Tuesday, June 9, 2009

गहनों से नहीं, 'गन कल्चर' से लेडीज को प्यार !

आज हर ओर महिला सशक्तिकरण की चर्चा की जा रही है। देश की संसद महिला आरक्षण बिल पास होने का माहौल बन रहा है। आमतौर पर महिलाएं हथियारों और मारपीट से दूर ही रहती हैं, लेकिन अब ट्रेंड तेजी से बदल रहा है। लेडीज को अब जूलरी नहीं, गन कल्चर से प्यार होने लगा है। खासतौर पर वेस्टर्न यूपी में हथियारों के लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। जूलरी से प्यार करने वाली महिलाओं के बीच भी गन कल्चर हावी होने लगी है। सेल्फ डिफेंस और अन्य कई कारणों से महिलाएं तेजी से हथियार खरीद रही है। अब वह जमाने लद गए, जब महिलाएं हथियारों से डरती थीं। आंकड़ों के अनुसार 2008 में वेस्ट यूपी में 700 से अधिक महिलाओं ने आर्म्स लाइसेंस के लिए अप्लाई किया। मेरठ रीजन में महिलाओं के आर्म्स लाइसेंस के लिए करीब सात हजार ऐप्लीकेशन फार्म पेंडिंग हैं। मेरठ में 2213, गाजियाबाद में 3369, बुलंदशहर में 1700, गौतमबुद्धनगर में 2165, बागपत में 592, सहारनपुर में 1571 और मुज्जफरनगर में 1604 लोगों के फार्म आर्म्स लाइसेंस के लिए कतार में हैं। इनमें 700 से अधिक महिलाएं हैं। वेस्टर्न यूपी में पिछले कुछ सालों से आर्म्स लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रशासनिक अफसरों के अनुसार पिछले दो सालों में आर्म्स लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाली महिलाओं में करीब 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। हलांकि ऐसा नहीं है कि महिलाओं को हथियार रखने का नया शौक एकाएक लग गया है। महिला शक्ति सामाजिक समिति ग्रेटर नोएडा की अध्यक्ष रूपा गुप्ता ने बताया कि जिले में कानून व्यवस्था दिन पर दिन खराब होती जा रही है। लेडीज के साथ रेप और लूटपाट की घटनाएं बढ रही हैं। यहां हजारों महिलाएं टीचिंग, कॉल सेंटर, मीडिया और बिजनेस आदि से जुड़ी हैं। उन्हें देर रात की शिफ्ट में भी काम करना होता है। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए गन लाइसेंस लेने में भी महिलाएं रुचि दिखा रही हैं। इसके अलावा सेल्फ डिफेंस के लिए जूडो-कराटे भी सीखे जा रहे हैं। एसपी देहात सुरेंद्र कुमार वर्मा महिलाओं में आर्म्स लाइसेंस लेने की बढ़ती ललक के पीछे सेफ्टी तो अहम कारण है ही। दूसरे मामले में राजनीतिक व्यक्ति अपनी पत्नी के नाम से आर्म्स लाइसेंस बनवाते हैं। वहीं अपराधी भी अपनी पत्नी के नाम पर आर्म्स लाइसेंस बनवाने की कोशिश करते हैं क्योंकि थानों में उन पर क्रिमिनल केस दर्ज होते हैं। लिहाजा उनका हथियार का लाइसेंस नहीं बन सकता। हालांकि कई बार ऐसे मामलों में फार्म रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। इसके अलावा गांवों में जमीन के मामलों में विवाद चलते रहते हैं। इसको देखते हुए फैमिली मैंबर महिलाओं के नाम पर आर्म्स लाइसेंस बनवाते हैं। पुलिस का कहना है कि वेस्टर्न यूपी का तेजी से औद्योगिकरण हो रहा है और नए शहर बसाए जा रहे हैं। ऐसे में बडे पैमाने पर रुपये का लेन-देन होता है। जहां इस तरह का माहौल हो, वहां क्राइम की ज्यादा आशंका रहती है। ग्रेटर नोएडा-नोएडा में चेन स्नैचिंग और लूटपाट की बढ़ती वारदात की वजह से महिलाएं भी अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक हो रही हैं। NBT