चंदन रामदास ने इसका अनुमोदन किया। बताया जा रहा है कि खंडूरी बुधवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देंगे और उसके बाद पोखरियाल व उनके सहयोगियों को शपथ दिलाई जाएगी। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पोखरियाल ने कहा है कि वह और खंडूरी मिलकर काम करेंगे। बताया जा रहा है कि अपने लिए समर्थन ना जुटा पाने के बाद असंतुष्ट नेता भगत सिंह कोश्यारी फिर कोप भवन में जा बैठे हैं। लेकिन कोश्यारी को ना चुनने के पीछे बीजेपी की मजबूरी खंडूरी गुट के विरोध के अलावा जातीय राजनीतिक समीकरण की भी है। कोश्यारी राजपूत हैं और हिमाचल प्रदेश व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी राजपूत हैं। बीजेपी का बड़ा समर्थक ब्राह्मण वर्ग भी है,उत्तराखंड में भी यह वर्ग काफी प्रभावी भी है। आठ राज्यों में अपनी या सहयोगी सरकारों में अभी तक खंडूड़ी उसके अकेले ब्राह्मण मुख्यमंत्री थे। ऐसे में बीजेपी ब्राह्मणों को नाराज नहीं करना चाहती है।
मंगलवार को केंद्रीय पर्यवेक्षक वेंकैया नायडू और थावरचंद गहलौत की मौजूदगी में विधायकों की मीटिंग में खंडूरी ने ही पोखरियाल के नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद प्रकाश पंत, त्रिवेंद्र रावत और चंदन रामदास ने इसका अनुमोदन किया। बताया जा रहा है कि खंडूरी बुधवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देंगे और उसके बाद पोखरियाल व उनके सहयोगियों को शपथ दिलाई जाएगी। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पोखरियाल ने कहा है कि वह और खंडूरी मिलकर काम करेंगे। बताया जा रहा है कि अपने लिए समर्थन ना जुटा पाने के बाद असंतुष्ट नेता भगत सिंह कोश्यारी फिर कोप भवन में जा बैठे हैं। लेकिन कोश्यारी को ना चुनने के पीछे बीजेपी की मजबूरी खंडूरी गुट के विरोध के अलावा जातीय राजनीतिक समीकरण की भी है। कोश्यारी राजपूत हैं और हिमाचल प्रदेश व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी राजपूत हैं। बीजेपी का बड़ा समर्थक ब्राह्मण वर्ग भी है,उत्तराखंड में भी यह वर्ग काफी प्रभावी भी है। आठ राज्यों में अपनी या सहयोगी सरकारों में अभी तक खंडूड़ी उसके अकेले ब्राह्मण मुख्यमंत्री थे। ऐसे में बीजेपी ब्राह्मणों को नाराज नहीं करना चाहती है।